जीवन का हर क्षण अमूल्य है, जीवन में हर क्षण का मज़ा लें ,ख़ास तौर पर उस समय और भी जब कोई अन्य आपको कष्ट देना चाह रहा हो ! मैंने अपने जीवन का कमाया धन 7० % अपने बच्चों पर, 2० % अपनों की अथवा जरूरत मंदों की मदद पर और १० % सिर्फ अपने ऊपर खर्च किया जिससे मैं अपने आपको खुश रख सकूं ! मुझे पूरा विश्वास है कि अगर मैं सानन्द हूँ तो मेरे आश्रित भी सुखी रह पायेंगे !
बचपन से मेरे पसंद का एक शेर नज़र है ...
"उम्रेदराज़ मांग के लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में "
आप अपनी जिन्दगी ऐसे न कटने दें. वाकई में हम लोग दो चार दिन ही मांग के लाये हैं , हर दिन के, हर क्षण को, हँसते हुए और मस्ती में निकालें ,चाहे कितना ही अभाव ही क्यों न हो , रोते समय भी हंसने का बहाना ढूँढ लें !
बचपन से याद, गोपालदास नीरज की यह पंक्तियाँ मेरी पसंदीदा लाइनें रहीं हैं !
"जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना
उन मुश्किलों में मुस्कराना, धर्म है !
जब हाथ से टूटे न, अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयं जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है !"
उपरोक्त रचना मैंने हमेशा गुरु मंत्र मान कर कंठस्थ किया और उसका पालन किया ! आज भी मेरे मित्र मुझ ( सही उम्र नहीं बताऊंगा ) ३० साल के जवान को देख कर आश्चर्य चकित होते हैं !
और हाँ मैं वाकई जवान हूँ ....
बचपन से मेरे पसंद का एक शेर नज़र है ...
"उम्रेदराज़ मांग के लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में "
आप अपनी जिन्दगी ऐसे न कटने दें. वाकई में हम लोग दो चार दिन ही मांग के लाये हैं , हर दिन के, हर क्षण को, हँसते हुए और मस्ती में निकालें ,चाहे कितना ही अभाव ही क्यों न हो , रोते समय भी हंसने का बहाना ढूँढ लें !
बचपन से याद, गोपालदास नीरज की यह पंक्तियाँ मेरी पसंदीदा लाइनें रहीं हैं !
"जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना
उन मुश्किलों में मुस्कराना, धर्म है !
जब हाथ से टूटे न, अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयं जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है !"
उपरोक्त रचना मैंने हमेशा गुरु मंत्र मान कर कंठस्थ किया और उसका पालन किया ! आज भी मेरे मित्र मुझ ( सही उम्र नहीं बताऊंगा ) ३० साल के जवान को देख कर आश्चर्य चकित होते हैं !
और हाँ मैं वाकई जवान हूँ ....
पुरानी फ़ोटू लगा कर।हा हा हा हा।सहमत हूं आपसे सतीश जी,खुदा महफ़ूज़ रखे आपको हर बला से हर बला से।
ReplyDeleteजवानी तो हमने भी चमकाई हुई है जनाब..सेम पिंच!!
ReplyDeleteजवानी जिन्दाबाद!
ReplyDelete@अनिल पुसाद्कर,
ReplyDeleteबड़ी ताडू निगाह है अनिल भाई , पोल भी खोलो और नज़र बट्टू भी ... हा... हा....हा....हा...
आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू
ReplyDeleteबस इक यही पल है, कर ले पूरी आरज़ू...
सतीश भाई,
माफ़ी मांगता हूं, व्यस्तता के चलते आपकी पिछली कुछ पोस्ट पर कमेंट नहीं कर पाया...भागते-दौड़ते पढ़ा ज़रूर सभी को है...
जय हिंद...
बिल्कुल सही कह रहे हैं आप, आपके नक्शे कदम पर ही चलते हैं. सिर्फ़ हंसने हंसाने का काम ही अच्छा है क्योंकि रोने के लिये तो किसी बहाने की भी जरुरत नही है आजकल.
ReplyDeleteरामराम
aapka gurumantr bahut pasand aaya .............
ReplyDeletemeree vichardharae kafee mel khatee haiaapse..........
apano ke liye jo hum karate hai vo shayad isliye kee usase hume khushee miltee hai..Mera maanna to ye hai ki jab tak aap kuch seekh rahe hai jeevan se aap jawan he:)e hai . aur aaj ke samay to bahut kuch seekhane ko milta hai............ :)
Aap to abhee bahut chote hai yanha to seneio citizen bane arasa ho gaya par kya mazal ki apane ko buzurgo kee gintee me lae.........
अभी तो मैं जवान हूँ..अभी ये दिल भरा नहीं...
ReplyDeleteआपका प्रयोजन लिखने का जो है उसकी मैं ताईद करता हूँ.काश!! सभी के ऐसी सोच हो!!
आमीन!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत बढिया मज़ा आ गया ! मियाँ गुलज़ार फरमाते हैं
ReplyDelete"उम्र कबकी बरस के सुफेद हो गई
काली बदरी जवानी की छटती नहीं "
वेसे मस्ती हम ने दिल खोल कर की है, दि्ल का एक भी अरमान मरने नही दिया...लेकिन रोने के समय भी कह कहे लगाये हंसी के. बहुत सुंदर लिखा आप ने
ReplyDeleteसतीश जी मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है, टिप्पणी के लिए आभार. पोस्ट बहुत अच्छी है हाँ वो जो पंक्तियाँ लिखी हैं आपने गुरुमंत्र वाली वो गोपालदास नीरज की हैं और कविता का नाम है "धर्म है"
ReplyDeleteआभार
रचना
चलिये, आपका यह धर्म अपना लिया ।
ReplyDeleteसही कहा आपने जीवन का हर क्षण अमूल्य है !!!!
ReplyDeleteअरे सतीश जी , उम्र बताने की ज़रुरत ही कहाँ है । हमें पता है आप भी हमारी तरह २५ से ऊपर है ही नहीं।
ReplyDeleteहा हा हा ! हँसना बहुत ज़रूरी है ।
दिल हमेशा बच्चा ही रहेगा.. हम बुढ़ा भी क्यों न जाएं.. जवानी के फार्मूले ढूंढने के लिए तमाम जतन कर ही लेते हैं... डॉ. दराल ने ठीक ही कहा आप 25 से ऊपर लगते ही कहां हैं... लेकिन फोटो में.. हाहाहाहा..
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