नामक किन्नर मुझसे अपने समाज के बारे में बात करना चाहते थे !उनसे बात करते समय यह लगभग साफ़ था कि वे अपनी बात कहने में बेहद गंभीर, व्यवस्थित और विद्वान थे और हरियाणा में अपनी गद्दी के प्रधान भी !
इन्होने मेरा एक लेख पढ़कर ही मुझे फोन किया था , मेरे लेख एवं किन्नरों के प्रति मेरे दृष्टिकोण के प्रति धन्यवाद कहते हुए उन्होंने लगभग आधा घंटा बात की जिसमें अपनी सामाजिक स्थिति के प्रति समाज से शिकायत और बेहतर सम्मान की मांग शामिल थी !
किन्नरों के प्रति समाज का रवैया न्याय पूर्ण नहीं है इसमें कोई संदेह नहीं , इन्हें समाज हमेशा शक की नज़र से ही देखता है व इनकी समस्याओं और स्थिति को जाने बिना , बदले में सिर्फ भय और नफरत ही देता है !
मानवता दया करुणा के नाम पर बड़ी बड़ी बातें करते हम लोग किन्नरों के प्रति जानवरों से भी खराब रवैया अख्तियार करते हैं , वे लोग सामान्य व्यक्तियों की भांति जीवन यापन करना चाहते हैं जो समाज करने नहीं देता !
किन्नर आदिकाल से पाये जाते हैं , पौराणिक काल में शिव के एक अवतार अर्धनारीश्वर की चर्चा है जिनका आधा
इनके बारे में तमाम गलत धारणाएं समाज में फैलायी गयी हैं , जिन लोगों को इनसे कोई सहानुभूति नहीं वही इनके बारे में सबसे अधिक अनर्गल प्रचार करते हैं !वे नाच गा कर भिक्षा यापन कर अपना गुज़ारा करते हैं , उनका यह भी दावा है कि वे यक्ष , गन्दर्भ, किन्नर समाज के लोग हैं और नाच गाना उनका पुरातन पेशा है , उन्हें अपनी स्थिति से कोई शिकायत नहीं बल्कि उसे पसंद करते हैं , समाज से उन्हें एक ही शिकायत है कि अगर समाज उनका आदर न कर सके तो भी उसे उनके अपमान का कोई अधिकार नहीं ! वे सूफी संत सम्प्रदाय की राह पर चलने वाले लोग हैं और उनकी दुआओं में उतनी ही शक्ति है जितनी किसी और और वास्तविक संत में !
इनके साथ अपराध होने की स्थिति में टेलीविजन मीडिया अथवा अखबारों में इन्हें कोई महत्व अथवा प्रमुखता नहीं दी जाती बल्कि इन्हें हेय व अपमानजनक दृष्टि से देखा जाता है ! वे अपने आपको किन्नर कहलाना पसंद करते है , हिजड़ा उर्फ़ छक्का शब्द एक गाली है जो इन्हें, निर्मम समाज की देन है , किन्नर हर धर्म का सम्मान करते व मानते हैं , मृत्यु होने की दशा में किन्नरों को उनके धर्म के आधार पर दफनाया या जलाया जाता है !
इनको ट्रेन यात्रा अथवा बस यात्रा में कोई सीट नहीं देता चाहें यह बीमार ही क्यों न हों उनके साथ खाना पीना तो दूर लोग बैठना भी पसंद नहीं करते !
अख़बारों के हिसाब से माने तो छत्तीस गढ़ में कोई कानून बनाने का प्रयत्न हो रहा है जिसमें इन्हें ऑपरेशन द्वारा स्त्री या पुरुष बनाने की बात कही गयी है ? अगर यह सच है तो यह अमानवीय है ! उनका मानना है कि यह लोग अल्पमत में हैं और कम संख्या में हैं इनका सरंक्षण होना चाहिए न कि इन्हें समाप्त ही कर दिया जाये !
इनकी देवी का नाम बहुचरा माता है जिनका मंदिर बलोल , संथाल , गुजरात में है ! मन्नू महंत का कहना है कि
" चाहे इस्लाम हो या हिन्दू , हर धर्म में इन्हें सम्मान दिया गया है और इनकी चर्चा है ! वे आगे कहते हैं कि हाल में उन्होंने पढ़ा है कि किन्नरों को ऑपरेशन द्वारा महिला या पुरुष बना दिया जाएगा कितने दुर्भाग्य की बात है कि जिस भारत देश में किन्नरों को साधू संत और असली फ़क़ीर माना जाता है उनके अगर सुबह दर्शन हो जाएँ तो माना जाता है कि सारे आज काम पूर्ण होंगे , जिन्हे अल्लाह , वाहे गुरु , यीशु मसीह , भगवान के बहुत करीब माना जाता है वही मालिक के बन्दे अपनी पहचान के लिए भी किसी सरकार या हुकूमत के आगे मज़बूर हैं क्या इनके हकों के लिए क़ानून बनाने से पहले इनसे पूंछना जरूरी नहीं ?
क्या आपको नहीं लगता कि वे उन बेजुबान जानवरों में से नहीं जिनके बारे में कानून बनाने से पहले उनसे पूंछा भी नहीं जाता ? क्या आपको नहीं लगता कि कुदरत और प्रकृति से छेड़छाड़ करना गलत है ?
किन्नर अपनी जिन्दगी से बहुत खुश हैं वो सबको दुआएं देते हैं , सबका भला चाहते हैं , वे सूफी साधू संत हैं , भिक्षा यापन से गुज़ारा करते हैं और ऐसे ही रहना चाहते हैं उन्हें नौकरी आदि कुछ नहीं चाहिए अगर समाज या सरकार उन्हें कुछ देना चाहती है तो उनके थोड़ी इज़्ज़त दे इस पंथ का अपमान न करे !"
- मन्नू महंत, गद्दी नशीन गुरु, गांव -भुन्ना ,तहसील - गुहला, जिला कैथल, हरियाणा -136034
फोन - 9991789432
-नई दिल्ली। भारतीय संसद के इतिहास में 40 साल बाद कोई निजी विधेयक कानून बनने की दहलीज पर खड़ा हुआ है जो किन्नरों को समाज में बराबरी के अधिकार देने की क्रांतिकारी नींव रखेगा।
राज्यसभा ने शुक्रवार को यह ऐतिहासिक पहल द्रमुक के तिरूचि शिवा की ओर से पेश किये गये इस गैर सरकारी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक अब लोकसभा के दरवाजे पहुंच गया है जहां यह तय होगा कि यह कानून का रूप ले पाता है या नहीं।
इसके बाद विधेयक सदन के नियमों के अनुसार विचार और पारित करने के लिए पेश किया जायेगा। किन्नरों के प्रति सहानुभूति देखते हुए सरकार लोकसभा में भी इस विधेयक के समर्थन में आ सकती है जहां सरकार का बहुमत है।
राज्यसभा में सदन के नेता अरूण जेटली का कहना था कि इस संवेदनशील मुददे पर सदन बंटा हुआ नजर नहीं आना चाहिए। राज्यसभा में सख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में खड़े विपक्ष ने इस गैर सरकारी विधेयक के पीछे अपनी ताकत झोंक दी जिसके सामने सरकार इसे ध्वनिमत से पारित कराने पर सहमत हो गई है।
- India, probably the world, will get its first transgender college principal when Manabi Bandopadhyay takes charge of Krishnagar Women's College in West Bengal
किन्नरों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ !
बहुत सुंदर आलेख. मगर आज कुछ किन्नरों द्वारा अपराध भी काफी किये जा रहे हैं.
ReplyDeleteबहुत सुंदर आलेख. मगर आज कुछ किन्नरों द्वारा अपराध भी काफी किये जा रहे हैं.
ReplyDeleteआपसे पूर्णतः सहमत. वास्तव में किन्नरों की स्थिति बड़ी दयनीय है. वे भी हमारे समाज के ही हिस्से हैं अतः समानता का दर्जा मिलना ही चाहिए. लोगों में इनको लेकर बड़ी भ्रांतियां हैं उन्हें दूर करने का प्रयास हो .
ReplyDeleteटिप्पणी गायब होने की
ReplyDeleteशिकायत बहुत मिल रही थी :)
मेरी भी गायब हो गई ।
एक बढ़िया लेख को पहली बार पढ़ने के बाद जो प्रथम विचार उबरते हैं उसे टिप्पणी में लिख देने की बात ही अलग होती है वो दुबारा नहीं लिखा जाता है । अक्सर होता है लगता है पहँच गये पर संदेश रास्ता भूल जाता है । एक सबक मिलता है जो लिखा जाये टिप्पणी पर उसे कहीं बचा कर भी रख लेना चाहिये ।
Deleteसहमत हूँ आपसे भाई जी ,
Deleteइस बार कई मित्रों की टिप्पणियां गायब हैं जबकि वे कर के गए हैं ! गूगल भी सँभालने में नाकामयाब होने लगा है या जान अच्छा लगा :)
अच्छा आलेख
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
समाज में किन्नरों की स्थिति सच में बहुत खराब है और इनके प्रति लोगों का रवैया भी थीं नहीं ... जागृत समाज में ये स्थिति अब सुधारनी चाहिए ... इन्हें भी समानता से जीने का अधिकार मिलना चाहिए ...
ReplyDeleteSarthak or sashkt aalekh.....
ReplyDeleteAabhar
इस विषय पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता,
ReplyDeleteयुगों-युगों से इनकी दशा एक सी है।
आपके दृष्टिकोण से पूर्ण सहमत होते हुए भी यह अवश्य कहूँगा कि इसी सम्प्रदाय के बहुसंख्यक लोग जब किसी विवाह समारोह या नये बालशिशु के जन्म के बाद उस घर पहुँचते हैं तो जिस अधिकार के साथ यह देखें-समझें बगैर भी कि गृहस्वामी इनकी माँग पूर्ण कर पाने में सक्षम है भी या नहीं जिस दबाव के साथ अपनी मोटी आर्थिक फरमाईश पूरी करवाने का दबाव बनाते हैं उस स्थिति से गुजरने वाले किसी भी समझदार व्यक्ति के लिये इन्हें वो सम्मान दे पाना जिसकी आवश्यकता हम सभी समझ रहे हैं तब आसान नहीं रह पाता ।
ReplyDeleteसच है....हर इंसान को समाज में इज्ज़त का हक़ है !
ReplyDeleteसार्थक आलेख !
अनु
बहुत सार्थक आलेख...लेकिन किन्नरों को भी अपने व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है...
ReplyDeleteकिन्नरों के प्रति जानकारी की कमी के कारण ही समाज में उन्हें समानता के भाव से नहीं देखा जाता..क्या वे शिक्षा ग्रहण करके समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सकते..
ReplyDeleteसार्थक बातचीत और विस्तृत सुघड़ आलेख---साधुवाद
ReplyDeleteYe alekh padhne k bad meri kosis yahi rhegi ki...
ReplyDeletejb mujhe mauka mile mai kinnaro ka madad krunga, unka aadar samman karunga.....
or mai hr koi se yahi anurodh kroonga ki vo v inki ejjat kre or enko samman de...
bechare enhi chijo k bhukhe hote hai...
agr mujhse kuchh galt likha gya ho to mujhe maff kre....
Are yar uppar wala jab kisi ko is tarah ka phisycaly challange banata h to aawaj to normal insaan jaisi deta h... Magar samaje me inhe inke viklaan hone ki wajah se nhi inki harkato ki wajah se nakara jata h.... Warna samaaj me itne log hain Jo sex problem me hain Jo ki ek tarah ke kinnar hain par kya inke sath aisa hota h jaisa ki kinnaro ke sath hota h...
ReplyDeleteKuch Share karna H aur puchna bhi h. Ek din humare office m ek kinnar chanda mangne aa gya. vo direct boss ke room m chala gya, jaha meeting chal rahi thi. boss ne usko ye bolkar vha se bhej diya ke aap reception se le lo. jabki mere pass Cash nahi tha.
ReplyDeleteAur maine unko bola ke ya to wait kr lo. ya baad m aa jana. but vo muje gali de ke chala gya.
kya unki gali lagti h???/Aur kya bura hota h???