Monday, June 16, 2014

उनको द्वारे पे ही अल्लाह याद आएंगे -सतीश सक्सेना


आज हम मुद्दतों के बाद , वहाँ जाएंगे !
ये तो तय है ,वे मुझे देख के घबराएंगे !

एक अर्से के बाद,दर पे उनके आया हूँ !
सामने पा ,उन्हें अल्लाह  याद आएंगे !

काश उस वक़्त,सहारे के लिए हो कोई !
वे मुझे  देख के हर हाल, लडख़ड़ायेंगे !

वे तो शायद मुझे, पहचान ही नहीं पाएं !
जवां आँखों से छिने ख्वाब याद आएंगे !

यादें उनको तो वहीँ छोड़ के आना होगा !
वरना मिलने पे तो , वे होंठ थरथराएँगे !

16 comments:

  1. ढाई आखर को उन्हें भूल के आना होगा !
    वरना याद आने पे , वे होंठ थरथराएँगे !

    ........वाह क्या बात है..ही पुराना ज़बरदस्त अंदाज़ :))

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  2. तुझे देख कर अगर
    लड़खड़ाना होगा
    पता पहले से
    होनी चाहिये ये बात
    उस दिन कुछ भी
    पी के नहीं आना होगा । :)

    बहुत खूब :)

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  3. सचमुच ढाई आखर भूलने का वक्त क्या आ पहुंचा! ?

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  4. sir ji wakai padhate padhate gungunane hi lage.... maza aa gaya

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!

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  6. वे तो शायद मुझे, पहचान ही नहीं पाएं !
    पर इन आँखों से छिने ख्वाब याद आएंगे !
    ...वाह..क्या बात है...बहुत सुन्दर...

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  7. क्या बात है
    जबरदस्त

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  8. एक अर्से के बाद, दर पे उनके आया हूँ !
    देख मुझको, उन्हें अल्लाह याद आएंगे ..
    बहुत खूब ... जुड़ा अंदाज़ की रचना है ... हर शेर जैसे चुभती बात कहता हुआ ...

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  9. भाव - प्रवण , सुन्दर गीत ।

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  10. very well said. absolutely lovely.

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  11. काश उस वक़्त,सहारे के लिए हो कोई !
    वे मुझे देख के, हर हाल, लडख़ड़ायेंगे !

    वे तो शायद मुझे, पहचान ही नहीं पाएं !
    पर इन आँखों से छिने ख्वाब याद आएंगे !
    सीधी और सटीक पंक्तियाँ

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- सतीश सक्सेना

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