Tuesday, April 24, 2012

सब झूम उठे ....-सतीश सक्सेना


कुछ ऐसा आज हुआ यारो
पग जहाँ उठे,रंग बरस उठें 
कुछ ऐसा रंग चढ़ा मन पर , 
हम जहाँ उठे, सब झूम उठे 
कुछ मौसम ने अंगडाई ली, 
गुलमोहर ने रंग बरसाए !
कुछ यार हमारे आ बैठे , महफ़िल में सुर झंकार उठे  !

दिल करे नाचने को यारों, 
माहौल सुगन्धित हो जाए  
जीवन के सुंदर पन्नों  में ,
चन्दन की गंध समा जाये 
मधु कलशों से अमृत छलके, 
मन वृन्दावन सा हो जाए !
बचपन से कभी जो सुन न सके, वे साज बजाए झूम उठे !

जीवन की सुंदर नगरी में ,
यह पहला कदम उठाया है 
अब साथ तुम्हारा पाते ही 
मन में उत्साह समाया है !
अब दिन भर तो रंग खेलेंगे  
हर रात मनेगी  दीवाली !
पायल छमछम, तबला  ठुमके, सब यार हमारे झूम उठें !

रो रोकर दुनिया जीती है 
हम हँसना उसे सिखायेंगे 
नफ़रत की जलती लपटों 
पर गंगा जल ही बरसाएंगे  
शीतल जल की फुहार बरसे ,
जब तपती धरती पर यारो 
रजनीगंधा के साथ साथ , घर का गुलमोहर महक  उठे !

37 comments:

  1. आदमी को खींचता आदमी
    प्यार को प्यार
    फिर हम कैसे दूर रहे आपसे
    जहाँ मिले आप बडो का दुलार ||

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  2. एक नई दुनिया
    नया आसमां देखा हैं
    हमने यहां ..अपनेपन का
    संसार देखा हैं ,
    मिला नहीं किसी बड़े की आशीष
    पर आपके रूप में ..वो बड़ा भी मिला हैं ......आभार

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    Replies
    1. शुक्रिया स्नेह के लिए अनु....

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  3. बहुत सुंदर...................
    जीवन से भरी हुई रचना......
    खिली-खिली....
    महकी महकी......................

    सादर
    अनु

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  4. आज बाहर भी मौसम सुहाना हो गया है ।
    यारों की महफ़िल का असर आ गया यारो ।

    मस्त अंदाज़ में लिखा है आज का गीत भाई जी ।
    शुभकामनायें आपको ।

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  5. बहुत सुंदर...................

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  6. मगर फोटो किसकी है ? कुछ संदर्भ नहीं संकेत नहीं -इस सुन्दर गीत के साथ कोई परिप्रेक्ष्य नहीं ?

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    1. यह गीत नवजवानों को इंगित कर रहा है , फोटो गौरव ( मेरे बेटे ) का है !

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    2. बाढ़ें पुत्र पिता के धर्मे ....साक्षात है! स्नेहाशीष!

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  7. बहुत ही लाजवाब. यहाँ मौसम सुहाना तो नहीं है परतु बाहर खिड़की पर एक भीमकाय कूलर लगा कर श्रीनगर को याद कर रहे हैं.

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    1. चलाइये तो सही , वर्ना श्री नगर कहाँ ??
      आभार भाई जी !

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  8. कुछ मौसम ने अंगडाई ली, गुलमोहर ने रंग बरसाए !
    कुछ यार हमारे आ बैठे , महफ़िल में सुर झंकार उठे !

    सुंदर मौसम का खुमार छा गया या कोई खास बात सतीश जी.

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    Replies
    1. कई बार मन कुछ अधिक प्रसन्न होता है तब ऐसा गीत बन जाता है :)
      आभार आपका ....

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  9. रो रोकर दुनिया जीती है
    हम हँसना उसे सिखायेंगे
    नफ़रत की जलती लपटों
    पर गंगा जल ही बरसाएंगे
    शीतल जल की फुहार बरसे ,जब तपती धरती पर यारो
    रजनीगंधा के साथ साथ , घर का गुलमोहर महक उठे !
    beautiful expression.

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  10. बेहतरीन विचार लिए पंक्तियाँ..... सुंदर

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  11. जीवन की मस्ती का गीत .अच्छा लग रहा है -पढना भी !

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  12. आभार रविकर भाई ...

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  13. शुभकामनायें!

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  14. रो रोकर दुनिया जीती है
    हम हँसना उसे सिखायेंगे
    तथास्तु ...
    बहुत सुन्दर गीत

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  15. रो रोकर दुनिया जीती है
    हम हँसना उसे सिखायेंगे
    नफ़रत की जलती लपटों
    पर गंगा जल ही बरसाएंगे


    मस्त कर देने वाली रचना साथ ही प्रेरक भी ... आभार

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  16. मक्खन आपकी पोस्ट पढ़कर झूमता हुआ गाए जा रहा है...​
    ​​
    झूम बराबर झूम...​
    ​​
    ​जय हिंद...​​

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  17. अगली बार 'डोलू कुनिता' ट्राई कर देखिये बड़े भाई, हो सकता है सोने पर सुहागा हो जाए :)
    पूरे रंग में हैं आप और ऐसे ही थिरकते- गाते रहें, अपन भी खुश होते रहेंगे आपको खुश देखकर|

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    Replies
    1. ढोल सीखने का बड़ा दिल है यार ...
      चलते हैं प्रवीण भाई के पास :))

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  18. रो रोकर दुनिया जीती है
    हम हँसना उसे सिखायेंगे
    नफ़रत की जलती लपटों
    पर गंगा जल ही बरसाएंगे
    शीतल जल की फुहार बरसे ,जब तपती धरती पर यारो
    रजनीगंधा के साथ साथ , घर का गुलमोहर महक उठे !
    बहुत सुन्दर विचार हैं ....काश सभी ऐसा महसूस करें तो दुनिया गुलज़ार हो जाये

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  19. रो रोकर दुनिया जीती है
    हम हँसना उसे सिखायेंगे
    नफ़रत की जलती लपटों
    पर गंगा जल ही बरसाएंगे

    ....जीवन का उत्साह लिये बहुत सुन्दर, भावपूर्ण गीत जिसका प्रवाह अपने साथ बहा लेजाता है..

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  20. बढि़या गीत, उमंग और उत्साह से भरा।

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  21. रजनीगंधा से वैसे भी आपका आशियाना दूर नहीं.. आपकी उमंग बस ऐसे ही बनी रहे!! मज़ा आ रहा है आपके गीत सुनकर!!

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  22. बहुत सुंदर गीत ...

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  23. बहुत खूब...क्या बात है...

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  24. कभी कभी मन की गति सप्तसुरों के संग होती है ... सारे लय मन के अन्दर झूमते थिरकते हैं
    बहुत सुंदर गीत ...

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  25. सुन्दर गीत.. आपके गीत में जीवन के सभी रंग मिलते हैं... सहज गीत में कवि अपने प्राकृतिक रूप में मौजूद होता है... बहुत बढ़िया...

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  26. लाजबाब प्रस्तुति.
    उल्लास और मस्ती से भरपूर.
    तरंगित करती हुई.

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  27. जीवन के सुंदर पन्नों में ,
    चन्दन की गंध समा जाये
    मधु कलशों से अमृत छलके, मन वृन्दावन सा हो जाए !
    बचपन से जो देखा न कभी, वह साज बजाओ , झूम उठें !

    उल्लास हर्ष और मस्ती से भऱपूर गीत पढ कर आनंद आ गया .

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- सतीश सक्सेना

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