Sunday, June 15, 2014

अलंकार,श्रंगार बिना हम दिल की बातें करते हैं ! -सतीश सक्सेना

ओठों पर आ जाए जो उस गीत की बातें करते हैं !
जो मन को छू जाये उस संगीत की बातें करते हैं !

अम्मा दादी नानी बाबा से  हम चलना सीखे हैं ,
स्नेही आँचल में कटे , अतीत की बातें करते हैं !

जीवन भर तस्वीर संजोये , लेकिन ढूंढ न पाए हैं,
अपने सपनों में आये उस मीत की बातें करते हैं !

हमको कौन शाबाशी देगा , सन्नाटों में रहते  हैं !
कब्रों के संग बैठ जमीं से, प्रीत की बातें करते हैं !

कंगूरों से  रही लड़ाई ,  इंसानों से प्यार किया !
ऐसे बुरे समय में भी हम, जीत की बातें करते हैं ! 

14 comments:

  1. खूबसूरत रचना...

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  2. बहुत सुंदर कविता।

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  3. कविता,ग़ज़ल,उमंग जगाते गीत की बातें करते हैं !
    जो मन को छू जाये उसी संगीत की बातें करते हैं !

    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  4. आपकी हर रचना लाजवाब होती है ।

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  5. अम्मा दादी नानी बाबा छुटकी गुड्डन समझ सकें !
    अलंकार,श्रंगार बिना हम दिल की बातें करते हैं !

    बहुत सुंदर सतीश जी । कविता वही जो सबके समझ में आये।

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  6. बहुत सुन्द्र भाव,भावपूर्ण प्रस्तुति

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  7. हमको कौन शाबाशी देगा सन्नाटों में चलते हैं !
    कब्रों के संग बैठ जमीं पर उनसे बातें करते हैं !

    बेहद सुंदर...

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  8. bahut sundar v bebak prastuti .aabhar

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  9. अंतर में ले सद्-विचार , व्यवहार की बातें करते हैं -
    आदत है आपकी !

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  10. लक्ष्य भूल कर इधर उधर न जाने मन यह कहॉ गया ।
    अपने लिए कहॉ फुरसत औरों की बातें करते करते हैं ।
    सुन्दर रचना । बधाई ।

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  11. कविता,ग़ज़ल,उमंग जगाते गीत की बातें करते हैं !
    जो मन को छू जाये उसी संगीत की बातें करते हैं !

    ...........भावपूर्ण प्रस्तुति सतीश जी

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  12. Very beautiful poem - great reflection with simple examples. Regards.

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  13. अलंकार,श्रृंगार के बगैर हैं आपके गीत तब ही तो दिल को छू जाते हैं---खूबसूरत रचना।

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  14. अनुपम सृजन

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- सतीश सक्सेना

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