Saturday, February 1, 2014

लानत है, इस संकीर्ण सोंच के लिए - सतीश सक्सेना

कल इसी देश के एक बच्चे को पीट पीट कर राजधानी में मार दिया गया जबकि वह अपना प्रान्त और भाषा छोड़ कर सबसे विकसित शहर दिल्ली में शिक्षा लेने आया था ! सुदूर उत्तर पूर्व क्षेत्र के, हमारे यह सीधे साधे देशवासी, भारत वासी होने का क्या अभिमान करें ?

जाति, धर्म, भाषा और प्रांतीयता में आकंठ डूबे, विद्वता का दम भरते, हम संकीर्ण भारतीय, मरते दम तक अपने अपने झंडे उठाये, आपस में एक दुसरे को भला बुरा कहते रहेंगे बस यही हमारी पहचान है ! इस पूरे देश को, १९४७ से पूर्व ३०० - ४०० राज्यों में बाँट देना चाहिए और हम उसी छुद्र अभिमान के योग्य हैं !     

हमारी संकुचित अशिक्षित मनस्थिति, हज़ारों किलोमीटर दूर फैले, हमारे ही विभिन्न रीतिरिवाज और संस्कृतियों को अपनाने में बुरी तरह फेल हुई है ! बिहारी, मराठी, गुजराती, मद्रासी मानसिकता में साँसे भरते हम संकीर्ण देसी लोग, विश्व में कहीं रहने योग्य नहीं हैं !       

यह देश अब एक विकलांग सोंच  का मालिक है जहाँ औरों से घृणा के अलावा और कुछ नहीं है  हम भारतीयों  के पास, शायद विश्व के सबसे संकीर्णमना देशों में से एक हैं हम !

यह देश सभ्य लोगों के रहने योग्य नहीं !
Ref : http://indianexpress.com/article/cities/delhi/delhi-arunachal-boy-beaten-to-death-by-shopkeepers-in-lajpat-nagar-say-reports/

20 comments:

  1. सार्थक बात कही है आपने .

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  2. आप सही कहते हैं। हमें मनुष्यों से घृणा करना पीढ़ियों से सिखाया जाता रहा है, जो अभी भी जारी है।

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  3. जाने इस संकीर्णता से कब मुक्त होंगें ....

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  4. वाकई बेहद दुखद...बहुत घृणित और चिंतनीय हादसा....

    सादर
    अनु

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  5. har jagah anachar aur atyachar ho raha ....dukhad paristhiti ....

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  6. हम करते यही हैं
    बस ढोल पीटते
    कुछ और कहीं हैं
    कुछ भी ठीक
    कहाँ चल रहा है
    बस वो ऑल इस
    वैल कहने को
    मजबूर कर रहा है !

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  7. संस्कृति की बात करने वाले ,उदार चरिताम टतू वसुधैव कुटुम्बकम की शिक्षा देने वाले देश में इस प्रकार की धटना शर्मनाक है ...अपराधी को कठोर दण्ड मिलना चाहिए !
    New post Arrival of Spring !
    सियासत “आप” की !

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  8. इस घटना को अख़बार में पढ़ा टी वी पर देखा
    वाकई निंदनीय घटना है !

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  9. चुल्लू भर पानी में डूब मरने योग्य

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  10. एक , दो ,चार घटना पूरे देश के हालात बयान नहीं कर सकती। देश के नहीं , देश में रहने वाले नफरत भरे बाशिंदों के काम हैं , नफरत की राजनीति इसकी जिम्मेदार है ! इसलिए इस देश को नहीं , बुरे विचारों को कोसें !
    दुखद !

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  11. आश्चर्यजनक और दुखद

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  12. हम कितने संज्ञा-शून्य होते जा रहे हैं ।

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  13. विवेकहीन ओर असंवेदनशील .... क्या होता जा रहा है ... सभ्यता नाम की चीज़ शायद खत्म होती जा रही है ...

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  14. कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ :-(

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  15. दुखित और निंदनीय कृत्य है.

    रामराम.

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  16. बहुत दुखद घटना..

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- सतीश सक्सेना

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