Wednesday, April 18, 2012

नवगीत -सतीश सक्सेना


यह गीत नवजवानों के लिए लिखा गया  है , उन बच्चों  के लिए समर्पित है जो सीमाओं ,बंधन से मुक्त हैं ! निश्छल हंसी, और सीने में कुछ करने का अरमान लिए ,इन नवजवानों के रास्ते में आयीं, सारी बाधाएं दूर हों तब समाज और देश का भला हो ! 

हर देश के विकास और जागरूकता के लिए, गुणवान नवजवानों की जरूरत पर, जोर दिया जाता है !  संयुक राष्ट्र संघ ने भी युवकों में विकास हेतु ३ प्रमुख उद्देश्य निर्धारित किये हैं ! युवकों से जागरूक,संगठित तथा व्यस्त रखने के साथ साथ ,अपनी संस्कृति और पुरानी पीढ़ी के साथ उचित तालमेल रखने को  आवश्यक बताया है !
अगर देश में  नौजवान जागरूक और अवसाद मुक्त है तो देश का भविष्य भी उत्कृष्ट और सुरक्षित है ! देश के भावी कर्णधारों में कुंठाएं न आ पाए यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है !
श्रेष्ठ विश्व सरकारें, उनके नवजवानों में उत्कृष्टता बनाये रखने के लिए  प्रयत्नशील रहती हैं और फलस्वरूप वे देश विश्व सिरमौर बनने में कामयाब रहे हैं !  

ये बच्चे आसमान  छुएं ....यही कामना है !


कोई रंज नहीं 
कोई मैल नहीं 
यारों के दिल  
कोई गम नहीं 

जब वे रोकें ....
रफ़्तार बढे ...
तोड़ें बंधन  ...
फिर झूम उठें  ....

विश्वास रखें  ...
महसूस  करें ....
हुंकार उठे  ...
तबला बाजे ...

गुस्से में जब 
अंगार उठें ....
तब तार कसें ...
झंकार उठे ...

जब उठते हम 
अरमान जगें ..
जब चलते हैं 
धरती हिलती ...


बस मन में है 
अरमान  यही 
सब मस्त रहें 
अरमान फलें 

27 comments:

  1. नवगीत की खनक में आशा की झलक प्रशंसनीय है ...बधाईयाँ जी /

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  2. क्या नवजवान कविता है। वाह!

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  3. बस मन में है
    अरमान यही
    सब मस्त रहें
    अरमान फलें

    Bahut Hi Sunder....

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  4. जोश से भरा सुंदर गीत ...!!
    शुभकामनायें ...!!

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  5. मस्त गीत है। इसे किसी जोशीली धुन में संगीतबद्ध कराईये सतीश जी।

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  6. वाह.............
    बहुत सुंदर गीत........

    जब वे रोकें ....
    रफ़्तार बढे ...
    तोड़ें बंधन ...
    फिर झूम उठें ....

    सुंदर लयकारी और भाव भी.........

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  7. वाह ..बहुत ही सुन्दर गीत
    .सुंदर गीत की रचना के लिए ..बधाई ...

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  8. जबरदस्त भाव-प्रवाह ।।

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  9. इन नवजवानों के रास्ते में आयीं, सारी बाधाएं दूर हों तब समाज और देश का भला हो !

    बस मन में है
    अरमान यही
    सब मस्त रहें
    अरमान फलें

    वाह वाह अति सुंदर पोस्ट !

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  10. जब उठते हम
    अरमान जगें ..
    जब चलते हैं
    धरती हिलती ...

    अनुपम भाव संयोजन लिए ...उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति ।

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  11. ..कबिताई में तरुणाई लौटने की मुबारकवाद....!

    उद्बोधन-पूर्ण कविता !

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  12. बच्चों के लिये यही शुभकामनायें हृदय से निकलती हैं।

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  13. सुन्दर भावपूर्ण गीत .

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  14. जब उठते हम
    अरमान जगें ..
    जब चलते हैं
    धरती हिलती ...

    .....बहुत सार्थक और प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  15. युवा मनों के जोश को आपने गीत के शब्दों में भर दिया है..सुंदर रचना !

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  16. अगर देश में नौजवान जागरूक और अवसाद मुक्त है तो देश का भविष्य भी उत्कृष्ट और सुरक्षित है !
    sahi kaha hai.....

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  17. बहुत बढ़िया . पढ़कर हम भी नौज़वान ही महसूस कर रहे हैं .

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  18. बेजोड!
    आपके संकल्प और चयन की क्षमता से आपकी रचनाधर्मिता ओत-प्रोत है ।

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  19. युग का जुआ
    आस की बाती
    युव कंधों पर
    देश की थाती

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  20. गुस्से में जब
    अंगार उठें ....
    तब तार कसें ...
    झंकार उठे ...
    आमीन

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  21. सब मस्त रहें
    आमीन

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  22. बस मन में है
    अरमान यही
    सब मस्त रहें
    अरमान फलें

    बच्चों के लिए यही शुभकामनाएँ हैं...

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  23. आशा की झलक दिखाती प्रशंसनीय रचना....
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,..सतीश जी

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  24. घर में सौभाग्यवती बहु के आगमन ने लगता है आपके गीतों के खजाने की चाभी से वो संदूक खोल दी है जिसमें आपने न जाने कितने गीत छिपाकर रखे हैं..!!
    बस आप ऐसे ही बने रहें बड़े भाई!!

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  25. एक मस्त उदबोधन गीत :)

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  26. अब इसे गाकर भी सुना दिया जाये जो होगा देखा जायेगा।

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  27. कोई रंज नहीं
    कोई मैल नहीं
    यारों के दिल
    कोई गम नहीं
    काश ..बचपन गुजरने बाद भी ,यही स्वभाव बना रहता यह दुनिया कितनी अच्छी होती ,सुन्दर रचना

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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