Friday, March 30, 2018

हेल्थ ब्लंडर -3 : सतीश सक्सेना

तीन वर्ष पहले जब मैं रिटायर हुआ तब BMI इंडेक्स के अनुसार मैं खतरे के निशान से काफी ऊपर था , और शरीर एयर कण्डीशन्ड माहौल का इस कदर अभ्यस्त था कि बाहर निकलते ही पसीना आता था !अपने दो मंजिले ऑफिस की सीढ़ियां चढ़ने के बाद रुक कर खड़ा होना आवश्यक था सो अधिकतर सुबह की सीढियाँ धीरे धीरे चढ़ता था ताकि लोग हांफते न देखें , सड़क पर पैदल चलना अजीब लगता था !

कभी अपने बॉस नवल किशोर सिंह को तेज धूप में दो किलोमीटर दूर अपने एक अन्य ऑफिस पैदल जाता हुआ देखता तब मुझे हैरानी होती कि ऐसी भी क्या कंजूसी कि थ्री व्हीलर तक नहीं करते , और एक दिन जब आपसी चर्चा में जब मैंने उनसे पूंछा तब उन्होंने कहा कि इस बहाने थोड़ा चलना हो जाता है अन्यथा शरीर को जकड़ने में देर नहीं लगेगी और उनके इस वाक्य ने मुझे आत्म निरीक्षण का मौक़ा दिया जो अपने को मजबूत समझते हुए कभी नहीं कर सका शायद यहीं से मेरे मन में कुछ संकल्प लेने की इच्छा जाग्रत हुई  नियमित वाक से शुरुआत करने का मन बना !

शुरुआत सिर्फ वाक से हुई थी जिसके अंत में मैं 1 मिनट धीरे धीरे दौड़ने का प्रयास करता था फलस्वरूप कुछ दिनों के बाद ही मैं लगभग 200 मीटर तक धीरे धीरे दौड़ने में सफल होने लगा ! दौड़ते दौड़ते अगर हांफने लगता था तब मैं पैदल चलने लगता था और जब साँस व्यवस्थित हो जाती तब फिर धीरे धीरे दौड़ने लगता ! लगभग 2 माह में ही हृदय की बंद आर्टरी, लगने लगा जैसे खुल गयीं हों अब मेरे हांफने में काफी सुधार महसूस होने लगा था साथ ही बीपी भी कभी बढ़ा हुआ नहीं मिला ! 


एलोपैथिक दवाओं पर मुझे कभी विश्वास नहीं रहा , मुझे पता था कि वे फायदा कम और नुकसान अधिक करती हैं और अगर वे इतनी अधिक उपयोगी होतीं तब विश्व के कई धनवान और शक्तिशाली लोग कम उम्र में ही कैसे मर गए ? कम से कम अमेरिका का राष्ट्रपति, मानव की एवरेज उम्र से अधिक तो जीना ही चाहिए था जो नहीं हुआ ! मेरे कुछ व्यक्तिगत डॉ मित्र अपने घर में एलोपैथिक दवाओं का उपयोग करते ही नहीं है या बेहद आवश्यक होने पर ही उपयोग करते हैं !

मानव शरीर बेहद जटिल है जिसके बारे में अभी भी वैज्ञानिकों को न के बराबर ही जानकारी रखते हैं , हर शरीर की अपनी प्रतिरक्षा शक्ति होती है जो परिस्थितियों के हिसाब से शरीर को सुचारु रूप से चलाये रखने के लिए क्रिया और प्रतिक्रियाएं करती है जिसे हम अस्वस्थता का नाम देते हैं और अधिकतर प्रतिरक्षा शक्ति कुछ समय में ही हमलावर को  समाप्त कर शरीर को फिर पहले जैसा बना देती है ! अस्वाभाविक स्थितियों से निपटते समय शरीर को दी गयीं खतरनाक दवाएं सिर्फ इम्यून सिस्टम के कार्य में व्यवधान ही उत्पन्न करती हैं, हाँ तात्कालिक आराम अवश्य मिल जाता है जिसके दूरगामी परिणाम होते हैं !

आज के मेडिकल साइंस में कोई बीमारी या कष्ट लेकर हॉस्पिटल जाइये, डॉ आपके शरीर के सारे टेस्ट करवाएगा और अगर कोई खतरनाक नाम की बीमारी का कोई अंश निकल आया तब सबसे पहले उसका  इलाज या ऑपरेशन करवाना होगा जिसलिये आये थे वह तो इस नयी खतरनाक बीमारी का नाम सुनते ही गायब हो चुकी होगी ! मेरे कई परिचित हॉस्पिटल में एडमिट किसी और कारण से हुए मगर टेस्ट में कैंसर की तलाश करा कर ऑपरेशन कैंसर का करा के बापस आये ! हॉस्पिटल का उद्देश्य उसके पुराने शरीर से एक बीमारी खोज निकालनी होती है जो शरीर में दबी हुई थी और उसके इलाज से धन की की सप्लाई जारी रहे !

शहर में अक्सर छोटी बड़ी कोई भी गाँठ हो उसे तत्काल निकलवाने की सलाह देते हैं जबकि भारत की ग्रामीण  जनता जिन्हे आज भी हॉस्पिटल का नाम नहीं मालूम बरसों से ऐसी गांठे शरीर के अंदर और बाहर लेकर आसानी से अपने सारे कार्य कर रहे हैं !

मेरे विचार से इम्यून सिस्टम  कैंसर के बढ़ते टिश्यू को गांठ के रूप में बनाकर कैद कर देता है और उसकी अनावश्यक बढ़वार रोकता है जबकि डॉ उस सुरक्षित गांठ को कुरेदकर पहले टेस्ट और बाद में ऑपरेशन कर उसे मुक्त कर देता है और कैंसर इस ऑपरेशन के बाद उन्मुक्त रूप से और तेजी से बढ़ता है !

अगर इंसान मौत के भय पर काबू पा ले तो मेरा  विश्वास है कि वह जब तक चाहे जी सकता है यह भय ही है जो उसे मौत के समीप ले जाता है ! 

63 वर्ष में दौड़ते हुए मैं हमेशा ....
-अपने आपको बीमार नहीं मानता और न उस बीमारी से डरता हूँ जो मुझे होती है !मैं खुद से कहता हूँ कि मेरा शरीर शक्तिशाली है और अपने  किसी बाहरी सहायता के खुद को ठीक कर लेगा !
-दौड़ते समय मस्ती के साथ अकेला दौड़ता हूँ और खुद को शाबाशी देता हूँ अक्सर दौड़ते हुए अपना फोटो खींचता हूँ और पोस्ट भी करता हूँ बिना इसकी परवाह किये कि कुछ लोग क्या कहेंगे !
- उदास कभी नहीं होता चाहे कितना ही अकेलापन क्यों न हो 
-मन में हमेशा एक भाव रहता है कि मैं यह कर सकता हूँ !
-अपनी उम्र के बारे में कभी नहीं सोंचता बल्कि और अक्सर आदरणीय , अंकल जी जैसे बोलने वालों से दूर रहना पसंद करता हूँ !
-बुजुर्गों जैसे कपडे पहनना या उनके जैसी बातें करना पसंद नहीं करता !
- अगर कंपनी बेहतर हो तब यदाकदा बियर या वाइन पीने में कोई परहेज नहीं और न छिपाता हूँ !
-मौत से नहीं डरता मुझे मालूम है वह कभी भी किसी भी समय हो सकती है अतः अपना हर क्षण आखिरी मानते हुए एन्जॉय करता हूँ ! 

दौड़ना सीखने की इच्छा तभी पूरी होगी जब संकल्प लें कि मैं दो माह बाद 5 km दौडूंगा और इस संकल्प को ढिंढोरा पीट कर उन सबको अवश्य बताइये जो आपको कमजोर मानते हैं और आप देखेंगे की आपने कर दिखाया !

जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये!

समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये ! 

Thursday, March 29, 2018

हेल्थ ब्लंडर -2 -सतीश सक्सेना

शारीरिक मेहनत करना मजदूरों का काम है , समर्थ लोगों को खुद काम करने की आवश्यकता ही क्या है, यह धारणा और अपना काम करने में लज्जा महसूस करना ,शायद हमारी ज़हालत की सबसे बड़ी पहचान है ! प्रकृति ने हमारे शारीरिक अनुपात में, हाथ और पैरों को सबसे बड़ा हिस्सा दिया है जिसका हमने उपयोग करना बंद कर
दिया, धन कमाने में उपयोग सिर्फ दिमाग के उस चालाक हिस्से का किया जिसका काम,बिना मेहनत किये अधिक से अधिक धन अर्जित करने का तरीका तलाश करना था और मानव बुद्धि ने बिना हाथ पैर हिलाये कमजोर व्यक्तियों के सामने रोटी फेंक, आराम उठाना सीख लिया और गद्देदार सोफे पर बैठकर टीवी देखते समय उसे अपने बॉडी कोर में अवस्थित किडनी ,लीवर ,हृदय ,पेन्क्रियास ,फेफड़ों की चीत्कार सुनाई नहीं पड़ी जो बिना व्यायाम के सुस्त और आलसी हो रहे थे !

बरसों आराम के परिणाम स्वरुप उत्पन्न बीमारियों के लिए मेडिकल व्यापारियों ने तत्काल हानिकारक गोलियां बना डालीं जिसने शरीर के जटिल स्वरूप और इम्यून सिस्टम को बर्बाद करके रख दिया !

मैं खुद अपने आपको महामूर्ख समझता हूँ जिसने पूरे साठ वर्ष तक अपनी खूबसूरत सुडौल शरीर को आराम देते हुए जीभर कर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अपने आपको संपन्न बुद्धिमान समझता रहा !

पिछले 61 वर्षों में मेरे आधे खराब जर्जर हुए अंगों की रिपेयर सिर्फ रनिंग के बदौलत संभव हुई है अन्यथा अब तक ऑपरेशन टेबल पर हृदय का ऑपरेशन हो चुका होता और इम्यून सिस्टम की मजबूती देखिये कि उसने 60 वर्षों की समस्याओं को महज दो वर्ष में ठीक कर दिया !

गैस्ट्रिक, एसिडिटी , कमजोर फेफड़े , ब्लड प्रेशर यहाँ तक कि स्किन प्रॉब्लम आदि कहाँ गायब हुई पता ही नहीं चला और साथ में मुझे जीवन में पहली बार बहते हुए पसीने से तकलीफ और चिढ़ की जगह पर जो आनंद मिलने लगा यह अभूतपूर्व व अविश्वसनीय है !

इस वर्ष मेरे तीन दोस्त जिनका प्रभामंडल बेहद प्रभावशाली था, असमय कम उम्र में हृदय आघात के शिकार हुए हैं उम्मीद करता हूँ कि और बुरी खबर न सुनाई दें सो अनुरोध है कि सुबह घर से बाहर निकल शरीर के सोये अंगों में कम्पन उत्पन्न करने के लिए, रनिंग करना सीखें !

याद रखें डायबिटीज एवं हृदय रोगों की बेस्ट एक्सरसाइज रनिंग ही है जिसे मेडिकल व्यापार भी मानता है !

सस्नेह मंगलकामनाएं !


Wednesday, March 28, 2018

हेल्थ ब्लंडर -सतीश सक्सेना

मेरे मित्रों में से अधिकतर साथी रनिंग करने का प्रयत्न करते हैं उनमें से अधिकतर कुछ दिन बाद रनिंग छोड़कर वाक करने लगते हैं या एक निश्चित दूरी के बाद आगे नहीं जा पाते ! अधिकतर का एक ही कारण है कि वे रनिंग में सीखने योग्य कुछ नहीं समझते, इसके अतिरिक्त बढ़ी उम्र का अतिरिक्त आत्मविश्वास, उन्हें यह समझने ही नहीं देता कि रनिंग एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जिसे बरसों से आलसी हुआ शरीर, किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करने देगा !
प लोग शायद यकीन नहीं करेंगे मैं अबतक पिछले ढाई साल में लगभग 4000 Km दूरी दौड़ते हुए तय कर चुका हूँ जिनमें 22 हाफ मैराथन (21 km ) रेस शामिल हैं ! उसके बाद भी मैं अपने आपको बेहतरीन रनर नहीं मानता क्योंकि मैं आज भी दौड़ते समय कई मूलभूत गलतियां करता हूँ जिस कारण मैं अंत में थकने लगता हूँ !
शरीर के महत्वपूर्ण अंग उदर और उसके आसपास हैं जिनमें हर एक का शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है ! पैरों के उठने और जमीन पर गिरने के हर आघात के समय शरीर के इन अंगों में और मस्तिष्क में कम्पन होता रहता है और वह इनका व्यायाम होता है जो प्रकृतिे ने इनके लिए निश्चित किया था यहाँ तक कि बंद रक्त कोशिकाएं, जकड़े जॉइंट एवं मांसपेशिया नरम होकर खुलने लगती हैं और इस शारीरिक बदलाव को,
दौड़ता शरीर बहुत उन्मुक्त मन से स्वागत करता है और दौड़ते समय एक नया जोश आनंद महसूस होता है ! मैं अपनी कई लम्बी दौड़ों में टारगेट भूल कर, बजते ढोल के सामने नाचने लगता हूँ जबकि यह मेरे स्वभाव के विपरीत है !
नए लोग ध्यान रखें कि रनिंग की शुरुआत वार्मअप से करें लंबा वाक करके , वाक के अंत में 1 या 2 मिनट दौड़ कर समाप्त करें मगर शर्त यह है कि यह दौड़ बिना हांफे की गयी हो ! हांफते हुए दौड़ना शरीर का नुकसान करता है और दौड़ से विरक्ति पैदा करेगा सो अगर आप दौड़ते हुए हांफ रहे हैं तो आप दौड़ नहीं पाएंगे यह पक्का है !
समस्त जीवों में बीमारियों से लड़ने की शक्ति, उनके शरीर में निहित है जिसका निदान शरीर खुद करता है मगर पिछले 100 वर्ष से सक्रिय मेडिकल व्यापार ने मानव को डराकर धन कमाने की तरकीब निकाल रखी है, वे समय समय पर विभिन्न शारीरिक प्रतिक्रियाओं को अलग अलग बीमारियों का नाम देकर मानव को डराते रहे और उनके इलाज के नाम पर धन का अम्बार लगाते रहे हैं किस्मत वाले सिर्फ जानवर हैं जिनके संपर्क में कोई मेडिकल व्यवसायी नहीं है और वे अपनी मधुमेह, हृदय रोग, किडनी आदि को चलते फिरते दौड़ते ही ठीक कर लेते हैं और अपनी पूरी आयु जीते हैं !
सो अगर स्वस्थ जीना है तब अपने शरीर के हर अंग का उपयोग करना होगा जिसके लिए वह बनाये गए हैं ताकि वे जकड़ न जाएँ !
अकर्मण्यता की आदत से, है कितना लाचार आदमी !
जकड़े घुटने पकड़ के बैठा , ढूंढ रहा उपचार आदमी !
दुरुपयोग मानस का करके,ढेरो धन संचय कर.भयवश
निष्क्रिय और आलसी मन से करता योगाचार आदमी !

Friday, March 23, 2018

सिंपल ट्रथ : शुगर किल्स -सतीश सक्सेना

कल मॉल में घूमते हुए एक नौजवानों के ग्रुप को देखा सबके हाथ में एक मशहूर ब्रांड ऑरेंज जूस का एक बड़ा गिलास था और उनमें कोई भी मित्र 90 kg से कम नहीं था !
मुझे आश्चर्य है कि बहुत कम लोग जानते हैं कि इंसानों के भोजन में शुगर का कोई उपयोग नहीं और एक मजबूत व्यक्ति रोज सिर्फ 24 ग्राम शुगर ही बिना नुकसान सहन कर सकता है , मगर लोग रोज, मस्ती के साथ एवरेज 100 ग्राम शुगर आराम से खाते हैं जो कि पुरुषों के लिए सामान्य से चार गुनी है और महिलाओं के लिए 6 गुनी !
आज हर चौथा वयस्क भारतीय,चाहे वह मोटा हो या पतला, हृदय रोगी है और उसे यह पता ही नहीं ,ऐसे लोगों की पहचान करनी हो तो 10 सीढ़ियां चढ़ने के बाद,हांफते, रुकते लोगों को देख लीजिये और
मजेदारी यह कि यह सब संपन्न व्यक्ति, बाजार आकर, अपनी सेहत के लिए जूस अवश्य पीते हैं !
शायद आपको यह पता ही नहीं होगा कि बढे हुए बीपी एवं कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के लिए शुगर , नमक खाने से अधिक हानिकारक है !
किसी जमाने में खाते पीते सतीश को देखिये, फोटो में तोंद को छिपाने के लिए जैकेट पहनता था  अगर आप अब भी सावधान न हुए तो आपको सस्नेह मंगलकामनाएं ही दे सकता हूँ कि आपको असामयिक हृदय स्ट्रोक न आये !

Thursday, March 22, 2018

तीक्ष्ण अभिव्यक्ति को,खतरे भी उठाने होंगे - सतीश सक्सेना

आस्था को  ही, प्रायश्चित्त उठाने होंगे !
ढोंगियों के दिए  ,वरदान भुलाने होंगे  !

रूप संतों का रखे , चोर - उचक्के पूजे ,
बीच गंगा में  ये , अपराध बहाने होंगे !

एक दिन आँख खुलेंगीं जरूर भक्तों की
जाहिलों को ही , सभी ढोंग गिराने होंगे !

अब न गुरुदेव मिलेंगे किसी डेरे में यहाँ 
लम्बी दाढ़ी रखे , ये धूर्त  भगाने  होंगे !

झूठ के बीज को , जड़ से समाप्त करने को
तीक्ष्ण अभिव्यक्ति को,खतरे भी उठाने होंगे !

रिश्ते दिखावे के -सतीश सक्सेना

मैंने आज तक किसी को बेटी नहीं कहा क्योंकि मेरे पास अपने पापा को बेहद प्यार करने वाली बेटी पहले से ही मौजूद है, मैंने किसी को बहिन नहीं बनाया क्योँकि मेरी हर वक्त चिंता करने वाली दो बड़ी बहिनें पहले से ही हैं , बहनों और बेटी को जितना प्यार और समय मुझे देना चाहिए वह मैं इन्हें नहीं दे पाता और कहीं न कहीं अपने आपको इन दोनों रिश्तों के प्रति गुनाहगार मानता हूँ !


ऐसे में , मैं आश्चर्यचकित रह जाता हूँ जब मैं मित्रों को आपस में , भाई या बहिन बनाते हुए राखी बांधते बंधवाते देखता हूँ जबकि उनके घर में अपने भाई बहिन पहले से ही मौजूद हैं जिनके साथ उनके रिश्ते तल्ख़ हैं या हजारों शिकायतें मन में लिए, मात्र दिखावे के लिए बातचीत है !

लोगों के, समाज के भय से हम उन्हें मित्र या दोस्त खुलकर न कह पाते हैं और न मित्रता के रिश्ते निभा पाते हैं मगर राखी बाँधने के बाद हमारा ज़ाहिल समाज उसे स्वीकार ही नहीं करता बल्कि घर में सम्मान भी दिलाता है ! समाज के बनाये पवित्र रिश्तों का चालाक दिमाग ने कितना बदसूरत उपयोग किया है !

स्वाभाविक है कि यह पवित्र रिश्तों का ढिंढोरा समाज को दिखाने के लिए बजाया जाता है जिससे लोग उनके रिश्तों पर शक न कर सकें और इस पाखण्ड की आड़ में उनकी मित्रता सुरक्षित रहे !

Wednesday, March 21, 2018

दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये -सतीश सक्सेना

अधिकतर हार्ट अटैक का कारण, शारीरिक एक्टिविटी का कम होना, अधिक उम्र में बढ़ा हुआ तनाव ,हाइपरटेंशन ,डायबिटीज एवं बढ़ा हुआ वजन मुख्य तौर पर दोषी हैं और अधिकतर केस 50 वर्ष के आसपास ही पाए जाते हैं !
इस उम्र के लोग अधिकतर परिपक्व बुद्धि के मालिक होते हैं और आसानी से अपनी दिनचर्या में बदलाव के लिए ध्यान नहीं देते उनका अधिकतर समय मान सम्मान, प्रभामंडल को सँवारने में बीतता है जिसमें फेसबुक एवं व्हाट्सएप्प से मिलती हुई फ़र्ज़ी वाहवाही का बहुत बड़ा रोल है ! खुद की तारीफ़ सुनने का यह नशा न केवल एडक्टिव है बल्कि आजकल स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक भी है !
मोटापा, डायबिटीज एवं हृदय रोगों से बचाव के लिए रनिंग से बेहतरीन कोई एक्सरसाइज नहीं है मगर अधिकतर लोग दौड़ना बिना सीखे हुए दौड़ने का प्रयत्न करते हैं और कुछ दिन में ही वह बंद हो जाता है ! दौड़ने का पहला मंत्र धीमे धीमे बिना हांफे लम्बी दूरी तक दौड़ना है और यह धीरे धीरे ही
होगा !
इसी मंत्र की बदौलत जीवन के साठ वर्ष 10 कदम भी न दौड़ पाने वाला मैं , आज बिना रुके लगातार 3 घंटे तक दौड़ता हूँ और बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कब का नार्मल हो चुका है !
मैं दिखावे की मित्रता नहीं करता अपने मित्रों से इकतरफा मन से जुड़ा होता हूँ वे महसूस करें इसका प्रयत्न भी नहीं करता सो अपने ऊपर किये प्रयोगों को उनके ऊपर भी लागू होते देखना चाहता हूँ और अक्सर मित्रों को कहता भी रहता हूँ और दिल से कहता हूँ कि कायाकल्प आसान है एक बार संकल्प भर लेना है बस ....
अपने हृदय और इम्यून सिस्टम को सही करने के लिए
- खूब नींद लीजिये कम से कम 8 घंटा, यह पहला नियम
-रोज सुबह हलके हलके दौड़िये और बिना हांफे लंबा दौड़ने का अभ्यास करें इससे डायबिटीज लेवल एवं स्ट्रेस ठीक होगा
- रोज शाम लंबा टहलने जाएँ
-रात का भोजन हल्का करें या न करें अगर वे पूरे दिन घर पर रहते हैं !
खूब मस्त रहें और अकेले भी खुश रहना सीखें !
साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये!
जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये!
तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये!
समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये !

Tuesday, March 20, 2018

जय किसान के, मक्कार खोखले नारे - सतीश सक्सेना

इस देश की भ्रष्ट राजनीति ने किसानों की कभी परवाह नहीं की उन्हें हमेशा भेंड़ बकरियों की तरह गांव के
मजबूत प्रधानों, मुखियाओं के बाड़े में रखा जाता रहा जिसे तोड़ कर बाहर निकलने का साहस न इन अनपढ़ों गंवारों में पहले था और न आज है !
उनका देश में बहुमत हमेशा था और वोट डालते समय उन्हें घरों से निकालने का काम ग्राम सरपंच और मुखियाओं के जिम्मे था जो उनके बताये निशान पर वोट डालते थे !
उन्हें यह पूंछने का अधिकार कभी नहीं था कि हम किसे वोट दे रहे हैं और 70 प्रतिशत गांवों में आज भी नहीं है , पूंछने का अर्थ जुर्रत करना था और गाँव के दबंगों के लिए यह अपराध, माफ़ी योग्य न तब था और न अब है !

यवतमाल यात्रा के समय मैं उनकी दुर्दशा देखकर आश्चर्यचकित था और साथ ही शर्मिंदा भी कि हम आज भी एक अनपढ़ अविकसित देश के नागरिक हैं जहाँ मानवता का कोई मूल्य नहीं जहाँ सत्ता सिर्फ राजाओं की
बपौती है जहाँ हमें जानवरों की तरह ही जीना है और उनका मुखियाओं का आदेश मरते दम तक मानना है !
जुड़ा हमारा जीवन गहरा ,भोजन के रखवालों से !
किसी हाल में साथ न छोड़ें,देंगे साथ किसानों का
इन्द्र देव  की पूजा करके, भूख मिटायें मानव की  
राजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का !

Sunday, March 11, 2018

प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये! - सतीश सक्सेना

मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है,बुड्ढा तिरेसठ साल का !
Tech City Marathon में, मुझे पहली बार हाफ मैराथन ( 21.10 Km ) में 2:45 hour का पेसर फ्लैग पकड़ कर, दौड़ने का दायित्व मिला ! यह कार्य बेहद चैलेंजिंग होता है जिसमें आपके फ्लैग टारगेट को लेने के लिए भागते हुए रनर की हौसला अफजाई करते हुए 21 km तक बिना थके, रुके, दौड़ाने की नैतिक जिम्मेदारी होती है !आज की दौड़ में इस पूरी दूरी में Ajay Kumar मेरे साथ भागते रहे वे आम तौर पर बेहद तेज भागने वाले marathoner हैं , उनके साथ स्लो पेस पर भागने का यह अनुभव अविस्मरणीय रहा ! बहुत कम लोग जानते होंगे कि अजय कुमार आज से कुछ वर्ष पहले खतरनाक लेवल की डायबिटीज से पीड़ित रहे थे और अब उन्होंने मात्र दौड़ने की वजह से अपनी इस भयावह बीमारी से पूरी तौर पर मुक्ति पा ली है ! डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को अजयकुमार से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे इस व्याधि से मुक्ति पायी !

हालाँकि पहली बार की पेसिंग में, मैं अपने कार्य से संतुष्ट नहीं था फिर भी लोगों की हिम्मत बंधाते भागते मैंने यह

दूरी 2:43:25 ऑवर में पूरी की ! Tech city marathon के आयोजकों ने अंत में सबसे सीनियर रनर 71 वर्षीय नागराजन जिन्होंने रनिंग 69 वर्ष की उम्र से शुरू की है, के हाथों से पेसर्स को खूबसूरत ट्रोफ़ी भेंट करवाई , यह सुखद था !

आभार Shiva Dixit Shruti Joshi Pandey Trilok Chand Suneel Tomarमंगलकामनाओं सहित !

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !

दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये!

जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये!

तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये!

समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये !

Wednesday, March 7, 2018

साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का - सतीश सक्सेना

मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का !

करत करत अभ्यास,पहाड़ों को रौंदा इस पाँव ने 
हार न माने किसी उम्र में,साहस मानवकाल का !

इसी हौसले से जीता है, सिंधु और आकाश भी
सारी धरती लोहा माने , इंसानी  इकबाल का !


गिरते क़दमों की हर आहट,साफ़ संदेशा देती है !
हिम्मत,मेहनत,धैर्य,ज़खीरा इंसानों की चाल का !

बहे पसीना कसे बदन से,मस्ती मेहनत की आयी !
रुक ना जाना,उठता गिरता रहे कदम भूचाल सा !
Related Posts Plugin for Blogger,