Friday, April 3, 2015

चोर उचक्के राजा के सहयोगी , मेरे देश में - सतीश सक्सेना

मंचों से सम्मानित होते ढोंगी ,मेरे देश में !
आँख दबाएं करें इशारे योगी , मेरे देश में !

धूर्त हमेशा आगे रहते , राजनीति मैदान में 
चोर उचक्के राजा के सहयोगी ,मेरे देश में !

श्री पूजा में धूर्त, आहुति देते, नफरत यज्ञ में 
द्वेष संक्रमण काल बढ़ाये रोगी ,मेरे देश में !

वृद्ध किसान जान देते हैं, रोकर अपने गांव में
आसानी से अरबपति सब जोगी ,मेरे देश में !

साध्वी सत्ताचार्य खेत में बीज बो रहे वोट के
झाग उगलते राजभक्त, उपयोगी मेरे देश में !

धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
पहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में !

15 comments:

  1. वाह ।
    पाखंडवाद जिंदाबाद :)

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  2. सटीक .....
    दिखावा एक बहुत बड़ी बीमारी बन गयी है आजकल ..

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  3. धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
    पहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में !
    क्या बात है बढ़िया शेर है !

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  4. धनकुबेर के आगे कैसे राजा बिके बाजार हैं
    पहरे राधा पर हैं , कृष्ण वियोगी मेरे देश में --हमेशा की तरह आपके सुन्दर शब्द सटीक चोट देते हैं। पर इनका क्या?गेंडा ऐसी मोटी चमड़ीवालों का।

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  5. भूखा वोटर तड़प के रोये,बीच खेत में रात में
    भीख मांग के करें गुजारा, जोगी मेरे देश में !
    बहुत ख़ूब...हर शेर उम्दा और सटीक !!

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  6. मन की पीड़ा दर्शाने को उत्तम शब्दों का चयन किया आप ने ,जन-जन की पीड़ा ये तो

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  7. लाजवाब, बहुत ही सुंदर ...

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  8. सटीक और करार व्यंग ... देश की राजनीति को बाखूबी लिखा है सतीश जी ...
    बहुत बधाई ...

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  9. सार्थक ग़ज़ल

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  10. A bitter truth expressed beautifully.

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  11. wow! you have tell a bitter truth about babas and leaders of our country, they are really ridiculous.thanks for such a true poem.

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  12. aaj ye kavita poori tarah se sakaar hui

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- सतीश सक्सेना

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