बरसों पहले खेल खेल
में हुआ किसी से प्यार
और प्यार के बदले मुझको
दिया तुम्ही ने शाप !
तुम्हारा सत्य हुआ अभिशाप
सुनयने ग्रहण किया वह शाप
किसको अपना दर्द सुनाऊँ
दिल की गहरी चोट दिखाऊँ
ज्यों ज्यों बीते समय और
भी बढ़ता जाता घाव ,
मानिनी जीवित रहता शाप !
सुनयने ग्रहण किया वह शाप
क्यों आयीं जीवन में मेरे
दोष अकेला मेरा कैसे
बारम्बार भुलाना चाहूं ,
ना भूले अभिशाप !
रात भर दिल दहलता शाप !
हर आँगन में प्यार तलाशूँ
मरुस्थल में यार तलाशूं
आशा लेकर फिरूं भटकता
मिले कहीं ना प्यार ,
तुम्हारा पीछा करता शाप
सुनयने जाग्रत है वह शाप !
चंदा सूरज चाहे हमने
मिलके देखे सपने हमने
मगर विधाता ने किस्मत
में किया क्रूर उपहास ,
चैन से ना रहने दे शाप !
सुनयने ग्रहण किया वह शाप !
में हुआ किसी से प्यार
और प्यार के बदले मुझको
दिया तुम्ही ने शाप !
तुम्हारा सत्य हुआ अभिशाप
सुनयने ग्रहण किया वह शाप
किसको अपना दर्द सुनाऊँ
दिल की गहरी चोट दिखाऊँ
ज्यों ज्यों बीते समय और
भी बढ़ता जाता घाव ,
मानिनी जीवित रहता शाप !
सुनयने ग्रहण किया वह शाप
क्यों आयीं जीवन में मेरे
दोष अकेला मेरा कैसे
बारम्बार भुलाना चाहूं ,
ना भूले अभिशाप !
रात भर दिल दहलता शाप !
हर आँगन में प्यार तलाशूँ
मरुस्थल में यार तलाशूं
आशा लेकर फिरूं भटकता
मिले कहीं ना प्यार ,
तुम्हारा पीछा करता शाप
सुनयने जाग्रत है वह शाप !
चंदा सूरज चाहे हमने
मिलके देखे सपने हमने
मगर विधाता ने किस्मत
में किया क्रूर उपहास ,
चैन से ना रहने दे शाप !
सुनयने ग्रहण किया वह शाप !
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- सतीश सक्सेना