-मृत्युभय निकालना होगा अगर ऐसा न कर सके तो बढ़ती बीमारियों का बोझ कम न होकर बढ़ता ही जाएगा आपकी आंतरिक जीवन रक्षा शक्ति को मजबूत बनाने का एक ही तरीका है कि आप बीमारियों को महत्व न दें उनपर ध्यान न दें और ऐसा निडर होकर करें प्राकृतिक तैर पर ठीक होने का विश्वास बनाये रखें कि आपकी आंतरिक रक्षा शक्ति बेहद ताकतवर है और प्रकृति द्वारा शरीर को सौ वर्ष जीवित रखने के लिए डिजाइन्ड है जबकि मेडिकल साइंस के तथाकथित रक्षक खुद को इतने वर्ष नहीं बचा पाते हैं !
-आलस्य को दूर रखने के लिए दिन भर खुद को एक्टिव रखें नए शौक अपनाएँ इससे मन में उत्साह बना रहेगा !
-नकारात्मक विचार आपको कुछ भी करने नहीं देंगे , बुरा विगत भुलाकर आगत का स्वागत नए उत्साह से करें !
-खुद को बड़प्पन मुक्त करें, झिझक त्याग मित्रों का उन्मुक्त स्वागत हाथों को फैलाकर करें , अपने बचपन को अगर वह खो गया है तो दुबारा बापस लाएं , बड़प्पन और आदर सम्मान की भूख आपको बूढ़ा जल्द बनाएगी यह याद रखें !
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-4-22) को "कोटि-कोटि वन्दन तुम्हें, पवनपुत्र हनुमान" (चर्चा अंक 4403) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सटीक सलाह...
ReplyDeleteसुंदर संदेश
ReplyDeleteवाह.बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह!बढ़िया कहा 👌
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेख लिखा है आपने सतीश जी।कोशिश तो करते हैं एकदम सरल और सहज ढंग से जीने की पर दुनियादारी में मुखौटों के साथ जीने की आदत पड़ गयी है।लेख के साथ नन्ही परी मीरा का प्यारा-सा चित्र देख मन प्रसन्न हो गया।
ReplyDelete🙏🙏🌺🌺
बढ़िया कहा
ReplyDeleteSir, I like your thoughts.
ReplyDeletewater use in Agriculture
Life in a village