@मेरा रक्तचाप असहज है।
ये शर्मनाक है मेरे लिए। मूर्ख हूं मैं। संसार को ठीक होने की नसीहतें बकता रहता हूं लेकिन खुद के प्रति लापरवाही करता हूं। ये निपट चूतियापा है।
मेरी जरूरत है मुझे और हमारे अपनों को। जैसे मुझे जरूरत है उनकी तो... पहली शर्त कि सब ठीक रखने की जरूरत है। केवल मन ही नहीं तन और धन भी।
... तो जय हो!
अब बस! बहुत हुआ.... बहुत हुई लापरवाही और बहाने, टाला जाना। तंग आ गया हूं मैं खुद से। अब और नहीं।
ये धोखा है, खुद से, अपनों से, उनसे जो आपसे प्यार करते हैं। ये सही नहीं है।
...आप मुझे सुधारने में मेरी मदद करें प्लीज। लताड़िए मुझे।
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ये हैं कृष्ण आनंद चौधरी के ये सहज शब्द जो बिना किसी दिखावे के बोले गए, पढ़कर आनंद आया, थोड़ा गुस्सा भी कि अगर इन जैसा भव्य व्यक्तित्व भी बीमारियों का शिकार होगा तो सामान्य जन से क्या शिकायतें करनी , आनंद इसलिए आया कि आनंद के लिए अपना बीपी बिना दवा के सहज रखना बेहद आसान है , रनिंग जैसी मस्ती सीखते ही बीपी के साथ ह्रदय रोग की चिंताएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी !
हमारे पिछड़े समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिना दिखावे के सहज हो सकें , वे असहज हैं क्योंकि उन्हें खुलापन पसंद नहीं , वे असहज हैं क्योंकि वे सोंचते हैं कि मजाक करने और खुलकर बोलने पर न जाने लोग क्या सोंचेंगे , वे असहज हैं क्योंकि वे हर हंसी के पीछे कुछ कारण ढूंढने लगते हैं , दुनियाभर के कॉम्प्लेक्स लिए ये लोग , खुल कर हंसना चाहते हैं पर दूसरों के सामने हंस नहीं पाते ! आइये मुक्त अंदाज़ सीखिये आज और बीमारियों को भगाइये ....
- सबसे पहले शुरुआत करते हैं एक मस्त गाने से इसे सुनिए और गाकर दिखाइए और हो सके तो नाचिये भी झूम के, अगर शर्म आये तो सोंचिये कि आपको कोई नहीं देख रहा ....
https://www.youtube.com/watch?v=-11EKfRYU2o
...... क्रमश:
ये शर्मनाक है मेरे लिए। मूर्ख हूं मैं। संसार को ठीक होने की नसीहतें बकता रहता हूं लेकिन खुद के प्रति लापरवाही करता हूं। ये निपट चूतियापा है।
मेरी जरूरत है मुझे और हमारे अपनों को। जैसे मुझे जरूरत है उनकी तो... पहली शर्त कि सब ठीक रखने की जरूरत है। केवल मन ही नहीं तन और धन भी।
... तो जय हो!
अब बस! बहुत हुआ.... बहुत हुई लापरवाही और बहाने, टाला जाना। तंग आ गया हूं मैं खुद से। अब और नहीं।
ये धोखा है, खुद से, अपनों से, उनसे जो आपसे प्यार करते हैं। ये सही नहीं है।
...आप मुझे सुधारने में मेरी मदद करें प्लीज। लताड़िए मुझे।
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ये हैं कृष्ण आनंद चौधरी के ये सहज शब्द जो बिना किसी दिखावे के बोले गए, पढ़कर आनंद आया, थोड़ा गुस्सा भी कि अगर इन जैसा भव्य व्यक्तित्व भी बीमारियों का शिकार होगा तो सामान्य जन से क्या शिकायतें करनी , आनंद इसलिए आया कि आनंद के लिए अपना बीपी बिना दवा के सहज रखना बेहद आसान है , रनिंग जैसी मस्ती सीखते ही बीपी के साथ ह्रदय रोग की चिंताएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी !
हमारे पिछड़े समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिना दिखावे के सहज हो सकें , वे असहज हैं क्योंकि उन्हें खुलापन पसंद नहीं , वे असहज हैं क्योंकि वे सोंचते हैं कि मजाक करने और खुलकर बोलने पर न जाने लोग क्या सोंचेंगे , वे असहज हैं क्योंकि वे हर हंसी के पीछे कुछ कारण ढूंढने लगते हैं , दुनियाभर के कॉम्प्लेक्स लिए ये लोग , खुल कर हंसना चाहते हैं पर दूसरों के सामने हंस नहीं पाते ! आइये मुक्त अंदाज़ सीखिये आज और बीमारियों को भगाइये ....
- सबसे पहले शुरुआत करते हैं एक मस्त गाने से इसे सुनिए और गाकर दिखाइए और हो सके तो नाचिये भी झूम के, अगर शर्म आये तो सोंचिये कि आपको कोई नहीं देख रहा ....
https://www.youtube.com/watch?v=-11EKfRYU2o
...... क्रमश:
सार्थक प्रेरक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteगाना सुन लिये अच्छा है। पर बी पी की गोली बन्द करने का रिस्क नहीं ले सकते हैं आपके जितने बहादुर भी नहीं हैं ।
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