जनमानस में आग लगाने, घर से जाते गंदे लोग !
राजनीति में चोर बताया जाए, अच्छे लोगों को !
अपना माल छिपा,गंदे आरोप लगाते,गंदे लोग !
सभी जानते भले लोग,जनमानस के दिल में बैठे
स्वच्छ छवि को मैला करने भ्रम फैलाते गंदे लोग !
जेल दूसरा घर होता है, चोर उचक्के लोगों का
नेता बनकर, घोटाले कर, जेल न जाते गंदे लोग !
चोर डकैती में तो ख़तरा, बड़ा झेलना पड़ता है !
राजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग !
खद्दर पहन कर वो
ReplyDeleteउधर को निकल रहा है
इधर कोई उसको देख कर
यहाँ भी कपड़े बदल रहा है
वो उधर सँभाल रहा है
ये इधर खंगाल रहा है !
सुन्दर रचना । पढ-कर मज़ा आ गया । आप कितना अच्छा लिखते हैं । कैसे लिख लेते हैं ?
ReplyDeleteसब कहते हैं नेता बनकर , नोट कमाए जाते हैं !
ReplyDeleteवोट माँगने अब आयेंगे , लालच देते, गंदे लोग !
बहुत खूब !
अब राजनीति स्वार्थ नीति होकर रह गई है
ReplyDeleteओसे लोड तो अब हमारे रहनुमा बन गए हैं ...
ReplyDeleteटॉक टिप्पणी है आपकी इस जमात पर ...
आज की राजनीति पर तीखे व्याग कसती आपकी ये रचना....
ReplyDeleteकभी पधारिए हमारे ब्लॉग पर भी.....
नयी रचना
"एहसासों के "जनरल डायर"
आभार
बहुत ही सुन्दर और प्रभावी कविता।
ReplyDeleteबहुत सटीक !
ReplyDeleteनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
सटीक रचना है, नए वर्ष में कुछ अच्छा हो शायद !
ReplyDeleteआशा की एक किरण तो दिखायी दे रही है !
चोर डकैती में तो ख़तरा, बड़ा झेलना पड़ता है !
ReplyDeleteराजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग !
बहुत खूब ! सुंदर अभिव्यक्ति,..!
=======================
RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
चोर डकैती में तो ख़तरा है...राजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग...अति सुन्दर...
ReplyDeleteमाल कमाने ही आये राजनीति में गंदे लोग , इसलिए ही राजनीति गन्दी हुई।
ReplyDeleteशुद्धिकरण की कुछ उम्मीद तो बंधी है !
कविता के शीर्षक से लग रहा था कि आप संगीता रिचर्ड पर अपना गुस्सा निकल रहे हैं :-))
ReplyDeleteकविता के शीर्षक से लग रहा था कि आप संगीता रिचर्ड पर अपना गुस्सा निकल रहे हैं :-))
ReplyDeleteसंगीता रिचर्ड भी खादी पहनती है ? :)
Deleteसटीक ग़ज़ल
ReplyDelete
ReplyDeleteजेल दूसरा घर होता है ,चोर उचक्के लोगों का
खद्दर पहने, घोटाले कर, जेल में जाते गंदे लोग !
नकाब खोलता लोगों के अंतर्मन का चित्रण
ReplyDeleteमगर आपसे तो बड़ी आशा है
आपके गीतों की बात तो अलग ही है, लेकिन आपका यह रंग सचमुच प्रभावशाली है!!
ReplyDeleteगंदे लोग गन्दी राजनीति। .... गन्दी बात :-)
ReplyDeleteअब तो लोग गा गाकर भी कहने लगे हैं...तेरे संग करुंगा में गन्दी बात...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...बधाई...
ReplyDeleteयथार्थ का दर्शन कराती बढ़िया प्रस्तुति.
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ सतीश भाई.
नए साल की मंगल कामना
ReplyDeleteनचिकेता
Raajniti se acha koi business nahi hai na isliye yeh sab hota hai :)
ReplyDeletebadhaai ho is rachna ke liye..
Nav-Varsh ki shubhkamnayein..
Please visit my Tech News Time Website, and share your views..Thank you
अब अच्छे लोग भी राजनीति में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। शुभ संकेत मिलने शुरू हो चुके हैं।
ReplyDeleteकविता पढ़कर राजनीति से भाग जायेंगे गंदे लोग।:)
यही लोग जब माननीय बन जाते है तब देखो इनके जलवे ...बहुत सटीक ..
ReplyDeleteआपको सपरिवार नववर्ष की मंगलकामनाएं
सब तरफ़ यही गंदे लोग तो भरे पडे हैं. कभी तो अच्छे कोग भी आयेंगे ही, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.