अनपढ़ों के वोट से , बरसीं घटायें इन दिनों !
साधू सन्यासी भी आ मूरख बनायें इन दिनों !
साधू सन्यासी भी आ मूरख बनायें इन दिनों !
झूठ, मक्कारी, मदारी और धन के जोर पर ,
कैसे कैसे लोग भी , गंगा नहाये इन दिनों !
कैसे कैसे लोग भी , गंगा नहाये इन दिनों !
सैकड़ों बलवान चुनकर , राजधानी आ गए !
आप संसद के लिए, आंसू बहायें इन दिनों !
देखते ही देखते सरदार को , रुखसत किया ,
बंदरों ने सीख लीं कितनी कलायें इन दिनों !
ये वही नाला है जमुना नाम था,जिसके लिए,
साफ़ करने के लिए,चलती हवायें इन दिनों !
नदियों को कूड़ा करने का यह सिलसिला पुराना है :(
ReplyDeleteअच्छी रचना !
सटीक , समसामयिक पंक्तियाँ
ReplyDeleteबढ़िया सुंदर रचना , सतीश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
गंगा तो सबको स्वच्छ कर देती है शायद इनका भी भला हो जाये...
ReplyDeleteचोर डाकू चुन चुना के , राजधानी आ गए ,
ReplyDeleteआप संसद के लिए, आंसू बहायें इन दिनों !
..दिखाना पड़ता है जनता को कि हमें कितनी चिंता है
बहुत सटीक
चोर डाकू चुन चुना के , राजधानी आ गए ,
ReplyDeleteआप संसद के लिए, आंसू बहायें इन दिनों ...
सच लिखा है ... अखाड़ा बन चूका है आज अपना संसद भवन ....
पढ़े लिखों के वोट कहाँ गये :) ?
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
बहुत सुन्दर और सटीक ग़ज़ल...
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आपका-
बढ़िया
ReplyDeleteअबकी तो आशा बँधी है - गंगा स्वच्छ होंगी अविरल होंगी ,यमुना आदि नदियों का भी उद्धार होगा !
ReplyDeleteहोगा ,होगा ,अवश्य होगा !
वाह बेहतरीन गजल सुन्दर कटाक्ष
ReplyDeleteघाट भी सजते गये काशी के देखो ।
कैसे कैसे लोग भी गंगा नहाए इन दिनों।।
बहुत कुछ होरहा है इन दिनों..बढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteये वही नाला है जमुना नाम था,जिसके लिए,
ReplyDeleteसाफ़ करने के लिए, चलती हवायें इन दिनों !..kya baat hai !
चोर डाकू चुन चुना के , राजधानी आ गए ,
ReplyDeleteआप संसद के लिए, आंसू बहायें इन दिनों !
वाह ! क्या बात है
ये वही नाला है जमुना नाम था,जिसके लिए,
ReplyDeleteसाफ़ करने के लिए, चलती हवायें इन दिनों !
नदियों को पहले गन्दा करो फिर करोडो डालकर साफ करो ये कहाँ की बात है ? जब तक ये पापी लोग पाप धोने के लिए नदियों का प्रयोग करते रहेंगे जमुना जैसी पवित्र नदियों का अस्तित्व खतरे में रहेगा ! सटीक रचना !
सुंदर रचना.
ReplyDeletesatik chot deti hui rachna...
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है like
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