क्या किसी राजनेता का भक्त कहलाने से आप गर्व महसूस करते हैं ?
- खास तौर पर भारत में , अक्सर राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने के बाद, वे चोरी के आरोप में जेल जाते हैं या जायेंगे !
-आप लोग किसी बच्चे के पिता और अपने घर के मुखिया हैं , आपकी पीठ पर एक राजनीतिज्ञ का लिखा नाम सबको नज़र आता होगा कि आप इस व्यक्ति के "आदमी" हैं , क्या आपके पीठ पर सिर्फ आपका नाम नहीं होना चाहिए ?
- मेरा अनुरोध है कि कहें हम किसी के आदमी नहीं हैं , हमारा अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व है , शायद यह सुन हमारे बच्चों को शक्तिशाली होने का अहसास होगा क्योंकि वे अपने पिता को दुनिया का सबसे शक्तिशाली आदमी समझते हैं ! किसी अन्य का नाम हमारी पीठ पर लिखा देख, निस्संदेह हमारे बच्चे अपने आपको शर्मिंदा पाएंगे !
-कृपया कहें कि हम किसी के भांड नहीं हैं और न बिकाऊ हैं ! विचारों का सपोर्ट करें मगर व्यक्ति का नहीं ! वह हम जैसा ही है, उसमे वे तमाम ऐब और कमजोरियां हैं जो हम सबमें होती हैं , उसे भगवन बना कर आप ईश्वर का अपमान और अपनी बेवकूफी उजागर कर रहे हैं !
अपने आपको किसी का भक्त न बताएं ! इससे आपके परिवार का स्वाभिमान सुरक्षित रहेगा !
- खास तौर पर भारत में , अक्सर राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने के बाद, वे चोरी के आरोप में जेल जाते हैं या जायेंगे !
-आप लोग किसी बच्चे के पिता और अपने घर के मुखिया हैं , आपकी पीठ पर एक राजनीतिज्ञ का लिखा नाम सबको नज़र आता होगा कि आप इस व्यक्ति के "आदमी" हैं , क्या आपके पीठ पर सिर्फ आपका नाम नहीं होना चाहिए ?
-किसी जमाने में राज दरवार के भांड हुआ करते थे जो अपने राजा की वंदना गाया करते थे क्या हम लोग उसी प्रथा का अनुसरण कर रहे हैं
- मेरा अनुरोध है कि कहें हम किसी के आदमी नहीं हैं , हमारा अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व है , शायद यह सुन हमारे बच्चों को शक्तिशाली होने का अहसास होगा क्योंकि वे अपने पिता को दुनिया का सबसे शक्तिशाली आदमी समझते हैं ! किसी अन्य का नाम हमारी पीठ पर लिखा देख, निस्संदेह हमारे बच्चे अपने आपको शर्मिंदा पाएंगे !
-कृपया कहें कि हम किसी के भांड नहीं हैं और न बिकाऊ हैं ! विचारों का सपोर्ट करें मगर व्यक्ति का नहीं ! वह हम जैसा ही है, उसमे वे तमाम ऐब और कमजोरियां हैं जो हम सबमें होती हैं , उसे भगवन बना कर आप ईश्वर का अपमान और अपनी बेवकूफी उजागर कर रहे हैं !
अपने आपको किसी का भक्त न बताएं ! इससे आपके परिवार का स्वाभिमान सुरक्षित रहेगा !
आदर सहित, मात्र विचार करने के लिए अनुरोध !!
सर यह प्रथा तो शुरू से रही है अपने देश मे ... "फलां फलां पक्का गांधीवादी है" - यह भी तो किसी और का नाम अपनी पीठ पर लादना ही हुआ न ...
ReplyDeleteआदर सहित विचार करने के लिए मात्र अनुरोध !!
हाँ यह अनुरोध किसी एक पक्ष के लिए नहीं है Shivam Misra
Deleteअफ़सोस है यहाँ भीड़ अधिक है समझदार कम , कम से कम अर्थ निकलने से पहले पूरा पढ़े तो सही ध्यान से , यह अपने आप में स्पष्ट है ! हर दल और उनके अंध समर्थकों पर लागू होता है !
Deleteबहुत मुश्किल है भाया आज ही का वाकया है मेरे विभाग का सफाई कर्मचारी मुझ से !पूछ्ने लगा सर आप काँग्रेसी हो या भाजापाई मैं बोला क्या इनमें से एक होना जरूरी है तो वो बोला सर मुझे पता है आप काँग्रेसी हो मैं तो यूं ही पूछ रहा था ! जब मैंने उससे कहा भाई मैं तो किसी भी पार्टी से जुड़ा नहीं अभी तक तो उसने कहा सर हमारे विभागाध्यक्ष काँग्रेस में हैं ना ! :) और आप की बात भी पूरी पढ़ ली और वैसे हम हैं वो ही :P
Deleteआपका आभार डॉ जोशी ...
Deleteपहले के ज़माने में राजायों के एक दो भांड हुआ करते थे अब तो एक ढूढ़ो तो दस मिलते हैं |स्वाभिमान को लोगो ने बेच दिया है !
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है
आपका लिखे बातो से सहमत हूँ। ....
ReplyDeleteSuper Like !!!
ReplyDeleteबिलकुल सहमत हूँ आपसे …। अंधभक्ति उचित नहीं वो चाहे किसी कि भी हो |
ReplyDeleteविचारों का सपोर्ट करें मगर व्यक्ति का नहीं .................कांटे की बात तो ये है कि विचारों से कोई आदमी व्यक्ति बनता है सतीश भाई वैसे भक्ति भगवान की ही ठीक है , और भांडई कभी भी कैसी भी ठीक नहीं :) :)
ReplyDeleteसही कहा आपने...किसी का नाम लिख लेने से आप अपने आप ही उसके अधीन हो जाते हैं..
ReplyDeleteलगता है यह प्रश्न बच्चों के पिताओं से किया गया है इसलिए मै तो
ReplyDeleteयहाँ से आपकी यह पोस्ट पढ़कर भाग रही हूँ :)
इनकी भक्ति में भी छल है...अगर टिकट नहीं मिला तो भक्ति बदल जाती है...
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे …
ReplyDeleteकृपया कहें कि हम किसी के भांड नहीं हैं और न बिकाऊ हैं ! विचारों का सपोर्ट करें मगर व्यक्ति का नहीं ! वह हम जैसा ही है, उसमे वे तमाम ऐब और कमजोरियां हैं जो हम सबमें होती हैं , उसे भगवन बना कर आप ईश्वर का अपमान और अपनी बेवकूफी उजागर कर रहे हैं !
ReplyDeleteअब तो भैया देश मेरा चर्च के एजेंट का रिमोट हो गया -
क्या बात है सक्सेना साहब राजनीतिक भांड -गिरी मिनिस्टर पद दिलवाती है ,
कृपया कहें कि हम किसी के भांड नहीं हैं और न बिकाऊ हैं ! विचारों का सपोर्ट करें मगर व्यक्ति का नहीं ! वह हम जैसा ही है, उसमे वे तमाम ऐब और कमजोरियां हैं जो हम सबमें होती हैं , उसे भगवन बना कर आप ईश्वर का अपमान और अपनी बेवकूफी उजागर कर रहे हैं !
ReplyDeleteअब तो भैया देश मेरा चर्च के एजेंट का रिमोट हो गया -
क्या बात है सक्सेना साहब राजनीतिक भांड -गिरी मिनिस्टर पद दिलवाती है ,
राजनीति में होना यही चाहिए कि विचारों का समर्थन किया जाए ना कि व्यक्ति विशेष का !
ReplyDeleteरचनात्मक सुझाव !
राजनीति,राजनेता और भष्टाचार ...एक ही कड़ी से जुड़े हुए हैं ...और एक दूसरे के बिना अधूरे हैं
ReplyDeleteशाहरुख खान कहते है कि मैं भांड हूँ। वो बाकायदा शादी में नाचने के करोडो रुपये भी लेते है। हमारे हिसाब से अपनी जिंदगी जीने का सबको हक़ मिलाना चाहिए चाहे वो शाहरुख खान हो या हर बात में शाहरुख खान करने वाला।
ReplyDeleteये बात हमने इस सन्दर्भ में कही है कि गर कल अगर शाहरुख खान चुनाव लड़े तो उनके डाई हार्ड फैन के उन्हें वोट देने कि खासी अच्छी संभावनाए है :)
लिखते रहिये।
शाहरुख़ खान कलाकार हैं वे बताकर यह काम करते हैं , इसमें कुछ बुरा नहीं है भाई !
Deleteमैंने बुराई, उन कमज़ोर मस्तिष्क लोगों की, की है जो राजनैतिक कलाकारों की प्रसंशा में अपना सर कटाने को खड़े नज़र आते हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ ताकत हासिल करना मात्र है !ऐसे चमचे देश का गम्भीर नुक्सान कर रहे हैं और इसके पीछे सिर्फ लालच है !
आपको मैं विद्वान् समझता रहा हूँ कृपया आप भी …
ऑंखें और दिमाग खुली रखिये,
आत्म विवेचना भी करते रहिये ,
हठधर्मी छोड़ते रहिये
आते रहिये !
आप क्यूं ताऊ की खाट खडी करने में लगे हुये हैं? आपकी सलाह मान ली गई तो ताऊ पार्टी का क्या होगा?
ReplyDeleteरामराम.