Friday, January 10, 2014

विश्व बन्धु बन जाएँ गीत -सतीश सक्सेना

हम तो केवल हंसना चाहें 
सबको ही, अपनाना चाहें 
मुट्ठी भर जीवन  पाए  हैं 
हंसकर इसे बिताना चाहें 
खंड खंड संसार बंटा है , 
सबके अपने , अपने गीत ।  
देश नियम,निषेध बंधन में,क्यों बांधे जाते हैं गीत !

नदियाँ,झीलें,जंगल,पर्वत
हमने लड़कर बाँट लिए।  
पैर जहाँ पड़ गए हमारे ,
टुकड़े,टुकड़े बाँट लिए।  
मिलके साथ न रहना जाने,
गा न सकें,सामूहिक गीत !
अगर बस चले तो हम बांटे,चांदनी रातें, मंजुल गीत । 

कितना सुंदर सपना होता 
पूरा विश्व  हमारा  होता । 
मंदिर मस्जिद प्यारे होते 
सारे  धर्म , हमारे  होते ।  
कैसे बंटे,मनोहर झरने,
नदियाँ,पर्वत,अम्बर गीत ?
हम तो सारी धरती चाहें , स्तुति करते मेरे गीत ।  

काश हमारे ही जीवन में 
पूरा विश्व , एक हो जाए । 
इक दूजे के साथ  बैठकर,
बिना लड़े,भोजन कर पायें ।
विश्वबन्धु,भावना जगाने, 
घर से निकले मेरे गीत । 
एक दिवस जग अपना होगा,सपना देखें मेरे गीत । 

जहाँ दिल करे,वहां रहेंगे 
जहाँ स्वाद हो,वो खायेंगे ।
काले,पीले,गोरे मिलकर  
साथ जियेंगे, साथ मरेंगे । 
तोड़ के दीवारें देशों की, 
सब मिल गायें  मानव  गीत । 
मन से हम आवाहन करते,एक ही मुद्रा,एक ही गीत । 

श्रेष्ठ योनि में, मानव जन्में  
भाषा कैसे समझ न पाए । 
मूक जानवर प्रेम समझते  
हम कैसे पहचान न पाए । 
अंतःकरण समझ औरों का,
सबसे करनी होगी प्रीत ।  
माँ से जन्में,धरा ने पाला, विश्वनिवासी बनते गीत ?

अगर प्रेम,ज़ज्बात हटा दें 
क्या बच पाये  मानव में ? 
बिना सहानुभूति जीवन में 
क्या रह जाए, मानव में ?
जानवरों सी मनोवृत्ति पा,
क्या उन्नति कर पायें गीत । 
मानवता खतरे में  पाकर चिंतित रहते मानव गीत !

35 comments:

  1. कितना सुंदर सपना होता
    पूरा विश्व हमारा होता ।
    मंदिर मस्जिद प्यारे होते
    सारे धर्म , हमारे होते ।
    बहुत सुंदर ....

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  2. काश हमारे ही जीवन में
    पूरा विश्व , एक हो जाए ।
    इक दूजे के साथ बैठकर,
    बिना लड़े,भोजन कर पायें ।

    sundar vichar ....sundar rachna .

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  3. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .सार्थक प्रस्तुति . .आभार

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  4. "नदियाँ,झीलें,जंगल,पर्वत
    हमने लड़कर बाँट लिए।
    पैर जहाँ पड़ गए हमारे ,
    टुकड़े,टुकड़े बाँट लिए।
    काश हमारे ही जीवन में
    पूरा विश्व , एक हो जाए ।
    इक दूजे के साथ बैठकर,
    बिना लड़े,भोजन कर पायें ।"
    सुन्दर कल्पना, काश ऐसा हो जाता..........बहुत अच्छी रचना बधाई....

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

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  5. सचमुच कभी ऐसा हो पाता. सुन्दर रचना.

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  6. सुन्दर गीत । मुझे ऐसा लगा जैसे खण्ड-काव्य पढ रही हूँ । मज़ा आ गया ।

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    Replies
    1. आदरणीया ,
      बाक़ी इस पते पर आप पढ़ सकेंगी , आभार आपका !
      http://satishsaxena.blogspot.in/

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  7. उम्दा रचना

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  8. अरे वाह लगता है इधर आज धुप निकली है :)
    बहुत सुन्दर गीत है !

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  9. ये शैली आप पर फबती है :)

    लिखते रहिये।

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  10. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय--

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  11. हम तो केवल हंसना चाहें
    सबको ही, अपनाना चाहें
    मुट्ठी भर जीवन पाए हैं
    हंसकर इसे बिताना चाहें
    वाह ....अनुपम भावों का संगम ....

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  12. आपकी शैली बिलकुल सबसे अलग है। लाखों कविताओं में आपकी कविता को पहचाना जा सकता है।
    ..बढ़िया।

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    Replies
    1. अच्छा लगा , देवेन्द्र भाई , इस पहचान के लिए आपका आभारी हूँ !

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  13. सबके अपने अपने गीत - यही शाश्वत है.

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  14. सपनें तो सपनें हैं ......कब पूरे होंगे ये किसे पता

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  15. खंड खंड संसार बंटा है , सबके अपने अपने गीत ।
    देश नियम,निषेध बंधन में,क्यों बांधा जाए संगीत

    बहुत सुन्दर गीत ...!!!

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  16. बहुत सुन्दर भाव

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  17. खंड खंड संसार बंटा है , सबके अपने अपने गीत ।
    देश नियम,निषेध बंधन में,क्यों बांधा जाए संगीत ।
    अगर हर कोई इस बात को समझे तो गीत के सामने सच हो जायगा !
    नई पोस्ट आम आदमी !
    नई पोस्ट लघु कथा

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  18. भावपूर्ण गीत!

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  19. रक्षित कर,भंगुर जीवन को, ठंडी साँसें लेते गीत ।
    खाई शोषित और शोषक में, बढती देखें मेरे गीत ।
    ..बहुत सुन्दर प्रेरणा देती सुन्दर सार्थक चिंतन भरी रचना प्रस्तुति ......

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  20. बहुत सुन्दर रचना ...आज की स्थिति में ऐसी ही रचना की जरुरत भी थी .....

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  21. विश्वबंधुत्व का सन्देश ... सुंदर गीत

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  22. प्रेम, ख़ुशी, इंसानियत यही तो गुण हैं जो मानव को मानव बनाते हैं..बहुत सुंदर संदेश देता गीत..

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  23. बहुत सुन्दर गीत है भाई साहब!

    सब के अपने स्वर सबकी अपनी तान ,

    यही है मानुस की पहचान।

    अरे तू जान सके तो जान ,

    न कर इतना अभिमान।

    वीरता पुरुष है सकल जहान

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  24. काश हमारे ही जीवन में
    पूरा विश्व , एक हो जाए ।
    इक दूजे के साथ बैठकर,
    बिना लड़े,भोजन कर पायें ।"
    ............................सुन्दर कल्पना

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  25. बहुत ही सुन्दर गीत ... सब में बंधू भाव उत्पन हो जाए तो समस्याएं कहाँ रहेंगी ...

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  26. सदा रहें मुखरित ये गीत

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  27. samajh nahi aaraha zayada aacha kya hai... Apke bhav ya apki smile :] :] Keep it up Sir!

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  28. बहुत ही उत्साहजनक गीत, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  29. --आदरणीय सतीश जी,
    स्वप्न-गीत के लिए मेरी एक टिप्पणी -

    'काश हमारे ही जीवन में
    पूरा विश्व , एक हो जाए ।
    इक दूजे के साथ बैठकर,
    बिना लड़े,भोजन कर पायें ।
    विश्वबन्धु,भावना जगाने, घर से निकले मेरे गीत । '
    -
    -वसुधैव कुटुम्बकम् की मंगलमय कामना का अभिनन्दन ! प्रारंभ से ही हमारी संस्कृति में यह भावना रही है .
    - प्रतिभा सक्सेना.

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- सतीश सक्सेना

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