जाने से पहले दुनियां को,कुछ गीत सुनाकर जाऊंगा !
अनुराग समर्पण निष्ठा का सम्मान बढ़ाकर जाऊंगा !
श्री हीन हुए स्वर,गीतों के , झंकार उठाकर जाऊंगा !
अनजाने कवियों के पथ में,ये फूल चढ़ाकर जाऊंगा !
निष्कपट आस्था श्रद्धा का अपमान न हों,बाबाओं से
स्मरण कबीरा का करके,शीशा दिखलाकर जाऊँगा !
लाचार वृद्ध,अंधे,गूंगे, पशु, पक्षी की तकलीफों को !
लयबद्ध उपेक्षित छंदों में,सम्मान दिलाकर जाऊँगा !
कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा कराकर जाऊँगा !
अनुराग समर्पण निष्ठा का सम्मान बढ़ाकर जाऊंगा !
श्री हीन हुए स्वर,गीतों के , झंकार उठाकर जाऊंगा !
अनजाने कवियों के पथ में,ये फूल चढ़ाकर जाऊंगा !
निष्कपट आस्था श्रद्धा का अपमान न हों,बाबाओं से
स्मरण कबीरा का करके,शीशा दिखलाकर जाऊँगा !
लाचार वृद्ध,अंधे,गूंगे, पशु, पक्षी की तकलीफों को !
लयबद्ध उपेक्षित छंदों में,सम्मान दिलाकर जाऊँगा !
कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
अब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा कराकर जाऊँगा !
वाह।
ReplyDeleteअहा ! शब्द-शब्द अंतर्मन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है .... इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये आभार
ReplyDeleteसादर
सार्थक उद्देश्य जीवन का !!
ReplyDeleteशुभकामनाये !
मरने से पहले दुनियां को,कुछ गीत सुनाकर जाऊंगा !
ReplyDeleteहिंदी कविताओं,गीतों में,कुछ योगदान कर जाऊंगा !
"हर बीज में छिपी हुई है , फूल होने की अभिलाषा
हर फूल में बीज होने की, देखना कल फिर खिलेगा "
यही तो योगदान है जो आपकी इस रचना से स्पष्ट हो रहा है !
कुछ वादे करके निकला हूँ अपने दिल की गहराई से
ReplyDeleteअब आया हूँ दरवाजे पर,तो विदा करा कर जाऊँगा !
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...
आमीन...बहुत सुंदर भाव भरा गीत..
ReplyDeleteबहुत खूब... !
ReplyDeleteलयात्मक गति से झर झर झरते हुए सुरभित पुष्प से सुन्दर शब्द … शुभकामनाएं
ReplyDeleteहमेशा नहीं और हर व्यक्तित्व पर नहीं, पर कुछ लोगों में और कभी कभी आक्रमकता अच्छी भाती है । प्रशंसा करने में थोड़ा कँजूस हूँ और कभी कभी थोड़ा मीन मेख निकालने की आदत भी है । सो उम्मीद है कि आप "निन्दक नियरे राखिये" में भी विश्वास रखते होंगे । अभी हाल ही में फेसबुक पर आपसे परिचय हुआ है जिस के माध्यम से ये कविता का लिंक प्राप्त हुआ । कविता के बारे में कुछ न कहकर सिर्फ इतना कहूँगा कि आपके ब्लॉग की शीर्षक पँक्ति "माँ की दवा,को चोरी करते,बच्चे की वेदना लिखूंगा !" मुझे बहुत भायी ।
ReplyDeleteस्वागत के साथ ही आभार आपका !
Deleteभाई जी सुंदर कविता लिखते है
ReplyDeleteलेकिन शुरु मरने की बात से क्यों करते हैं
कहिये ना गाता रहूँगा गाता जाउँगा
कितने मरेंगे आगे आगे को पता नहीं
मुझे तो बहुत दूर तक गाना है
मैं तो कहीं भी नहीं जाउँगा :)
खूब लिखिये अभी कम से कम 100 साल और लिखिये :)
अभिभूत हूँ आपके स्नेह के लिए, आभार डॉ जोशी !!
Deleteलिखिए ,हृदय में जब वंचितों के लिए इतना ग़ुबार भरा हो ,वाणी जब अनायास फूट पड़ी हो, उन वेगवान स्वरों को कौन प्रतिबंधित कर सका है !
ReplyDeleteआपका आशीर्वाद शक्ति देने के लिए पर्याप्त है , सादर !!
Deleteआशा विश्वास को मजबूत करता ... लाजवाब गीत सतीश जी ...
ReplyDeleteवाह... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआत्म विश्वास हो तो आदमी कुछ भी कर गुजरता है ,होंसला बुलंद हो तो मंजिल मिलती ही है , सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteएक सच्चे गीतकार की यही अभिलाषा होती है और आप का तो हृदय ही गीत रचना के लिए बना है . इस सुन्दर मर्म स्पर्शी गीत के लिए बधाई
ReplyDeleteवाह,
ReplyDeleteजब कलम उठाई हाथों में , लोगों ने छींटे , खूब कसे !
ReplyDeleteस्मरण कबीरा का करके,शीशा दिखला कर जाऊँगा !
दिल को छूती रचना ....
स्वस्थ्य दीर्घायु की शुभ कामनाएं
Lajawaaab rachna bhawanayein sunder hai....geet gaate jaayiye aur likhate jayiye...shubhkamnaayein
ReplyDeleteBehtareeen rachna.umdaa
ReplyDeleteसुंदर भाव!
ReplyDeletebhavpurn,khubsurat rachna....
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