Tuesday, October 1, 2019

काश कर सकें, पर फैलाकर विचरण अन्य जहान के -सतीश सक्सेना

और अब यह बेहद आसान है अगर दो वर्ष में आप एक बार घर से दूर घूमना चाहते हैं तो कम खर्चे में आप
जर्मनी, चेकिया या रोम जा सकते हैं और निश्चित ही यह आपके या परिवार के लिए उत्साहवर्धक एवं आत्मविश्वास बढाने में कामयाब होगा ,बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि यूरोप जाना उतना ही सस्ता होता है जितना अपने देश में अंडमान निकोबार अथवा गोवा जाकर एक सप्ताह की मस्ती करना !  
मान लीजिये आपको म्युनिक जर्मनी जाना है तो सबसे पहले कुछ चिंताएं पैदा होंगीं जैसे भाषा कैसे समझेंगे और समस्याएं क्या आएँगी !भाषा के नाम पर हमें बिलकुल परवाह नहीं करनी चाहिए पूरे यूरोप में टूटी फूटी इंग्लिश बोली जाती है व् समझी जाती है ! ग्रीक , इटालियन,जर्मन, फ्रेंच,डच , स्पेनिश , पोलिश एवं अन्य प्रांतीय भाषाएँ बोली जाती हैं ! वहां के लोग टूरिस्ट के लायक टूटी फूटी इंग्लिश और कई जगह बेहतर इंग्लिश धड़ल्ले से बोलते हैं ! और यह वाकई इंटरेस्टिंग होता है जब वे ,भारतीय अम्मा जी को भी इंग्लिश में समझाने में अक्सर कामयाब रहते हैं !

विदेश यात्रा के लिए निम्न तैयारी आवश्यक है , अगर डाक्यूमेंट्स पूरे हों तो वीसा मिलने में लगभग 15 दिन लगते हैं !
  1.  पासपोर्ट जिसकी वैलिडिटी लगभग छह माह बची हो !
  2. वीसा जर्मनी का , वीसा विदेशी दूतावास की एक मुहर है जो आपके पासपोर्ट को विशेष देश आने  की अनुमति देता  है ! और यह मुहर आपके पासपोर्ट पर वह देश लगाता है जहाँ आप भ्रमण के लिए जा रहे हैं ! वह देश आपको अपने देश आने की अनुमति कुछ विशेष जानकारियों के लेने के बाद देता है ! यूरोपियन यूनियन की ख़ास बात है कि आप जर्मनी वीसा अप्लीकेशन पर पूरे 26 देशों का भ्रमण कर सकते हैं ! इसे शेंगेन वीसा कहते हैं , इसे अप्लाई करने से पहले निम्न  डाक्यूमेंट्स आवश्यक हैं !
  3. कन्फर्म फ्लाइट टिकट आने व् जाने का 
  4. इन्हीं दिनों होटल या मित्र के यहाँ ठहरने का कन्फर्मेशन ( रूपये 3000 से 5000 प्रतिदिन ) 
  5. उपरोक्त दिनों के ट्रेवल के लिए आपका हेल्थ ट्रेवल बीमा 
  6. आपका बैंक अकाउंट डिपाजिट , लास्ट तीन महीने का  जिससे यह सुनिश्चित हो की आप अपना खर्चा करने में समर्थ हैं ! ( 50 से 60 यूरो प्रतिदिन के हिसाब से ) लगभग २ लाख रुपए हों  तो अच्छा है ! 
  7. तीन माह की सैलरी स्लिप्स अगर आप नौकरी कर रहे हों 
  8. एम्प्लायर का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट 
  9. लास्ट ३ वर्ष की इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी 
  10. वीसा फीस की रसीद 
  11. उपरोक्त डाक्यूमेंट्स के साथ वीसा एप्लीकेशन , वीसा रसीद के साथ ( Rs 4500 ) 
  12. कवरिंग लेटर जिसमें आप कारण लिख कर देंगे और साथ में आप अपनी टिकट एवं रुकने की डिटेल देंगे  ! 
  13. चेकलिस्ट यह रही 
उपरोक्त डाक्यूमेंट्स तैयार होने के बाद आपको  VFS global में एप्लीकेशन सबमिट करना है जो बेहद आसान है ऑनलाइन एप्लीकेशन भरिये , जमा करिये तथा अपॉइंटमेंट लीजिये ताकि आप पासपोर्ट  व उपरोक्त डाक्यूमेंट्स  सबमिट कर सकें ! अगर आप पहली बार यूरोप जा रहे हैं तब आपके फिंगर प्रिंट्स स्कैन होंगे !
फीस जमा होगी तथा डाक्यूमेंट्स रिसिप्ट  आपको दे दी जाएगी ! कुछ दिन में पासपोर्ट वीसा का ठप्पा लगाए कूरियर द्वारा आपके दरवाजे पर पंहुच जाएगा !

क्रमश  ...
टिकट एवं होटल रिजर्वेशन ,एयरपोर्ट फॉर्मेलिटी ,पैकिंग एवं सावधानी 




Tuesday, July 16, 2019

भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा - सतीश सक्सेना

जो लोग बरसों से बिना पसीना बहाये, ऐयरकंडीशनर ऑफिस में काम करने के आदी हो गए हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि उनके शरीर की मसल्स, फेफड़ों के नियमित कार्य , धमनियों में रक्त संचार , हाथ, पैरों, रीढ़, कमर, घुटनों व शरीर के अन्य महत्वपूर्ण जॉइंट्स, बेहद धीमी गति से चलने के आदी हो चुके हैं और बरसों से पड़ी उनकी इस आदत के फलस्वरूप शरीर ने अपने अंदर समयानुसार कुछ स्वाभाविक बदलाव भी किये हैं जिनके कारण विभिन्न प्रकार के दर्द एवं बीमारियां उत्पन्न हुई हैं ! और यह स्थिति अपने शरीर के महत्वपूर्ण अवयवों का उपयोग न करने के कारण पैदा हुई है ! आज पहली बार मैं आपका ध्यान आकर्षण उन अवयवों के बारे में करना चाहता हूँ जिनकी स्थिति पर अपने कभी गौर ही नहीं किया और उनकी दुर्दशा कर दी 
जरा गौर करें कि  ... 
  • आपके फेफड़ों का कार्य बेहद जटिल हैं, वे बाहर की हवा को अंदर खींचकर उसमें से ऑक्सीजन अलग कर रक्त में मिलाने के लिए आगे पम्प करते हैं और बची हुई कार्बन डाई ऑक्साइड को शरीर के बाहर निकालते हैं , उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काम आपको आवाज देने के लिए हवा की सप्लाई करना भी है ! आप गहरी साँस खींचकर अंदर भरी हुई हवा का अनुमान लगाइये , इस हवा को समाने की क्षमता लिए हैं हमारे फेफड़े मगर अब आप सामान्य सांसे
    लीजिये जिसके आप आदी हैं आप महसूस करेंगे कि आपके फेफड़े सिर्फ 10 प्रतिशत क्षमता पर ही कार्य कर रहे हैं ! इसका मतलब यह भी हुआ कि  जितनी ऑक्सीजन आपके शरीर के लिए मिलनी चाहिए आप उसकी 90 प्रतिशत कम सप्लाई दे रहे हैं , मानवीय शरीर हर परिस्थिति के हिसाब से आसानी से अपने आपको ढाल लेता है और इस कमी के बावजूद भी आपका शरीर चलता रहता है ! जब आप रनिंग जैसी एक्सरसाइज करते हैं तब यही फेफड़े शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन देने के लिए बहुत तेजी से हवा खींचते व् हृदय में पम्प करते हैं बदकिस्मती से उनकी यह क्रिया आपके आरामतलबी के कारण बहुत कम हो गयी है और फलस्वरूप आपका खून गाढ़ा और बिना ऑक्सीजन के काम करने को मजबूर है ! हृदय की तमाम आधुनिक बीमारियां इसी कारण हैं !
  • प्रौढ़ावस्था में जॉइंट दर्द की शिकायत अधिकतर लोगों में मिलती है , शरीर में सैकड़ों जॉइंट्स हैं और यह चलते रहने से यह हमेशा सुचारु रूप से काम करते रहते हैं उम्र चाहे कोई हो ! अगर आप लगातार मूवमेंट करते हैं तो ऑटो लुब्रिकेशन के जरिये हड्डियों के जोड़ों में चिकनापन बना रहता है मगर जॉइंट मूवमेंट बंद करते ही उनमें ब्लड के जरिये रुकावटें जमा होना शुरू हो जाती हैं फलस्वरूप जकड़न के कारण दर्द होता है ! यहाँ डॉक्टरों की सलाह होती है कि आराम करें , जिससे वे और जकड जाते हैं !
  • विश्व में कार्डिओवेस्कुलर डिजीज, मृत्यु का सबसे बड़ा कारण माना जाता है , लगभग 30 प्रतिशत मृत्यु सिर्फ इसी से  होती हैं ! अधिक वजन होना , मेहनत न करना , हाई ब्लड प्रेशर , बढ़ी हुई डायबिटीज , स्मोकिंग , हाई कोलेस्ट्रॉल , बेहतरीन हृदय को रोक देने के लिए काफी हैं !
  • विश्व के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट इस बात को स्वीकार करते हैं कि हृदय रोग और डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण मेहनत कम करना है, पूरे दिन बैठे रहकर काम करने वालों को यह बीमारियों अधिक होती हैं , डायबिटीज ग्रस्त लोगों को हृदय रोग का ख़तरा दूसरों के मुकाबले और अधिक होता है ,अगर इंसान अपनी आदतें बदलकर पसीना बहने तक की मेहनत करना सीख ले तो इन बीमारियों पर विजय आसानी से पा सकता है !
एक बार अगर ऑपरेशन थियेटर में पंहुच गए तो फिर पूरे जीवन के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहने और रोज दवाएं खाने के अलावा और कोई चारा नहीं , इंसान मेडिकल व्यवसाइयों के गिरफ्त से निकल ही नहीं सकता !अपने जीवन की पूरी कमाई
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है बुड्ढा ६५ साल का 
इनको जाते असहाय सा देखता रहता है ! इन खतरनाक बीमारियों में परिवार को मृत्युभय दिखाया जाता है अतः वे तुरंत ऑपरेशन टेबल पर पंहुच जाते हैं ! 
शायद ही किसी डॉ ने यह सलाह दी हो कि आप धीमे धीमे रोज व्यायाम करना शुरू करें लगभग एक वर्ष में एक से दो घंटे लगातार मेहनत करना आते ही यह बीमारियां आपके पास से भाग जाएंगी !

इन सब बीमारियों की भगाने की एक दवाई आप खुद को रनिंग करना सिखाइये मगर ध्यान रहे कि रनिंग का अर्थ तेज दौड़ना नहीं होता बल्कि धीमे धीमे बिना हांफे दौड़ते हुए अपने शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण अवयवों में झंकार पैदा करना होता है जो रनिंग द्वारा आसानी से संभव है ! जब आप भागते हैं तो हर गिरते कदम द्वारा जमीन पर आपके शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट होता है उससे पूरे बॉडी कोर एवं दिमाग तक जो कम्पन की लहरें उठती हैं वह किसी भी बीमारी को दूर भगाने को काफी हैं ! फेफड़ों से शुरू होकर हृदय, किडनी, लिवर, पेन्क्रियास, एब्डोमेन , बॉडी मसल्स , बोन जॉइंट्स , नर्व एवं टिश्यू सबको एक लय में वायब्रेशन मिलता है और हमारा शरीर अधिक फ्रेश महसूस करता है , अधिक ऑक्सीजन पाकर खून स्वच्छ एवं पतला होता है , यह क्रियाएं हम सिर्फ बचपन और जवानी में महसूस करते हैं , बुढ़ापा आराम करते हुए काटने की कोशिश करते हैं कि अब यह काम हमारे लिए संभव नहीं अतः अंत समय अधिक बुरा भुगतते हैं !

अतः मित्रों को चाहिए .. 
-अब हमारी उम्र हो गयी है यह कहना बंद करें और वृद्धावस्था को जड़ से नकारें , हर काम में हाथ डालें जो मजबूत शरीर के साथ करते थे !
-रनिंग सीखना शुरू करें ध्यान रहे रनिंग का अर्थ गति नहीं होता एवं बिना हांफे मुस्कराते हुए दौड़ना सिखाएं अपने शरीर को और याद रहे यह ट्रेनिंग तब पूरी माने जब सुबह ठण्ड के दिनों में ठीक पांच बजे उठकर खुद से कह रहे हों कि उठ बच्चे दौड़ने चलना है  और अगर मन बहाना बनाये तो खुद को कठोर सजा भी दें जैसे क्लास में मिलती थी !
मंगलकामनाएं कि हम सब असमय न जाएँ !!

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें 

भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

सस्नेह  

Monday, July 15, 2019

प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाकर, भय से मुक्ति पाइये - सतीश सक्सेना

भारत में आजकल लगभग 40 डिग्री टेम्प्रेचर है और एक नए बने रनर ट्रेनी के लिए इस गर्मी में, लम्बी दूरी दौड़ना केवल एक भयावह सपना होता है , पिछले माह जब मैं जर्मनी आया था तब अगले दिन ही यहाँ के ठन्डे मौसम में, इसार नदी के किनारे दौड़ते दौड़ते कब 21 km पूरा कर लिया पता ही नहीं चला जबकि अपने देश में पिछले 4 महीने में मेरा कोई भी ट्रेनिंग रन 21 km के आसपास भी न था ! यहीं एक उदाहरण और देना चाहूंगा 18 जून को अकेले दौड़ते हुए मैंने यह रन बेहद मस्ती और आराम से पूरा किया था जबकि इससे पूर्ववर्ती कई हाफ मैराथन मैंने पूरी ताकत लगाकर दौड़ते हुए भी लगभग इसी समय में पूरे किये थे जबकि शरीर थक कर चूर हो जाता था ! आश्चर्य यह है कि जब भी मैं बिना किसी तनाव के आराम से दौड़ने निकलता हूँ उस दिन गति अधिक ही आती है और मेरा शरीर और मन बिलकुल नहीं थकता !


मुझे ख़ुशी है कि मैं दौड़ के सहारे अपने तथाकथित वृद्ध शरीर का कायाकल्प करने में सफल रहा , आज उन दसियों बीमारियों में से एक भी शेष नहीं बची जिनसे मैं एक समय चिंतित रहा करता था और या सफलता मुझे 60 वर्ष से 64 वर्ष के मध्य मात्र दौड़ना सीख पाने से मिली ! जो व्यक्ति अपने साठ वर्षों में कभी दस मीटर भी न दौड़ा हो वह सिर्फ एक वर्ष के अभ्यास के बाद 21 km लगातार दौड़ने में सक्षम हुआ है एवं बीमारियां कहाँ गायब हुईं यह पता ही नहीं चला !

दौड़ना स्वस्थ शरीर के लिए एक बेहद आवश्यक क्रिया है जिसके द्वारा, शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा शक्ति, शरीर के विभिन्न
अवयवों को वाइब्रेट कर स्फूर्ति प्राप्त करती है ! दुर्भाग्य से आज के समय में बेहतरीन विद्वान भी इस विषय (मानवीय  प्रतिरक्षा शक्ति) को अछूता छोड़े हुए हैं और भौतिक सुख सुविधाओं का उपयोग, अपने शरीर को आराम देने में प्रयुक्त कर रहे हैं !

आज हमारे देश में, 50 वर्ष के आसपास का हर चौथा व्यक्ति हार्ट आर्टरीज़ की रूकावट का शिकार है एवं हर तीसरा व्यक्ति डायबिटीज का शिकार है और ऐसे समय में इसके निदान के लिए मेडिकल व्यवसायी आगे आते हैं ,उनके एजेंट्स, डॉक्टरों के जरिये संभावित असामयिक मृत्युभय के कारण आम व्यक्ति को समझाने में आसानी से कामयाब हैं कि जान जाने से बचने के लिए, उनके पास कितने तरह के केमिकल एवं ऑपरेशन उपलब्ध हैं जिनके सेवन से आपको हृदय रोग से बचाव होगा। ... 

वे यह कभी नहीं बताते कि इन दवाओं के सेवन से आपकी किडनी कितने दिनों में आधे से अधिक बर्बाद हो जायेगी और फिर उसकी दवा भी पुराने केमिकल्स (तथाकथित दवा) के साथ खानी होगी !

वे यह कभी नहीं बताते कि मात्र नियमित दौड़ना सीखने से ही आप बिना किसी साइड इफक्ट्स के आप आर्टरीज को साफ़ कर पाएंगे एवं डायबिटीज कभी पास नहीं आ पाएगी !

वे यह कभी नहीं बताते कि पैरों का उपयोग किये बिना आप अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को बेहद कमजोर कर रहे हैं और बीमारी रहित मजबूत मानव जीवन के लिए रोज कम से कम 10 kmचलना व् दौड़ना बेहद आवश्यक है !

वे यह कभी नहीं बताते कि मात्र दौड़ने के नियमित अभ्यास से आपके हृदय आर्टरीज़ में जमा रक्त के थक्के समाप्त हो सकते हैं !

वे यह कभी नहीं बताते कि मेडिकल साइंस अभी खुद शैशव अवस्था में है और मेडिकल कॉलेज बरसों से पुराना ज्ञान ही पढ़ाते रहते हैं ऑपरेशन करते समय कई बार डॉक्टर्स को यह पता ही नहीं होता कि इस नए लगे चीरे से क्या क्या कट गया और उसका असर क्या होगा !

वे कभी नहीं बताएँगे कि जंग लगे घुटनों से चलने में दर्द तो होगा मगर यह प्रयत्न करना छोड़ें नहीं एक दिन यह घुटने मजबूत जोड़ वाले घुटनों में बदल जाएंगे हाँ वे सब यह अवश्य बताते हैं कि बढ़ी उम्र में आपके घुटने के कार्टिलेज डैमेज हो गए हैं , अब उनका उपयोग कम करें ! 

वे यह कभी नहीं बताते कि  अपने परिवार में वह दवाएं कभी नहीं देते जो वे अपने मरीजों में धड़ल्ले से बांटते हैं !
वे यह कभी नहीं बताते कि उन्हें हर रेकमेंडेड टेस्ट से लगभग 50 प्रतिशत पैसा कमीशम में बापस मिलता है !
वे यह भी नहीं बताते कि अधिकतर लैब टेस्ट, टेबल पर बैठकर बिना टेस्ट किये , सिग्नेचर कर जारी किये जाते हैं !
वे यह भी नहीं बताते कि लैब्स के पास रोज आये सैकड़ों सैंपल टेस्ट करने की क्षमता, उपकरण एवं तकनीशियन लैब में होते ही नहीं !
हजारों तरह के एड हम रोज देखते हैं , कोई एड यह नहीं बताता कि हम अपने शरीर में दौड़ने की आदत विकसित कर 60 वर्ष की उम्र के बाद भी कायाकल्प करने में समर्थ हो सकते हैं  एवं बड़ी उम्र में भी शरीर से अनावश्यक क्षरण को रोकना संभव है !

वे कहेंगे कि आपकी उम्र अब इस योग्य नहीं कि हैवी व्यायाम करने का प्रयत्न करें वे कभी नहीं बताएँगे कि आप धीमे धीमे हलके व्यायाम करते हुए अपने शरीर को मेहनत करने की आदत डालें और यकीन रखें कि आप भी कुछ वर्षों में युवकों जैसा व्यायाम कर पाने में समर्थ होंगे ! धीमे धीमे व्यायाम करते हुए एक आध वर्षों में आपके जीर्णशीर्ण अवयव पहले बीमारी मुक्त होंगे और बाद में अपनी पूरी शक्ति के साथ नए ऊतकों के साथ आपके शरीर को नया अनुभव देने में समर्थ होंगे !

ये सब एक ही बात कहते हैं कि यह दवाएं खाइये आप स्वस्थ होंगे और दवाओं से पहले उसे बीमारी से संभावित खतरे जो मौत की और ले जाते हैं को खूब घंटे बजाकर बताया जाता है ताकि उस अस्वस्थ व्यक्ति के विचार को इतना शून्य और क्षतिग्रस्त कर दिया जाए कि वह इन दवाओं की शरण से अपनी पूरी जिंदगी में निकलने के बारे में कभी सोंच भी न सके !

इस लेख का उद्देश्य उपरोक्त तथ्यों पर आपका ध्यान दिलाना है ताकि आप उचित फैसले ले सकें !

Friday, May 31, 2019

हमारी सबसे यारी रे - सतीश सक्सेना

लगा सब धर्मों का मेला
भीड़ का है रेलम पेला

अजान में है खिचाव भारी
भजन में आत्मा दिल हारी
बैठना , गिरिजा में चाहें ,
आँख में जब आंसू आएं !
मुहब्बत करना सिखलायें 
कतारें,  लंगर की प्यारे !
सभी घर अपने से लागे, सब जगह वही प्यार इज़हार !
फ़क़ीरों का अल्हड संसार
हमारी सबसे यारी रे !

प्यार की, कष्टों में दरकार
मिले स्पर्श नेह इक साथ 
मुसीबत में शबरी का संग 
लगे परमेश्वर का  दरबार ,
चर्च हो या मस्जिद प्यारे 
हर भवन में , ईश्वर न्यारे !
पीठ पर है निर्भय अहसास 
आस्था के , वारे न्यारे !
हर जगह सम्मोहन भारी, भक्ति में कहाँ दुश्मनी यार !
सूफियों का विरक्त संसार 
हमारी दुनिया न्यारी रे !!

मिले शर्तों के बदले राह
बड़े बूढ़े अब रहे कराह !
खाय कसमें जीवनसाथी
रोज ही बदले जाते यार
भर गया पेट सरे बाजार
देख प्यारों का ऐसा हाल !
कटी उंगली पर मांगे धार
बताओ क्या देंगे सरकार
काश इंसान समझ पाये, जानवर से निश्छल अनुराग !
मानवों का लोभी संसार
यहाँ  सारे व्यापारी रे !!

शुरू से ऐसी ही ठानी
मिले, अंगारों से पानी
पियेंगे सागर तट से ही 
आंसुओं में डूबा पानी,
कौन आये देने विश्वास 
हमारी सांस आखिरी में
हंसाएंगे इन कष्टों को 
डुबायें दर्द, दीवानी में !
बहुत कुछ समझ नहीं पाये, इश्क़ न करें किसी से यार !
मानवों से ही डर लागे 
पागलों में ही, यारी रे !!

Friday, May 24, 2019

भारत में उद्देश्यहीन विपक्ष का कोई भविष्य नहीं -सतीश सक्सेना

मोदी -शाह की जोड़ी को आखिरकार शानदार बहुमत मिला और देश के सत्ता सिंहासन पर अगले पांच वर्षों तक
बैठने का जनादेश भी , इस नाते मैं उन्हें मुबारकबाद देता हूँ और आशा करता हूँ कि वे विरोधियों का विश्वास पाने के प्रयत्न करने के साथ, देश के हर वर्गों को साथ लेकर, चलने का प्रयास करेंगे ! पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस ने अपनी डूबती छवि सँभालने का हर संभव प्रयास किया और राहुल की छवि में काफी निखार भी आया मगर कांग्रेस के आलसी और चापलूस कार्यकर्ताओं पर भाजपा के प्रतिबद्ध, वचनबद्ध एवं उद्देश्य के प्रति समर्पित कार्यकर्ता बहुत भारी पड़े, सोने पर सुहागे का कार्य, धन की कोई कमी न होना था इसके होते , प्रचार में भरपूर शक्ति लगाई गयी !

भाजपाई कार्यकर्ताओं के मन में कूट कूट कर असुरक्षा भर दी गयी है, उनमें एक साथ चलो , लाठी चलाना सीखो , अपने लोगों की मदद करने में सबसे आगे रहो , संगठन में शक्ति है , की भावना को सामान्य जन ने सहज भाव से अपना लिया नतीजा हर मोहल्ले में आरएसएस की शाखाएं नजर आने लगीं जबकि अन्य दलों का उद्देश्य, धन लाभ हेतु, ऐन केन प्रकारेण इलेक्शन जीतना ही रहा !


बेहतर विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कांग्रेसियों को चाहिए कि अपनी पार्टी से एक निर्मम मारक क्षमता वाला एक चतुर नेता तलाश करें और उसे अपना प्रेसिडेंट बनाकर समस्त शक्तियां हस्तांतरित करें ! हर हालत में सत्ता केंद्र गांधी परिवार से हस्तांतरित होना चाहिए ! इलेक्शन जीतने के लिए चालाकी , निर्ममता , निडरता एवं धनपतियों का साथ आवश्यक है और यह सब गुण गाँधी परिवार में किसी के पास नहीं !

अगली लड़ाई में विपक्ष को एक और अमित शाह मोदी तलाशना होगा अन्यथा अगले १५ वर्षों तक भारत में विपक्ष जूते ही खाता रहेगा !

अरविन्द केजरीवाल का मैं शुरुआत से ही समर्थक रहा हूँ मेरी नजर में वे भृष्ट नहीं हैं मगर उनके फैसले अव्यवहारिक हैं जो राजनीति में फलीभूत नहीं हो सकते सो उनकी किस्मत में निस्संदेह पराजय ही आएगी , मेरे विचार में वे भारतीय राजनीति के योग्य नहीं उन्हें अगर अपमान और कष्टों से बचना है तो राजनीति छोड़कर चौकीदार की भूमिका अपनानी चाहिए , वे निस्संदेह बेहतरीन चौकीदार सिद्ध होंगे !

Friday, May 10, 2019

यज्ञ सदियों तक चले, जडबुद्धि अभ्युत्थान में -सतीश सक्सेना

साधुओं का वेष रक्खे लार टपकाते दिखें
कौन आएगा नमन को , मेरे हिंदुस्तान में ?


धूर्तों ने धन कमाने , घर में, कांटे बो दिए !
रोयेंगी अब पीढ़िया, परिवार पुनरुत्थान में !

कौम सारी हो चुकी बदनाम , बहते खून से ,

कई युग बीतेंगे अपनी क़ौम के भुगतान में !

जाहिलों की बुद्धि, कैसे शुद्ध हो इस देश में
यज्ञ सदियों तक चले जडबुद्धि अभ्युत्थान में !


इस मदारी राज में सब , दिग्भ्रमित से हैं खड़े
औ लगाओ जोर हइन्सा राज ध्वजोत्थान में !

Thursday, May 9, 2019

जीवन चलने का नाम -सतीश सक्सेना

नमस्ते सर , अजय कुमार बोल रहा हूँ  ...कल सुबह आपके साथ दौड़ने का मन है, जहाँ कहें वहां आ जाऊंगा ...
मेरे साथ अजय कुमार दौड़ेंगे ? क्यों बुड्ढे का मजाक बना रहे हो यार  ...?  और वाकई अजय सुबह सवा पांच बजे फरीदाबाद से चलकर मेरे घर के दरवाजे पर थे !


अजय कुमार NCR के जबरदस्त रनर्स में शुमार होते हैं , और वे अक्सर अल्ट्रा रन में भाग लेते हैं , उनका मैं प्रशंसक इसलिए हूँ कि वे कम उम्र में ही हैवी डायबिटीज के शिकार हुए और उन्होंने दौड़ना शुरू करके उसे हराने में कामयाबी प्राप्त की , आज वे एक सफल धावक हैं और 50 km की शानदार दौड़ लगाने में कामयाब हैं !
अजय कुमार एक बेहतरीन चित्रकार भी हैं और उनकी प्रदर्शनी भी लग चुकी हैं , उनका एक चित्र कमेन्ट लाइन में देखिएगा !

आज के बुरे समय में जब इंसान अपने शरीर का उपयोग ही भूल चूका है , अपने शरीर के प्रति जागरूक रहना बेहद आवश्यक है ! अक्सर रिटायरमेंट उम्र होने के आसपास ही अपने मित्रों की मृत्यु की खबर सुनना आम बात हो गयी है और यह अक्सर हार्ट अटैक से होती हैं , अधिकतर यह साथी उस समय ओवरवेट और डायबिटीज , ब्लडप्रेशर के रोगी होते हैं ! अपने मित्रों की मौत की खबर सुनकर हम सिर्फ एक शब्द ही कहते हैं कि यह भी कोई उम्र थी जाने की , और अगले दिन घर में मीठी स्वादिष्ट इलायची पड़ी चाय के साथ आलू परांठे खा रहे होते हैं !


मुझे बेहद अफ़सोस तब होता है कि अक्सर असमय जाने  वाले लोग बेहतरीन प्रभामंडल युक्त होते हैं जिनके आसपास जी हजूरी तथा हाँ जी हाँ जी कहने वालों की भीड़ होती है और यह गुरु गौरव के साथ, तमाम सामाजिक उपयोग का विशुद्ध ज्ञान भी, नियमित बाँटते रहते हैं , ऐसे विद्वान भी अपने शरीर की चीत्कार सुनने में असमर्थ होते हैं और उसका एकमात्र कारण आलस्य तथा जीभ पर कंट्रोल न करना मात्र है जिसके कारण वे अपने नजदीक आती हुई निश्चित मृत्यु की आहट को सुनने में विफल रहते हैं !

मैं जब आलस्य से घिरता हूँ तब अजय कुमार जैसे कम साधन युक्त लोगों से सबक और शक्ति लेता हूँ , जो अकेले बिना किसी दवा के डायबिटीज को हारने में कामयाब हुए हैं अवसाद युक्त क्षणों में भी अक्सर मैं उन्हें हँसते देखता हूँ तब मुझे उनसे शक्ति मिलती है ! 



Tuesday, May 7, 2019

क्या जानों सरकार हमारे बारे में -सतीश सक्सेना

कितने  शिष्टाचार , हमारे बारे में !
क्या समझे हो यार हमारे बारे में !

इसीलिये अब, तुमसे दूरी रखते हैं 
दिल न दुखे सरकार,हमारे बारे में !

हमको रोज परिंदे ही बतला जाते 
कितने हाहाकार  , हमारे बारे में !

जो वे चाहें करें फैसला,किस्मत का  
है उनका अधिकार, हमारे बारे में !

मरते दम तक तुम्हें नहीं समझायेंगे 
कितने गलत विचार हमारे बारे में !

Thursday, April 25, 2019

इस्लाम की छाती पे, ये निशान रहेंगे -सतीश सक्सेना

लाशों पे  नाचते तुम्हें , यमजात कहेंगे !
शायर और गीतकार भी बदजात कहेंगे !

कातिल मनाएं जश्न,भले अपनी जीत का
इस्लाम की छाती पे  , इन्हें दाग़ कहेंगे !

इन्सान के बच्चों का खून,उनकी जमीं पर
रिश्तों की बुनावट पे,हम आघात कहेंगे !

दुनियां का धर्म पर से, भरोसा ही जाएगा !
हम दूध मुंहों के रक्त से, स्नान  कहेंगे !

जब भी निशान ऐ खून,हमें याद आएंगे
इंसानियत के नाम , एक गुनाह कहेंगे !

Monday, April 15, 2019

कहीं गंगा किनारे बैठ कर , रसखान सा लिखना -सतीश सक्सेना

इस हिन्दुस्तान में रहते, अलग पहचान सा लिखना !
कहीं  गंगा किनारे बैठ कर , रसखान सा लिखना !
दिखें यदि घाव धरती के तो आँखों को झुका लिखना 
घरों में बंद, मां बहनों पे, कुछ आसान सा लिखना !

विदूषक बन गए मंचाधिकारी , उनके शिष्यों के ,
इन हिंदी पुरस्कारों के लिए, अपमान सा लिखना !

किसी के शब्द शैली को चुरा के मंच कवियों औ ,
जुगाड़ू गवैयों , के बीच कुछ प्रतिमान सा लिखना !

अगर लिखने का मन हो तड़पते परिवार को लेकर
हजारों मील पैदल चल रहे , इंसान पर लिखना !

तेरी भोगी हुई अभिव्यक्ति , जब चीत्कार कर बैठे
बिना परवा किये तलवार की, सुलतान सा लिखना !


Tuesday, April 9, 2019

आदत भोजन की -सतीश सक्सेना

आज चौथा दिन है पारंपरिक भोजन का त्याग किये , रोटी , दाल , चावल, सब्जियां बंद किये हुए , और आश्चर्य है कि मन एक बार भी नहीं ललचाया और न भूख लगी न कमजोरी ...शायद इसलिए कि अपने आपको चार दिन पहले बे इंतिहा गालियाँ दी थीं , अपना वजन देखने के बाद अगर उस दिन मशीन न देखता तो पता ही न चलता कि मेरा वजन पिछले कुछ माह में सामान्य से ४ किलो अधिक हो चुका है ! शीशे में चमकती शक्ल दिखती है तोंद नहीं !

घर में बैठना एक अभिशाप है ख़ास तौर पर बड़ी उम्र वालों के लिए , सुबह नाश्ता ९ बजे से पहले , 12 बजे दाल चावल रोटी सब्जी अचार और चटनी के साथ, चार बजे लोंग इलायची की चाय के साथ श्रुस्बेर्री चाय बिस्कुट , 6 बजे लॉन में बैठकर मेहमानों के साथ चाय और आठ बजे स्वादिष्ट डिनर और तोंद पर हाथ फिराकर सो जाना, और सबसे बड़ी बेवकूफी यह है कि उम्र के नाते हमने खुद अपने हाथ से कुछ नहीं करना पूरे दिन , सब कुछ आर्डर देते ही हाजिर हो जाता है ! मतलब अभिशप्त बुढापे की हॉस्पिटल मौत साक्षात सामने है और दिखती नहीं !

 अधिक उम्र में सुस्वाद भोजन , जान देने की जगह जान लेने में समर्थ है , भारत में हर चौथा व्यक्ति हार्ट आर्टरी में रूकावट और डायबिटीज से पीड़ित है और ५० वर्ष से अधिक का हर आदमी बढ़िया भोजन पर ध्यान केन्द्रित किये रहता है , यह घातक है यह उन्हें मेडिकल व्यवसाय के निर्मम कसाइयों की तरफ ले जाएगा !

 हम बुजुर्ग पूरी दुनिया को लंबा जीने का आशीर्वाद देते रहते हैं जबकि अपने ऊपर कोई नसीहत लागू नहीं ! मगर इस बार चार दिन पहले खुद को गरियाने का असर वाकई हुआ उस दिन लिये संकल्प ने भूख की इच्छा ही खत्म कर दी इस परिणाम से मेरे इस विचार को दृढता मिली कि शरीर आपके मन से चलता है इसकी आवश्यकताएं न्यूनतम हैं ! हम जैसी आदत डालेंगे शरीर उसी में जीवनयापन करने में समर्थ है !

पहले दिन मैंने सुबह एक कटोरा पपीता जो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता खाया था और शाम को पांच छः टमाटर नीबू के साथ , बाकी पूरे इन दो बार ग्रीन चाय और एक वार कश्मीरी कहवा !
दुसरे दिन सुबह एक बड़ी प्लेट टमाटर काला नमक और नीम्बू के साथ और शाम को फिर पपीता ...
तीसरे दिन सुबह तरबूज ढेर सारा और शाम जीरा लौकी की सब्जी बड़ी प्लेट ...
आज चौथे दिन सुबह तरबूज ढेर सारा और पूरे दिन शिकंजी , ग्रीन टी और
यह पहली बार हुआ है कि चार दिनों में वजन ढाई किलो कम हुआ बिना भूख लगे , न कोई कमजोरी न सरदर्द !
अब आज से अपनी जबान पर कंट्रोल रखूंगा , काम नहीं तो भोजन नहीं इस व्रत का पालन पूरी शिद्दत से करूंगा इस भरोसे के साथ कि बिना काम किये खाना शरीर की जरूरत है ही नहीं , बिना भूख लगे भोजन करना ही नहीं है, चाहे कितने दिन हो जायें !

Thursday, April 4, 2019

मिट्ठी का स्वागत है अपने घर में , ढेरों प्यार से -सतीश सक्सेना

अंततः इंतज़ार समाप्त हुआ , विधि, गौरव की पुत्री मिट्ठी ने, आज (3April) म्युनिक, जर्मनी में जन्म लिया और मुझे बाबा कहने वाली इस संसार में आ गयी !

मिट्ठी का स्वागत है अपने घर में , ढेरों प्यार से !
गुलमोहर ने भी बरसाए लाखों फूल गुलाल के !

नन्हें क़दमों की आहट से,दर्द न जाने कहाँ गए
नानी ,दादी ,बुआ बजायें ढोल , मंगलाचार के !

Thursday, February 28, 2019

निरंकुश मीडिया बर्बाद कर देगा इस शानदार देश को,समाज को -सतीश सक्सेना

आजकल एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक वृद्ध मां को उसका बेटा निर्दयता पूर्वक जमीन पर घसीटता हुआ ट्रेक्टर के आगे ले जा रहा है ताकि उसे कुचल कर मार सके और यह घटना महाराष्ट्र 21जून की है जहाँ राष्ट्र गौरव की बातें सबसे अधिक की जाती हैं !
पिछले कुछ वर्षों में , हमारे देश में नफरत की खेती खूब की गयी है और उसका नतीजा भी नजर आने लगा है, मेरे अपने सर्किल में कई सरल ह्रदय व्यक्तियों के व्यवहार में फर्क आया साफ़ महसूस हो रहा है , पडोसी देश के प्रति उत्पन्न की गयी यह नफरत अब मोहल्ले, घर और ट्रैफिक में भी नजर आ रही है , सोशल मीडिया पर जिनके विचार हमसे न मिलें उन्हें अमित्र करना आम है ! अफ़सोस यह है कि नफरत फ़ैलाने वाले अधिकतर भोले लोग, यहाँ तक कि छोटे बच्चों तक के मानस में , टीवी पर चीखते एंकरों की बाते, अमिट निशान छोड़ रही हैं !

सीधा साधे शांत देश को , जिसमें समस्त जाति ,कौम के लोग आराम से रह रहे थे, इन लोगों ने अपने घरों में भी बच्चों को  झाग उगलते हुए गाली देना सिखा दिया है जिसे सब जोश के साथ आसानी से आत्मसात भी कर रहे हैं , इन जाहिलों को यह नहीं मालुम की स्नेह और प्यार की जगह अनजाने में तुम अपने घर में जहर बो रहे हो जिसकी आग में सबसे पहले तुम्हारे बच्चे ही झुलसेंगे जिन्हें इस माहौल में ही पूरी उम्र जीना है ! मानव की मानव के प्रति बढती हुई गुस्सा इन्हें जानवर बना देने में सक्षम है और शीघ्र यह सड़कों पर नजर आयेगी ! 

मारो , सबक सिखा दो के नारे लगाते, इन बेवकूफों को यह भी नहीं मालुम कि दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में युद्ध का अर्थ , घना अन्धेरा होगा जिसमें दोनों ओर कोई नाम लेवा नहीं बचेगा , भारत पाकिस्तान में ताकत की तुलना सिर्फ पारम्परिक युद्ध होने तक ही संभव है , परमाणुशक्ति संपन्न देशों में यह तुलना सिर्फ मूर्खता पूर्ण विचार है , दोनों अपार जीव संहार और मानवता विनाश में सक्षम हैं यहाँ एक पक्ष के धन और जनशक्ति  का कोई मूल्य नहीं , परमाणु युद्ध होने पर लाखों सैनिकों, भरपूर हथियारों , हवाई जहाजों , और अरबों डॉलर का रिज़र्व धन एक क्षण में नष्ट हो जाएगा  और दो जाहिल शासकों के मनहूस स्मारक  के रूप में ,आसमान की जगह सिर्फ घना अन्धेरा बचेगा , जो सैकड़ों बरसों तक मानव की मूर्खता का अवशेष होगा !

यही कारण था कि विश्व का सबसे ताकतवर राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रपति आज वियतनाम आकर एक गरीब देश नार्थ कोरिया के राष्ट्रपति से हाथ मिलाने को विवश हो रहा है और यही समय की पुकार भी है कि परमाणुशक्ति संपन्न  देश आपस में युद्ध की सोंच भी न सकें ! 

आज मैंने अपने घर से ललकारने वाले समस्त चैनल विदा कर दिए , सौम्यता से बात करने वाले चैनल ही देखना है इस हेतु न्यूज़ चैनल कम से कम देखूंगा , देखना है कि इस युद्ध यूफोरिया पर लगाम लगाने के लिए हमारी सरकार कब कदम उठाती है ! दुआ करूंगा कि भारत पाकिस्तान नेपाल बंगलादेश एक साथ एक संघ राष्ट्र का निर्माण करें और हम ईद पर होली के उत्साह से ,गले मिलकर, नफरत की करवटें लेना छोड़, आराम की नींद सो सकें ! 

Tuesday, February 26, 2019

६५ वर्ष में फ़िटनेस उम्र 52 वर्ष -सतीश सक्सेना

जीपीएस वाच मेरी एक्टिविटी रिकॉर्ड करती है , उसके एप्प टॉमटॉम स्पोर्ट्स के अनुसार 65 वर्ष की उम्र में, मेरी फ़िटनेस ऐज 52 वर्ष है जबकि पिछले वर्ष फिटनेस ऐज 47 वर्ष थी , इसका अर्थ है कि मैंने पिछले वर्ष की तुलना
में इस वर्ष कम एक्टिविटी की हैं नतीजा एक वर्ष में 5 वर्ष उम्र बढ़ गयी , पिछले चार माह से दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण, सुबह दौड़ना केवल नाममात्र को ही रहा, आज भी सुबह आरामदेह कम्बल से दुखी मन तभी निकला जब खुद को ढेरों गालियाँ देनी पड़ीं !

इतिहास गवाह है कि सफलता मानव को पागल बना देती है, वह अपने किये हर काम को श्रेष्ठ मानना शुरू कर देता है , हम सब भी धन और सम्मान पाते ही उसका अनजाने में दुरुपयोग शुरू कर देते हैं , धन का उपयोग सबसे पहले आराम करने में लगाते हैं , सुख सुविधाओं के होते सबसे अधिक ह्रदय रोग और डायबिटीज (शाही रोग) धनवान और सम्मान सज्जित लोगों को ही होते हैं , मैंने आजतक एक भी मेहनतकश व्यक्ति को ह्रदय रोग से मरते नहीं सुना और न उसे डायबिटीज हुई जबकि चीनी भी वह सबसे अधिक खाता रहा ,इन बीमारियों का शिकार सबसे अधिक सम्मानित और बड़े लोग ही होते हैं जिनके प्रभामंडल पर समाज को नाज होता है ! वे पूरे समाज को दिशा देने में समर्थ होते हैं मगर शारीरिक मेहनत और पसीना बहाना उन्हें भी निरर्थक लगता है !

मजबूत मानवीय शरीर के इंजन के विभिन्न अवयवों को शक्ति सप्लाई देने के लिए , हाथ पैरों का निर्माण किया गया है ,लगातार चलते हुए हाथ पैर शारीरिक इंजिन को ईंधन देते रहते हैं ताकि वह अंत तक कार्यशील रहे ,
इसीलिये पुराने समय में लोग बहुत कम बीमार पड़ते थे ,रोग अपने आप ठीक हो जाते थे ! उद्यम शीलता के होते ढाई लाख वर्ष के मानव जीवन में मेडिकल व्यापार का दखल पिछले दो सौ वर्षों से ही हुआ है और यकीन मानिए इसके बदौलत मानव उम्र में कोई ख़ास योगदान नहीं हुआ है सिर्फ धन बहने के एक श्रोत का सर्जन अवश्य हुआ है आज एक ऑपरेशन होते ही इंसान के जीवन की आधी एक्टिविटी और उत्साह नष्ट हो जाता है बचा जीवन धीरे धीरे बात करते हुए ही गुजरता है !

रिटायरमेंट के बाद मैंने पहली बार शारीरिक मेहनत का सुख महसूस किया, पिछले 41 माह में 638 बार घर से दौड़ने निकला हूँ और लगभग 5000 Km दौड़ चुका हूँ, प्रति सप्ताह 30 km एवरेज रनिंग करने के साथ 26 बार हाफ मैराथन रेस (21Km) पूरी करने में सफलता प्राप्त की !

६५ वर्ष की उम्र में लगातार ढाई घंटा दौड़ने के बाद पूरे शरीर से बहते पसीने का आनंद का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता उसे केवल महसूस किया जा सकता है , चेहरे और पेट का भारी वजन, कोलेस्ट्रोल , डायबिटीज , बढ़ा बीपी , पेट के रोग , जोड़ों के दर्द कब गायब हो गये, पता ही नहीं चला ! भरोसा नहीं होता कि मैं वही सतीश हूँ जिनका फोटो नीचे लगा है ! यह सब करने के लिए मैंने आत्मविश्वास के साथ लीक से हटकर चलने की आदत डाली और सफल रहा !
सस्नेह आप सबको ...

Tuesday, February 19, 2019

अनमोल जीवन के प्रति लापरवाही, पछताने का मौक़ा भी नहीं देगी -सतीश सक्सेना

बिना पूर्व तैयारी लम्बे रन दौड़ने का प्रयत्न करना, सिर्फ जोश में, बचकाना पन ही कहलायेगा , मानव देह को धीरे धीरे किसी भी योग्य बनाया जा सकता है वह हर स्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल सकती है और इसके लिए उम्र बाधा कभी नहीं होती बशर्ते सोंचने वाले की समझ ब्लाक न हो !शरीर के जोड़, मूवमेंट के लिए बनाए गए हैं
अगर बरसों से आपने धनवान बनने के बाद, सिर्फ आराम किया है तो पक्का आपके जॉइंट जकड चुके हैं और शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी समाप्त होने के कगार पर होगी , अधिकतर लोग इसी अवस्था को ही बुढापा कहते हैं जब यहाँ 50 वर्ष से ऊपर हर इंसान के चेहरे पर, उम्र जनित गंभीरता दिखती है , हँसना उनके विचार से जवानों का काम होता है अधिक उम्र में उन्मुक्त हंसना तो उन्हें बेहूदगी लगने लगता है ! हंसने के नाम पर वे अक्सर पार्क में हमउम्र बुड्ढों के साथ खड़े होकर हो हो हो हो कर जोर से आवाज निकाल कर हंसने को ही, हंसना मान लेते हैं !

मेरे विचार से जो उन्मुक्त मन हंस नहीं सकते वे निश्चित ही असमय बुढापे का शिकार हो चुके हैं , कारण चाहे कुछ भी हो , अपने अपने कष्टों के नीचे जीने की इच्छा खो बैठना, मानवता के प्रति सबसे बड़ा गुनाह है , ऐसे लोग अपनों के प्रति, अपने कर्तव्य भुलाकर , रोते रोते जीवन काटते हुए मानव के खूबसूरत जीवन के प्रति अपराध कर रहे होते हैं !

इंसान वही जो हँसते हुए उनके लिए जिए जिन्हें उसकी जरूरत है, इसके लिए मन में स्फूर्ति एवं सतत शौक
रखना और उन्हें सीखने की प्रक्रिया आवश्यक है , इच्छाओं और स्फूर्ति का मरना ही मृत्यु है , सो हंसने के लिए पार्क में अवसाद युक्त चेहरों के साथ खड़े होकर हो हो हो हो करने की निरर्थकता पर गौर करना होगा , हंसना आवश्यक है और उसके लिए नेचुरल उन्मुक्त हँसना, सीखना होगा !

सुबह लगभग एक घंटा पसीना बहाने की आदत डालिए आप इतने में ही उम्र्जनित अवसाद से मुक्त हो जायेंगे , तेज वाक के अंत को एक या दो मिनट तक दौड़ कर समाप्त करें और यह अधिक तेज न हो कि हांफना पड जाए ! इस प्रक्रिया से आपका शरीर दौड़ना सीख जाएगा , शुरू के एक साल शरीर में तरह तरह के दर्द होंगे जो मसल्स के पुनर्निर्माण की पहचान है , उनकी परवाह न करें ! रन /वाक से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंग्थ एक्सरसाइज अवश्य करें अन्यथा मांसपेशियां चोटिल हो सकती हैं !

अगर आप 5 km दौड़ना चाहते हैं तो सप्ताह में आराम से 10km दौड़ने का पूर्व अभ्यास बिना हांफे होना चाहिए , 10 km और 21Km के लिए यह दूरी क्रमश 20 और 40 Km होती है ! इसी तरह 5 Km दौड़ने से एक सप्ताह पहले आप कम से कम एक रन में, 4 km बिना हांफे दौड़ चुके हों , तभी शरीर को 5 km दौडाने का प्रयत्न करना चाहिए ! 10km और 21km की रेस के लिए यह दूरी 8 km और 18 km होगी !

50 वर्ष के ऊपर के नवोदितों के लिए 21 km की लम्बी दौड़ सिर्फ तब दौडनी चाहिए जब वे पिछले छह माह में कई बार 17km रन, दौड़ने के अभ्यस्त हों अन्यथा 8-10 km दौड़ने के अभ्यस्त को 21km दौड़ना घातक हो सकता है ! 21 km दौड़ते समय शरीर के तमाम अवयवों में लगातार कम्पन होता है और एनर्जी लॉस होता है , लगातार तीन घंटे , तक दौड़ने का जोश में किया गया, प्रयत्न जान लेने में समर्थ है और इसी भूल में कई धुरंधरों की मौत दौड़ते समय हुई हैं जो कई
मैराथन दौड़ चुके थे ! एक रनर जो अपने शरीर की आवाज नहीं पहचानता उसे दौड़ने से दूर रहना चाहिए , खतरनाक पलों और दिनों का अहसास शरीर अपने मालिक को महीनों पहले बताना शुरू कर देता है कि आप जबरदस्ती न करें अन्यथा बुरा घट सकता है !

हर शरीर अलग होता है, अधिक उम्र वाले वर्ष में दो या तीन हाफ मैराथन या एक मैराथन दौड़ना काफी होता है , अधिक संख्या में दौड़ने का अर्थ आपके कमजोर शरीर को खतरनाक ही साबित होगा ! अतः जल्दबाजी न करें , शरीर को धीरे धीरे कठिन मेहनत का अभ्यस्त बनाएं , तभी आप समझदार कहलायेंगे और शरीर को बीमारियों से मुक्त करने में दौड़ सहायक होगी !


Thursday, February 7, 2019

तू अमरलता, निष्ठुर कितनी -सतीश सक्सेना

वह दिन भूलीं कृशकाय बदन,
अतृप्त भूख से , व्याकुल हो,  
आयीं थीं , भूखी, प्यासी सी 
इक दिन इस द्वारे आकुल हो 
जिस दिन से तेरे पाँव पड़े  
दुर्भाग्य युक्त इस आँगन में !
अभिशप्त ह्रदय जाने कैसे ,
भावना क्रूर इतनी मन में ,
पीताम्बर पहने स्वर्णमुखी, तू अमरलता निष्ठुर कितनी !

सोंचा था मदद करूँ तेरी
इस लिए उठाया हाथों में ,
आश्रय , छाया देने, मैंने 
ही तुम्हें लगाया सीने से !
क्या पता मुझे ये प्यार तेरा,
मनहूस रहेगा, जीवन में ,
राक्षसी भूख , निर्दोष रक्त
से कहाँ बुझे अमराई में ! 
निर्लज्ज,बेरहम,शापित सी, तुम अमरलता निर्मम कितनी !

धीरे धीरे रस  चूस लिया,
दिखती स्नेही, लिपटी सी !
हौले हौले ही जकड़ रही,
आकर्षक सुखद सुहावनि सी
मेहमान समझ कर लाये थे 
अब प्रायश्चित्त, न हो पाए !
खुद ही संकट को आश्रय दें 
कोई प्रतिकार न हो पाये !
अभिशप्त वृक्ष, सहचरी क्रूर , बेशर्म चरित्रहीन कितनी !


Wednesday, January 16, 2019

हे प्रभु ! मेरे देश में ढोरों से बदतर, लोग क्यों - सतीश सक्सेना

हे प्रभु ! इस देश में इतने निरक्षर , ढोर क्यों ?
जाहिलों को मुग्ध करने को निरंतर शोर क्यों !

अनपढ़ गंवारू जान वे मजमा लगाने आ गए 
ये धूर्त, मेरे देश में , इतने बड़े शहज़ोर क्यों ?

साधु संतों के मुखौटे पहन कर , व्यापार में   
रख स्वदेशी नाम,सन्यासी मुनाफाखोर क्यों !

माल दिलवाएगा जो, डालेंगे अपना वोट सब 
देश का झंडा लिए सौ में, अठत्तर चोर क्यों !

आखिरी दिन काटने , वृद्धाएँ आश्रम जा रहीं !
बेटी बिलख रोई यहाँ,इस द्वार टूटी डोर क्यों !

Saturday, January 5, 2019

अब एक जमुना नाम का नाला है , मेरे शहर में -सतीश सक्सेना

खांसते दम ,फूलता है 
जैसे लगती जान जाए 
अस्थमा झकझोरता है, 
रात भर हम सो न पाए
धुआँ पहले खूब था अब  
यह धुआँ गन्दी हवा में 
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने 
दीप आँखों में जले,अब 
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !

धूर्त,बाबा बन बताते 
स्वयं को ही राज्यशोषित 
और नेता कर रहे नेतृत्व  
को अवतार घोषित ! 
चोर सब मिल गा रहे हैं 
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े 
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक 
देख ठट्ठा मारते, अब 
राम बंधक बन चुके हैं , कातिलों के शहर में !

सुगन्धित खुशबू बिखेरें
फूल दिखते ही नहीं हैं
जाने कब भागीरथी भी
मोक्षदायिनि सी रहीं हैं 

कृष्ण की अठखेलियाँ भी 
थीं, कभी कृष्णा किनारे
उस जगह रोती हैं गायें , 
अपने केशव को पुकारें 
किस गली खोये स्वर्ण
अवशेष  मेरे देश के  ?
हाँ , एक जमुना नाम का नाला है , मेरे शहर में !
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