इस भयावह समय में अपने आप को व्यस्त रखना और मस्त रहना बेहद आवश्यक है , इससे जीवनी शक्ति में ताज़गी बनी रहती है , इस शक्ति के आगे कोरोना अपने आपको बहुत कमजोर पाता है और एक सामान्य फ्लू से अधिक नुकसान नहीं कर पाता ! अधिकतर लोग इसे बढ़ाने के लिए खाने पीने पर अधिक जोर देते हैं मगर मेरा अपना अनुभव इससे अलग है ! किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसका फुर्तीला और तनाव रहित होना आवश्यक है ! तनाव दूर करने के लिए आप अपने आपको वे नए शौक सिखाएं जिससे मन जवानों जैसा प्रफुल्लित रहे , हर बीमारी के लिए दवा लेने न भागें और न खाएं अपनी शारीरिक शक्ति पर भरोसा रखना बहुत आवश्यक है , खुद पर भरोसा टूटने का अर्थ ही बुढ़ापे का आग़ाज़ है, बीमारियों की शुरुआत है !
शाब्बाश बुड्ढे ! यू कैन रन !
तवा बोलता छन छन छन !
सारे जीवन काम न करके
तूने सबकी वाट लगाईं !
ढेरों चाय गटक ऑफिस में
जनता को लाइन लगवाई !
चला न जाना अस्पताल में
बेट्टा , वे पहचान गए तो
जितना माल कमाया तूने
घुस जाएगा डायलिसिस में
बचना है तो भाग संग संग
रिदम पकड़ कर छम छम छम ,शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
जब से उम्र दराज बने हो
बीमारियों से भय मुक्ति का एक सरल उदाहरण देता हूँ जो मेरा अपना है , पढ़ने में दिक्कत होने पर मेरी आँख में चश्मा आज से लगभग 30 वर्ष पहले लगा था , और उसके बाद मैंने लगभग १५ वर्ष तक विभिन्न शक्ति के ग्लासेस उपयोग किये और बाद में धीरे धीरे छोड़ दिया , आज ६५ वर्ष की उम्र में मुझे चश्मा लगाने की आवश्यकता केवल बहुत छोटे शब्द पढ़ने पर ही पड़ती है यह पोस्ट मैं बिना चश्मे के लिख रहा हूँ और मुझे कोई परेशानी नहीं होती मेरे घर में +1 से लेकर +3 तक के कम से कम 10 चश्में रखें हैं जो मैंने समय समय पर अपने लिए ख़रीदे थे , मैं हमेशा सोचता रहा हूँ कि आई ग्लास के आविष्कार से पहले भी लोग अंधे नहीं हो जाते थे वे बखूबी देख सकते थे हम लोग जिस सुविधा की आदत डाल लें वही हमारी आदत में शुमार हो जाता है !
मैं पिछले ३ माह से घर में बंद हूँ , और सरकार की और से सीनियर सिटीजन के लिए बाहर निकलना निषेध भी है मगर आज सुबह एक मित्र जिनका घर लगभग 12 km दूर है ,को होम्योपैथिक दवा देने जाने के लिए , कपडे पहनने लगा था कि उनका फोन आ गया कि अब वे स्वस्थ हैं और आप इतनी दूर आने की तकलीफ न करें !हालाँकि मुझे इस उम्र में यह डर नहीं था कि मुझे खतरा हो सकता है !
अधिकतर लोग कहते हैं कि इस उम्र में बीमारियां इतनी हैं कि हंसने की हिम्मत ही नहीं होती , मुझे भी ५ वर्ष पहले ऐसी ऐसी बीमारियां थीं जो मुझे भय के कारण आराम से सोने भी नहीं देती थीं मगर ज़िंदा रहने की तेज इच्छा के कारण उनकी उपेक्षा करना शुरू की और एक आलसी और कमजोर शरीर से एक लम्बी दूरी का धावक निकल कर बाहर आया जो लगातार तीन घंटे तक बिना रुके दौड़ता था इस करामात ने जो मजबूत आत्मविश्वास दिया उससे न केवल चेहरे की रौनक जवानों से अधिक बेहतर बन गयी बल्कि मैं अपनी जवान शक्ति को महसूस भी करने लगा था और मैं वाकई हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया !!
जबरदस्त आत्मविश्वास और जवान इच्छा शक्ति आपकी उम्र बढ़ाने के लिए , और बीमारियों का आपके शरीर से नामोनिशान मिटाने के लिए काफी है दोस्त आप अपनी प्रतिरक्षा शक्ति पर यकीन तो करें !
एक कविता ऐसे ही किसी मस्त समय में लिखी है हालांकि मेरी उम्र के लोगों को यह कविता पसंद नहीं आएगी , इसे बेहद दोस्ताना अन्दाज़ में लिखा गया है और वे इसके आदी नहीं हैं , 50 वर्ष से ऊपर के लोग बच्चों की तरह हंसने में असहज होते हैं उन्हें सिर्फ सम्मान चाहिए और वह भी सभ्यता के साथ और जीर्ण शरीर और बुढ़ापा भी यही चाहते हैं !
शाब्बाश बुड्ढे ! यू कैन रन !
तवा बोलता छन छन छन !
सारे जीवन काम न करके
तूने सबकी वाट लगाईं !
ढेरों चाय गटक ऑफिस में
जनता को लाइन लगवाई !
चला न जाना अस्पताल में
बेट्टा , वे पहचान गए तो
जितना माल कमाया तूने
घुस जाएगा डायलिसिस में
बचना है तो भाग संग संग
रिदम पकड़ कर छम छम छम ,शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
जब से उम्र दराज बने हो
सबके आदरणीय बने हो
सारी दुनिया के पापों को
खुलके आशीर्वाद दिए हो !
साठ बरस का मतलब सीधा
साठ फीसदी ताकत कम
ह्रदय बहाए खून के आंसू
बरसे जाएँ झम झम झम
चलना फिरना छोड़ा कब से
घुटने रोते , चलते दम !
साँसें गहरी, भूल चुका है
ऑक्सीजन पहले ही कम
अभी समय है रक्ख भरोसा
गैंग बना कर धम धम धम , शाब्बाश बुड्ढे, यू कैन रन !
डायबिटीज खा रही तुझको
ह्रदय चीखता, जाएगा मर
सीधा साधा इक इलाज है
उठ खटिया से दौड़ने चल
आधे धड़ को पैर मिले हैं
उनको खूब हिलाता चल
ताकतवर शरीर होगा फिर
मगर तभी जब, मेहनत कर
सब देखेंगे जल्द , करेंगे
दुखते घुटने, बम बम बम , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
सारी दुनिया के पापों को
खुलके आशीर्वाद दिए हो !
इस सम्मान मान के होते
देह हिलाना भूल गए हो
पिछले दस वर्षों से दद्दू
छड़ी पकड के घूम रहे हो
आलस तुझको खा जाएगा
फेंक छड़ी को रन,रन,रन , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
देह हिलाना भूल गए हो
पिछले दस वर्षों से दद्दू
छड़ी पकड के घूम रहे हो
आलस तुझको खा जाएगा
फेंक छड़ी को रन,रन,रन , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
साठ बरस का मतलब सीधा
साठ फीसदी ताकत कम
ह्रदय बहाए खून के आंसू
बरसे जाएँ झम झम झम
चलना फिरना छोड़ा कब से
घुटने रोते , चलते दम !
साँसें गहरी, भूल चुका है
ऑक्सीजन पहले ही कम
अभी समय है रक्ख भरोसा
गैंग बना कर धम धम धम , शाब्बाश बुड्ढे, यू कैन रन !
डायबिटीज खा रही तुझको
ह्रदय चीखता, जाएगा मर
सीधा साधा इक इलाज है
उठ खटिया से दौड़ने चल
आधे धड़ को पैर मिले हैं
उनको खूब हिलाता चल
ताकतवर शरीर होगा फिर
मगर तभी जब, मेहनत कर
सब देखेंगे जल्द , करेंगे
दुखते घुटने, बम बम बम , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
जय मां हाटेशवरी.......
ReplyDeleteआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
28/06/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
इसी तरह हम बुड्ढों का उत्साहवर्धन करते रहें। बहुत खूब :) :) :)
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteसच दृद इच्छा शक्ति अपने अंदर उत्पन्न कर ली जिसने वह हर जंग जीतता चला जाता है
ReplyDeleteआप प्रेरक है हम सबके लिए
यूं ही निरंतर प्रेरणा सूत्र बने रहे
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक 3747)' पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
वाह! जवनोपयोगी जानकारी के साथ उत्साहवर्धन करता सृजन.
ReplyDeleteसादर
प्रेरणादायक पोस्ट
ReplyDeleteआप के लिए कुछ भी असंभव नहीं , ये सबके लिए प्रेरणादायक है ।
ReplyDeleteचश्मा लगा कर मैं भी नहीं पढ़ती । वास्तव में कभी जरूरत नहीं महसूस हुई ।
रेखा श्रीवास्तव
इस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट .
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा है आप मेरी रचना भी पढना
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