अमन को बरबाद करते,आज भी कुछ लोग है,
नफरतों का गान करते,आज भी कुछ लोग हैं !
रूप त्यागी सा, प्रबल आवाज, मन में धूर्तता !
देश का विश्वास हरते,आज भी कुछ लोग हैं !
रंग, सिवइयां जाने कब से, ही रहे हैं, साथ में,
ईद को ख़तरा बताते, आज भी कुछ लोग हैं !
धूर्त मन,मक्कार दिल,पर ओढ़ चादर केसरी,
देशभक्त स्वरुप रखते आज भी कुछ लोग हैं !
हमको लड़ना ही पड़ेगा , इन ठगों से, गांव में,
कौम को मुर्दा समझते,आज भी कुछ लोग हैं !
नफरतों का गान करते,आज भी कुछ लोग हैं !
रूप त्यागी सा, प्रबल आवाज, मन में धूर्तता !
देश का विश्वास हरते,आज भी कुछ लोग हैं !
रंग, सिवइयां जाने कब से, ही रहे हैं, साथ में,
ईद को ख़तरा बताते, आज भी कुछ लोग हैं !
धूर्त मन,मक्कार दिल,पर ओढ़ चादर केसरी,
देशभक्त स्वरुप रखते आज भी कुछ लोग हैं !
हमको लड़ना ही पड़ेगा , इन ठगों से, गांव में,
कौम को मुर्दा समझते,आज भी कुछ लोग हैं !
इससे पहले ये कुछ
ReplyDeleteबहुत कुछ हो जायें
खुदा करे जगें
आँखे खोलना
सुनना लोग
सीख जायें ।
"रंजिशें कम हो न पाएं, वोट इनको ही मिले,
ReplyDeleteशोर बेशुमार करते, आज भी कुछ लोग हैं"
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. very nice article …. Thanks for sharing this!! 🙂
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteBahut khoob ... tez ... dhardaar ... teekhe shabd ...
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