Wednesday, November 20, 2013

कैसे जाओगे यहाँ से, लेके प्यार, सजना - सतीश सक्सेना

विवाह पर गीत गाने की परम्परा, हमारे समाज में शुरू से ही है , सजधज कर मांगलिक अवसर पर महिलाओं द्वारा, ढोलक की थाप पर, यह गीत गुनगुनाइए एक बार …दूसरी बार रचना की है किसी विवाह गीत की  अगर आप पसंद करें तो सफल मानूं !
  

कैसे आये हो गली में लेके प्यार सजना ?
कैसे जाओगे यहाँ से, लेके प्यार सजना ?

सजके आये हो हमारे द्वार,खूब सजना !
कैसे जाओगे यहाँ से , ले उधार सजना ! 

फेरे डाले हैं यहाँ पे तुमने सात, सजना !
कैसे जाओगे यहाँ से, लेके हार सजना !

कसमें खायीं हैं,हमारे घर सात सजना   
कैसे दोगे तुम प्यार का, उधार सजना !

गांठें  बाँधी हैं , ननद ने , हमारी सजना !  
कैसे जाआगे छुटाके,पल्लू यार सजना !

खाना मामा ने खिलाया हमें साथ सजना !
कैसे खाओगे अकेले, अबकी बार सजना !

सारे नाचे हो गली में आके,आज सजना ! 
कैसे जाओगे गली से, ऐसे यार सजना !

यह आनंद दायक गीत अर्चना चाओजी की मधुर आवाज में सुने …  

30 comments:

  1. sundar geet.... vivah geet likhne ki parampara khatm ho gai hai.... nay samay aur sandarbh ko leke vivah geet rachiye... achha lagega...

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  2. bahut bahut achha............

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  3. बहुत प्यारा विवाह गीत है !
    वैसे इतने सुन्दर गीत पर कुछ कहना तो नहीं चाहिए पर क्या करूँ मेरा अनुभव कहता है विवाह के भी दो पहलु होते है सुन्दर गीतों से जो शुरुवात होती है वही बाद में बेसुरे तू-तू मै-मै के कोलाहल में परिणित हो जाती है :)
    कभी गाँव में विवाह पर बहुत सुन्दर लोकगीत हुआ करते थे !

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    1. ये ही कटु सत्य है, ज्यादातर तू-तू मैं-मैं राग आधारित गीत ही शेष रह जाते हैं.:)

      रामराम.

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  4. बढ़िया भाव-
    उत्कृष्ट प्रस्तुति-
    आभार भाई जी-

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  5. रोचक भाव-गीत । प्रवाह-पूर्ण सुन्दर प्रस्तुति । मज़ा आ गया ।

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  6. सुन्दर गीत ... इसको कोई लयबद्ध भी कर दे तो मज़ा आ जायेगा शादियों में ...

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  7. ह्म्म! बढ़िया है ...

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  8. हम्म...औरतें सामूहिक रूप से शादी के गीत बड़े ही शौक और पसंद से गाती हैं...मगर ये तो पता ही नहीं था कि बाहर बैठे पुरुष इसे मन लगाकर बड़े ध्यान से सुनते रहते हैं:):):):)

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    1. अरे !!
      यह मेरी रचना है मैडम :)

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    2. सच्ची ...ये तो आपकी ही रचना है...वापस अभी पढ़ा...
      गीत बनने योग्य है...लय भाव बहुत अच्छे|

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  9. होता है होता है
    सबको पता होता है
    औरतों को भी
    सब पता होता है
    किसको कितना होता है
    प्यार ऐसा ही होता है
    कोई कहता है
    कोई नहीं कहता है
    समझना इसको
    सबके बूते का
    बिल्कुल नहीं होता है
    किये जाओ किये जाओ :)

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  10. एक समय था बारातियों को उलाहनों और तानों से खूब सुनाया जाता था...खूब सुनाया आपने...

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  11. बहुत सुंदर गीत......

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  12. गाँवों में विवाह के अवसर पर गाली-गीत भी होते हैं ,जो समधी -पक्ष को सुनाए जाते हैं जो गाली नही स्नेह का प्रतीक माने जाते हैं । सुनकर त्यौरियाँ नही चढतीं मुस्कराहट बिखरती है । इनके लिये कवि वृन्द ने ठीक ही कहा है ---फीकी पै नीकी लगै ,कहिये समय विचारि , सबकौ मन हरषित करै ,ज्यों विवाह में गारि । आजकल फिल्मी गानों के चलते कौन पूछता है ढोलक पर गाए जाने वाले इन मधुर लोकगीतों को ...। आपका प्रयास अच्छा है ।

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  13. बहुत सुंदर गीत

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  14. बहुत सुंदर गीत

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  15. बहुत सुंदर गीत

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  16. किसी समय बारातियों को ऐसी तरह खूब उलाहने सुनने को मिलते थे ..एक अलग ही मजा था उसका ..अब बहुत कम हो गया है यह ...आपने इस कड़ी में सुन्दर गीत प्रस्तुति किया ..इसके लिए धन्यवाद ....

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  17. आपकी यह सामाजिक सरोकार प्रियता अनुकरणीय और स्मरणीय है

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  18. लयबद्ध गीत रचने में आपको स्वाभाविक महारत हासिल है, बहुत सुंदर गीत.

    रामराम.

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  19. बहुत ही सुन्दर

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  20. भाई साहब, इस गीत को पढते हुए ढोलक की थाप बैकग्राउंड में खुद ब खुद बजने लगती है!! कमाल किया है आपने. मन झूम झूम गया!

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  21. सुन्दर गीत

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  22. वाह अर्चना जी ने तो समा ही बाद दिया ... मेरी मुराद पूरी कर दी ...

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  23. बहुत भावप्रबल गीत … अर्चना जी कि मधुर आवाज़.... बहुत अच्छा लगा।

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- सतीश सक्सेना

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