Friday, November 25, 2016

ईद को ख़तरा बताते, आज भी कुछ लोग हैं - सतीश सक्सेना

अमन को बरबाद करते,आज भी कुछ लोग है,
नफरतों का गान करते,आज भी कुछ लोग हैं !

रूप त्यागी सा, प्रबल आवाज, मन में धूर्तता !
देश का विश्वास हरते,आज भी कुछ लोग हैं !

रंग, सिवइयां जाने कब से, ही रहे हैं, साथ में,
ईद को ख़तरा बताते, आज भी कुछ लोग हैं !


धूर्त मन,मक्कार दिल,पर ओढ़ चादर केसरी,
देशभक्त स्वरुप रखते आज भी कुछ लोग हैं !

हमको लड़ना ही पड़ेगा , इन ठगों से, गांव में,

कौम को मुर्दा समझते,आज भी कुछ लोग हैं !

6 comments:

  1. इससे पहले ये कुछ
    बहुत कुछ हो जायें
    खुदा करे जगें
    आँखे खोलना
    सुनना लोग
    सीख जायें ।

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  2. "रंजिशें कम हो न पाएं, वोट इनको ही मिले,
    शोर बेशुमार करते, आज भी कुछ लोग हैं"

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. very nice article …. Thanks for sharing this!! 🙂

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  4. बहुत सुंदर रचना ।

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  5. Bahut khoob ... tez ... dhardaar ... teekhe shabd ...

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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