बहुत दिनों से मन बड़ा बेचैन था , सो सोंचा खुशदीप भाई के घर चलते हैं वहां जाकर देखा वे मत्था पकडे बैठे हैं ...
कारण पूंछने पर जो उन्होंने बताया वह अब आप उनकी जबान में ही सुनें ..
मक्खन रोज़ छत पर कपड़े धोने के लिए बैठता... लेकिन उसी वक्त झमाझम बारिश शुरू हो जाती...मक्खन बेचारा सोचता, कपड़े धोने के बाद सूखेंगे कैसे....बेचारा मन मार कर अपने कमरे के अंदर चला जाता...एक दिन मक्खन कमरे से बाहर निकला तो देखा...
कड़कती धूप निकली हुई थी...मक्खन ने सोचा...आज मौका बढ़िया है, कपड़े धोने का...मक्खन ने कपड़े धोने का सब ताम-झाम बाहर निकाला...
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लेकिन ये क्या सर्फ तो डिब्बे में था ही नहीं...मक्खन फटाफट गली के बाहर जनरल स्टोर की तरफ़ भागा...मक्खन जनरल स्टोर के अंदर ही था कि अचानक बादल ज़ोर ज़ोर से गरजने लगे...दिन में ही अंधेरा छा गया...मक्खन जनरल स्टोर से बाहर निकला...दोनों हाथ झुलाते हुए आगे पीछे करने लगा और फिर बड़ी मासूमियत से आसमान की तरफ़ देखकर बोला...
होर जी, किंदा....मैं ते एवें ही बस...बिस्किट लैन आया सी...तुसी गलत समझ रेयो जी...
उस दिन मुझे खुशदीप भाई ने मक्खन से पहली बार मिलवाया , साथ ही बताया कि मक्खन मेरा सारा काम भी देखता है , दिमाग का कुछ अधिक तेज होने के कारण मुझे हर समय इस पर निगाह रखनी पड़ती है ! उन्होंने पब्लिक से इसका परिचय कभी नहीं कराया , और साथ ही मुझसे भी वायदा लिया कि वे इसे किसी को बताएँगे भी नहीं ! हाँ हिंट देते हुए मैं बता दूं कि मक्खन खुद एक ब्लोगर है जो ब्लोगिंग समुदाय में एक मशहूर साहित्यकार के रूप में बेतहाशा ख्याति और पुरस्कार के साथ साथ घने नोट भी कूट रहा है !
कृपया उपरोक्त चित्रों में एक सज्जन मक्खन है अगर आप सही पहचान सके तो आपको "अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि " का अवार्ड प्रदान किया जाएगा इस अवार्ड विजेता का चयन किसी मशहूर ब्लोगर की अध्यक्षता वाली एक कमिटी करेगी जिसके चेयरमैन शिप के लिए अनूप शुक्ल , समीर लाल और खुद मक्खन दौड़ में हैं ! इसके लिए भी ब्लोगरों से वोटिंग कराई जायेगी !
तो आइये इस मक्खन ढूंढो प्रतियोगिता में हिस्सा लें और "अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि" पुरस्कार प्राप्त करें !
यह पुरस्कार देने की जगह अभी मुक़र्रर नहीं हुई है मगर अगर कनाडा में हुआ तो समीर लाल जी ने ब्लोगरों के आने जाने का टिकट एवं रहने की व्यवस्था मुफ्त देने का वायदा ताऊ से कर दिया है ..
और यही वायदा अनुराग शर्मा उर्फ़ स्मार्ट इन्डियन ने भी किया है बशर्ते प्रतियोगिता पिट्सबर्ग में आयोजित की जाए !
अग्रिम बधाई आप सबको ...
मक्खन की पहचान तो बता सकते हैं पर मक्खन से पूछना पड़ेगा, बताएं कि नहीं ?
ReplyDeleteओहो....ये खुशदीप भतीजे का मक्खन है..अभी थोडा छकायेगा, सवाल का जवाब ढूंढने की कोशीश कर रहे हैं, देखें मक्खन कितनी देर तक उलझाये रखता है, फ़िर लौटते हैं.:)
ReplyDeleteरामराम.
युवा ब्लॉगरों को मौका देन के लिये हम चेयरमैन शिप की दौड़ से अपना नाम, जो जबरियन ठेला गया, अपने को बाहर करते हैं।
ReplyDeleteआयोजन की सफ़लता के लिये शुभकामनायें। :)
अरे आप कौन बुढा गए हैं, अभी खांटी ………… :)
Deleteचेयरमैन शिप से नाम हटाना आपके बस की बात ही नहीं ..
Deleteयह नाम पूरे ब्रह्माण्ड ब्लागर असोसिएशन से चुने गए हैं , वोटिंग भी इन्ही में से होगी ! हार हो या जीत , पूरी ईमानदारी एवं खेलमैन स्प्रिट के साथ स्वीकार करें ..
फैसला जल्द होगा ..
;)
"खेलमैन स्प्रिट"
Deleteha ha ha... क्या बात है...
खेलमैन स्प्रिट
Deleteis this some new brand of spirit :)
यह sportsman spirit की ब्लागरी परिभाषा है , सामान्यगण असुविधा के लिए क्षमा करें ! :)
Deleteआप खुद से अलग हो लिये तो अब तो बस युवा ही बचे हैं. :)
Deleteपुरस्कारों में दो कैटेगरी और जुडने की संभावना है -
Delete- इस्तीफा पुरस्कार
- इस्तीफा वापसी पुरस्कार
ये दोनों केटेगरी भी जोड दी जायेंगी, आखिर प्रायोजक का भी मान रखना जरूरी है.
Deleteरामराम.
ये दोनों केटेगरी भी जोड दी जायेंगी, आखिर प्रायोजक का भी मान रखना जरूरी है.
Deleteरामराम.
मक्खन को पहचानना हम सबके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ..
ReplyDeleteअंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर शिरोमणि अवार्ड आपको , खुशदीप जी को या मक्खन को ही मिलेगा ..
हमलोग इस कार्यक्रम का हिस्सा अवश्य बनना चाहेंगे !!
मक्खन के पीछे 200 देशों की पुलिस लगी है, वे नहीं पहचान सके तो बेचारे ब्लॉगर कैसे पहचानेंगे ... अमूल डिटेक्टिव एजेंसी से संपर्क किया जाये
Deleteसभी मक्खन :) ..................... कितने पुरस्कार हुए ?
ReplyDeleteसतीश भाई,
ReplyDeleteआपसे वादा लिया था लेकिन आपने जगजाहिर कर दिया...बड़ा उलझाने वाला काम शुरू कर दिया...हां, आपकी इस पोस्ट में ये ज़रूर हिंट दे सकता हूं कि मक्खन को मक्खन नाम कैसे मिला...
एक बार स्कूल की छुट्टियों में जून के महीने में मेरठ के पास हस्तिनापुर में एनसीसी का कैंप लगा था...वहां हमारे साथ मक्खन भी हिस्सा ले रहा था...सुबह परेड में जाने से पहले नाश्ता हो रहा था...ब्रेड और पराठों के साथ टेबल पर बहुत सारी मक्खन की टिक्कियां पड़ी थीं...मक्खन जी ने पराठों के साथ खूब मक्खन की टिक्कियों पर हाथ साफ़ किया...कुछ टिक्कियां मुफ्त का माल देखकर उन्होंने नेकर के जेब के हवाले भी कर लीं...एनसीसी के नेकर भी क्या होते थे, पूरे तंबू होते थे...पतली पतली टांगों पर ऐसे फबते थे कि पूछो मत...
खैर अब परेड का टाइम आ गया...एक कड़क सूबेदार साब परेड करा रहे थे...लेफ्ट राइट, लेफ्ट राइट लेफ्ट...फिर अचानक उनकी कड़कडार आवाज़ गूंजी...अबे ये क्या है बे...वो मक्खन से ही मुखातिब थे...मक्खन की दोनों टांगों पर नेकर की जेबों से मक्खन की धार बह रही थी...जून में सुबह सात बजे ही इतनी कड़क धूप जो हो गई थी...मक्खन बस मैं, मैं ही करता रह गया...तभी से इसे ये प्यारा नाम मिल गया...
बाक़ी बाते रात को ऑफिस से आने के बाद...
जय हिंद...
हाहाहाह.... किसी को मिले सम्मान, अभी से शुभकामनाएं
ReplyDeleteये हुयी ना बात …………एक क्या यहाँ तो सारे ही मक्खन हैं कहिये कितने मक्खन चाहिये वैसे जितनी टिक्की मक्खन ने जेब में रखी उतने ही मक्खन हैं :)
ReplyDeleteताऊ को तो बड़े से बड़ा धुरंधर भी अभी तक ढूंढ नहीं पाया, और अब आपने एक और टास्क दे दिया है...
ReplyDeleteऔर हिंट तो बहुत ही प्यारा है,... कोई बचा है जिसका फोटो आपने ऊपर नहीं लगाया हो??? ;-)
ताऊ को तो बड़े से बड़ा धुरंधर भी अभी तक ढूंढ नहीं पाया :)
Deleteइसके लिये कोई पुरूस्कार हो तो इतने लिंक दे दूँ की फोटो भी मिल जाए , असली नाम भी
पर पुरूस्कार होना चाहिये "खुलासा पुरूस्कार "
चलिए ताऊ खोज पुरस्कार की घोषणा करने से पहले, ताऊ का रिएक्शन देख लेते हैं हो सकता है ताऊ अपने माल का हिस्सा बांटने को तैयार हो जाए !
Deleteआप प्लीज़ अभी पंगा न करें कुछ मॉल आने दें पहले ..
वैसे ताऊ बड़ा घाघ है आसानी से काबू नहीं आने वाला !
पुरस्कार के बिगैर कोई पत्ता बी नी हिलैगा
Deleteहिन्दी ब्लॉगर पूछैगा, "मन्ने के मिलैगा?"
सतीश जी, आपकी पोस्ट के अंत में "अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि " पुरस्कार की घोषणा पढकर हतप्रभ हूं, आपने इसकी घोषणा करके ताऊ से सरासर धोखा किया है, बल्कि ताऊ की पीठ में छुरा भौंका है. यह पुरस्कार ताऊ खुद आयोजित करने वाला था, आपके सामने ही समीरलाल जी व अनुराग शर्मा जी से इसे प्रायोजित करने का अनुबंध भी हम करीब करीब कर ही चुके थे कि आपने यह बीच में ही टंगडी मार दी.
ReplyDeleteआपको मेरी यह नेक सलाह है कि आप यह "अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि " पुरस्कार देने वाली घोषणा वापस लेंवे जिससे ब्लाग जगत में कोई गलत परंपरा की शुरूआत ना हो. . हम यह बात गंभीरता पूर्वक सोच समझ कर लिख रहे हैं.
पुन: निवेदन है कि कृपया अपनी "अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि " समारोह की घोषणा वापस लेवें.
रामराम.
सतीश भाई जी, थमसे यो आसा न थी। ताऊ की इच्छा का सम्मान जरूरी सै। हमने तो इंदोर से पित्स्बर्ग की सीधी फ्लाइट शुरू करने के लिए मीजे वालया की एयरलाइन खरीदने की बातचीत भी शुरू कर दी थी ... आईबी आपने पूरा मीज़ान ही बादल डाला ...
Delete@ अनुराग शर्मा जी,
Deleteआपसे हुई गुफ़्तगू के अनुसार हमने मीजे वालया से एक जेट खरीदने का बयाना दे दिया है. आपसे और समीर जी से विचार विमर्श अनुसार 7 दिन का सम्मेलन कनाडा में और अगले 7 दिन का पिट्सबर्ग में होना था.
अभी मिजान बिगडा नही है, यह तो सतीश जी ने जबरन बीच में भांजी मारने वाला काम कर डाला जो हमें कतई मंजूर नही है.
सम्मेलन तयशुदा जगह और तारीखों पर ही होगा. आप तो मीजे वालया को बकाया पेमेंट भिजवा दीजिये जिससे हम एयरक्राफ़्ट की डिलीवरी ले सकें और सब ब्लागरों को उनके घर से लेकर सम्मेलन स्थल तक पहुंच सकें.
रामराम.
वाह !!! ताऊ आप तो खुद ही अपने को मामा मानकर ताऊ का स्थान खाली कर दिया है,तो सतीस जी,ने तुरंत अपने को ताऊ के स्थान में फिटकर आपके आयोजन की घोषणा कर दी,इसमें सतीश जी की कोई गलती नही है,,,,
Deleteलाजबाब प्रस्तुति,,,सतीश जी,,
RECENT POST: जिन्दगी,
स्थान खाली कर दिया से क्या मतलब? एक साथ दो पोस्ट संभालने पर अभी ब्लाग जगत में प्रतिबंध थोडे ही लगा है?:)
Deleteरामराम.
"अंतरार्ष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि "
ReplyDeleteकमाल हैं जिनको ये अवार्ड मिल सकता था उनको कमेटी में बिठा दिया या स्पांसर बना दिया , अभी देखिये एक ने अपना नाम वापस ले लिया हैं बाकी भी आते होंगे नाम वापिस लेने
और आप किसी को नाम वापिस लेने से कैसे रोक सकते हैं जो खुद हर नोमिनेशन से अपना नाम वापिस ले लेते हैं
वैसे ये मक्खन अमूल का हैं या मदर डेरी का , फेट फ्री हैं क्या और मक्खन की इतनी वैरायटी उपलब्ध हैं https://www.google.co.in/search?client=firefox-a&hs=uh9&rls=org.mozilla:en-US:official&tbm=isch&source=univ&sa=X&ei=Lay-UdDMHc7jrAfc44GACA&ved=0CGwQsAQ&biw=1280&bih=608&q=variety%20butter%20india की पी सी रामपुरिया चाहे तो पूरी पोस्ट बन सकती हैं एक मक्खन की टाइप और एक ब्लॉगर की फितरत का मिलान करके .
ख़ैर रिजल्ट आ जाये तो उपलब्ध करवा दे .
आप भी रचना ...
Deleteगंभीर बात का मज़ाक बनवा देतीं है ! शाम तक इंतज़ार करें फिर आपका नाम भी तो अग्रणियों में है और हम आपको भी पुरस्कार मिलने की उम्मीद बंधाते हैं !
हर मित्र को सम्मानित करने का भी कुछ जुगाड़ करना है ..
सादर
@ वैसे ये मक्खन अमूल का हैं या मदर डेरी का , फेट फ्री हैं क्या और मक्खन की इतनी वैरायटी उपलब्ध हैं https://www.google.co.in/search?client=firefox-a&hs=uh9&rls=org.mozilla:en-US:official&tbm=isch&source=univ&sa=X&ei=Lay-UdDMHc7jrAfc44GACA&ved=0CGwQsAQ&biw=1280&bih=608&q=variety%20butter%20india
Deleteमख्खन की क्वालिटी पर तो केवल खुशदीप सहगल ही कुछ प्रकाश डाल सकते हैं, यह शुरू से उनके कब्ज़े में ही रहा है
रचना जी ,
Deleteआपकी मख्खन खोज ने मुंह में पानी ला दिया , यह खुशदीप का कमबख्त मख्खन मिले न मिले मगर हमारा इन तस्वीरों को देख कर ही खाने का मन ललचा रहा है और कोलोस्त्रोल लेवल बढ़ना तय है !
हद है झूठ बोलने की ...
ReplyDeleteताऊ की यह आदत कोई नयी नहीं हैं , सब अन्तराष्ट्रीय ब्लागर जानते हैं कि ताऊ जहाँ नोट दिखाई पड़ते हैं वही कूद पड़ता है , इसमें जरूर कोई गहरी चाल है , मैं इस का जवाब अपने साथियों से विचार विमर्श करके दूंगा ! विचार में ताऊ पर मानहानि का केस करना भी शामिल होगा !
बहरहाल यह सम्मलेन तो होगा ही ताऊ भले न आये !!
सतीश जी, ताऊ तो खुले आम झूंठ बोलता है इसमे कोई आश्चर्य की बात नही है, ताऊ का चरित्र सर्व विदित है. पर आपको क्या हुआ है जो आपने ताऊ का सारा आईडिया ही चुरा डाला?
Deleteदूसरा आपने मानहानि का केस करने की धमकी दी है तो आप यह समझ लें कि ताऊ के पास न मान है और ना ही हानि, अत: ताऊ पर आप शौक से केस करें, आपके हाथ कुछ भी नही आयेगा.
आपने आगे लिखा है कि "यह सम्मेलन तो होगा भले ही ताऊ ना आये".
ताऊ आपकी चाल को समझता है, आप बेखटके यह आयोजन करवा सकें और ताऊ वहां कोई गडबड नही कर सके, इसलिये आप ताऊ को ताव दिलवा रहें हैं कि ताऊ आपके सम्मेलन से दूर रहे.
तो आपकी सूचना के लिये बता रहा हूं कि ताऊ तो गधा सम्मेलन आयोजित करने का भी चेंपियन रहा है, तो आपका सम्मेलन बिगाडना कौन बडी बात है. ताऊ पीछे हटने वाला नही है, ताऊ सौ प्रतिशत सम्मेलन में पहुंच रहा है, इस बात का ख्याल रखें.
रामराम.
सरकारी नौकरी करने वाले , वकील या कानून से जुड़े लोग किसी को भी अगर धमकी देते हैं तो उनपर केस किया जा सकता हैं ऐसे दावो की हवा निकलते देर नहीं लगती हैं
Deleteबड़े अफ़सोस की बात है कि यहाँ कोई ढंग काम लोग होने ही नहीं देते , इसीलिये हिंदी ब्लोगिंग इतनी बर्बाद हो चुकी है , ताऊ जैसे लोग हर जगह बैठे हैं इनका बस चले तो सारे पुरस्कार यह खुद अपने नाम करा ले ..
Deleteहै कोई और ताऊ जो इस ताऊ को सुधार सके !
समीरलाल जी व अनुराग शर्मा जी से एक अनुरोध:-
ReplyDeleteआप दोनों से निवेदन है कि आप सतिश जी के सम्मेलन को प्रायोजित ना करें वर्ना आप दोनों ने ब्लागरों को लाने ले जाने के लिये जो राशि हमें दी है वह जब्त हो जायेगी. हमें दी गई राशि सतीश जी को उपयोग में लाने के लिये हमसे अनुरोध ना करें.
रामराम.
वहां रात्री के १२ बज रहे हैं अतः उन दोनों से बात नहीं हो पा रही है , ताऊ की धांधली देखिये उड़न तश्तरी का धन जब्त करने की सोंच रहा है ..
Deleteहद है बेशर्मी की ..
बात करके भी क्या कर लेंगें? हम आप जैसे लोगों को जानते हैं इसलिये बिना एडवांस लिये किसी काम में हाथ नही डालते. अब भी समय है आप अपना सम्मेलन वापिस ले लिजिये, हम सारा काम सफ़लता पूर्वक निपटा लेंगे, आपके लिये भी कुछ इनाम इकरार की व्यवस्था करवा देंगे. ईश्वर आपको सदबुद्धि दे, यही प्रार्थना है.
Deleteरामराम.
भाइयों, आपने तो धर्मसंकट में डाल दिया है। रामपुर के भाई और डाटागंज के भाई अपने अपने रास्ते चल देंगे तो भारतीय संस्कृति का क्या होगा? डाटा और कंप्यूटर के बाबत रामगंज और डाटापुर में जो संस्कृत ग्रंथ लिखे गए थे उनका वास्ता, मिलजुलकर सम्मेलन कराओगे तो दोनों का नफा ही नफा है। ताऊ की किताबें बिक जाएंगी और सतीश भाई को बिलागर पुरस्कार अकेडमी का कुर्सीवान (चेयरमैन) बना दिया जाएगा ...
Deleteहमें तो इसमें कोई आपति नही है, सतीश जी को चेयरमैन बनाने का प्रस्ताव हम खुद रखेंगे, पर सम्मेलन का सारा कारोबारी दायित्व हम ही संभालेंगे, इस पर कोई समझौता नही होगा, वर्ना नतीजा नितीश और मोदी वाला होने की संभावना समझी जानी चाहिये.
Deleteरामराम.
जिसकी लाठी उसकी भैंस, यह बात तो पक्की है। कुर्सी भले ही सतीश जी के पास हो कारोबार तो ताऊ के हाथ मे ही रहना चाहिए ...
Deleteमेरे विचार का समर्थन करने के लिये बहुत आभारी हूं. इंशाल्लाह अब तो फ़तेह होनी ही है.
Deleteरामराम.
हमारा वोट भी ताऊ के पक्ष में है ... विजय जरूर मिलेगी ...
Deleteदिगंबर भाई, आपके अमूल्य वोट के लिये आभारी हूं, समय आने पर आपको इसका प्रतिफ़ल एक बहुमूल्य मक्खन दार कुर्सी के रूप में अवश्य दिया जायेगा, बस अपना समर्थन बनाएं रखें.
Deleteरामराम.
:-)
ReplyDeleteबड़े बड़े खिलाड़ियों के बीच में हमारा मूक दर्शक बने रहना ही उचित है.....
और कुछ समझ पड़े तब न कुछ कहेंगे...
सादर
अनु
कुशाग्र बुद्धि वाली हैं -आपके नाम पर कहीं विचार हो रहा है-चुप ही रहिये :-)
Deleteमक्खनबाज़ पोस्ट और प्रतियोगिता
ReplyDeleteवाह भैया यूँ तो मेरी ब्लॉग वाली दुकान लगभग बंद ही रहती है ...मगर कोई पुरस्कार -वुरस्कार की बात हो तो खोल भी देते हैं सप्ताह में एक आध बार ... वैसे भी 'अंतर्राष्ट्रीय' होना किसे पसंद नहीं, और भैया प्रातः स्मरणीय मक्खन जी के बारे में इतना सस्पेंस बनाना ठीक है ...बता भी दीजिये अब :P
ReplyDeleteहा ...हा ... हमने पहचान लिया मक्खन सरदार था और यहाँ एक ही सरदार है पीली पगड़ी वाला .....वाह अपना इनाम तो पक्का ....है न सतीश जी ....?!!
ReplyDeleteपक्का जी पक्का। सतीश जी नहीं सुनेंगे तो हम आपकी फरियाद ताऊ तक पहुंचा देंगे जी।
Deleteताऊ के कारण अभी यही तय नहीं हुआ कि आयोजक कौन होगा और सम्मलेन कहाँ होगा ?
Deleteउसके बाद मख्खन को ढूँढने का काम शुरू हो !
सतीश जी, आप चिंता नही करें, हमारी सारी आशंकाएं दूर हो गयी हैं, समीर जी और अनुराग जी ने मीजे वालया को पेमेंट ट्रांसफ़र करवा दिया है. वालया साहब का फ़ोन आया था कि एयरक्राफ़्ट की डिलीवरी लेलें, अब कोई बाधा नही रही.
Deleteसम्मेलन तयशुदा तारीख पर कनाडा और पिट्सबर्फ़ में होगा, हमने जाने वाले उन सब ब्लागरों को इतला कर दी है कि अपना अपना पासपोर्ट हमें भिजवायें, जिससे वीजा इत्यादि की फ़ार्मिलीटी पूरी करवाई जा सके.
आपको अंदरूनी रूप से चेयरमैन बनाना तय हो चुका है, आप अपना यह सम्मेलन समाप्त करने की घोषणा करें और ताऊ द्वारा प्रायोजित सम्मेलन में अध्यक्ष की कुर्सी को सुशोभित करें.
रामराम.
ताऊ देरी से आने की माफ़ी .. मेरा नाम नहीं भूल जाना ... इसी बहाने कनाडा घूम आएंगे ...
Deleteचिंता नही, आप 15/20 दिन की छुट्टियां ले लिजिये, 7 दिन तो कनाडा में ही सम्मेलन चलेगा और फ़िर 7 दिन पीट्सबर्ग में अनुराग जी के यहां. आपको दोनों ही जगह स्वागत भाषण देना है, तैयारी कर लीजिये.
Deleteरामराम
Full too taiyaari kar loonga ...
Deleteबड्डा मुश्किल है जी ...
ReplyDeleteमक्खन मेरे मक्खन का जित देखूँ तित मक्खन।
मक्खन देखन मैं गया मैं भी हो गया मक्खन।।
द्विवेदी साहब, इस मक्खन ने बडा दुख दीन्हा.:)
Deleteरामराम.
आयोजन की सफलता के लिए अभी से सुभकामनाएँ!
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteबड़े बड़े खिलाड़ियों के बीच में हमारा मूक दर्शक बने रहना ही उचित है.....
और कुछ समझ पड़े तब न कुछ कहेंगे...
(अनु से साभार :))
@होर जी, किंदा....मैं ते एवें ही बस...बिस्किट लैन आया सी...तुसी गलत समझ रेयो जी...
ReplyDeleteहा हा हा ...मस्त है ,
वैसे मै इस पोस्ट पर ताऊ सहित आप सबकी टिप्पणियों का आनंद ले रही हूँ :)
मक्खन ढूंढो प्रतियोगिता ... कनाडा में सम्मेलन तय ही जानिये... :)
ReplyDeleteलेकिन यह सम्मेलन पूर्व तय कार्यक्रम अनुसार ताऊ ही करेगा, जिन ब्लागरों को वहां लाना है उनकी लिस्ट भी बना ली है. आप होटल इत्यादि की बुकिंग फ़ाईनल कर लिजीये, फ़्लाईट टिकट एक दो दिन में बुक करवा रहे हैं.
Deleteरामराम.
समीर भाई ,
Deleteउस दिन ताऊ के नाम पर विचार कर बड़ी गलती कर ली अब वह आपको भी धमका रहा है कि अगर उसके नाम पर विचार नहीं हुआ तो अग्रिम धनराशि जब्त कर ली जायेगी !
अगर बुकिंग आदि इसके द्वारा करवाई गयी तो यकीनन यह सम्मलेन एक तमाशा साबित होगा और ब्लोगरों के बीच जगहंसाई अलग होगी !
पैसे खाने कमाने के उनके हथकंडे कौन नहीं जानता ..
म्हारा टिकट कित सै?
Deleteसमीर जी, अब फ़्लाईट टिकट की जरूरत नही है, मीजे वालया का जेट का सौदा कर लिया है, आप और अनुराग जी डिलीवरी लेने के लिये पेमेंट भिजवा दीजिये. इस सम्मेलन को अब तक का अभूतपूर्व सफ़ल सम्मेलन करार दिया जायेगा, चिंता ना करें. सतीश जी की बातों पर ध्यान ना देवें.
Deleteरामराम.
ताऊ अपनी बैलगाड़ी नै जैट बतावै सै। :)
Deleteदराल साहब आपको जेट से ही कनाडे ले जायेंगे, आप चिंता ना करें, बैलगाडी में बैठाने के लिये और बहुत लोग हैं अपने पास.:)
Deleteरामराम.
समीर भई ... अपने पुराने मित्र को नहीं भूल जाना ...
Deleteभाभी की सिफारिश गग्वानी हो तो बताना ...
पर टिकट जरूर भिजवाना ...
दिगंबर भाई, आप गलत जगह अप्रोच कर रहे हैं, अब मालपानी सब ताऊ के पास अंटी हो चुका है और अब ताऊ की मर्जी, किसे याद रखे किसे भूल जाये. वैसे आपका नाम पहली ही लिस्ट में है. स्वागत भाषण आपको ही देना है कनाडे में.
Deleteरामराम.
मक्खन को पहचानना मुश्किल है ..
ReplyDeleteसबसे पहले तो इस ज्वलनशील महा-आयोजन के लिए ढेरों बधाई!!!
ReplyDeleteजिस तरह दूध में मक्खन के अस्तित्व के होते हुए भी मक्खन दिखाई नहीं देता,यह मक्खन भी हमारी दृष्टि में नहीं आ रहा। मक्खन की खोज के लिए दही जमाना और मंथन करना जरूरी होता है। और आप तो जानते ही है, मंथन करना अपने बूते का नहीं, अवार्ड जाने की महाभयंकर पीडा भोगनी होगी। किन्तु बडे दिल से विश्वास दिलाते है कि ईर्ष्या की अगन अवश्य समर्पित करेंगे।
एक गीतकार का मक्खन प्रेम और उसके लिए अपना शिरोमणि समर्पण निश्चित ही कराहनीय है :)
उपर से तुर्रा यह कि "यहाँ कोई ढंग काम लोग होने ही नहीं देते" अफ़सोस न करें और साहस से काम लें, 'लट्ठ संतोषी ताऊ' और 'खोज धुरंधर रचना जी' की धमकियों से विचलित न हों। ब्लॉग-देवता पर भरोसा रखें। अमरीकी कनाडी जजमानों को प्रसन्न रखें, खुदा ने चाहा तो लेने वाले और देने वाले सभी तुष्ट होंगे। बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित्…
संजय भास्कर17 June, 2013 16:29
ReplyDeleteमक्खन को पहचानना मुश्किल है ...............................
मक्खन को पहचानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है
क्यों ?
क्योंकि मक्खन तो कब का गल चुका ! :)
बात उस मक्खन की नहीं है भाई, बात इस वाले मक्खन की है..
Deleteपहले ताऊ से निपटने की सलाह दीजिये !
:) ऐसे कैसे गला देंगे मक्खन को? मक्खन के बिना भारत की पूरी राजनीति और नौकरशाही पर राजनीतिक संकट छाने की आशंका है ...
Deleteshubhkamnayen sabhi pratiyogi avm aayojkon ko ....
ReplyDeleteपहचानना मुश्किल :)
ReplyDeleteओ तेरे की !
ReplyDeleteहम जब तक पहुंचे , तब तक तो लगता है , प्लेन भी फुल हो गया ।
कोई बात नहीं , हम तो ताऊ की बैलगाड़ी से आ जायेंगे कनाडा।
दराल साहब आपके लिये तो काकपिट में ताऊ के साथ वाली सीट बुक है, आखिर प्लेन तो आपको और हमको ही चलाना है.:)
Deleteरामराम.
किसी खानसामे की जगह खाली है क्या ताऊ ... हम भी लटक लेंगे ..
Deleteहुजूर, आपको लटकने की क्या जरूरत? आप तो तैयार हो जाईये, अब अपना जेट है, आपको दुबाई से लेते हुये जायेंगे.
Deleteदुबाई में भी आप कहें तो एक दो दिन का सम्मेलन करवा लेते हैं, दुबाई का खर्चा पानी आपको ही भुगतना पडेगा. जल्दी जवाब दीजियेगा.
क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करवाने के लिये और बहुत सी जगह से आफ़र आ रहे हैं.
रामराम.
Taoo yahaa don ka khatra hai ... Nahi to karwa lete ... Apni garantee pe koi aa sake to theek ...
Deleteडोन के खतरों से ब्लागर नही डरा करते
Deleteऔर जो डर जाये वो ब्लागर नही होते
आप तो तैयारी कीजिये, पहला स्टापेज आपके यहीं होगा.
रामराम.
ये तो खालिस ताऊनुमा पोस्ट है.
ReplyDeleteकई बार कहा गया है उन्हें की ..अपने स्टाइल का कोपी राईट ले लें लेकिन उन्हें तो रामप्यारे की बुद्धि पर इतना यकीन है कि ध्यान ही नहीं देते.
आश्रम में चूहों से बचने का उपाय अपना कर नुक्सान कर ही चुके हैं और अब मिल गया नया फल सतीश जी को ख़ास चेला बनाने का!
मक्खन वही है जो मिस्टर इंडिया की तरह तस्वीरों में छुपा हुआ है.
आपने सही कहा, सतीश जी से ये उम्मीद नही थी कि ताऊ से वो धोखा धडी करेंगे, जब उन्होंने हमारे आश्रम में चूहे छोडे थे तभी हमको समझ जाना चाहिये था. इतने दगाबाज निकलेंगे हमें मालुम ना था.:(
Deleteरामराम.
आपको कोई हक नही बनता सतीश भाई को दगाबाज़ कहने का, गलत बात है ताऊ, दफ़ा 9,2,11 के तहत आपको इनामी लिस्ट से निकाला जा सकता है...।वो चाहते तो आपके आश्रम में शेर चीते भी छोड़ सकते थे... सिर्फ़ चूहे ही छोड़े थे न???
Deleteसुनीता जी, सतीश जी का किया धरा तो खुद उनके की बोर्ड की जुबानी ही पढ लीजिये, वो स्वयं कह रहे हैं कि
Delete" अगर कनाडा में सम्मेलन हुआ तो समीर लाल जी ने ब्लोगरों के आने जाने का टिकट एवं रहने की व्यवस्था मुफ्त देने का वायदा ताऊ से कर दिया है "
तो बताईये वो क्यों बीच में कूदे?
हम तो इनामी लिस्ट से स्वयं ही बाहर हैं, हम इनाम इकरार देते हैं लेते नही, सिर्फ़ हमको अपने कारोबार से मतलब है, उसमें हमें किसी का दखल मंजूर नही है.
यदि सतीश जी हमारे आश्रम में शेर चीते भी छोड देते तो हमारी यह दुर्गति नही होती जो चूहों ने कर दी.
रामराम.
मक्खन को पहचानना कौन मुश्किल है इस तस्वीर में? हम भी CID देख रहे हैं बहुत ज़माने से. इस फोटू को धूप में रख देंगे, मक्खन पिघलेगा और मक्खन धर लिया जायेगा.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रतियोगिता है लेकिन उसके आगे होना चाहिए था मक्खन लगाने की प्रतियोगिता .यह तो हिदुस्तान की पेट प्रतियोगिता है
ReplyDeleteजब व्यवस्था के विरोध में कोई ज्यादा मुखर हो जाता है तो उसे टाप पर बैठे लोग इनाम अकराम का घुनघुना पकड़ा देते हैं-वह चुप हो जाता है -मैं परिकल्पना वालों को बोलता हूँ आपको भी पकड़ा दें :-)
ReplyDeleteयह झुनझुना ताऊ को, पुरस्कार तो उसे चाहिए :)
Deleteना सतीश जी, ताऊओं को केवल धन और कारोबार से मतलब है, आप काहे को सफ़ाई दे रहे है? आपको तो गोवा सम्मेलन की तर्ज पर अध्यक्ष बनाना अंदरूनी तौर पर तय है, बस नाम की घोषणा होना बाकी है.
Deleteसम्मेलन शुरू होते ही हम आपका नाम प्रस्तावित करेंगे और सारे ब्लागर्स एक मत से समर्थन करेंगे, अब आप जबान बंद रखिये और कुर्सी का मजा लिजीये. बडी मुश्किल से मिलती है ये.
रामराम.
हाँ भई,
Deleteताउओं के जमाने में कुर्सी मुश्किल से ही मिलेगी ..
अब समीर भाई , अनुराग शर्मा एवं खुशदीप सहगल मिलकर जो फैसला करेंगे , हमें मंजूर होगा मगर ताऊ की कमिटी की निगरानी के लिए कम से कम ५ ब्लोगर नियुक्त किये जाएँ कि कोई गड़बड़ नहीं होगी !
ReplyDeleteअसंतुष्ट ब्लोगरों के लिए भी पुरस्कारों की ख़ास व्यवस्था होनी चाहिए !
आप पांच क्यों पचास ब्लागरों की कमिटी बैठा लिजीये, होगा वही जो ताऊ चाहेगा.
Deleteरामराम.
सिंगल पुरस्कार से मेरा क्या होगा
ReplyDeleteमूझे तो डबल दे दो
चाहे कनाडा के
या मन करे तो पिट्सबर्ग के
नुक्कड़ पर दे दो
मैं आपको संतोष (त्रिवेदी) दे दूंगा।
रही पहचानने की बात
मैं ही हूं मुन्ना इसलिए
मुझे ही चुनना।
chaliye ham bhi pratiyogita me shamil ho hi lete hai
ReplyDeleteमक्खन का मिजाज़ समझने के लिए हिंट नंबर 2...
ReplyDeleteमक्खन हिसाब किताब में खुद को बड़ा तेज़ समझता है...बाज़ार से सारी खरीददारी भी खुद ही करता है...मज़ाल है कि कोई दुकानदार मक्खन को बेवकूफ़ बना ले...(बने बनाए को कौन बना सकता है)...एक बार मैं घर के पास डिपार्टमेंटल स्टोर में खरीददारी करने गया तो देखा मक्खन आस्तीने चढ़ा कर बिलिंग काउंटर पर सेल्समैन से भिड़ा हुआ था...अबे तू देगा कैसे नहीं...हराम का माल समझ रखा है...खून पसीने की कमाई है...ऐसे कैसे छोड़ दूं फ्री की चीज़...
मेरी समझ में माज़रा नहीं आया...मैंने जाकर पूछा...क्या हुआ मक्खन भाई, कैसे पारा चढ़ा रखा है...मक्खन कहने लगा...देखो भाई साहब, मैंने स्टोर से जूस के दो बड़े पैक खरीदे हैं...और उन पर दो-दो चीज़ें फ्री लिखी हुई हैं और ये मुझे जूस के साथ वो दे नहीं रहा...मैंने कहा...दिखाओ मक्खन भाई, जूस के पैक के साथ क्या फ्री दे रहे हैं...मक्खन ने जूस के पैक मेरी तरफ बढ़ा दिए... उन पर लिखा था- शुगर फ्री, कोलेस्ट्रॉल फ्री...
जय हिंद...
ह्ह्ह्ह्ह लगे रहिये भैया...
Deleteदिलचस्प पोस्ट ,भाई साहब कनाडा का वीजा कौन देगा आजकल तो एम्बेसी कनाडा की पास्पोस्र ही रख लेती है एक माह बाद वीज़ा मिलता है यहाँ अमरीका से भी .हम दो बार कैंटन से हो आये हैं ,डेटराईट से मिला हुआ है कनाडा का विंडसर नगर .
ReplyDeleteवीरुभाई ,४ ३ ,३ ० ९ ,कैंटन (मिशिगन ),यू एस ए
बड़ा कठिन सवाल पूछ लिया , पास :)
ReplyDelete
ReplyDeleteठीक है ताऊ ..
अब अगर मैं बायकाट भी कर दूं , तब तो तेरा फायदा ही फायदा है और यदि मैं बिना अधिकार चेयरमैन बना रहूँ तब भी तेरा फायदा , क्यों कि तूने अपनी गोटियाँ हर जगह फिट कर रखीं हैं !तो बेहतर है , कि सारे लोगों को सरे आम बेवकूफ बनाने की तेरी हरकतें मैं अपनी आँखों से देखूं ...
आज कई सबक लिए. जो बचे जीवन में, आगे काम आयेंगे :
-आज के समय में बेईमानी कैसे जीतती है , और शराफत कैसे एक कोने में खड़ी रह जाती है यह पहला सबक सीखा ताऊ ..
-आज के समय सही को सही कहने वाले नहीं रहे, चाहे अपनों की जान ही क्यों न जा रही हो, शायद लोगों में हिम्मत की बेहद कमी है,वे चाहते हुए भी अपने मित्र ताऊ को,गलत काम से रोकने के लिए सोंच भी नहीं पा रहे, चाहे ताऊ को जेल ही क्यों न जाना पड़े ..
-समीर लाल और अनुराग शर्मा जैसे मेरे मित्र भी , ताऊ की बेईमानियों को जानते हुए भी ,पुराने सम्बंद्धों के चलते, ताऊ को गलत नहीं बता पा रहे अन्यथा ताऊ से सम्बन्ध खराब होने के खतरे हैं ! सो चुप रहना ठीक मानते हुए वे भी आधुनिक परम्पराओं का निर्वहन कर रहे हैं !
-मेरे परम मित्र भी इस लड़ाई में मेरी मदद के लिए खुल के आगे नहीं आ पाए जबकि ताऊ के मित्रों ने ताऊ की खुल कर मदद की है इससे सिद्ध हुआ कि समर्थ और जुगाडू लोगों का ही ज़माना है !
-आप बायकाट नही कर सकते, अब तो कुर्सी आपके गले पटक दी गई है. यदि आप असफ़ल हुये तो दोष आपका माना जायेगा और सफ़ल हुये तो इसका श्रेय नागपुर में बैठे ताऊओं को जायेगा.
Delete-आप ताऊ के साथ बने रहेंगे तो और भी सबक सीखते रहेंगे, आखिर ताऊ लोग ही कुछ सरकारों को रिमोट से चलाते हैं.
-आपने इतना सीधा सा सबक सीखेन में कुछ ज्यादा वक्त नही लगा दिया?
-आज के समय में सही कुछ भी नही है बस गलाकाट स्पर्धा है, वो क्यों है...इसका जवाब किसी के पास नही है, सब ताऊ बनने की फ़िराक में रहते हैं.:(
-समीर लाल और अनुराग शर्मा जैसे आपके मित्रों ने भी आपकी बात का समर्थन इस लिये नही किया कि क्योंकि वो पहले से ही हमसे वादा कर चुके थे और यह उनकी जबान की दृढ्ता है कि उन्होंने अपना वादा ताऊ के साथ निभाया. यदि वो आपकी बातों में आ जाते तो आगे से उनका विश्वास कौन करता? उन्होंने जो किया वो बिल्कुल सही किया.
-आजकल लोकतंत्र है और अब चुनाव भी आ गये हैं इसलिये ताऊ ने आठ नये मंत्री भी कल ही नियुक्त कर दिये हैं. बिना समर्थन और जुगाड के खाली बातों से चुनाव नही जीते जाते.
आप को भी यदि कुर्सी बचाए रखनी है तो यह कला जितनी जल्दी हो सके, ताऊ युनिवर्सीटी में एडमिशन लेकर सीख लिजीये. वैसे एक कार्यशाला का आयोजन कनाडा और पिट्सबर्ग में भी इस विषय पर रखा गया है, उसका लाभ अवश्य उठाएं.
रामराम.
यहाँ सब जानते हैं कि ताऊ के हर काम में बेईमानी है और किसी जगह से यह आवाज़ नहीं आई कि ताऊ किसी भी ईमानदार कार्य की जिम्मेवारी उठाने के लिए सर्वथा अयोग्य है ..
ReplyDeleteमुझे लगता है भीड़ में उपस्थित अपने मित्रों को समझाने से भला यह होगा कि मैं इतनी एनर्जी ताऊ को समझाने में लगाऊँ कि बुरे कामों का अंतिम नतीजा क्या होता है !
शायद कानून एवं समाज उसे कभी न पकड़ सके मगर ताऊ के अन्दर उसकी अपनी प्राणशक्ति है जो कहीं न कहीं ताऊ-कार्यों पर, ताऊ की अंतरात्मा को हमेशा धिक्कारेगी कि उसने गलत किया, अच्छा होगा कि मैं ताऊ के नज़दीक बना रहूँ शायद कभी ताऊ को समझा सकूं ...
अतः ताऊ तेरी शर्ते मंज़ूर हैं ..
सम्मलेन और पुरस्कारों के लिए, इस भीड़ के मध्य, अपना नाम कमाने के लिए बढ़ो आगे, हम भी तेरे नेतृत्व को स्वीकार करते हैं, यही दुनिया का सबक है
जो कुछ भला बुरा गुस्से में कहा वह तुम्हारे भले के लिए था , उसके लिए क्षमा करना ताऊ , तुम जीते मैं हारा :(
सतीश जी, आप अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. यहां कौन सा ताऊ ईमानदारी के कार्य करने के उपयुक्त है? जितने भी ताऊ शासन कर रहे हैं सब अगडा पिछडा और जातिवाद के नाम पर जनता को मूर्ख बना कर कर रहे हैं. इसमे योग्य/अयोग्य नही देखा जाता, सिर्फ़ जुगाडू काबिलियत काम आती है.
Deleteआपका सोच सही है, आप अपनी इनर्जी बरबाद ना करें ताऊ को समझाने में. आप ताऊ के साथ उसे समझाने के लिये बने रहिये, एक दिन ऐसा आयेगा कि ताऊ तो नही समझेगा पर आप ताऊ की संगति में रहते रहते जरूर ताऊत्व को प्राप्त हो जायेंगे, यह पक्का है.
ताऊ की शर्तें मंजूर करने के लिये आपका आभार, इसके बदले आपको सम्मान जनक रूप से पार्टी अध्यक्ष पद पर बिठा दिया जायेगा.
Deleteरामराम.
सतीश जी इसमें इतना दुखी और सेंटी होने की क्या बात है? अभी अडवाणी जी ने भी स्थिफ़ा देकर ताऊ के एक फ़ोन पर स्थिफ़ा वापस ले लिया था न? ये तो हमारी पार्टी की आपस की अंदरूनी बात है.
Deleteबस आप तो नाम के लिये अध्यक्ष बनकर अपनी मलाई मक्खन को फ़्रीज(स्विस बैंक) में रखते रहिये और ताऊ की बातों का आंख मींच कर समर्थन करते रहिये, यही जमाने का दस्तूर है.
पार्टी की अंदरूनी कलह में कोई जीतता हारता नही है इसलिये आप काहे को क्षमा मांगते हैं? क्षमा तो गैरों से मांगी जाती है. आप तो हमारी पार्टी के सबसे अनुभवी और बुजुर्ग नेता है, ऐसी बाते करके आप पार्टी को शर्मिंदा मत किजीये.
अंदरूनी कलह समाप्त करने के लिये आपका समस्त ताऊ पार्टी जन आभार प्रकट करते हैं, अब पार्टी को नयी ताकत और जोश के साथ अगले चुनाव में जिताने की तैयारियों मे लग जाईये. समय समय पर आलाकमान ताऊ के निर्देश आपको मिलते रहेंगे.
रामराम.
ताऊ तो ब्लॉगिंग के नरेंद्र मोदी निकले...सतीश भाई को मार्गदर्शक बना कर ही छोड़ेंगे...
Deleteजय हिंद...
बनाकर क्या छोडेंगे?.:)
Deleteसतीश भाई तो हमारे पार्टी फ़ाऊंडर हैं ही, उनका मार्गदर्शन बहुत जरूरी है, उनके मार्गदर्शन में पार्टी अबकि बार किला फ़तेह करके रहेगी.
रामराम.
मक्खन के उद्यम से हम बहुत प्रभावित हैं, बस धूप न निकले, नहीं तो वे पिघल जाते हैं।
ReplyDeleteचैनल्स पर जो द्रश्य देख लिए हैं, वो चुटकुले को एन्जॉय नहीं करने दे रहे। पर एक बात तय है की हिन्दी ब्लॉग्गिंग का भविष्य खतरे में नहीं है।
ReplyDeleteI am sorry if i am offending but it is so.
नहीं संजय आपने कभी किसी को नकारात्मक कमेन्ट नहीं दिया...
Deleteजो पढ़ा अपनी तो समझ से बाहर है अभी तक .....
ReplyDelete:(((
देर से आने पर कुछ तो लाभ हुआ .... पोस्ट से ज्यादा टिप्पणियों में आनंद आया .... मक्खन वही जो लगे तो पर दिखे नहीं :):)
ReplyDeleteपोस्ट के बाद सारे कमेंट भी पढ़ लिए.
ReplyDeleteसब बेकार है.
(कमाल है (!) अभी तक सभी बड़े सलीके से पेश आ रहे हैं ! )
अब तक का सबसे बेहतरीन कमेन्ट ..
Deleteकार्टून बनाने वालों की बात ही कुछ और है ! वे ताड़ने में सिद्धहस्त होते हैं !
आभार काजल कुमार !
हा हा हा....काजल भाई आप मर्म तक पहुंच गये, कमाल के ताडू हैं आप, वैसे सब कुछ बेकार आपको इसलिये लगा कि जूतमपैजारियता के पहले ही समझौता वार्ता सफ़ल हो गई.:)
Deleteरामराम.
:-) यह स्माइली सतीश सक्सेना जी के लिए.
Delete:-) और यह स्माइली ताऊ रामपुरिया जी के लिए
3:) और यह मेरे अपने लिए (मेरा भी, ठठा कर हंसने का मन है )
हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा... काजल भाई आपकी जीवंतता के लिये सलाम.
Deleteरामराम.
हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा...हा हा हा... काजल भाई आपकी जीवंतता के लिये सलाम.
Deleteरामराम.
हिन्दी ब्लॉगिंग के बीते हरे-भरे दिनों की यादें दिलाने, ब्लॉगरों को वापिस लौटाने की एक बेहतरीन कोशिश
ReplyDeleteअच्छा लगा ये पोस्ट और टिपाणियां पढ कर
प्रणाम स्वीकार करें
हिन्दी ब्लॉगिंग के हरे-भरे, मस्ती भरे दिन याद दिलाने और ब्लॉगर्स को वापिस लौटा लाने का बेहतरीन प्रयास
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिये आभार
टिप्पणियां पढकर मजा आ गया
प्रणाम स्वीकार करें
जाने क्यों मन में आहट सी होती है ये जो मक्खन है कहीं खुशदीप भाई खुद ही तो नहीं है... देखों कहीं आप सबको इतनी मेहनत करते देखें तरस आ जाये और एक हिंट और दे जाये... :)
ReplyDeleteआपका अंदाजा सही निकल सकता है मुझे भी यही संदेह हो रहा है, अभी कन्फ़र्म नही हूं.
Deleteरामराम.
जाने क्यों मन में आहट सी होती हैं कहीं ये मक्खन हमारे खुशदीप भाई खुद ही तो नही हैं। देखें जरा आप लोगों की मेहनत पर तरस आ जाये और एक दौ हिंट देने फिर से आ जायें... :)
ReplyDeleteआनंद ही आनंद प्राप्त हो रहा है शिरोमणी कोई भी बनें हम तो भक्त बनने में ही प्रसन्न हैं .
ReplyDeleteमैं इतनी देर से आया कि पोस्ट का मख्खन ही खतम हो गया! :(
ReplyDeleteमक्खन कभी खत्म नही होता बस गायब हो जाता है, ठंड मिलते ही फ़िर आ जाता है, जरा खोजने की कोशीश किजिये अभी मक्खन दुनियां (पोस्ट) से गया नही है वह तो शाश्वत है.:)
Deleteरामराम.
कोई मुझे बताएगा ये हो किया रहा है, कोई मुझे बताएगा , वैसे जो भी हो रहा है उसके लिए शुभकामनाये ,,,,,
ReplyDelete" ताऊ की बेईमानियाँ " फिल्म का ट्रेलर चल रहा है ..
Deleteवाह सतीश जी आप तो गजब के डायरेक्टर प्रोड्यूसर निकले. आपकी फ़िल्म "ताऊ की बेईमानियां" तो सुपर डुपर हिट हो गयी और दो दिन में ही 134 करोड की कमाई कर डाली. बधाईयां जी बहुत बधाईयां क्लब सौ करोड में शामिल होने के लिये.
Deleteरामराम.
इस मंदी में 134 करोड ???? सतीश जी के इस जोखिमि साहस की सराहना करनी पडेगी। वाकई ताऊ का नाम बिकता है। आज कल अच्छी से अच्छी भी 8-10 करोड का व्यवसाय नहीं कर पाती, इस नाम ने बॉक्स ऑफिस को लबा-लब भर दिया। ताऊ की बेईमानियों पर फिल्म बनाकर प्रोमो के प्रचार में खुद ताऊ को उतार दिया? कमाल है!! मक्खन की ऐसी माया रची कि दर्शक उसी में उलझ कर रह गए………भई वाकई गजब है।
Deleteमैं नही जानता था कि ये मक्खन मिस्ट्री हॉलीवुड की किसी सस्पेंस थ्रिलर से भी बड़ी हो जाएगी...
ReplyDeleteयहां तो मेरा गांव, मेरा देश के गाने की तरह हिंट दिए जाने दिए की जरूरत है...
हाय शरमाऊं, किस किस को बताऊं...
ऐसे कैसे मैं सुनाऊं सबको,
अपने मक्खन की कहानियां,
मक्खन की, मक्खन की,
हाय तीन निशानियां...
पहली निशानी,
.....है ..., रंग ....का....,
रूप उसका...,ऐसा है..., रंगीला...
जय हिंद...
1. मक्खन मिस्ट्री हॉलीवुड की किसी सस्पेंस थ्रिलर...आपका मक्खन किसी संस्पेंस थ्रिलर से कम थोडे ही है.:)
Delete2.अहा भतीजे खुशदीप, सुनिता जी की तरह मुझे भी क्यों लग रहा है कि मक्खन ही मक्खन के हिंट दिये जा रहा है?
रामराम.
hart garden-garden ho gawa..........
ReplyDeleteis post ke liye barke bhaiya ko vishesh abhar.........
pranam.,
शुक्रिया सतीश जी इस आयोजन के लिए आपकी टिपण्णी के लिए ......
ReplyDeleteबराबर हमारी टिप्पणियाँ स्पैम में जा रहीं हैं निकालिए .....
ReplyDeleteडायरेक्टर प्रोड्यूसर सतीश जी है, और हीरो ताऊ है तो फिर फिल्म तो अपने आप ही हिट हो जानी है,, ताऊ को मेरा पहला सादर नमस्कार, क्योंकि उसके बाद पता नही नमस्कार हो न हो, क्योंकि जब हास्य व्यंग्य शुरू होगा तो फिर किया होगा ये ताऊ ही मुझसे बेहतर बता सकते है, क्यों ताऊ ठीक बोला सा मैं अक कीमे कुछ रोला रहगा , कुछ गलत कहा तो माफ़ी चाहूँगा वैसे ना भी माफ़ करो तो भी चलेगा, बस यूही सभी को गुदगुदाते रहो ....आभार
ReplyDeleteआगे नमस्कार क्यों नही होगी? अभी तो नमस्कार का खाता ही खुला है.:)
Deleteशौर्य जी, वैसे जिंदगी में हंसी मजाक के अलावा रखा भी क्या है? गम तो जमाने के यूं ही बहुत हैं.
रामराम.
राम राम ताऊ , आपने सही कहा अब तो बात होती रहेंगी ,
Deletemai bhi tauu ram -puriya ji ki baatoon se shat pratishat sure hun/
ReplyDeletepoonam
समर्थन देने के लिये आभार.
Deleteरामराम.
मक्खन को खोजना मुश्किल ही नामुमकिन है.
ReplyDeleteसारे पुरुस्कार आपस में लड़ झगड़ कर छीन लिए सबने....हमतक तो समाचार पहुंचा देते सम्मेलन का...हम भी पुरुस्कार छीनने आ जाते...नहीं तो कम से कम हवाई जहाज में बैठने का सुख ले लेते...फ्री में कनाडा औऱ अमेरिका औऱ पीट्सरबर्ग की सैर हो जाती ..वरना हम तो गुगल मैप में ही दुनिया घूमते रह जाएंगे ...इतने बड़ेृ-बड़े लोगो को लड़ते देख कर बड़ी शर्म आ रही है..शर्म के मारे मैं आइसक्रीम नहीं खा पा रहा हूं....हम जैसे बालकां का अवार्ड छीन कर कोई सुखी नहीं रहेगा...समझे लें हां...चाहे ताउ हों...उड़नतश्तरी हो...या फिर खुशदीप सहगल...बच्चों के मुंह से निवाला. (पुरुस्कार) छीनते किसी को शर्म नहीं आई....
ReplyDeleteआजकल बच्चे होशियार हो गए हैं ...
Deleteकम से कम एक पुरस्कार रोहितास कुमार तो ले ही जायेंगे , आइसक्रीम खा के दो तीन धाँसू कमेन्ट ब्लॉग बाबाओं के यहाँ मार आना ...
घर आके पुरस्कार दे के जायेंगे बाबा लोग ..
आयुष्मान भव..
@ रोहिताश कुमार
Deleteआपका रजिस्ट्रेशन हो चुका है और यार तुम्हारा अवार्ड कोई नही छीन सकता, तुमको युवा ब्रिगेड का सेकेरेटरी पद देना फ़िक्स हो चुका है. अब चकाचक रोज आईसक्रीम खाना और हमारे अध्यक्ष महोदय को भी खिलाते रहना.:)
रामारम.
भई बहुत सस्पेंस है यहाँ... पोस्ट के साथ-साथ कमेंट पढ़कर बड़ा आनंद आया... शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर।।।
ReplyDeleteहम तो पहचानने से रहे मक्खन जी को, तो पुरस्कार के लिए कनाडा आना तो कैंसिल... मगर आँखों देखा हाल कनाडा टी.वी द्वारा जब प्रसारित हो तो ज़रूर बताएं. विजेता को अभी से शुभकामनाएँ. तस्वीर में ब्लॉगरों को देखना अच्छा लगा.
ReplyDeleteघमासान महायुद्ध!!
ReplyDeleteचलिए जिसका भी झंडा बुलंद हो उसको हार्दिक बधाई!
जब तक हम आये हाँफते हाँफते
ReplyDeleteतब तक तो सारे चेयरमैन, शिप पर सवार हो चलते बने
हमने तो सोचा था कंप्यूटर के सामने चेयर पर जमे रहने वाले मैन हैं अपन
सो अपना ही नंबर लगेगा
लेकिन अब समझ आया कि जिसके पास मक्खन होगा वही इधर उधर लगा कर काम बनाया जा सकता है
ठीक है सतीश जी,
देख लूंगा आपको, अबकी बार दिल्ली आया तो
बहुत दिन हो गए आमने सामने की मुलाक़ात में :-)
हा..हा..हा...हा...
ReplyDeleteबड़ी देर की मेहरबां आते आते ..
सारा मख्खन लुटा मेरे घर आते आते !!
:)
विदेश यात्रा की आशंका नहीं होती तो अब भी कोशिश कर लेते। लेकिन जोखिम मोल लेने की हिम्मत अब नहीं रही। माफ करें। मेरे भरोसे बिलकुल न रहें।
ReplyDeleteताऊ, एक और कस्टम-मेड पुरस्कार की घोषणा करनी पड़ेगी बैरागी जी के लिए -
Deleteअटल आसन पुरस्कार