Tuesday, January 11, 2022

वजन घटाने का सफल संकल्प कैसे किया करें -सतीश सक्सेना

सैकड़ों बार प्रयत्न कर चुकी / चुका हूँ मगर वजन टस से मस नहीं होता, हताश हो चुकी हूँ / निराश हूँ क्या करूँ समझ नहीं आता ? 
2014 से पहले 

यही प्रश्न है उन सबके मन में, जो जूझ रहे हैं हाई बीपी से, हृदय आघात के खतरे से , डायबिटीज से , कॉन्स्टिपेशन से , आलस्य और कथित वृद्धावस्था से जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं होना चाहिए ! उम्र बढ़ने ( 80 के आसपास ) के साथ क्षीण होते शरीर को बचाने का एक मात्र तरीका शारीरिक और मानसिक क्रियाकलाप जारी रखना ही होगा जिसके होते अवसाद , निराशा पास भी नहीं फटकेंगे और एक दिन शांत अवस्था में सोते हुए प्राण जाएंगे ! यही सिद्ध अवस्था माननी चाहिए हम सबको जो देर सबेर सबको आनी चाहिए और सहर्ष स्वीकार्य भी होगी !

सबसे पहले मुझे बताएं क्या आप अपने आपको आमूलचूल बदलने को तैयार हैं तभी तो शरीर बदलेगा अन्यथा व्यर्थ प्रयत्न न करके जैसा है उसे स्वीकार करें और गाना गायें  ...हवन करेंगे हवन करेंगे !आपको मोटापा खराब इसलिए नहीं लगता है कि वह आपको
2012 में 
 अंदर से बर्बाद कर रहा है बल्कि इसलिए लगता है क्योंकि वह आपकी सुंदरता खराब कर रहा है और आप लोगों की नजर में सुंदर दिखना चाहते हैं , यह दिखावा बंद करना होगा ! किसी बच्चे की मुस्कान को गौर से देखें वह नेचुरल है इसीलिए खूबसूरत है !

अगर आप  इसके लिए तैयार हैं तब सबसे पहले अपने उस्ताद मन को बदलना होगा , हर तरह के दिखावे से चाहे वह समाज के प्रति हो या परिवार और दोस्तों के प्रति , अपनी घटिया आदतें जिन्हे आप छिपाते आये हैं को सबके सम्मुख करना सीखना होगा अथवा निर्ममता और ईमानदारी के साथ छोड़ना होगा , एक बार ईमानदारी आते ही मन आपके साथ गहराई से जुड़ेगा और आंतरिक मानवीय रक्षा शक्ति को मजबूत करने को प्रतिबद्ध होगा और यह शरीर सही दिशा में काम करना शुरू करेगा !
before retirement 

खुद को मजबूत दिखाए रखने के आवरण को हटाना होगा उसके लिए मन में गहराई से बैठे मृत्यु भय को मारना होगा एवं उन्मुक्त होकर स्वच्छ मन जो भी कहे करना होगा , रोज नए दिन को आखिरी दिन की तरह जीना सीखना होगा उन्मुक्त मस्त हंसी आते ही मोटापा और बीमारी पास भी नहीं आएगी दोस्त बस बिना समाज भय के सबके मध्य खुद को ठट्ठा मारकर बच्चों की तरह हंसाना, नाचना कैसे है यह नए सिरे से सीखना होगा ! जवान होने की प्रबल इच्छाशक्ति आपसे भीष्म प्रतिज्ञा करवा लेगी और पूरा भी करवाएगी !   
 
म सम्मानित लोग अक्सर अपने ऊपर कोई कठोर फैसला लागू ही नहीं होने देते क्योंकि हम खुद ही नियम बनाने वाले हैं और अक्सर यह नियम दूसरों पर लागू करवाते हैं ! वजन घटाने का फैसला आसान नहीं है क्योंकि बरसों से मेहनत न करने , और जम के बढ़िया भोजन की आदत छोड़ना, भीष्म प्रतिज्ञा जैसा है जो खुद पर लागू ही नहीं करना क्योंकि हम किसी के प्रति जवाब देह नहीं है !
 
हम लोग अक्सर अपने द्वारा किये गए संकल्प भुला देते हैं क्योंकि उसके लिए जवाब हमें खुद को ही तो देना है और इसमें शर्मिंदगी
और कायाकल्प के बाद 2019 

नहीं होती ! अगर हमने अपने बारे में लिया गया कोई संकल्प समाज में जोरदार तरीके से घोषित किया होता तब उसे भुलाने से पहले कई बार सोचना पड़ता सो इस संकल्प की घोषणा 
समाज में खुद के प्रति निर्मम होकर करें , कहें कि आपका वजन इस उम्र में ९० किलो है और इसे 65 किलो लाने के लिए आप आज से कसम खा कर संकल्प लेते /लेती हैं कि अगले दिनों में आप अपने आलसी शरीर पर यह अत्याचार करेंगे / करेंगी जिससे वह अपनी काहिली भुला सके ! शान से बिना शर्मिन्दा हुए अपनी मूर्खता और संकल्प की घोषणा करें, इसके बाद या तो सारी कलई उतर जायेगी या आपको उसे लगातार बचाने का प्रयत्न करते हुए वजन घटाना आ जाएगा जैसा मैंने खुद अपने साथ किया था !

मैंने अपने 61 वर्षीय (ईयर 2015 )आलसी शरीर जिसने पूरे जीवन दौड़ना छोड़िये कभी पार्क में वाक भी नहीं किया था और जिसे घर
2020 
,ऑफिस और कार में एयर कंडीशन सुविधा प्राप्त थी , को सुधारने के लिए घोषणा की थी कि मैं आज से तीन माह बाद 21 Km हाफ मैराथन दौड़ कर पूरा करूँगा और यह घोषणा फेसबुक और तमाम मित्रों परिवार जनों के बीच तब की थी जब मैं दो मंजिल सीढियाँ चढ़ते समय हांफता था और अपने पूरे जीवन में कभी भी 10 मीटर तक नहीं दौड़ा था और अपने ऑफिस और मित्रों में लीडर की भूमिका में था बेहद सम्मानित भी था !

मुझे याद है कि उसके अगले दिन पार्क में मैंने अपना पहला वाक ४५ मिनट का किया था था जिसका आखिरी मिनट जैसे तैसे धीरे धीरे दौड़कर ख़त्म किया था और यह क्रम फिर कभी बंद नहीं हुआ पहला हाफ मैराथन जैसे तैसे ही सही मगर 3 घंटे से कम समय में पूरा करने में कामयाब हुआ था ! आज मुझे कोई बीमारी नहीं , कहाँ गायब हुई यह भी नहीं पता बस शरीर को मेहनत करना सिखा दिया अब आखिरी दिन जब चाहे आये परवाह नहीं !


3 comments:

  1. सतीश जी, आपका सारगर्भित और लेख अपने आप में बहुत प्रेरक है। आपने जो लिखा वो करके दिखाया है। सच में एक शिशु की भांति जीना बहुत कठिन है पर असम्भव नहीं। बीमारी के घर शरीर को आपने अपनी प्रतिबद्धता से निरोगी काया में तबदील किया, वह बहुत बड़ी उपलब्धि है ढेरों शुभकामनाएं और अभिनन्दन। आपका लेख आज फेसबुक स्टोरी और व्हाट्स एप स्टेट्स में शेयर किया है। आशा है लोग जरूर पढ़ रहे होंगे। पुनः आभार आपका 🙏🙏🌷🌷💐💐

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  2. आपसे निवेदन है कि ब्लॉग से मॉडरेशन की शर्त समाप्त करें 🙏💐

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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