Friday, December 9, 2016

बीपी की गोलियां बंद करने के लिए सबसे पहले सहजता अपनाएँ (पार्ट -1)

@मेरा रक्तचाप असहज है।
ये शर्मनाक है मेरे लिए। मूर्ख हूं मैं। संसार को ठीक होने की नसीहतें बकता रहता हूं लेकिन खुद के प्रति लापरवाही करता हूं। ये निपट चूतियापा है।

मेरी जरूरत है मुझे और हमारे अपनों को। जैसे मुझे जरूरत है उनकी तो... पहली शर्त कि सब ठीक रखने की जरूरत है। केवल मन ही नहीं तन और धन भी।
... तो जय हो!
अब बस! बहुत हुआ.... बहुत हुई लापरवाही और बहाने, टाला जाना। तंग आ गया हूं मैं खुद से। अब और नहीं।
ये धोखा है, खुद से, अपनों से, उनसे जो आपसे प्यार करते हैं। ये सही नहीं है।
...आप मुझे सुधारने में मेरी मदद करें प्लीज। लताड़िए मुझे।
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ये हैं कृष्ण आनंद चौधरी के ये सहज शब्द जो बिना किसी दिखावे के बोले गए, पढ़कर आनंद आया, थोड़ा गुस्सा भी कि अगर इन जैसा भव्य व्यक्तित्व भी बीमारियों का शिकार होगा तो सामान्य जन से क्या शिकायतें करनी , आनंद इसलिए आया कि आनंद के लिए अपना बीपी बिना दवा के सहज रखना बेहद आसान है , रनिंग जैसी मस्ती सीखते ही बीपी के साथ ह्रदय रोग की चिंताएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी !
हमारे पिछड़े समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिना दिखावे के सहज हो सकें , वे असहज हैं क्योंकि उन्हें खुलापन पसंद नहीं , वे असहज हैं क्योंकि वे सोंचते हैं कि मजाक करने और खुलकर बोलने पर न जाने लोग क्या सोंचेंगे , वे असहज हैं क्योंकि वे हर हंसी के पीछे कुछ कारण ढूंढने लगते हैं , दुनियाभर के कॉम्प्लेक्स लिए ये लोग , खुल कर हंसना चाहते हैं पर दूसरों के सामने हंस नहीं पाते ! आइये मुक्त अंदाज़ सीखिये आज और बीमारियों को भगाइये ....
- सबसे पहले शुरुआत करते हैं एक मस्त गाने से इसे सुनिए और गाकर दिखाइए और हो सके तो नाचिये भी झूम के, अगर शर्म आये तो सोंचिये कि आपको कोई नहीं देख रहा ....
https://www.youtube.com/watch?v=-11EKfRYU2o
...... क्रमश:

2 comments:

  1. सार्थक प्रेरक प्रस्तुति ..

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  2. गाना सुन लिये अच्छा है। पर बी पी की गोली बन्द करने का रिस्क नहीं ले सकते हैं आपके जितने बहादुर भी नहीं हैं ।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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