Thursday, April 19, 2012

हम विदा हो जाएँ तो ...-सतीश सक्सेना

एक फ़िल्मी गीत, जो बचपन से सबसे अधिक पसंद है, आज बार बार सुना !  "सदियों जहान में हो चर्चा हमारा " अक्सर याद आता रहा है ! जीवन में कुछ ऐसा करने की तमन्ना रही है जो कोई और न कर सका हो , कुछ ऐसा, जो दूसरों के लिए किया जाए , मानवता के लिए उदाहरण बनें !
अपने लिए भरपूर जीना ,और खुश रहना, कोई जीना नहीं हुआ !
मृत्यु बाद, गैर भी रोयें और कहें कि  इस इंसान की अभी आवश्यकता थी , तब  जीना सफल माना जाये !  
                                     ***********************
एक तड़प सी उठती रही 
अक्सर हमारी सांस से ,
जब तक रहेंगे हम यहाँ 
कुछ काम होंगे, शान से !
गीत कुछ,ऐसे रचें जाएँ ,
जो सब के मन बसें  !  
हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !

बात तो तब है कि वे  
जगते रहे हों रात से !
और दरवाजे सजे हों 
प्यार, बंदनवार  से  !
आहटें पैरों की सुनकर,
साज़ भी थम जाएँ जब, 
देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए  !

हम जहाँ से गुजर जाएँ ,
महक जाएँ बस्तियां ,
हम जहां  ठहरें , वहां 
आबाद होंगी वादियाँ 
मेरे जगने पर सुनें, 
सब चहकना संसार का ,
और  जाने पर मेरे ,आंसू  छलकने चाहिए !

बात होगी खास , जब 
मरने पर मेरे ,दोस्तों 
रंजिशों को आके खुद   
आंसू बहाना चाहिए  !
अंत से पहले प्रभू  से , 
शक्ति इतनी चाहिए  !
द्वार से याचक, न खाली हाथ, जाने चाहिए !

गीत चाहें हों , अधूरे ,
गंध कस्तूरी की हो !  
आधी गागर, गीत की    , 
पर रागिनी भरपूर हो !
धीरे धीरे गीत मेरे, 
ओठों पर आ जाएंगे  !
हम रहें या ना रहें ,ये गीत रहने चाहिए !

http://www.janwani.in/Details.aspx?id=35019&boxid=30276632&eddate=2/23/2014


56 comments:

  1. बहुत सुन्दर ..!

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  2. hum vida ho jayen to??
    jum saath lag jayenge......

    kya bat...kya bat....kya bat...


    pranam.

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  3. बहुत सुंदर भाव........

    अगर आने पर मेरे ,
    रंगत नहीं आ पाए तो
    जाने से पहले हमें ,
    दो बार ,रुकना चाहिए
    आहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
    देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !

    कभी बचपन में हम भी स्कूल असेम्बली में खड़े सोचते थे कि कभी प्रिंसिपल हमारे मरने की खबर दे बच्चों को, तो क्या कोई दुखी होगा????या सब छुट्टी हो जाने की खुशी मनाएँगे.....क्या मुझे कोई याद करेगा!!! खुद ही रो पड़ती थी उस ख्याल से!!!
    :-)

    अनु

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  4. आप अपने चाहने वालों के बीच
    हमेशा खुश और स्वस्थ रहें |
    शुभकामनाएँ!

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  5. एक तड़प सी उठती रही
    अक्सर मेरी हर सांस से
    जब तक जियेगे हम यहाँ
    कुछ काम होंगे ,शान से !
    कृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
    हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए

    Behad bhavapoorn rachana abhivyakti...abhaar

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  6. Bahut sundar bhav hai, saadhuwad .

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  7. वाह!

    क्या भाव है और क्या भाव-प्रवाह है...

    बहुत सुन्दर और प्रेरित करती रचना...



    कुँवर जी,

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  8. इस संसार में किसी बहाने बने रहने का स्वार्थ मन से नहीं जा पाता है, क्या करें?

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  9. रहे ना रहे हम महका करेंगे,
    बन के कली, बन के सबा, बाग-ए-वफां में...

    जब हम ना होंगे, जब हमारी खांक पे तुम रुकोगे चलते चलते,
    अश्कों से भीगी चांदनी में एक सदा सी सुनोगे चलते चलते...
    वही पे कही हम तुम से मिलेंगे, बन के कली...​
    ​​
    ​जय हिंद...

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  10. बहुत सुंदर भाव .... सच तो यही है की नाम वंश से नहीं अपने कर्म से रहता है ...

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  11. कुछ कर गुजरने की ललक!...बहुत सुन्दर भाव!....आभार!

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  12. मंच पर जाने से मेरे ,
    चेहरे न खिल पायें तो
    जाने से पहले हमें ,
    दो बार रुकना चाहिए !
    आहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
    देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !

    बहुत सही एहसास

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  13. यारा दिलदारा मेंरा दिल करता,
    सदियों जहान में हो चर्चा हमारा...
    सतीश जी,..ईश्वर आपकी ये तमन्ना पूरी करे,..मेरी प्रार्थना है,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  14. बहुत नेक विचार प्रस्तुत किये हैं , गीत के बहाने से .
    हालाँकि कहते हैं --चेरिटी बिगिन्स एट होम . यानि पहले आप खुद खुश रहें , तभी दूसरों के लिए शुभ कार्य कर पाएंगे .

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  15. बात होगी खास , जब
    मरने पर मेरे ,दोस्तों
    रंजिशों को आके खुद
    आंसू बहाना चाहिए !
    अंत से पहले प्रभू से , शक्ति इतनी चाहिए !
    द्वार से याचक ,न खाली हाथ जाना चाहिए !
    ................................Nothing to say ,..exceelent creation ...speechless............. satish ji

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  16. एक तड़प सी उठती रही
    अक्सर मेरी हर सांस से
    जब तक जियेगे हम यहाँ
    कुछ काम होंगे ,शान से !
    कृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
    हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !
    बहुत ही नेक विचार है आप क़े, ईश्वर जरूर पूरा भी करेगा ,मेरी भी शुभकामनायें

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  17. सतीश भाईसाहब क्या गज़ब गीत है यह मुझे बचपन से ही बहुत पसंद है।
    पहले तो पोस्ट का शीर्षक देख घबरा गई कि आप जैसा जिंदादिल इंसान क्या लिख रहा है पूरी पोस्ट पढ़ी तो समझ आया। बहुत ही सुंदर विचारों से ओत-प्रोत पोस्ट बहुत अच्छी लगी।
    सादर

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  18. सुंदर विचारों से ओत-प्रोत पोस्ट आभार!

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  19. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार

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  20. This comment has been removed by the author.

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  21. कृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
    हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !

    बहुत सुन्दर गीत लिखा है .......प्रेरक भावों से सराबोर बहुत बधाई

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  22. sundar geet hai satish ji,
    sorry thik se tippani nahi kar pa rahi hun pc bimar chal raha hai :(

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    Replies
    1. आपका आभार सुमन जी ...

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  23. sachi behad sundar geet hai...
    sundar prerak prastuti ke liye aabhar!

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  24. हम बचपन से सोचते आ रहे हैं, जब इस दुनिया से जाएँ तो किसी को पता भी न चले, ना भारी भीड़ हो, ना कोई शोर, ना ही किसी की आँख से एक भी आंसू छलके हमारे जाने के वक़्त. किसी को रोता छोड़कर जाना बड़ा कठिन होता होगा ना.
    बहुत नेक विचार हैं आपके निशब्द कर दिया आपने, सुन्दर भावना....आपके विचार बहुत अच्छे हैं. ईश्वर आपकी हर मनोकामना पूरी करे और आप दीर्घायु हों....

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  25. सर्वतोभद्र कामना की एक नि:छल अभिव्यक्ति !
    भाई जी फिर से प्रालिफिक होना गज़बं ढारहा है !माई गाड!

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  26. इस छोटी जी ज़िन्दगी में कुछ तो ऐसा कर जाएँ कि लोग याद रखें...बहुत सुंदर भाव से लिखी गई कविता!

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  27. आप की पोस्ट स्वप्न रहस्य आज ही पढ़ पाई हूँ पर वहां टिप्पणी नहीं दी सोचा आप शायद पुरानी पोस्ट की टिप्पणी न भी देखें , स्वप्न के बारे में तो मुझे कुछ खास पता नहीं है पर मैं खुद अंक विज्ञान में बहुत यकीन रखती हूँ ,थोडा बहुत सीखा भी है और मेरी जीवन की ज्यादातर घटनाएँ अंक ४ और ८ से जुडी है
    =============================================================
    आप की ये पोस्ट(हम विदा हो जाएँ तो .) भी काफी कुछ सोचने और सीखने को बाध्य करती है

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  28. बहुत श्रेष्ठ विचार हैं !

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  29. आहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
    देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !

    Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/#ixzz0ZQwPAbI0
    बढ़िया पोस्ट .कुछ काम कर जाएँ ,संज्ञा नहीं सर्वनाम कर जाएँ ...

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  30. भावनायें अच्छी हमेशा की तरह लेकिन रहने जाने को महत्व ही क्यों दिया जाये? गुस्ताखी माफ़ होगी, यकीन है:)

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  31. ये रही परिपूर्ण और बालिग-रचना !

    आपका जीवन यूँ ही प्रवाहमय बना रहे,भौति और साहित्यिक दोनों !

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  32. निशब्द कर दिया आपने....बहुत सुंदर भाव

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  33. भावों का शब्दों में बढ़िया रूपांतरण।

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  34. हम विदा हो जाएं तो... फिदा हो गई मैं...एक शानदार कृति
    आपकी ये रचना नईपुरानी हलचल में लिंक की जा रही है
    सादर
    यशोदा

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  35. jeevan ki sarthakta ko siddha karti post .bhut sundar bhav haen .aabhr,

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  36. कल 21/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  37. आप अपने चाहने वालों के बीच
    हमेशा खुश और स्वस्थ रहें |
    शुभकामनाएँ!

    (though written by one of our friends earlier also but feel like sharing this as my views also - regards. GYANI)

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    Replies
    1. आपका शुक्रिया भाई जी ....

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  38. bahut sundar vichaar hain aapke

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  39. aapki khwaish poori ho...bahut hee tabiyat se likha shandaar geet...geet hamare pyar ke dohrayein ye jawania..jab ham na ho tab hon hamari nishaniyan..ek accha sandesh samahit hai..sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  40. सक्सेना जी, आप के गीत हुए मशहूर
    पढ कर कितनो केहुये,कष्ट यहाँ पर दूर

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  41. हर बार की तरह इस बार की कविता भी लाजबाब हैं भाई जी आपकी ...


    मेरी झोली में मक्की के दाने ,
    मेरी वाणी में पताशे सी मिठास ,
    मेरे होठों पे प्रभु का नाम ,
    हर वक्त रहना चाहिए ||.....अनु

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  42. कल 25/04/2012 को आपकी किसी एक पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... मैं तबसे सोच रही हूँ ...

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  43. प्रकृति का बहुत सुन्दर वर्णन!

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  44. चंले चपाटे बनाने पर ही आपको बाद में याद रखा जाता है। अच्‍छी रचना।

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  45. प्रभु कृपा से सब कामनाएं पूर्ण होती हैं.
    यहाँ तक कि कोई कामना ही शेष नहीं रहती.
    ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी सभी सात्विक
    कामनाएं पूर्ण होवें.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  46. बहुत सुंदर भाव, प्रकृति का बहुत लाजबाब व सुन्दर वर्णन!

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  47. सुन्दर रचना

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  48. काफी खूबसूरत सोच --कदाचित सभी की रहती है--आपने सार्थक अभिव्यक्ति दी है

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  49. आपने तो उस उम्र में जब अधिकांश लोग निष्क्रिय हो कर शिथिल होने लगते हैं, एक नया अध्याय प्रारंभ किया है -इसी ऊर्जा से भरे रहें आप !औरों को भी प्रोत्साहित करनवाले को ,बाद में क्या होगा इसकी चिन्ता अभी से क्यों हो रही है ?- अभी तो शुरुआत है जिन नये कामों की, उनमें कुछ नये प्रतिमान जोड़ने बाकी हैं. पूरी जीवन्तता के साथ जुटे रहिये. वह कहावत सुनी है न -हिम्मते मर्दाँ मददे ख़ुदा !

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    Replies
    1. आपके शब्द अच्छे लगे , प्रणाम !

      Delete
  50. वतनपरस्ती के जज़्बे से भरपूर बहुत सुन्दर, उत्साहवर्धक और प्रेरणादायक गीत ! बिस्मिल अज़ीमाबाड़ी की की बेमिसाल नज़्म - 'सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है' की याद आ गयी.

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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