गिरना है, वो गिर के रहेगा, देगा दोष खुदाई को !
सारे फ़र्ज़ निभाए हमने, अब जाने का वक्त हुआ !
दरवाजे पर कौन खड़ा है, इतनी रात बधाई को !
घर मे कीचड़ से खेले हो, गर्वीले दिन भूल गए,
आसानी से दाग़ न जाएँ , करते रहो पुताई को !
लेना देना, रस्म रिवाजों से ही , घर का नाश करें
बहू तो कब से इंतज़ार में बैठी मुंह दिखलाई को !
प्रतिरोपण के लिए वृक्ष की कोमल शाखा दूर हुई,
बरगद की झुर्रियां बताएं , कैसे सहा विदाई को !
 
 

 
 
 
 
 
 
 
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बहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअदब कायदा खूब सिखाओ शेख कुएं औ खाई को !
ReplyDeleteगिरना है वो गिर के रहेगा , देगा दोष खुदाई को !
बहुत खूब भावपूर्ण सर आभार
अति सुन्दर...
ReplyDeleteअदब कायदा खूब सिखाओ शेख कुएं औ खाई को !
ReplyDeleteगिरना है वो गिर के रहेगा , देगा दोष खुदाई को !
वाह ! जिसको जो होना होता है वह वही होता है
अच्छा है...
ReplyDeleteजबसे बिटिया चली गयी है बाबुल के दरवाजे से
ReplyDeleteबरगद की झुर्रियां बताएं, कैसे सहा विदाई को !..
वाह ... दिल को छूता हुआ गुज़र गया ये बंध.... बहुत ही संवेदनशील ...
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 21 . 7 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन ..... उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteभावुक
ReplyDeleteदेख भी लिजिये ना क्या पता खुदा ही हो दरवाजे पर :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
Sateesh ji, atyany manbhati likte hai....ye prakhar, prabhavi kavita ki savita teri hai....nirmal, uddat, katu teekshnn vyang ki sarita teri hai.. ...purv ki bhanti sashakt sarthak rachna dene hetu sadhuwad....
ReplyDeleteबहुत सुंदर! सभी शेर एक से बढ़कर एक! सुंदर और सटीक!
ReplyDeleteबहुत नाज़ुक भावों की अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteकर्मफल |
बहुत गहराई से अनुभव किया गया प्रभावशाली कथ्य होता है आपका -साधु !
ReplyDeleteअदब कायदा खूब सिखाओ शेख कुएं औ खाई को !
ReplyDeleteगिरना है वो गिर के रहेगा , देगा दोष खुदाई को !
बिलकुल सही कहा है, सभी सार्थक लगे शेर !
भावपूर्ण अभिव्यक्ति..................
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर!
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteप्रशंसनीय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
kya bhavpurn rachna...wah
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