सबको देख दाख कर भोले,
मैंने भी एक ब्लॉग बनाया
सुबह शाम पूजा की तेरी,
मैं तेरे दरवाजे आया !!
लिख लिख पन्ने काले करते,
प्यार मुहब्बत की बातें ,
और सामाजिक संबंधों पर,
अमर-कहानी लिख दी है !
देश प्रेम की बातें लिख दीं,
देशद्रोहियों को गाली दी
सबक सिखा बेईमानों को ,
भ्रष्टाचार मिटाया है !
इतना सब लिख डाला,
लेकिन एक शिकायत मुझको है
इतनी पूजा, व्रत,मेहनत में,
पैसा एक न आता है !
मेरी कविता को चमका दे
मुझको भी होंडा दिलवा दे
बहुत दिनों से इच्छा मेरी
सारे जग में नाम करा दे
इतने दिन से करूँ साधना
मेरी इज्जत को चमका दे
मेरी कविता को भी भोले
बोलीवुड में नाम दिला दे
कबाड़खाना बंद करा दे
मोहल्ले में आग लगा दे
सारे पाठक मुझको ढूंढे ,
ऐसी टी आर पी करवा दे
मेरे ऊपर धन बरसा दे ,
कुछ लोगों को सबक सिखादे
मेरा कोई ब्लाग न पढता
कुछ पाठक मुझको दिलवादे
मेरे को ऊपर पहुंचादे
मेरा भी झंडा फहरादे
मेरे आगे पीछे घूमे,दुनिया,
ऐसी जुगत करा दे !
एक आखिरी बिनती मेरी
इतनी मेरी बात मान ले
समीर लाल को धक्का देकर
उड़नतश्तरी मुझे दिला दे !
मैंने भी एक ब्लॉग बनाया
सुबह शाम पूजा की तेरी,
मैं तेरे दरवाजे आया !!
लिख लिख पन्ने काले करते,
प्यार मुहब्बत की बातें ,
और सामाजिक संबंधों पर,
अमर-कहानी लिख दी है !
देश प्रेम की बातें लिख दीं,
देशद्रोहियों को गाली दी
सबक सिखा बेईमानों को ,
भ्रष्टाचार मिटाया है !
इतना सब लिख डाला,
लेकिन एक शिकायत मुझको है
इतनी पूजा, व्रत,मेहनत में,
पैसा एक न आता है !
मेरी कविता को चमका दे
मुझको भी होंडा दिलवा दे
बहुत दिनों से इच्छा मेरी
सारे जग में नाम करा दे
इतने दिन से करूँ साधना
मेरी इज्जत को चमका दे
मेरी कविता को भी भोले
बोलीवुड में नाम दिला दे
कबाड़खाना बंद करा दे
मोहल्ले में आग लगा दे
सारे पाठक मुझको ढूंढे ,
ऐसी टी आर पी करवा दे
मेरे ऊपर धन बरसा दे ,
कुछ लोगों को सबक सिखादे
मेरा कोई ब्लाग न पढता
कुछ पाठक मुझको दिलवादे
मेरे को ऊपर पहुंचादे
मेरा भी झंडा फहरादे
मेरे आगे पीछे घूमे,दुनिया,
ऐसी जुगत करा दे !
एक आखिरी बिनती मेरी
इतनी मेरी बात मान ले
समीर लाल को धक्का देकर
उड़नतश्तरी मुझे दिला दे !
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- सतीश सक्सेना