१८ वर्ष होने के अपने मायने हैं , वयस्क होते ही कानून से कुछ अधिकार, अपने आप मिल जाते हैं ! इस उम्र तक आते आते बच्चों की अपेक्षाएं भी बढ़ी होती हैं ! माँ बाप के उचित सहयोग से बच्चों में आत्मविश्वास और अपने बड़ों के प्रति आदर भावना विकसित होनी, स्वाभाविक होती है !
वयस्क होने से पहले बच्चों को गाड़ी चलाना सिखलाना और अपनी हैसियत से अधिक पैसे वाले परिवारों में दोस्ती के कारण ,फिजूलखर्च की आदत डलवाना, अक्सर घातक सिद्ध होता है ! घर का माहौल ऐसा रखें कि बच्चे को माँ की या पिता की अवज्ञा की आदत न पड़े ! आप बच्चे को कभी भी यह अहसास न होने दें कि आप उस पर विश्वास नहीं करते हैं ! विश्वास करने का नतीजा आपको यह मिलेगा कि जेब में पैसे होने के बावजूद, बच्चा गलत रास्ते पर नहीं जायेगा और पैसे बर्वाद भी नहीं करेगा क्योंकि यह धन उसका अपना होगा !
वयस्क होने से पहले बच्चों को गाड़ी चलाना सिखलाना और अपनी हैसियत से अधिक पैसे वाले परिवारों में दोस्ती के कारण ,फिजूलखर्च की आदत डलवाना, अक्सर घातक सिद्ध होता है ! घर का माहौल ऐसा रखें कि बच्चे को माँ की या पिता की अवज्ञा की आदत न पड़े ! आप बच्चे को कभी भी यह अहसास न होने दें कि आप उस पर विश्वास नहीं करते हैं ! विश्वास करने का नतीजा आपको यह मिलेगा कि जेब में पैसे होने के बावजूद, बच्चा गलत रास्ते पर नहीं जायेगा और पैसे बर्वाद भी नहीं करेगा क्योंकि यह धन उसका अपना होगा !
- वयस्क होते ही बच्चों का, पर्याप्त पैसे के साथ बैंक खाता खुलवाएं और पासबुक ,चेक बुक और डेबिट कार्ड इस उम्र में, बिना किसी रोकटोक के उसे दें ! साथ ही हर मांह एक निश्चित जेब खर्च देते रहे जिसे वह बैंक में, जब चाहे निकालने के अधिकार के साथ , बैंक में खुद जमा किया करे ! इस पैसे का उपयोग पर कोई बंदिश न हो !
- गाड़ी चलाना सीखने के बाद, ड्रायविंग लायसेंस बनवा कर उसे दें यह ध्यान रहे कि आवश्यकता और तफरीह के बीच का फर्क उसे आना चाहिए !
- घर की आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी की जिम्मेवारी उसे भी शेयर करने दें !
- आप उसके सामने,अपने बड़ों का हमेशा सम्मान करें 1
आत्मविश्वास के लिये आवश्यक है ।
ReplyDeleteisase bachcho ko sahi aur galat nirayay lene ki kshamata ka bhi vikas hota hai...
ReplyDeleteछोटी छोटी पर जरूरी बातों पर आपने ध्यान दिलाया है. सही है इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढेगा.
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ReplyDeleteसही सलाह है। वैसे यह सब हम अपने बच्चों के साथ समय रहते कर चुके हैं और उस के नतीजे सही रहे हैं।
ReplyDeleteसटीक सलाह
ReplyDeleteजीवन के रास्तो पर आप जैसे अनुभवी लोगो की समझ हम नवयुवकों का मार्गदर्शन करते रहे
जिंदगी को आप जिस तरीके से अपनी पोस्ट्स में अक्सर लिखते हैं वो मुझे बहुत प्रभावित करता हैं
बहुत सही सलाह है ।
ReplyDeleteध्यान रखना चाहिए इन बातों का ।
द्विवेदी जी की बात दोहराना चाहूँगा कि
ReplyDeleteयह सब हम अपने बच्चों के साथ समय रहते कर चुके हैं और उस के नतीजे सही रहे हैं।
यह आवश्यक भी है
सतीश सक्सेना जी आप यह सारे गुण या अबगुण मेरे बच्चो मै पायेगे, आप मई मै खुद ही उन से मिल कर बताईयेगा, आप ने बहुत सुंदर ढंग से सही बात लिखी है.
ReplyDeleteधन्यवाद
सही सलाह .. बच्चों को जिम्मेदार बनाया ही जाना चाहिए !!
ReplyDeleteवयस्क होते ही बच्चों का पर्याप्त पैसे के साथ बैंक खाता खुलवाएं और पासबुक ,चेक बुक और डेबिट कार्ड इस उम्र में बिना किसी रोकटोक के उसे दें ! साथ ही हर मांह एक निश्चित जेब खर्च देते रहे जिसे वह बैंक में जब चाहे निकालने के अधिकार के साथ , बैंक में खुद जमा करे ! इस पैसे का उपयोग पर कोई बंदिश न हो
ReplyDeleteyeh salaah maanNe se pehle me dar rahi hu..lekin sab mujhse bade jab apne rev.me likh rahe hai ki unhone aisa kiya aur unke nateeje sahi rahe to man hota hai ham b apne baccho ke sath ek baar aisa kar k dekhe...
shukriya....
@राज भाटिया,
ReplyDeleteआपके स्नेह का आभारी हूँ अन्यथा आज के इस समय में कोई किसी के लिए अपना समय नहीं देता , अभी तक मेरी इस ट्रिप में जर्मनी आना संभव नहीं हो पा रहा ! अगर समय निकाल सका तो जर्मनी केवल आपसे मिलने आऊँगा और यह मेरी कोशिश होगी ! मैं आपको शीघ्र लिखूंगा !
जिस घर के बड़े स्नेही हों उस घर में विष बेल जन्म नहीं ले सकती ऐसा मेरा विश्वास है !
सादर
@अनामिका ,
पैसा देने का अर्थ बच्चे को यह अहसास कराना है कि आप उस की समझ पर बहुत विश्वास करते हैं , वह इस पैसे का ऐसा उपयोग नहीं करेगा जिससे उसकी माँ का दिल दुखे केवल तभी और तभी उसके हाथ में इतने अधिकार दें !
बड़ों की भी कोई भी राय ,व्यक्ति विशेष की पात्रता पर ही निर्भर करती है ! समय, स्थान और परिस्थिति देख का फैसला करें , सिर्फ एक द्रष्टान्त पढ़कर तो बिलकुल नहीं !
स्नेह सहित
ध्यान दिये जाने योग्य बातों पर आपने ध्यान दिलाया है. बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम.
आजकल बच्चों का आत्मविश्वास तो बढ़ा ही हुआ है। हमारे जमाने में हमारे पास डर के अलावा कुछ नहीं था और आज डर ही नहीं है। विष बेल तो उगे या नहीं लेकिन माता-पिता को सम्मान सहित रखने वाले बच्चे अवश्य कम होते जा रहे हैं।
ReplyDeleteसच कह रहे है आप आज की तेज़ हवा बच्चों को न हिला पाए इसके उपाय ही ढूंढते रहते हैं हम
ReplyDeleteइस नेक सलाह के लिए आभार.आप लिख रहे हैं तो सत्यापन हो ही चुका होगा
सही कहा सतीश जी ..... बच्चों के विश्वास का रिश्ता जरूर रखना चाहिए .. ..
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