केवल हम ही साथ न होंगे
एक दिवस तो जाना ही है
कुछ बरसों में यहाँ न होंगे
सबका अंत समय आना है,
तब क्यों डर डर जलें बुझेंगे !
क्या होगा , यदि कल का सूरज, मेरे प्राण नहीं देखेंगे !
यदि भय से कमजोर पड़ेंगे
रंजिश वाले , राज करेंगे !
जो हमने सींचा मेहनत से
उसको वे , बरबाद करेंगे !
अगर भीष्म संकल्प रहेगा
दुर्जन भी भयभीत रहेंगे !
जिस बंजर में वृक्ष उगाये , उनकी जड़ें नहीं खोदेंगे !
दुनियां भरी पड़ी ऐसों से
अपना कद ही बड़ा मानते ,
जीवन बीता रोते रोते फिर
भी अपनी अकड़ दिखाते
बुद्धि मिली राशन से इनको
लेकिन ज्ञान, बहुत बांटेंगे !
लुटते बार बार जीवन में , नाम विक्रमादित्य रखेंगे !
ऐसे कैसे संगी साथी
अपनों को सम्मान न देते
छोटी छोटी सी बातों पर
अपना जीवन नर्क बनाते
नीम के पौधे ,कड़वे लगते,
गिरते दांतों को रोयेंगे !
जुते हुए तांगे में कब से , मरने तक , सीधे देखेंगे !
काश मानवों को बस्ती में
खुश होकर रहना आ जाये
काश एक ही छत के नीचे
जीवन खुशबू दार बनाएँ !
थोड़े से दिन लेकर आये,
मन का जमा अहम् धोएंगे !
हँसते हँसते आँख बंद हों,पता नहीं किस दिन सोयेंगे !
मृत्यु की सोच भी जीवन जीना सीखने में सहायक होती है :)
ReplyDeleteलिखते रहिये।
चचा गालिब याद आते हैं---
ReplyDeleteन था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने न होता मैं तो क्या होता?
सुन्दर भाव संचरण ,बहुत खूब
ReplyDelete" मरने से ये जग डरा मेरो मन आनन्द । कब मरिहौं कब भेटिहौं पूरण-परमानन्द ॥ कबीर
ReplyDeleteआपसे ऐसी निराश रचना की उम्मीद नहीं थी :-(
ReplyDeleteसादर
अनु
अनु,
Deleteहमें हकीकत को कभी कभी याद कर लेना चाहिए :)
नहीं ?
@हमें हकीकत को कभी कभी याद कर लेना चाहिए :)
Deleteनहीं ?
नहीं, कभी कभी नहीं अकसर हर पल याद (ध्यान ) करना चाहिए,
तभी जिंदगी में जिवंतता रहती है, आपने देखा होगा पथरों की अपेक्षा
फूल अधिक जिवंत दिखाई देते है क्योंकि उन्हें सुबह खिलकर साँझ
मुरझाना होता है !
थोड़े से दिन लेकर आये, मन का जमा अहम् धोएंगे !
ReplyDeleteहँसते हँसते आँख बंद हों,पता नहीं किस दिन सोयेंगे !
इस सत्य से आँखे मूंदे -मूंदे ही आँख मूंद लेते है .........बहुत सुन्दर रचना .........
जब तक हम हैं वो नहीं होगी
ReplyDeleteऔर जब वो होगी तब हम नहीं होंगे
-
क्या चिंता करना
-
अंतिम सत्य को दर्शाती बहुत भावपूर्ण रचना
वास्तविकता को स्वीकार करना ,उसको अनुभव करना ,उस अज्ञात भय पर विजय पाना है,|
ReplyDeleteआपकी रचना यक्ष प्रश्न का जवाब है ,ऐसा मैं सोचता हूँ |
नई पोस्ट विरोध
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यह निराश रचना नहीं है...यही तो आशा का सच्चा संदेश देती है...मृत्यु किस घड़ी घटेगी कौन जानता है..हर घड़ी कमर कस के तैयार रहने वाला जीवन का हर पल पूर्णता से जीता है... सुंदर रचना !
ReplyDeleteबढ़िया है भाई जी-
ReplyDeleteआभार -
सही सीख
ReplyDeleteहर आदमी जब मैय्यत के साथ जाता है
ReplyDeleteबस ये सोच के ही लौट आता है
जिसे मरना था वो तो चला गया
हमें कौन सा अभी मरना आता है :)
सुंदर भाव.
ReplyDeleteये बात नेता याद रखें तो बात बने।
ReplyDeleteभगवान आपकी उम्र लम्बी करे!! आज बहुत सी बातें याद आ रही हैं.. मगर आदतन गुलज़ार साह्ब को कोट करना चाहूँगा:
ReplyDeleteज़िन्दगी फूलों की नहीं,
फूलों की तरह मँहकी रहे!!
एक बात बेंज़ामिन फ्रैंकलिन की याद आ रही है कि हर सुबह नौ बजे उठकर मैं सबसे पहले अख़बार लपकता हूँ और देखता हूँ कि मेरा नाम ऑबिच्युअरी वाले पन्ने पर तो नहीं है. और जब मेरा नाम नहीं होता है तो मैं जग जाता हूँ!
:)
आभार सलिल भाई !!
Deleteअनोखा लेकिन निराला अंदाज
ReplyDeleteवाह भाई साहब सच का आइना
काश मानवों को अपने घर
ReplyDeleteखुश होकर रहना आ जाये
काश एक ही छत के नीचे
जीवन खुशबू दार बनाएँ !...बहुत सुन्दर ख्याल.काश ऐसा होजाए..
सबका अंत समय आना है,तब क्यों डर डर जलें बुझेंगे !
ReplyDeleteक्या होगा , यदि कल का सूरज, मेरे प्राण नहीं देखेंगे ?
उत्तम भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...!
RECENT POST -: मजबूरी गाती है.
जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल...
ReplyDeleteजो रहा है, आज ही है,
ReplyDeleteकल कहेंगे पुनः यह।
मन के निराश भाव को भी बहुत कुशलता से व्यक्त किया आपने...कभी कभी ये विचार मन को उदास कर देते हैं...इसे कहते हैं भाव समेटना...अगली रचना में खुशियों के भाव समेटिए...सादर
ReplyDeleteयकीन करें , यहाँ उदासी बिलकुल नहीं हैं ऋता जी :)
Deleteआज 15 दिसम्बर है और है साथ में आप का जन्मदिन
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाऐं
बहुत कुछ लिखें और
लिखते ही चले जायें :)
आभार जोशी सर ,
Deleteऐसा ही होगा !!
जन्म-दिन की अशेष शुभ-कामनायें । जीवन में प्रवाह-सँग प्रगति अनवरत बनी रहे ।
ReplyDeleteमृत्यु है इसीलिए जीवन में ताजगी है जिन्दादिलपन है, अगर मृत्यु न होती तो जीवन
ReplyDeleteबिलकुल बोरिंग और बासा होता !
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteस्वीकार करे :)
अति सुन्दर भाव ...
ReplyDeleteसोना तो है
ReplyDeleteपर सोने से पहले अपने सपनों के बीज आगत की आँखों में बोकर सोयेंगे
सपनों की फसल हमेशा लहलहाये - इसकी कोशिश में ही नींद आये, … जब आये :)
काश!
ReplyDeleteप्रकृति , संसार , जीवन कितना सुन्दर है ! जिस व्यक्ति को मृत्यु याद रहती है , जीवन की कीमत वही जानता है।
ReplyDeleteकाश कभी ऐसा संभव हो इस धरती पर जिसकी आपने कल्पना की है.
ReplyDeleteजीवन का यथार्थ , ,सत्य कहा आपने,
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही गहन और सुन्दर ।
ReplyDelete'नीम के पौधे ,कड़वे लगते, गिरते दांतों को रोयेंगे !' bahut acchhi lines hain kyonki parhit karna chahiye chahe bura lagega thodi der ke liye par bhala to hoga uska..
ReplyDeleteAAMEEM;.Ek ASMAN KI CHHAT KE NEECHE MILKAR RAHE HUM SAB
गहन,सुन्दर सी बात--ये तो शाश्वत सत्य है पर सोच कहाँ कोई पाता है ,आपने सोचा भी तो निराले अंदाज में---आप रहो न रहो ये गीत तो रहेंगे --क्या कम है?,
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