इस उत्सव में ,रंगों में डूब कर, वसंत का स्वागत करते हैं हम लोग ! पूरा परिवार ही रंगों में सराबोर होकर कुछ समय के लिए जैसे मस्ती में डूब जाता है ! इस ख़ूबसूरत मौसम में लगभग हर इंसान की,गैरों से भी गले मिलने की इच्छा पैदा हो जाती है ! एक बार अपने अन्दर झांक कर देखने से ,एक आवाज आती है ...
अपने घर में ही आँखों पर
कैसी पट्टी , बाँध रखी है !
इन लोगों ने जाने कब से ,
मन में रंजिश पाल रखी है !
इस होली पर क्यों न सुलगते,
दिल के ये अंगार बुझा दें !
मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में, अपने घर में भी, बिखरा दें !
मानव जीवन पाकर कैसे ,
बुद्धि गयी है,बिलकुल मारी ! खनक चूड़ियों की सुनते ही
शंख ध्वनि से, लगन हटायी !
अपनों की वाणी सुनने की,
क्यों न आज से चाह जगा लें !
इस होली पर माँ पापा की ,चरण धूल को शीश लगा लें !
बरसों मन में गुस्सा बोई
ईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते,हम लोगों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियों,
आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!
कितना दर्द दिया अपनों को
जिनसे हमने चलना सीखा !
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने,हँसना सीखा !
स्नेहिल आँखों के आंसू ,
कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर,घर में आकर,कुछ गुलाब के फूल चढ़ा लें !
जब से घर से दूर गए हो ,
ढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
उड़ते रंग, सब फीके लगते !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में,
फीके चेहरों को महका दें !
सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें ! म्बहुत सुन्दर सन्देश दिया है होली पर। आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
इस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ...शुभकामनाएं ।।
वाह, आपकी आखरी पंक्तियाँ "प्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें " सही मायनों में होली का सार लिये हुए है!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
होली के शुभ अवसर पर आपकी ये प्रेरक कविता अच्छी लगी,
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती हुई कविता के लिए एवं होली की शुभकामनाये
आदरणीय सतीश सक्सेना जी
ReplyDeleteनमस्कार !
सुन्दर सन्देश दिया है होली पर।
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
इस होली पर....
ReplyDeleteसतीश जी आपकी रचना के कुछ अंश का पालन भी यदि इंसान कर ले तो साल भर के उसके ऐसे कामों जिससे किसी न किसी का दिल दुखा है की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
अच्छी भावनाएं।
आपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएं।
कविता पर मुग्ध हूँ।
ReplyDeleteआपका पैगाम दूर दूर तक फैले, ऐसी शुभकामनाएँ।
हैप्पी होली!!
भूले भटके उन अपनोंके,
ReplyDeleteकैसे दरवाजे, खुलवाये ?
बस थोडेसे प्यारसे
थोड़ी मनुहारसे !
बहुत सुंदर लगी रचना !
इस होली पर क्यों न साथियो,
ReplyDeleteआओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को,
हंसकर अब घर -बार सजा लें !!.....
सुन्दर संकल्प....ऐसा ही हो...
होली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
एक एक शब्द को करीने से सजाया है,प्रेम और मानवता का संदेश देती रचना। नशा छूट जाए तो फिर बात ही क्या?
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगी रचना
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
सोमठाकुर जी के मुख से कभी एक गीत सुना था-
ReplyDeleteतू भी चुप है
मैं भी चुप हूँ.
खोले कौन किवारे मन के ?
....... कुछ वैसे ही भाव आपके इस गीत में भी झाँक रहे हैं.
लगता है ठाकुर जी से होली खेलकर आये हैं.
ठाकुर जी को 'सोम' पान बेहद पसंद है.
आपकी काव्य पंक्ति "इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !" ... को सुनकर कहीं बुरा न मान जाएँ !
_________
बुरा न मानो होली है!!
पूरे फ्रांटल इम्ब्रैस का फोटो भी लगा रखा है आदमकद -बस आन मिलो सजनी का सिग्नल देते हुए!
ReplyDeleteअब तो जरुर सब तमस कलुष धुल जायेगें ...:)
होली है!
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
ReplyDeleteभूलें उन कडवी बातों को, हंसकर अब घर -बार सजा लें !!
सार्थक संदेश देती हुई कविता अच्छी लगी,
( P.S.Bhakuni )
आपके अह्वानों को संस्तुति के स्वर मिलें।
ReplyDeleteहोली पर भी दुआ तो देनी नहीं ...???
ReplyDeleteअभी से धुंआ उठता नज़र आ रहा है, यारों के दिल से :-))
yeh.....aa gaye hum holiyana mood me
ReplyDeletebhaiya ke saath.........
bura na mano holi hai....
rainbow...
माहौल होलीमय हो रहा है धीरे-धीरे.... आनंद आ रहा है... :)
ReplyDeleteवाह... कविता के रुप में होली के विशेष अवसर पर सार्थक सन्देश । कामना है इसका न सिर्फ अधिकतम प्रसार हो बल्कि बहुजन समुदाय इसे ह्रदयंगम करता चले ।
ReplyDeleteहोली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित...
टिप्पणीपुराण और विवाह व्यवहार में- भाव, अभाव व प्रभाव की समानता.
बरसों बीते , तांडव करते ,
ReplyDeleteकितनी रात ,जागते काटी
भूल गए, साँसे गिनती की ?
दुनिया भर को सबक सिखाते
क्यों न नयी आशाएं लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बना लें !
इस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
बहुत सुन्दर बात ...असली त्योहार तो ऐसा ही होना चाहिए ... होली की शुभकामनायें
आओ अहंकार जला दें !
ReplyDeleteजिस दिन ये हो गया उस दिन सारी समस्याएँ ख़ुद ब ख़ुद हल हो जाएँगी
सुन्दर भावों को व्यक्त करती हुई सुन्दर कविता
आप को और आप के परिवार को होली बहुत बहुत बधाई
वैरी ब्यूटिफ़ुल कविता सतीश सर। होली की शुभकामनायें आपको।
ReplyDeleteक्यों न नयी आशाएं लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बना लें !
ReplyDeleteइस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
,
बहुत खूब
आदरणीय सतीश सक्सेना जी नमस्कार!
ReplyDeleteवाह .क्या संदेश दिया है आपने!
इस होली पर नशा छोड़,गुरु चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती में डूबें,आओ अहंकार जला दें!
बहुत अच्छा सन्देश.
सारे मन भेद भुला के,एक मन हो जाएँ!
कबूल करें होली की अग्रिम शुभकामनाएं!!
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
sir ham jaiso ke liye aap hi guru ho..:)
happy holi!
"बरसों बीते तांडव करते
ReplyDeleteकितनी रात, जागते काटी
भूल गए, साँसें गिनती की ?
दुनिया भर को सबक सिखाते
**************************
इस होली पर रंग बिरंगे , आओ बंदनवार लगा लें "
सार्थक और कल्याणकारी भावों से सजे सुन्दर गीत के लिए बधाई सतीश जी |
होली पर सार्थक गीत !
ReplyDeleteसमाज को आज ऐसे ही रंगों की आवश्यकता है !
आभार, असली रंग चुनने के लिए !
इतने शुभ्र / धवल विचार रखियेगा तो रंग लगाने में झिझकेंगे लोग :)
ReplyDeleteहा हा हा ! सतीश जी , होली में रंग और भंग दोनों होते हैं ।
ReplyDeleteदोनों का मज़ा लीजिये ।
हम भी कोशिश में हैं कि इस होली पर अहंकार को न पनपने दें ।
सुन्दर सार्थक भाव लिए रचना के लिए साधुवाद ।
साफ और सफ़ेद धवल चीजों पे ही रंग अधिक जमते हैं भाई . कुछ तो समझा कीजिये !!
ReplyDeleteअच्छा फागुन गीत लिखा है आपने ..बहुत बधाई।
ReplyDeleteइसे सुधार लें...
हंसकर चारो और बाँट दें !
@ देवेन्द्र पाण्डेय,
ReplyDeleteशुक्रिया आपका ...ठीक कर दिया है ! शुभकामनायें .....
क्यों न नयी आशाएं लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बना लें !
ReplyDeleteइस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
होली पर बहुत प्रेरक सन्देश..बहुत सुन्दर...होली की अग्रिम शुभकामनायें!
इस होली, आपकी हर बात मानी जाएगी...
ReplyDeleteअब तो यही होगा...
बढिया है।
ReplyDeleteशुभकामनाएं होली की।
बरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, हंसकर अब घर -बार सजा लें !!
बेमिसाल .... निशब्द करने वाली पंक्तियाँ.....
.
ReplyDelete.
.
सुन्दर रचना, सुन्दर संदेश...
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
...
सतीश जी बहुत प्यारा संदेश है। होली पर ही नहीं यह भाईचारा सदैव ऐसा ही बना रहे तो समाज की अन्य समस्याओं के हल का मार्ग आसान हो जाए।
ReplyDelete‘इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !’
ReplyDeleteपहले अहम की होलिका को तो जला लें :)
@@भूले -भटके उन अपनों के ,
ReplyDeleteकैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
जिन लोगों ने जाने कब से ,
मन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
मुट्ठी भर मस्ती ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति,आभार.
होली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
इस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ,शुभकामनाएं !
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
बिल्कुल सार्थक और बेहतरीन संदेश....
बहुत अच्छी ओर सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteअबीर गुलाल तक ठीक है, ये बुझने बुझाने वाली नहीं मानेंगे। दिल के अंगार बुझा दिये तो अगली होली पर क्या करेंगे? :))
ReplyDeleteबिल्कुल सार्थक और बेहतरीन प्रस्तुती|धन्यवाद|
ReplyDeleteनशा तो खैर मैंने कभी आज तक किया ही नहीं है....ये ज़िन्दगी का नशा ही ऐसा है कि और किसी नशे की जरूरत ही नहीं पड़ी....
ReplyDeleteकुछ दोस्त ऐसे हैं जिनसे कई दिनों से बात नहीं की हालाँकि गलती उन्हीं की है...
लेकिन सब कुछ भूलकर इस होली पर उन्हें ज़रूर याद करूंगा....
आपका बहुत बहुत शुक्रिया....
होली की शुभकामनाएं....
@ शेखर सुमन,
ReplyDeleteयहाँ शब्द नशा , आम नशा के लिए प्रयुक्त नहीं किया गया है ! आप इसे गर्व का नशा मान सकते हैं ...
सुन्दर शब्द चयन और अच्छी रचना |होली के अवसर पर हार्दिक चुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
sb se phle kotish:hardik holi kee shubhkamnayen
ReplyDeleteaap ka sundr skaraatmk srokaron pr likha geet pdhne ka saubhagy prapt huaa bahut 2 bdhai
aap ka sneh mujhe lgatar mil rha hai
hardik aabhar vykt kr rha hnoo
yh sneh bnaye rhen
pun:shubhkaamnayen
सुन्दर कविता. सतीश जी, आपको और आपके परिवार को होली बहुत बहुत मुबारक हो.
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteवाह एक सुंदर शानदार नवगीत.
ReplyDeleteअहंकार जलाने वाला जज्बा अनुकरणीय है।
ReplyDeleteआभार!!
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
आदरणीय सतीश सक्सेना जी
ReplyDeleteनमस्कार
अच्छे भाव अच्छी रचना
बहुत सुंदर लिखा आपने.....
रंग के त्यौहार में
ReplyDeleteसभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
!!होली की हार्दिक शुभकामनायें!!
जिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
मुट्ठी भर अबीर ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
होली पर सुंदर रचना .
बधाई एवं होली की शुभकामनाएं
जिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
मुट्ठी भर अबीर ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
होली पर सुंदर रचना .
बधाई एवं होली की शुभकामनाएं
जिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
मुट्ठी भर अबीर ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
होली पर सुंदर रचना .
बधाई एवं होली की शुभकामनाएं
जिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
मुट्ठी भर अबीर ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
होली पर सुंदर रचना .
बधाई एवं होली की शुभकामनाएं
आदरणीय सतीश जी ,
ReplyDeleteप्रेरक संकल्प ....
सुगठित शब्द सौष्ठव ....
होली का मूल मन्त्र समय रहते याद दिलाने के लिये आभार ...
क्यों न नयी आशाएं लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बना लें
ReplyDeleteइस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें
होली के सुमधुर त्यौहार
और इसकी पावनता का
बहुत पाकीज़ा अलफ़ाज़ में इज़हार किया आपने
एक एक बंद में
मानवता का जज़्बा महसूस हो रहा है
ढेरों बधाई के साथ
ढेरों धन्यवाद स्वीकारें .
बरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, हंसकर अब घर -बार सजा लें !!
होली पर सामयिक और सुन्दर गीत की बधाई.
होली तो त्यौहार ही गिले शिकवे भूल कर दुश्मन को भी दोस्त बनाने का है .
ReplyDeleteसही सन्देश देती सुन्दर कविता.
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
संदेशपरक रचना.
होली की शुभकामनाये .
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
ReplyDeleteभूलें उन कडवी बातों को, हंसकर अब घर -बार सजा लें !!
ठीक कहा दुनिया भी अपना घर है -इसे भी तो सजाना चाहते हैं आप ,
काश ऐसा सब सोचें !
होली की गुलाल कुछ इस तरह उड़े कि टूटे हुए सब तार फिर से जुड़ें। यही कामना है। शुभकामना है। मनवा है कि बहुत घना है।
ReplyDeleteप्रियवर सतीश जी
ReplyDeleteहोली का रंगारंग अभिवादन !
कितने वर्षों से , शीशे के ,
सम्मुख आकर मुग्ध हुए हैं !
कितनी बार मस्त होकर के
अपनी पीठ ,थपथपाई है !
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
भलों भलों को उच्छृंखलता की ओर बहा ले जाने वाले होली के पर्व पर
ऐसी शिष्ट शालीन संस्कारित भावनाओं से ओत-प्रोत पंक्तियां !!
बड़े भैया ! प्रणाम स्वीकारें …
आपकी लेखनी सचमुच अद्भुत है !
आप पहले की भांति कहेंगे एक गीतकार - शायर को दूसरे के गीत ग़ज़ल की इतनी ता'रीफ़ नहीं करनी चाहिए …
लेकिन …
झूठ हमसे कहा न जाएगा … :)
हार्दिक बधाई !
♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ReplyDeleteपता नहीं क्यों आज किसी भी एग्रीगेटर पर मेरी आज की पोस्ट नहीं है ?
होली पर साज़िश !!!
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteBehtareen rachana!
ReplyDeleteHolee kee hardik shubhkamnayen!
बरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, हंसकर अब घर -बार सजा लें !bahut badhiya ,kash aesa ho jaaye ,holi ki badhai .
होली का खूबसूरत पारम्परिक चित्रण. ङोली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteप्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
ReplyDelete===================
"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
====================
क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
=============================
होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
ReplyDeleteतन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
ReplyDeleteभजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
ReplyDeleteमन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥
होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!
वाह गुरु,होली पर ही तमचिया रहे हो !
ReplyDeleteउम्मीद करता हूँ कि भूले-भटके लोग आपकी सलाह मानेंगे और फिर होली-भर के लिए नहीं सदा-सर्वदा के लिए अपनी खटास भुला देंगे !
बेहतरीन होलिया-प्रयास !
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
होली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
ReplyDeleteक्या बात है! क्या खूब लिखा है
ReplyDelete'इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
होली पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.
बहुत सुन्दर ...होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeletehttp://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html
बहुत ही अच्छे सन्देश के साथ सुंदर प्रस्तुति ..होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteभूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
ReplyDeleteहोली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
रंगों के पावन पर्व होली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
ReplyDeleteहोली के शुभ अवसर पर आपकी ये प्रेरक कविता अच्छी लगी,
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती हुई कविता के लिए एवं होली की शुभकामनाये.
jai baba banaras..................
आदरणीय सतीश जी ,
ReplyDeleteरंगों-उमंगों के पर्व होली की हार्दिक मंगलकामनायें...
आपको होली की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteप्रहलाद की भावना अपनाएँ
एक मालिक के गुण गाएँ
उसी को अपना शीश नवाएँ
मौसम बदलने पर होली की ख़शियों की मुबारकबाद
सभी को .
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें
ReplyDeleteमुट्ठी भर अबीर ,फागुन में , हंसकर चारो ओर बाँट दें !
happy holi dost
bahut sunder sandesh samete hai ye geet.......kash sabhee anukaran karle ye dharatee swarg ho jae .
ReplyDeleteswasthy me sudhar hai
aaj hee ek lambe arse ke baad laptop touch kiya hai
blogjagat se tatsthta jo majbooree thee akharee.
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चिंतनशील प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
ReplyDeleteआमीन ।
सब पाठकों को होली की बहुत बहुत शुभकामना....
ReplyDeleteउत्सव, उल्लास, उमंग की उत्साही भावना
ReplyDeleteहो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना।
वाह ... क्या बात है सतीश जी ...
ReplyDeleteआपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभ-कामनायें!
ReplyDeleteक्या बात है ... बेहतरीन कविता ... होली की शुभकामनायें कबूल फरमाए !
ReplyDeleteप्रेरणादायक शब्दों से सजी सुंदर कविता ! होली मुबारक ! मन में श्रद्धा जगे तो शब्द स्वयं रस्ता दिखाते हैं!
ReplyDeleteनेह और अपनेपन के
ReplyDeleteइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
होली कि बधाई. आर्रे संजय भास्कर क्या भंग चढ़ा ली? सतीश जी चुनरी उतरी या उतारी गयी? भाई होली के दिन कि मेरी टिप्पणी को गिना ना जाए.
ReplyDelete.
bura na mano holi hai..kavita ki taref pehle ker chuka hoon....
रंग-पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteकितने वर्षों से, शीशे के
ReplyDeleteसम्मुख आकर मुग्ध हुए हैं
कितनी बार मस्त होकर के
अपनी पीठ थपथपाई है
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें
प्यार और मस्ती में डूबें, आओ अहंकार जला दें।
गीत में व्यक्त प्रेरक आवाहन मुग्ध कर गया।
यह आवाहन फलीभूत हो।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Gud One Sir!!
ReplyDeleteSundar sandesh v uchit aahvahan.... masti bhi...bahut badhiya...badhai
ReplyDeleteसार्थक आह्वान है आपकी--कामना भी सुखद है।
ReplyDelete