Saturday, August 20, 2011

कौवे की बोली सुनने को, हम कान लगाये बैठे हैं - सतीश सक्सेना

शुरू से ही पुत्री के प्रति, अधिक संवेदनशील रहा हूँ , दिन प्रति दिन, बड़ी होती पुत्री की विदाई याद कर, आँखों के किनारे नम हो जाते हैं !स्नेही पुत्री के घर में न होने की कल्पना ही, दिल को झकझोरने के लिए काफी है !  
ऐसे ही एक क्षण , निम्न कविता की रचना हुई है जिसमें एक स्नेही भाई और पिता की वेदना  का वर्णन किया गया है .....  

जन्मे दोनों इस घर में हम 
और साथ खेल कर बड़े हुए

इस घर के आंगन में दोनों 
घुटनों बल चलकर खड़े हुए
घर में पहले अधिकार तेरा, 
हम रक्षक है तेरे घर के !
अब रक्षा बंधन के दिन पर, घर के दरवाजे बैठे  हैं !

पहले  तेरे जन्मोत्सव पर
त्यौहार मनाया जाता था,
रंगोली  और  गुब्बारों से !
घर द्वार सजाया जाता था
तेरे जाने के साथ साथ,
घर की रौनक भी चली गयी !
राखी के प्रति, अनुराग लिए, कुछ याद दिलाने बैठे हैं  !

पहले इस घर के आंगन में
संगीत , सुनाई पड़ता था  !
झंकार वायलिन की सुनकर 
घर में उत्सव सा लगता था
जब से जिज्जी तू विदा हुई,
झाँझर पायल भी रूठ गयीं ,
छम छम पायल की सुनने को, हम आस लगाए बैठे  हैं !

पहले घर में , प्रवेश करते ,

एक मैना चहका करती थी
चीं चीं करती,  मीठी  बातें
सब मुझे सुनाया करती थी
जबसे तू  विदा हुई घर से,
हम लुटे हुए से बैठे हैं  !
टकटकी लगाये रस्ते में, घर के  दरवाजे  बैठे हैं ! 

पहले घर के हर कोने  में ,

एक गुड़िया खेला करती थी
चूड़ी, पायल, कंगन, झुमका 
को संग खिलाया करती थी
जबसे गुड्डे संग विदा हुई , 
हम  ठगे हुए से बैठे हैं  !
कौवे की बोली सुननें को, हम  कान  लगाये बैठे हैं !

पहले इस नंदन कानन में

एक राजकुमारी रहती थी
घर राजमहल सा लगता था
हर रोज दिवाली होती थी !
तेरे जाने के साथ साथ ,
चिड़ियों ने भी आना  छोड़ा !
चुग्गा पानी को लिए हुए, उम्मीद  लगाए बैठे    हैं !

119 comments:

  1. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    बहुत ख्‍खूब अभिव्‍यक्ति !!

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  2. आभार इस रचना के लिए ....हमारी सभ्यता अभी बरकरार है ,इस भावना को प्रबल कर रही है आपकी रचना....बहुत कोमल ..सुंदर उदगार हैं ह्रदय के....!!

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  3. तेरे जाने के साथ साथ ,
    चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए ,
    उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    मन को भिगो गई आपकी यह रचना...

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  4. rishton ki garmahat ko ujaagar karti samvedansheel rachna !

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  5. भई वाह. बहना के प्रति भावमयी ऐसी कविता पढ़ कर अंतर्मन नेह से भीग गया.

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  6. बहन के प्रति भाई के उदगार बहुत भावमयी लगे .. अच्छी भावनापूर्ण रचना

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  7. गीत वाकई बहुत बढ़िया बन पड़ी है..आप कहते है कवि नही है पर आपकी यह रचना कई तथाकथित कवियों से कई गुना अच्छी है..

    सुंदर,भावपूर्ण,लाजवाब गीत के लिए बधाई.....बहुत दिन के बाद ब्लॉग पर पहुँच पाया क्षमा चाहता हूँ..प्रणाम

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  8. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  9. बड़ी भावुक करने वाली कविता है सतीश जी. मेरी बड़ी दीदी की शादी के बाद लम्बे समय तक हमें सब खाली-खाली सा लगता रहा था.

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  10. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !.....

    लाज़वाब ! रचना के भाव मन को अंदर तक भिगो गये...उत्कृष्ट प्रस्तुति..

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  11. जब से जिज्जी तू विदा हुई ,झांझर पायल भी रूठ गयीं
    झंकार ह्रदय की सुनने को, हम आस लगाए बैठे हैं !
    बहुत खूबसूरत भावनात्मक प्रस्तुति जिसकी मिठास भरी खुशबु हम पढकर भी महसूस कर रहें हैं |
    बहुत सुन्दर रचना |

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  12. मन की पीड़ा को इतने स्नेहिल ढंग से व्यक्त करने का आभार।

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  13. पहले घर के हर कोने में ,
    एक गुडिया खेला करती थी
    चूड़ी, पायल, कंगन, झुमका
    को संग खिलाया करती थी
    जबसे गुड्डे संग विदा हुई , सब ठगे हुए से बैठे हैं !
    कौवे की बोली सुननें को, हम कान लगाये बैठे हैं !
    यह कौवे की बोली भाई-बहन के बीच कहाँ से आ गयी... बहुत भावपूर्ण रचना!

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  14. दिल को छू गई ...बहुत ही शानदार प्रस्तुति

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  15. सच में बहुत सुंदर रचना है।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  16. बरसात का मौसम ही ऐसा
    छोटी बदली भी ढहती है
    'राखी' आते ही भैया की
    भावों की सरिता बहती है.

    ........ भावों को सुन्दर साँचा दिया.... पढ़कर आनंद आया.

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  17. अत्यंत भावुक, मधुर और स्नेहिल रचना. आपके गीत भावुक कर देते हैं.

    रामराम.

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  18. बेहतरीन.... पोस्ट....

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  19. मन को छू गई आपकी रचना... एक भाई का बहन के लिए इतना प्यार दुलार बहुत किस्मत वाली है आपकी बहना....

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  20. बड़ी प्यारी लगी रचना
    बहुत सुंदर भाव लिये .......

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  21. WAH bahut acchhi lagi aaj apki ye rachna....

    :)

    http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post_20.html

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  22. शीशे का मसीहा कोई नहीं, क्यों आस लगाए बैठे हैं :)

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  23. @@तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !..
    वाह,गहन भाव,आभार.

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  24. सुन्दर गीत !

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  25. बहुत बहुत रुलाते हैं
    तेरे ये गीत सच में
    बहुत रुलाते हैं

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  26. स्नेहमयी रचना पढ़ कर मन स्नेह भाव से भीग गया..रिश्तों की मिठास कहाँ गई है...अभी भी मौजूद है..बस महसूस करने की ज़रूरत है...

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  27. बहुत ही ह्रदय स्पर्शी अभिव्यक्ति ..कोमल भावनाओं को अति सुन्दर शब्दों में संजोया है आपने
    सादर शुभ कामनाएं !!!

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  28. बहुत ही ह्रदय स्पर्शी अभिव्यक्ति ..कोमल भावनाओं को अति सुन्दर शब्दों में संजोया है आपने
    सादर शुभ कामनाएं !!!

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  29. @ दिनेश राय द्विवेदी ,
    @ "बहुत बहुत रुलाते हैं, तेरे ये गीत ! सच में
    बहुत रुलाते हैं"

    टिपण्णी द्वारा की गयी आपकी यह अभिव्यक्ति, इस रचना की सार्थकता बताने के लिए काफी है !

    आपके दिल से निकले इन शब्दों ने ने इस रचना को अमर कर दिया भैया ! !

    परिवार में बड़े छोटो के साथ स्नेह और प्यार बना रहे ....संवेदनाएं मरे नहीं !

    यह आंसू आवश्यक हैं भाई हमारे परिवार को जोडनें में एक ताकतवर रस्से का कार्य करेंगे !

    बिटिया अपने पिता और भाई को हमेशा साथ खड़े महसूस करेगी ! वह अकेलापन महसूस ना करे ....

    यहाँ यह उद्देश्य पूरा होता है !

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  30. क्या आप खुद को ढूँढ पाये हैं आज की नई पुरानी हलचल में :)

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  31. निशब्द...

    जय हिंद...

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  32. इतनी गहरी संवेदना और अनुभूति का प्रगटन -निःशब्द हूँ !

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  33. बहन और बेटी के विदा होते ही हर घर की रौनक चली जाती हैं ..? और फिर सावन के आगमन से घर -द्वार दोनों महक जाते है ...बहुत सुंदर जज्बात दर्शाती कविता ..

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  34. क्यों ब्लोगर बंधुओं को रुलाते हो भाई !
    बहन हो या बेटी --एक दिन रुलाकर ही चली जाती हैं ।

    सुन्दर संवेदनशील गीत ।

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  35. कितने संवेदनशील भाव पिरोये हैं.....

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  36. This comment has been removed by a blog administrator.

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  37. Speechless..... while reading Goose bums raised in me.... No comments....

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  38. अब आपके गीत मुखर हो रहे हैं और मन को उद्वेलित कर रहे हैं..
    बहने दीजिए इस सरिता को!!

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  39. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा ....

    अति मार्मिक ....
    बहुत अच्छी रचना सतीश जी ....
    गज़ब लिखते हैं आप ....

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  40. लाजवाब सतीश जी ... भाई बहन का प्रेम अमर है ... और राखी की प्रथा इस बात का उदाहरण है ...

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  41. कई दिनों से मेरे माँ-बाबा घर से आये हुए थे आज ही उनका जाना हुआ। आप जो कुछ भी लिखते हैं ज़िंदगी से पूरी तरह जुड़ा होता है। मै कमैंट नही कर पाती मगर पढ़ती बहुत कुछ हूँ। कोशिश करूँगी अपने दिल की बात कह सकूँ। सचमुच घर की भैय्या की बहुत याद आई आपकी कविता पढ़ कर आँसू रुकने का नाम नही ले रहे हैं जब माँ ने भी यही कह दिया कि तेरे जाने से घर सूना-सूना हो गया है।

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  42. इस ब्लॉग पर किसी व्यक्ति का निंदा या अपमान का कोई कमेन्ट नहीं छापा जाएगा न यह किसी राजनैतिक विचारधारा का स्वागत करता है !
    वीरू भाई से क्षमा याचना सहित !

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  43. आपके पोस्ट पर आना बहुत ही सुंदर लगा ।धन्यवाद।

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  44. भावमयी प्रस्तुति.जाने किस ओर ले गई.हर कोई आज इसी दर्द से गुजरता है हर त्यौहार में

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  45. भाई हो तो ऐसा...बहन को समर्पित इस कविता ने मन को छू लिया...

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  46. 46 logo ne itna kuch kah diya hai ki ab mai jo bhi kahuga maatr punaravritti hi hogi.
    Phir bhi itne sundar shabd chayan hetu aabhar jaroor vyakt karunga.

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  47. Nice post .

    आज सोमवार है और ब्लॉगर्स मीट वीकली 5 में आ जाइये और वहां शेर भी हैं।

    Janmashtami ki Badhai .

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  48. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    bahut acha laga padhkar...

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  49. sateesh bhai ji
    bahut hi bhav pravan prastuti.
    bhai -bahn ki prem ki parakashhtha ko chooti hui aapki yah rachna man ko bahut hi bhaa gai .
    sach ,yah bandhan hi itna pavitr aur sneh se bhara hua hai ki har bhai bahn ko is din ka besabri se intjaar rahta hai.sneh se bhari bahn kiyaad me rakhi ke pavitra pawan parv par likhi aapke geet bahut bahut hi achhe lage
    bahut bahut badhai v
    sadar naman
    poonam

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  50. पहले इस नंदन कानन में
    एक राजकुमारी रहती थी
    घर राजमहल सा लगता था
    हर रोज दिवाली होती थी !
    तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !
    कोमल भाव के सुकुमार मन की भावना प्रधान संवेगात्मक ,भाव प्रवणता पैदा करती रचना ,प्रतीकों बिम्बों के आलिगन में गोते लगवाती .
    Saturday, August 20, 2011
    प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    http://sb.samwaad.com/

    रविवार, २१ अगस्त २०११
    सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  51. jara haat badhana bhai mere,
    hum rakhi lekar baithe hain...."

    bahut gahra bhaw....waah.

    pranam.

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  52. खूबसूरत गेय रचना,

    आज कुशल कूटनीतिज्ञ योगेश्वर श्री किसन जी का जन्मदिवस जन्माष्टमी है, किसन जी ने धर्म का साथ देकर कौरवों के कुशासन का अंत किया था। इतिहास गवाह है कि जब-जब कुशासन के प्रजा त्राहि त्राहि करती है तब कोई एक नेतृत्व उभरता है और अत्याचार से मुक्ति दिलाता है। आज इतिहास अपने को फ़िर दोहरा रहा है। एक और किसन (बाबु राव हजारे) भ्रष्ट्राचार के खात्मे के लिए कौरवों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है। आम आदमी लोकपाल को नहीं जानता पर, भ्रष्ट्राचार शब्द से अच्छी तरह परिचित है, उसे भ्रष्ट्राचार से मुक्ति चाहिए।

    आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई।

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  53. पहले तेरे जन्मोत्सव पर
    त्यौहार मनाया जाता था,
    रंगोली और गुब्बारों से !
    घरद्वार सजाया जाता था
    तेरे जाने के साथ साथ,
    घर की सुन्दरता चली गयी !
    राखी के प्रति अनुराग लिए,
    घर के दरवाजे बैठे हैं !
    ....बहुत बढ़िया कोमल भावमयी गीत!
    आपको सपरिवार जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  54. bahut hi sundar likha hai satish ji...dhanyavad


    www.poeticprakash.com

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  55. आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  56. ह्रदयस्पर्शी अभिव्यक्ति.

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  57. सुंदर और भावमय गीत।

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  58. Thank you so much... sometimes its difficult to write comments... padhte-padhte apne bhaiyon ki yaad aa gai, jo meri shaadi ka naam lekar mujhe chidhate hain aur jab main kahti hu "haan, theen hai na, chali jaungi na vidaa hokar tab pata chalega" tab ya to baat badal dete hain, bahana banakar idhar-udhar ho jate hain ya udas ho jate hain... aur jo chhote-chhote cousins hain wo to kahte hain ki "di, aap chinta mat karo, ham aapko kahi nahi jaane denge, aur jaongi to ham bhi aapke saath hi chalenge"
    thank you so much from depth of heart... :)

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  59. आदरणीय भाईसाहब सतीश सक्सेना जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !
    प्रणाम !

    सर्वप्रथम तो बहुत विलंब से पहुंचने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं … पोस्ट्स लगभग सारी पढ़ी … लेकिन उपस्थिति दर्ज़ कराने में कुछ न कुछ बाधा आती रही । आपने मुझे कभी विस्मृत नहीं किया , इसके लिए आभारी हूं ।
    **********************************************************************
    …और गीत के बारे में क्या कहूं
    कई बार रचनाकार छीन कर ले लेता है पाठक-श्रोता की वाहवाही ! यही स्थिति यहां है …
    न बोले कोई कुटिलता से या , ईर्ष्या से , या समयाभाव के कारण … … …

    लौटते हुए
    तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    इन पंक्तियों को साथ न ले जाए , यह संभव ही नहीं !
    वाह ! वाऽऽह ! वाऽऽऽह !

    कुर्सी से उठ कर खड़े हो'कर हाथ उठाए ताली बजा रहा हूं … प्रणाम स्वीकारिएगा !!


    **********************************************************************


    ♥श्रीकृष्ण जन्माष्टमीकी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  60. दिल ने दिल से बात की , बिन चिट्ठी बिन तार … … …

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  61. करुणा,श्रद्धा और विश्वास की डोर हैं बहनें। वे हैं,तो सामाजिकता है। उनके होने से ही हमारी संस्कृति की नींव।

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  62. पहले इस नंदन कानन में
    एक राजकुमारी रहती थी
    घर राजमहल सा लगता था
    हर रोज दिवाली होती थी !
    तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !
    bahut sunder
    aapko bhi baht bahut badhai
    rachana

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  63. भावनात्मक कविता ... जन्माष्टमी की शुभकामनायें आपको भी !

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  64. जब से जिज्जी तू विदा हुई,झांझर पायल भी रूठ गयीं
    झंकार ह्रदय की सुनने को, हम आस लगाए बैठे हैं !..........
    २० अगस्त को ही यह सुंदर रचना पढ़ चुका था किन्तु समयाभाव के कारण उपरोक्त भावुक, मधुर और स्नेहिल रचना के संदर्भ में चाहकर भी आपका आभार व्यक्त नहीं कर पाया,बहरहाल कोमल भावनाओं को अति सुन्दर शब्दों में संजोया है आपने, आभार व्यक्त करता हूँ ............

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  65. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    भोगे हुए यथार्थ की जीवन्त अभिव्यक्ति.
    आभार सहित...

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  66. कभी-कभी तो आपकी पोस्ट पढकर आंसू निकलने को बेताब हो जाते हैं।
    कभी तीनों बहनों का चेहरा आंखों के सामने घूमने लगा और कभी बेटी का, जो केवल 8 साल की है।

    प्रणाम

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  67. सतीश जी निवेदन है क्षणिकाएं भी लिखें ....
    जब कवितायेँ इतनी अच्छी लिख लेते हैं तो क्षणिकाएं भी लिख सकते हैं ....
    अधिकतर पहचान वाले ब्लोगर अपनी क्षणिकाएं दे चुके हैं सरस्वती-सुमन के लिए
    आपकी क्षणिकाओं का भी इन्तजार रहेगा .....

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  68. बहुत सुंदर,रशुभकामनायें

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  69. पहले घर के हर कोने में
    एक गुडिया खेला करती थी
    चूड़ी, पायल, कंगन, झुमका
    को संग खिलाया करती थी
    जबसे गुड्डे संग विदा हुई , सब ठगे हुए से बैठे हैं !
    कौवे की बोली सुननें को, हम कान लगाये बैठे हैं !

    बहना को याद कर भाई के मन में उत्पन्न हो रही स्नेहपूर्ण कसक इस गीत के शब्द-शब्द में है।
    पढ़कर मन आर्द्र हो गया।

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  70. सटीक शब्द दिया है भावों को आपने बधाई..सतीश जी

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  71. बहुत सुन्दर कोमल भावों को संजोये हुए शब्द ...
    लाजवाब कविता

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  72. कुछ पंक्तियाँ अपनी भी -
    मन कैसा हो जाता आकुल भीगा सा
    सामने खड़ी हो जाती उसकी सूरत ,
    हो गई पराई कैसे जिसे जनम से
    निष्कलुष रखा जैसे गौरा की मूरत !

    कर उसे याद मन व्याकुल सा हो जाता ,
    कितनी यादें उमड़ी आतीं अंतर में ,
    नन्हें करतल जब विकसे खिले कमल से
    बस दो थापें धर गये नयन को भरने !

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  73. बहुत ही सुंदर सतीश जी...कोमल, उदास पर फिर भी कहीं उम्मीद से भरी...बहुत प्यारी...

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  74. bahut bhavuk kar gai ap ki ye rachna ,
    yaqeenan ap ke geet bahut achchhe hote hain aur ye geet to shayad har pathak ka man dravit kar dega
    dhanyavad !

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  75. अम्मा मेरे बाबा को भेजो री
    के सावन आया ,
    अम्मा मेरे भैया को भेजो री
    के सावन आया |
    बहुत ही सुंदर कविता |

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  76. अत्यंत भावों से भरी रचना दिल को छू लेती है.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  77. कोमल भाव से पिरोया, भाई बहन के पवित्र प्यार का एक नाजुक सा अह्सास....बहुत ही सुन्दर...

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  78. अति सुन्दर ...अवाक हूँ..

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  79. आज देख पाया इस जबरदस्त भावपूर्ण अभिव्यक्ति को.

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  80. क्या कहूं?
    एक एक शब्द दिल से निकला लगता है। मन के भाव ... आपके और मेरे भी।

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  81. क्या खूबसूरत गीत है..:)

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  82. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं !चिड़िया भी अब गीत सुनाती अन्ना अन्ना अन्ना !भाई साहब शुक्रिया आप इतने आत्मविश्वास भरपूर हैं ,हमारा भी हौसला बढा .
    मैं भी अन्ना ,तू भी अन्ना ,
    देश बना इतिहास का पन्ना ,
    बहुत चली आलस की पारी ,
    अब तो है हर शख्स चौकन्ना ,
    बहुत सुन लिए भाषण बरसों ,
    अब क्या कहना और क्या सुनना ,
    जिसकी लाठी उसकी भैंस ,
    छल बल अब बिलकुल न चलना ,
    ऐसे शासन का क्या कीजे ,
    जिसमे लोकपाल भी घुन्ना .
    प्रस्तुति :गुंजन शर्मा ,४३३०९ .सिल्वर वुड ड्राइव ,केंटन (मिशगन )
    (बिटिया वीरुभाई )

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  83. जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.

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  84. मन फूला फूला फिरे जगत में झूंठा नाता रे ,
    जब तक जीवे माता रोवे ,बहिन रोये दस मासा रे ,
    तेरह दिन तक तिरिया रोवे फेर करे घर वासा रे .लेकिन अपने डॉ अमर का ब्लॉग जगत से सच्चा नाता था ,दो टूक ,बिंदास बोलते थे .उनकी याद आती रहेगी . ब्लॉगजगत की तो वह जीवंत "नौक झोंक "थे ,उनका ब्लॉग बूझते वहां तक पहुँचते सिर्फ यह जानने ,उनका कोई ब्लॉग नहीं है ,वह औरों के हैं .उनके महा -प्रयाण पर वीरुभाई के शतश :नमन ,प्रणाम .उनके प्रति ब्लॉग जगत की संवेदनाएं सांझा हैं .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    कपिल मुनि के तोते .

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  85. कुछ दिनों से अस्वस्थ जा रही ..........इसी कारण ब्लॉग से ब्लॉग परिवार से दूर रही....

    मन को छू गई आपकी रचना...

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  86. Itne snehi bhai jis behen ko mil jayein.. uska mayka hamesha bana rehta h... sundar kavita :)

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  87. bahut bhavbheenee sneh kee chashnee se pagee rachana choo gayee .

    ise link ko circulate karne me madad kariye .

    http://www.youtube.com/watch?v=0vJD6TzsmA0&feature=related
    dhanyvaad

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  88. जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
    दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
    ईद मुबारक
    कुँवर कुसुमेश

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  89. यह प्यारा गीत छूट गया था, आनंद आया पढ़कर..! सुंदर लय..!

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  90. चर्चा में आज नई पुरानी हलचल

    आपकी चर्चा मिस्टर डॉन...:)

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  91. जब भी इस ब्लॉग का शीर्षक और आपके लेख पढ़ता था तो मन में सवाल उठते थे कि इस ब्लॉग का शीर्षक ..मेरे गीत.. क्यों है?

    आज जवाब मिल गया।

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  92. bahut sundar kavita hai
    padh kar mujhe apne din yaad aa gaye
    mere log pe aapka swagat hai
    http://wordsbymeforme.blogspot.com

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  93. धन्यवाद सतीश जी बहन की भावनायें
    क्या होती है भाई से बिछडने के बाद
    ये तो जानती थी पर आज आपकी
    रचना को पढने के बाद भाई के
    दु;ख से भी भेंट हो गई।
    तहेदिल से आभारी हूँ।

    ReplyDelete
  94. .

    पहले घर के इस आंगन में
    संगीत सुनाई पड़ता था !
    वीणा वादन की आवाजें,
    घर में उत्सव सा लगता था
    जब से जिज्जी तू विदा हुई ,झांझर पायल भी रूठ गयीं
    झंकार ह्रदय की सुनने को, हम आस लगाए बैठे हैं !

    बहुत सुन्दर रचना। भाई बहन का स्नेह अमर रहे।

    .

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  95. थोडा देर से आया लेकिन आपकी ये भावमय अभिव्यक्ति पढ़कर दिल खुश हो गया !

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  96. कितनी संवेदनशील कविता है, आपने ठान लिया है रुलाने का...

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  97. सतीश जी भाई साहब !
    पोस्ट पर 101 कमेंट मुबारक हो !


    आशा है स्वस्थ-सानन्द हैं … इस बार नई पोस्ट के लिए इंतज़ार लम्बा लगने लगा है :)

    आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं …


    शस्वरं पर आपकी प्रतीक्षा भी है …

    ReplyDelete
  98. sateesh bhai ji
    aapki nai post ka besabri se intjaar hai.
    sadar naman ke saath
    poonam

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  99. तेरे जाने के साथ साथ,चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए,उम्मीद लगाए बैठे हैं !

    वाह बहुत खुबसूरत रचना,
    पढकर आनंद आ गया !!

    ReplyDelete
  100. तेरे जाने के साथ साथ ,
    चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए ,
    उम्मीद लगाए बैठे हैं !
    कभी कोयल की बोली भी सुनवाओ सक्सेना भाई साहब ,बेशक अभी तो कोयलों में काग बहुत बाकी हैं .........

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  101. बढ़िया रचना जोरदार हैं ... आभार

    ReplyDelete
  102. तेरे जाने के साथ साथ , चिड़ियों ने भी आना छोड़ा !
    चुग्गा पानी को लिए हुए , उम्मीद लगाए बैठे हैं


    last kadi bahut acchi lagi .......anupam prastuti , maan ko v dil ko chu gayi . badhai .

    sapne-shashi.blogspot.com

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  103. Ham aas lagye beithe hai wo wada kar ke bhool gaye......


    jai baba banaras...

    ReplyDelete
  104. wah saxenaji, bahoot khoob...

    ReplyDelete
  105. wah saxenaji, bahoot khoob...

    ReplyDelete
  106. दशहरा पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं...

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  107. सतीश जी नमस्कार,बहुत भावपूर्ण उदगार हैं एक एक पंक्ति सार्थक लगती है ।

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  108. kisi bahan ke liye ye kavita sabse accha tofa hoga kya bhav hai itne sundar bhav jis man me aate hai ....kalpan nahi kar sakta wo kina nirmal hoga

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  109. " कौवे की बोली सुनने को, हम कान लगाये बैठे हैं "अति सुन्दर अभिव्यक्ति.
    मानस मन को सराबोर कर देने
    वाली ह्रदय द्रावक रचना.
    बहुत खूब.
    धन्यवाद.
    आनन्द विश्वास.

    ReplyDelete
  110. दीये की लौ की भाँति
    करें हर मुसीबत का सामना
    खुश रहकर खुशी बिखेरें
    यही है मेरी शुभकामना।

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  111. Beautiful heart touching poem in simple soulful words.घर की याद आ गयी.
    Thanks !!

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  112. पीछे जाने पर ही पूरी कविता पढ पाई । मुझे बेटियां नही हैं पर पोतियां हैं उनके विदाई का सोच कर कलेजे में कहीं कुछ दरक गया । बेटी की विदाई को ापने हम सब को अनुभव करा दिया ।

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  113. निशब्द किया आप की रचना ने..... आप के ब्लॉग पर आकर ऐसा लगा के न आती तो कितनी अच्छी रचनाओ को पड़ने से वंचित रह जाती ,दिल से आप की कलम को नमन करती हूँ .....

    ReplyDelete
  114. निशब्द किया आप की रचना ने..... आप के ब्लॉग पर आकर ऐसा लगा के न आती तो कितनी अच्छी रचनाओ को पड़ने से वंचित रह जाती ,दिल से आप की कलम को नमन करती हूँ .....

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  115. बहुत बहुत सुन्दर और भावुक कविता...
    बेटी की माँ तो नहीं हूँ मगर खुद बेटी हूँ सो दर्द भली भाँती समझ पायी...
    सादर.

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  116. स्नेह और प्रेम के रंगों से अंतस मन को रंगती ,बेहतरीन कविता ,शायद ही ऐसा कोई भाई -बहन हो जिसकी आँखें नम न हो जाएँ इसे पढ़कर .

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  117. पहले इस नंदन कानन में
    एक राजकुमारी रहती थी
    घर राजमहल सा लगता था
    हर रोज दिवाली होती थी --हर पापा को शायद ऐसा ही लगता होगा --सुन्दर और दिल छू लेनेवाले आपके भाव,आँखे भिंगो गये।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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