Tuesday, December 3, 2013

केवल बच कर रहना होगा, इतने बदबूदारों से - सतीश सक्सेना

मूरख जनता खूब लुटी है, पाखंडी सरदारों से !
देश को बदला लेना होगा,इन देसी गद्दारों से !

पूंछ हिलाकर चलने वाले,सबसे पहले भागेंगे !
सावधान ही रहना होगा, इन झंडे बरदारों से !


चौकीदारी करते कैसे निरे झूठ को सत्य बताएं 
आँख खोल के सोना होगा, ऐसे  पहरेदारों से !

जीवन भर ही वोट डालते रहे,तुम्हारे कहने पर !
अब कैसे बच पाये इज्जत,इन डाकू सरदारों से !

राजनीति के मुहरों के रंग,देख लिए हैं,जनता ने !
केवल बच कर रहना होगा, इतने बदबूदारों से !


29 comments:

  1. चुनावी माहौल का रंग …… असरदार रचना।

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  2. सच कह रहे हैं, पहले से कहाँ पता रहते हैं इनके करम।

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    1. वीरू भाई , कृपया किसी पार्टी के नेता का नाम न लिखें , आभारी रहूँगा !

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  4. सुन्दर कटाक्ष । मज़ा आ गया , पर इनसे बचें कैसे ? जल में ही तो रहना है ।

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  5. वर्तमान हालात का सटीक चित्रण...बेहतरीन सशक्त भाव अभिव्यक्ति...

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  6. झंडा डंडा दारु रुपया कम्बल सम्बल वोट दिलाएं !
    देश के नाम पे खोल दुकाने , करते रोज नमस्ते हैं !
    इन लोगों ने ही देश का कबाड़ा किया है,, जनता जब तक इनकी दुकाने नहीं उठाएगी तब तक यहसिलसिला चलता रहेगा.इनकी चमड़ी भी बहुत मोटी है, सरलता से पकड़ में नहीं आने वाले ,जब तक सब मिल कर प्रयास न करें. सुन्दर कटाक्ष सतीशजी.आभार.

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  7. अक्सर धोखा देने वाले, बगल में पाये जाते हैं !
    आँख खोल के सोना होगा,घर के पहरेदारों से ..
    सच कहा अहि अपने ही होते हैं लूटने वाले ... बच के रहने में ही भलाई है ...

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  8. आपके विचार लोकतंत्र के यज्ञ की समिधा बने!

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    1. आपका आभार डॉ अरविन्द !!

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  9. चुनाव के गोरख धंधे का सही चित्रण |
    नई पोस्ट वो दूल्हा....
    लेटेस्ट हाइगा नॉ. २

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  10. असरदार प्रस्तुति

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  11. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय- -

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  12. कैसे छूटे आदत बदबू की अब जब
    उसके नशे की आदत सी हो गई है !

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  13. बहुत बढ़िया, बेहतरीन सटीक अभिव्यक्ति...!
    ---------------------------------------------------
    Recent post -: वोट से पहले .

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  14. सुन्दर कटाक्ष........

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  15. ☆★☆★☆

    अक्सर धोखा देने वाले, बगल में पाये जाते हैं !
    आँख खोल के सोना होगा,घर के पहरेदारों से !

    वाह वाह !
    ग़ज़ब !!

    आदरणीय सतीश जी
    अत्यंत सुंदर सामयिक रचना लिखी है आपने !

    हार्दिक मंगलकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  16. अक्सर धोखा देने वाले, बगल में पाये जाते हैं !
    आँख खोल के सोना होगा,घर के पहरेदारों से !

    वाह ! वाह !

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  17. भलाई है बच के रहने में ही...

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  18. जीवन भर ही वोट डालते रहे तुम्हारे कहने पर !
    अब कैसे बच पाये इज्जत, इन डाकू सरदारों से !

    सभी सटीक पंक्तियाँ है, वोट डालने का अधिकार पाकर हम खुश होते है कि,चलो हमें नेता चुनने का अधिकार मिला हुआ है लेकिन किसी चुने जबकि एक से एक अवगुणी नेताओं की भरमार है मुश्किल है बच पाना !

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  19. ओजस्वी रचना के साथ साथ ही सटीक सलाह, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  20. और आजकल इतनी तादाद भी कितनी बढ़ी हुई है. सावधान करती अति सुन्दर रचना.

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  21. सुन्दर और सार्थक रचना

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  22. राजनीति को उजागर करती रचना

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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