Monday, April 25, 2016

रिटायरमेंट के बाद रनिंग, जिसने जीवन ही बदल दिया - सतीश सक्सेना

वाह !!
मशहूर रनर तनवीर काज़मी का लगातार 100 दिन दौड़ने का न्योता मिला है ! नियमों के अनुसार 30 अप्रैल को पहले रन से , जो कम से कम 2 km का होगा, शुरू करके 7 अगस्त तक हर हालात में चाहे भयंकर वारिश हो अथवा बीमार हों,अथवा सफर में हों, बिना नागा दौड़ना होगा ! इसमें बंदिश 2 किलोमीटर की रहेगी, अगर आप बारिश या सफर में हैं तब छोटे छोटे टुकड़ों में ही सही पर दो किलोमीटर दूरी तय करना अनिवार्य होगी इसमें इनडोर अथवा ऑफिस में होने की स्थिति में ट्रेडमिल रनिंग भी शामिल है , जिसे आप अपने मोबाइल अथवा जी पी एस सिस्टम पर रिकॉर्ड कर सकते हैं !

मैं समझता हूँ कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जिसने कभी घर पर अथवा ऑफिस में शारीरिक मेहनत या एक्सरसाइज नहीं की, उसके लिए इस उम्र में अपने शरीर और शक्ति को फिट रखने के लिए अपने नाकारा पैरों से दौड़ना निस्संदेह हिम्मत वाला फैसला रहा है ! अब जैसे जैसे मैं झिझक छोड़कर इन इवेंट्स में हिस्सा ले रहा हूँ वैसे वैसे हर एक नए रन के साथ, अपरिमित मानवीय शक्ति  को महसूस करके, आत्मविश्वास से सराबोर हो रहा हूँ इन इवेंट्स में जब मैं अपने से अधिक कमजोर और उम्रदराज लोगों का रनिंग स्पीड और रिकॉर्ड देखता हूँ तब आँखे खुली रह जाती है और दिल करता है कि जब ये लोग कर सकते हैं तब मैं क्यों नहीं ?
और यह न समझना कि यह रनर, पहलवान टाइप लोग हैं, सुबह सुबह अँधेरे में यह दौड़ने वाले बेहतरीन रिकॉर्ड होल्डर प्रबुद्ध लोगों में से अधिकतर लोग अपने जीवन के उच्चतम शिखर पर हैं , इनमें विदेशी कंपनियों में कार्यरत उच्च पदस्थ अधिकारी , डॉक्टर, सी ई ओ, डायरेक्टर ,जी एम आदि जैसी बड़ी पोस्ट पर कार्यरत लोग शामिल हैं !
बहरहाल पिछले कुछ माह में ही सिर्फ रनिंग के बदौलत लटकी हुई थुलथुल तोंद 90 प्रतिशत गायब हो गयी है , 74 kg वजन पिछले ७ माह में घटकर 66 किलो रह गया है , बीपी आदि बीमारियां कहाँ गईं पता ही नहीं चला ! जिस पसीने से कभी चिढ थी, उसी पसीने से दौड़ने के बाद सुबह सुबह पूरे कपडे लथपथ हो जाते हैं , अब गीले कपड़ों को देख अपनी मेहनत और शक्ति पर प्यार आता है ! बुढ़ापे के लटके हुए मसल्स आश्चर्य जनक रूप मजबूत हो गए हैं और शीशे में खुद को बार बार देखने का मन करता है !
६० वर्ष से पहले, जो व्यक्ति कभी पूरे जीवन में 50 मीटर न दौड़ा हो वह पिछले 7 माह में  102 रनों के जरिये 885 km दौड़ चुका है और इन दिनों मेरा प्रति सप्ताह रनिंग एवरेज 32 km है ! यह आश्चर्यजनक है , मैं जीवन में कभी एथलीट नहीं रहा और मात्र 7 माह पहले मैं अपने इस कारनामे के बारे में सोंच भी नहीं सकता था !
सबसे आश्चर्यजनक बदलाव अपने मानसिक व्यवहार में आया है , गाडी ड्राइव करने का दिल ही नहीं करता , एक दिन 12 बजे धूप में 2 km दूर एक मॉल तक आराम आराम से दौड़ता पंहुच गया था और बहुत अच्छा लगा था ! इससे पहले मैं, जीवन में कभी सलाद अथवा फल नहीं खाता था अब मनपसंद शोरवे की सब्ज़ी, दम आलू ,परांठे, जलेबी रबड़ी अथवा लेट नाईट डिनर अच्छे ही नहीं लगते ! 
रन मशीन तनवीर काज़मी केडेन्स डिज़ाइन सिस्टम में कंसलटेंट हैं , उनका आवाहन ठुकराया नहीं जा सकता और यह बेहद चैलेंजिंग है , अब आज से पांच दिन के बाद लगातार सौ दिन तक रोज दौड़ना होगा , मुझे यकीन है सौ दिन बाद , आग में तपकर एक नया सतीश बाहर आयेगा ! 
इस आवाहन के लिए धन्यवाद तनवीर काज़मी !! 

(http://navsancharsamachar.com/100-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A5%9C%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B6/#respond)

20 comments:

  1. चलिये आप दौड़िये हम आपको दौड़ते हुऐ देखते हैं कुछ भला हमारा भी होगा जरूर होगा शुभकामनाएं ।

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  2. बहुत प्रेरणाप्रद कार्य और लेख भी अनुभव की आंच में तपा, दिल से निकला और दिल तक पहुंचा। आपकी लगन और दृढ निश्चय की दिल से प्रशंसा करती हूं। इसे बनाए रखिए।

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  3. आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं सतीश भाई आप तो हमारे अनिल कपूर हैं बोले तो झक्कास ऐसे कई रिकार्ड और नए कीर्तीमान अभी ध्वस्त होने हैं आपके द्वारा .,.जय हो जाइए ..चख दे फट्टे

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  4. आपके इस जज़्बे कप सलाम सतीश भाई!

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  5. सतीष जी,
    सच में बहुत अच्छा लगा इस पोस्ट को पढ़कर । एक जमाने में जब मैं ब्लॉग पर दौड़ने भागने के बारे में लिखा करता था तो और कोई धावक साथी न था हिंदी ब्लॉगजगत में । आपको पोस्ट ने प्रेरित किया है कि फिर से झाड़ पोंछ कर जूते निकाल कर नए सिरे से ट्रेनिंग शुरू की जाए ।
    तनवीर से कभी मिला नहीं लेकिन उनसे दौड़ने से समबन्धित कई बार बात हुयी ।

    इस पोस्ट को देखिये जब बरसों पहले मैं दौड़ने के बारे में लिखा करता था ।

    http://antardhwani.blogspot.com/2011/01/blog-post.html

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    1. भरोसा नहीं होता कि नीरज रोहेला मैराथन धावक हैं और हमें पता तक नहीं था , उससे भी बड़ा आश्चर्य यह है कि मैराथन 3 घंटा 26 मिनट में पूरा करने वाला रनर , रनिंग को छोड़ कैसे सकता है ?
      बहरहाल बधाई स्वीकार करें , और नए शुरू से शुरू करें अपनी पहचान उसी जगत में दुबारा बनाना, जिसे आप भूले हुए थे ! एक अनुरोध और कृपया पुरानी दौड़ों की डिटेल अवश्य दें ताकि हम जैसे नौजवान समझ सकें कि हम गलती कहाँ कर रहे हैं ! आपके टिप का इंतज़ार रहेगा !!
      मंगलकामनाएं !!

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  6. वाह ! कमाल का जज्बा है, तनवीर काजमी जी को बहुत बहुत धन्यवाद और आपको बधाई !

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  7. बहुत सुंदर ... हार्दिक बधाई

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  8. शुभकामनाएं

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  9. बहुत ही सुन्दर , विल पावर (will power )हो तो इंसान कभी भी कुछ भी कर सकता है फिर न आयु आड़े आती है और न होंसले की कमी , आपका प्रयास बहुत ही सराहनीय है , अब शायद आप खुद को जीवन में सब से ज्यादा स्वस्थ महसूस कर रहे होंगे ,बधाई

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  10. अनुकूल मौसम में तो हर कोई नाव चला सकते हैं
    पर तूफां में कश्ती पार लगाने वाले विरले ही होते हैं
    कठिन राह को जो आसाँ बना मंजिल तक पहुँचते हैं
    वही धुन के पक्के इन्सां एक दिन चैंपियन बनते हैं

    ..हार्दिक शुभकामनाओं सहित

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  11. शरीर ही नहीं लगता है आप का मन भी सकारात्मक दिशा में दौड़ रहा है इसी के चलते
    आश्चर्यजनक बदलाव आप अपने मानसिक व्यवहार में अनुभव कर रहे है !
    अनंत शुभकामनाएँ मेरी तरफ से आगामी लक्ष्य प्राप्ति के लिए !

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  12. बहुत प्रेरक

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  13. आप का जज़्बाम दूसरों के लिए प्रेरणा।

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  14. आप का जज़्बा, दूसरों के लिए प्रेरणा

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  15. आप अद्भुत हैं ....आपकी सोच आपकी हिम्मत ....कमाल. इस उम्र में लोगों ओ निराश हताश जीवन से हारा हुआ -सा देखा है या ऐसी बाते करते सुना है.सच कहूँ....नफरत होती है ऐसे लोगों से. मेरे रोल मोडल्स तो जोहरा सहगल जैसी अभिनेत्री है. ज़िन्दगी जोश के साथ जीने वाले लोग....जिनके जीवन में 'असम्भव' शब्द नही.
    आपका यह लेख मैंने गोस्वामीजी और अपने बेटे को भी पढकर सुनाया.
    'डायमण्ड और प्योर पर्ल चुनती हो तुम हमेशा'-गोस्वामीजी बोले.
    मैंने कहा 'येस्स्स्स. ब्लॉग की दुनिया में भी डायमण्ड और पर्ल ही.....'

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    1. शुक्रिया आपके प्यार और स्नेह के लिए .... मैं जानता हूँ आपको !!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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