मंचों से सम्मानित होते ढोंगी ,मेरे देश में !
धूर्त हमेशा आगे रहते , राजनीति मैदान में
चोर उचक्के राजा के सहयोगी ,मेरे देश में !
श्री पूजा में धूर्त, आहुति देते, नफरत यज्ञ में
द्वेष संक्रमण काल बढ़ाये रोगी ,मेरे देश में !
वृद्ध किसान जान देते हैं, रोकर अपने गांव में
आसानी से अरबपति सब जोगी ,मेरे देश में !
साध्वी सत्ताचार्य खेत में बीज बो रहे वोट के
झाग उगलते राजभक्त, उपयोगी मेरे देश में !
धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
पहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में !
Sach .... Aise Hi Haalaat Hain....
ReplyDeleteवाह ।
ReplyDeleteपाखंडवाद जिंदाबाद :)
सटीक .....
ReplyDeleteदिखावा एक बहुत बड़ी बीमारी बन गयी है आजकल ..
धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
ReplyDeleteपहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में !
क्या बात है बढ़िया शेर है !
धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
ReplyDeleteपहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में --हमेशा की तरह आपके सुन्दर शब्द सटीक चोट देते हैं। पर इनका क्या?गेंडा ऐसी मोटी चमड़ीवालों का।
भूखा वोटर तड़प के रोये,बीच खेत में रात में
ReplyDeleteभीख मांग के करें गुजारा, जोगी मेरे देश में !
बहुत ख़ूब...हर शेर उम्दा और सटीक !!
मन की पीड़ा दर्शाने को उत्तम शब्दों का चयन किया आप ने ,जन-जन की पीड़ा ये तो
ReplyDeleteलाजवाब, बहुत ही सुंदर ...
ReplyDeleteसटीक और करार व्यंग ... देश की राजनीति को बाखूबी लिखा है सतीश जी ...
ReplyDeleteबहुत बधाई ...
सार्थक ग़ज़ल
ReplyDeleteसामयिक रचना
ReplyDeleteA bitter truth expressed beautifully.
ReplyDeletewow! you have tell a bitter truth about babas and leaders of our country, they are really ridiculous.thanks for such a true poem.
ReplyDeleteसटीक , समयानुकूल
ReplyDeleteaaj ye kavita poori tarah se sakaar hui
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