ब्लॉग जगत में आजकल लेखन के नाम पर, सबसे अच्छा विषय, अपने स्वयंनिर्मित प्रभामंडल को और विस्तार देने के लिए, किसी के प्रति अपशब्द और कड़वाहट भरे शब्द लिखना रह गया है जिससे आसपास भीड़ इकट्ठी होती रहे और डुगडुगी बजती रहे ! अफ़सोस है कि ऐसी बातों का विरोध करना तो दूर लोग नापसंद करते हुए भी, तालियाँ बजाने को मजबूर किये जाते हैं ! और तालियाँ खूब बजती हैं ....
मुन्ना भाइयों पर.....
मुन्नी बाइयों पर ....
इन तालियों से ताकत पाकर यह भाई लोग और बाईयां सारे समाज को नपुंसक मानने में देर नहीं लगाते हैं और फलस्वरूप अगले दिन और ऊंचे बांस पर चढ़ कर करतब दिखाते हैं और किसी भी निर्दोष को सूली पर चढ़ा पब्लिक को दिखाते हैं और हम सब हिंदी ब्लागर तालियाँ बजाते रहते हैं !
अगर हम जिम्मेवार समाज का हिस्सा हैं तो ऐसी हरकतों को रोकना ही चाहिए इसका विरोध करने के लिए मैं कानून के जानकारों से सलाह आमंत्रित कर रहा हूँ !
-मैं चाहता हूँ कि वकीलों का एक पैनल बनाया जाए जो भारतीय प्रावधानों के अंतर्गत ऐसे लोगों के विरुद्ध शिकायत मिलने पर, स्वचालित नोटिस देते हुए ऐसे व्यक्ति को कटघरे में खड़े करने की कार्यवाही शुरू करे जो व्यक्तिगत लांछन लगाने के दोषी पाए जाएँ ! मुझे भरोसा है कि पहले १० केस होते ही ऐसे लोगों का नशा उतर जाएगा जो बेनामी या सुनामी बनकर रोज केवल ताल ठोंकने का काम ही करते हैं !
जो भी लोग आज के बाद, भारतीय कानूनों के प्रावधान के तहत, ऐसे लोगों को सूची बद्ध करते हुए आरोपित करेंगे और कोर्ट में कार्यवाही करेंगे ! उसके लिए एक सार्वजनिक फंड तैयार करने के लिए मैं प्रतिवद्ध हूँ ! जिसकी मदद से ऐसे दोषियों को सजा दिलाने की ठोस कार्यवाही भारतीय न्यायालय में शुरू की जाए ! इसके लिए ५ लोगों की कमेटी बनाने का विचार है जो इससे जुड़े फैसले लेगी !
मैं उन समस्त लोगों से सुझाव आमंत्रित कर रहा हूँ जो बिना किसी के प्रति रंजिश की भावना को लेकर समाज के प्रति दायित्व की भावना रखते हों और स्वेच्छा से आगे आने को तत्पर हों ! इस लेख का तात्पर्य आपसे और कोई मदद मांगना नहीं है मेरा यह विश्वास है कि किसी अच्छे कार्य करने की पहल करने के लिए, केवल मात्र दृढ संकल्प की आवश्यकता होती है और वह मुझमें पर्याप्त है !
कोर्ट और एडवोकेट के खर्चे की परवाह नहीं है .......समाज के कार्यों के लिए एक मज़बूत ट्रस्ट और उसके लिए प्रतिबद्ध साथी हैं मेरे पास !
इसमें गलतियाँ क्या होंगी ? कहीं कोई भूल न हो जाये इसीलिए विचार आमंत्रित हैं !
मुन्ना भाइयों पर.....
मुन्नी बाइयों पर ....
इन तालियों से ताकत पाकर यह भाई लोग और बाईयां सारे समाज को नपुंसक मानने में देर नहीं लगाते हैं और फलस्वरूप अगले दिन और ऊंचे बांस पर चढ़ कर करतब दिखाते हैं और किसी भी निर्दोष को सूली पर चढ़ा पब्लिक को दिखाते हैं और हम सब हिंदी ब्लागर तालियाँ बजाते रहते हैं !
अगर हम जिम्मेवार समाज का हिस्सा हैं तो ऐसी हरकतों को रोकना ही चाहिए इसका विरोध करने के लिए मैं कानून के जानकारों से सलाह आमंत्रित कर रहा हूँ !
-मैं चाहता हूँ कि वकीलों का एक पैनल बनाया जाए जो भारतीय प्रावधानों के अंतर्गत ऐसे लोगों के विरुद्ध शिकायत मिलने पर, स्वचालित नोटिस देते हुए ऐसे व्यक्ति को कटघरे में खड़े करने की कार्यवाही शुरू करे जो व्यक्तिगत लांछन लगाने के दोषी पाए जाएँ ! मुझे भरोसा है कि पहले १० केस होते ही ऐसे लोगों का नशा उतर जाएगा जो बेनामी या सुनामी बनकर रोज केवल ताल ठोंकने का काम ही करते हैं !
जो भी लोग आज के बाद, भारतीय कानूनों के प्रावधान के तहत, ऐसे लोगों को सूची बद्ध करते हुए आरोपित करेंगे और कोर्ट में कार्यवाही करेंगे ! उसके लिए एक सार्वजनिक फंड तैयार करने के लिए मैं प्रतिवद्ध हूँ ! जिसकी मदद से ऐसे दोषियों को सजा दिलाने की ठोस कार्यवाही भारतीय न्यायालय में शुरू की जाए ! इसके लिए ५ लोगों की कमेटी बनाने का विचार है जो इससे जुड़े फैसले लेगी !
मैं उन समस्त लोगों से सुझाव आमंत्रित कर रहा हूँ जो बिना किसी के प्रति रंजिश की भावना को लेकर समाज के प्रति दायित्व की भावना रखते हों और स्वेच्छा से आगे आने को तत्पर हों ! इस लेख का तात्पर्य आपसे और कोई मदद मांगना नहीं है मेरा यह विश्वास है कि किसी अच्छे कार्य करने की पहल करने के लिए, केवल मात्र दृढ संकल्प की आवश्यकता होती है और वह मुझमें पर्याप्त है !
कोर्ट और एडवोकेट के खर्चे की परवाह नहीं है .......समाज के कार्यों के लिए एक मज़बूत ट्रस्ट और उसके लिए प्रतिबद्ध साथी हैं मेरे पास !
इसमें गलतियाँ क्या होंगी ? कहीं कोई भूल न हो जाये इसीलिए विचार आमंत्रित हैं !
कई जगह कानूनी कार्रवाई करना जरूरी है वरना स्थिति और बिगड़ सकती है।
ReplyDeleteआपका ये प्रयास सराहनीय है।
सतीश भाई,
ReplyDeleteआप का विचार अच्छा है।
अपराधों को प्रोत्साहन इस लिए मिलता है कि अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती। कार्यवाही होने लगेगी तो यह सब बंद होगा।
.
ReplyDelete.
.
समझ सकता हूँ...
एक कायर बेनामी ने एक आपत्तिजनक पोस्ट पर आपके व अनूप शुक्ल जी के छद्म नाम से कमेंट किया... और कुछ ब्लॉगर बिना असलियत जाने या जानबूझ कर असलियत को दरकिनार कर हुक्का पानी लेकर चढ़ाई कर दिये आप दोनों पर...
तालीबाजों का क्या...उनके पास तो यही एक काम है।
जाने दीजिये सतीश जी, एक छोटा सा स्पष्टीकरण काफी होता इसके लिये... हमारा कानून खूनियों को तो सजा दे नहीं पाता... ऐसे मामले तो सालों लटके रहेंगे... शिकायतकर्ता ही परेशान होगा...जब भी आपको लगे कि बेवजह आपको कोई परेशान कर रहा है तो अपनी भड़ास भी निकाल ही दिया कीजिये, मैं तो यही करता हूँ और सुकून से भी हूँ...
...
वर्धा विश्वविद्यालय में ब्लागिंग की आचार-संहिता पर कार्यशाला का आयोजन हुआ था। उसमें मैंने यही कहा था कि आचार-संहिता की आवश्यकता है लेकिन सभी लोगों ने कहा कि ब्लागर स्वयंभू है अत: उसे किसी भी आत्म-अनुशासन की भी आवश्यकता नहीं है। कानून की जब बात आयी तब भी कहा गया कि हम कानून से भी बंधे हुए नहीं हैं। अब ऐसे लोग जो स्वच्छंदता को ही स्वीकार करते हों उनकी सोच को क्या कहा जाए? यहाँ कोई भी किसी का भी चरित्र-हनन कर रहा है लेकिन बस देखते रहने के अलावा कोई चारा नहीं है। लिखने की खुली छूट मिल गयी है, जो कभी कल्पना में भी नहीं थी वैसी छूट, तो बस कुछ भी लिखे जा रहे हैं। किसी को भी सद्-परामर्श देना भी स्वयं के पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा है। करिए आप,
ReplyDeleteक्या कर सकते हैं?
सतीश भाई ,
ReplyDeleteहर स्तर पर व्यक्तिगत आक्षेपों का विरोध होना चाहिए !
अगर हमें हिंदी ब्लॉग्गिंग को इससे बचाना है तो निश्चय ही आपके सुझाव पर अमल करना चाहिए !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आपका प्रयास सराहनीय है।
ReplyDeleteआचार-संहिता की आवश्यकता है
hum khud pareshan hai satish ji..
ReplyDeletehumari ek post par pichle 4 mahine se benami naam se tipani aa rahi hai..
pata nahi logo ko kya maja aata hai...
स्वागत योग्य कदम है।
ReplyDeleteपर कानून जो करेगा सो करेगा। पर क्या यहां एक तरह का सामाजिक बहिष्कार केवल ऐसे ब्लागर ही नहीं बल्कि उनकी हां में हां मिलाने वालों का नहीं किया जाना चाहिए। अब यह बहुत साफ हो चला है कि ब्लाग जगत में कुछ लोग जानबूझकर ऐसी पोस्ट लिखकर एक विवाद को जन्म देते रहना चाहते हैं।
बटुआ हाथ में रख लीजिए
ReplyDeleteचिड़ियाघर वाले एक ब्लॉगर की पहली पेशी होने ही वाली है दुर्ग कोर्ट में :-)
आपका ये प्रयास सराहनीय है।
ReplyDeleteबहुत जरुरी है ऐसे लोगों पर नियंत्रण करने के लिये कानूनन कार्रवाई करना।
ReplyDeleteआपने प्रोत्साहन के लिये जो पहल की है काबिलेतारिफ है।
आखिर इस सब को रोकने के लिये कुछ ना कुछ तो करना ही होगा।
प्रणाम
आशा है, इस घोषणा का भी असर होगा.
ReplyDelete
ReplyDelete@ पाबला जी ,
मेरा अनुरोध है कि यह घोषणा कब से लागू की जाए आप सलाह दें ! व्यक्तिगत तौर पर मेरा सोंचना है कि चूंकि यह घोषणा और प्रतिबद्धता आज से हुई है अतः आज के बाद जो केस और घटनाएं हों उसपर पुरस्कार लागू किये जाएँ !
सादर
ऐसी पोस्टे और टिप्पणिया चर्चा में रहने के लिए और अपनी खीज निकलने के लिए और किसी को परेशान करने के लिए लिखी जाती है उसी की भूख होती है इन्हें और हम उनकी चर्चा करके उनकी खीज पर प्रतिक्रिया दे कर उनके काम को सफल बना देते है | हमें बिल्कुल अनदेखा कर देना चाहिए | आप जितना इनको क़ानूनी कार्यवाही की धमकी देंगे ये उतना ही सर पर चढ़ेंगे क्योकि उन्हें लगेगा की वो आप को परेशान करने में सफल हो गए है इनकी भूख मिटाना बंद कर दीजिये ये खुद ब खुद भूखे मार जायेंगे |
ReplyDeleteहा हा हा :-)
ReplyDeleteवैसे यह तो आप ही सोचिए कि आज से पहले के दर्ज़ विवादों की पेशी को माना जाए या आज के बाद होने वाली पेशियों पर या आज के बाद होने वाले विवादों के बाद दर्ज़ होने वाले केस पर
लगता है अपना नम्बर नहीं लगेगा, कोई और कोशिश कर दे तो बात अलग है :-) हा हा हा
ब्लाग के माध्यम से चरित्र हनन के प्रयास तो रुकने ही चाहिये ।
ReplyDelete@ पाबला जी
ReplyDeleteहा...हा....हा....
चूंकि तिथि निर्धारण से पहले आपका केस आ गया है अतः आपको पहला ५००० रुपया भेजा जाएगा ! अन्य केसेस में यह तिथि आज के बाद मानी जायेगी !
कृपया अन्य विवरण भेजने की कृपा करें
सादर
वाह क्या बात है! विवरण आपको भेज दिया गया है। आनंद लीजिए :-)
ReplyDeleteअरे सतीश जी अब तो दोनो हाथो मे लड्डू हैं …………अब तो विवाद ना हो तो भी पैदा कर दिया जायेगा आखिर 20000 का सवाल है………………हा हा हा…………ये तो हुई हंसी की बात मगर यदि आप सीरियस हैं तो सच मे ये सराहनीय कदम है।
ReplyDeletebahut achha sujhaaw hai ..
ReplyDeleteक्या आपको सच में लगता है इस से कुछ हल निकलेगा !?
ReplyDeleteजिस देश में कानून खुद बिकने को तैयार घूमता हो वहाँ आप या हम कितने सफल होंगे ... यह हम खुद जानते है ...
फिर भी ... सतीश भाई साहब ...
दिल के खुश रखने को ....
आपकी बात बिलकुल सही है... किसी भी को भी व्यक्तिगत आक्षेप लगाने की अनुमति बिलकुल नहीं होनी चाहिए... बल्कि ब्लॉग जगत में इसके साथ-साथ शब्दों में भी अभद्रता बरती जाती है... मेरे विचार से इस विषय पर पूरी तरह कानूनी सलाह लेकर कदम उठाना चाहिए... बल्कि क्या-क्या कानूनी पहलू हो सकते हैं, उनको भी और सभी ब्लोगर जानो के सामने लाना चाहिए... ताकि व्यक्तिगत अथवा धर्म पर आधारित आक्षेप और अभद्र भाषा पर विराम लग सके... ब्लॉग जगत एक सार्वजानिक मंच है, इसलिए किसी भी तरह की गलत हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए...
ReplyDeleteसच है ऐसी बातों पर नियंत्रण रखना ... आपका कदम स्वागत योग्य है ...
ReplyDeleteमसला गंभीर है दिनेश जी का अग्रेतर मार्गदर्शन जरुरी है!
ReplyDeleteउफ!
ReplyDeleteआपके विचारों का स्वागत है ... आभार
ReplyDeleteव्यक्तिगत आक्षेपों का विरोध तो जरुरी है, स्तरीय रचनात्मकता के लिए.
ReplyDeleteआपकी पहल अच्छी है लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि लोगों को अपनी आलोचना पचती नहीं है और लोग आलोचनापरक टिप्पणियों से खार खाते हैं और उन्हें बेनामी का टैग लगाकर उनकी लानत-मलानत करने लगते हैं. समस्या बेनामी नहीं है बल्कि बेनामी की आड़ लेकर बैठे लोग हैं जो अश्लील और अभद्र टिप्पणियां करते हैं.
ReplyDeleteaap is umra me itna dour lete hain ... saniwar ko apko dekh-bhal
ReplyDeleteke gaya tha 'ek sunday' me itna halchal ke subah se kuch soojh nahi raha ....... 'sahar ki gandgi municpality wale aur gaon ki gandgi
samaj wale door kar lenge' lekin
'ahana-abhiman-kam-kuntha' ka ilaz
to satsang se hi sambhav hai.....sirf sajjan ke liye...durjan ke liye to...dande ke
dar se bhoot bhi bhag leta hai.....
.....aur haan aap 'light le yaar' ko kyon bhool rahe hain....
pranam.
वर्धा विश्वविद्यालय की संगोष्ठी के निष्कर्ष पर एक नज़र तो डालिए :)
ReplyDeleteBrilliant suggestion !
ReplyDeletestish bhaai aapke bhut bhut achche vichar hen or men is ldaayi me aek vkil hone ke naate hr qdm pr aapke sath hun kbhi pukarnaa shikaayt nhin milegi men intizar krungaa. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबेहद अफ़सोसज़नक स्थिति है । आपका गुस्सा भी ज़ायज़ है ।
ReplyDeleteक्या कोई ऐसी तकनीक उत्त्पन हो सकती है कि अनाम या छद्म नाम से ब्लॉग बन ही न सकें ।
असली पहचान के साथ कोई भी ऐसा दुस्साहस नहीं कर सकता ।
यदि कोई करता है तो बेशक मानहानि के लिए तैयार रहना चाहिए ।
अच्छी पहल है. कल एक ख्याति पात्र ब्लोग्गर बंधू से इसी मुद्दे पर बातचीत हुई थी. उनका विचार था की यह सब बरसाती मेंढक हैं. ऐसे कई पहले भी आ चुके थे अब अपने धंदे से लग गए हैं.
ReplyDeleteसतीश जी @सर नेट को नेट ही रहने दीजिये ये कानूनी बाते इस कल्पनिक दुनिया में कंही नहीं टिकती ,सर में आप की व्यथा जान सकता हूँ लेकिन सर कोइमतलब नहीं कोई अपना आई .पि एड्रेस hide कर ले तो आप सात जन्मो तक उसका पतानाही लगा सको |रास्ट्रीय सुरक्षा के मामले में एजेंसियों ऐसी कवायद करती हे ले दे के ढाक के पात हाथ लगे दो मामलो में अभी थोड़े दिनों पहले की बात हे |
ReplyDeleteसुन्दर विचार ..
ReplyDeleteइस हेतु पैसे और सहयोग बेरोजगार विद्यार्थियों ( उभयलिंगी अर्थ में ) को या आर्थिक रूप से दुर्बलों को देवें जो अनुभव/समझ/अर्थ की कमी के चलते २४ X ७ खाली बैठे निठल्लों/निठल्लीयों के शातिर क्रूर कर्म के और शातिर चिरकुटई के शिकार बनते हों ! सादर..
सक्सेना साहब,
ReplyDeleteनाम लेकर मानहानि करनेवालो के खिलाफ़ तो कानूनी कार्रवाई का कदम उठा लेंगे…
किन्तु, शब्दों की माया रच कर, कपटजाल से किसी को गाली-गलोच के लिये उकसाने वालो को कैसे अनावृत करेंगे।
द्वीअर्थी सम्वादो का सहारा लेकर बुराई व विवाद-फ़साद फ़ैलाने वालो को कैसे चिन्हित कर पायेंगे।
धर्म को बदनाम करने की मंशा से उसी धर्म के सुधारको के नाम से व्यंग्य करने वालों के खिलाफ कैसे करवाही करेंगे। यह लोग ऐसी ही ओट लेकर बच जाएंगे।
और इसी कारवाही का दुरपयोग करने वालो को कैसे रोक पाएंगे।
सतीश जी आपकी चिन्ता, उपाय और सलाह तीनों ही सही है। आशा है कि लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझेगें।
ReplyDelete
ReplyDeleteआप सबका धन्यवाद !
हम सब यहाँ इस प्लेटफार्म पर लिख रहे हैं, इस मुफ्त की सुविधा का इस्तेमाल, किसी का अपमान करने में क्यों करते हैं ?
हम सब सभ्रांत लोग है और अपमान करने का हक़ एक अच्छे समाज में किसी को नहीं होना चाहिए !
हमें लिखते समय यह याद रखना चाहिए कि हमारे हाथ में कलम है इसे तलवार बनाने का प्रयत्न न करें तभी बेहतर होगा अन्यथा हम अपनी असलियत और औकात बता देते हैं !
धार्मिक विषयों पर दूसरे धर्म का अपमान बेहद निंदनीय है ऐसे लोग न केवल व्यक्तिगत तौर पर बदबू फैला रहे हैं बल्कि इस देश की जड़ों को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं ! दूसरों की श्रद्धा का मखौल उड़ाने वालों को केवल जेल होनी चाहिए चाहे वे किसी धर्म के क्यों न हों !
अपना नाम कमाने की इच्छा है तो अच्छा लिखते रहें लोग देर सवेर ही सही आपका सम्मान अवश्य करेंगे और जो लोग किसी का अपमान करके ...चीख चिल्ला के ...भीड़ तो इकट्ठा कर लेंगे मगर सम्मान पा सकेंगे इसमें संदेह ही रहेगा !
सादर
फिजूल की बात है साहेब
ReplyDeleteपरिवार की बात परिवार तक ही सीमित रहे तो बढ़िया है ... बाहर वाले तमाशा क्यूँ देखें ?
हम लड़ेंगे-झगड़ेंगे-एक-दूजे को गरियायेंगे ...अगले रोज फिर गलबहियां डाले घूमेंगे
किस बात की पंचायत और पेशी
देश की अदालतें क्या खाली बैठी हैं ?
ReplyDeleteमैं अपने को ऎसे दावे करवाने और केस हारने के लिये प्रस्तुत करता हूँ,
बशर्ते कि केस जीतने वाला पुरस्कार की राशि आधा आधा बाँटने की लिखित अग्रिम स्वीकृति दे ।
सुपाड़ी लेने के इच्छुक मित्र कृपया शीघ्र सम्पर्क करें ।
नोट: सतीश भाई, कहाँ इन पचड़ों में पड़ते हो.. इससे नफ़रत और बढ़ेगी या घटेगी.. यह स्पष्ट करो ।
मॉडरेशन विरोध के चलते टिप्पणी न करने की शपथ तोड़ कर बिन माँगी सलाह दे रहा हूँ, क्षमा करना !
सतीश जी कानूनी कार्यवाही जरु होनी चाहिये, लेकिन उस से पहले इन्हे खुद ही प्यार से समझा कर देख ले, या हम सब मिल कर एक संगठन बनाये, जेसा कि एक बार अजय झा जी ने कहा था,ओर फ़िर ऎसे लोगो को सब मिल कर हर तरह से समझाये वर्ना बाहर का दरवाजा दिखाये, यानि उस का हुक्का पानी बंद, ओर जो उस की हिमायत मे आये उस का हुक्का पानी भी बंद, यह कोई गुट वाजी नही , एक तरह से हम अपनी एक पंचायत बना ले, ओर ऎसे लोगो के लिये सब मिल कर फ़ेसला करे जो फ़ेसला सब को पसंद आये उसी को माना जाये, यह पंचायत या सगंठन पुरे ब्लांग जगत के लिये नही, लेकिन जो भी इस पंचायत का इस संगठन का सद्स्य होगा उस पर लागू होगा,हम सब का नियम, ओर इस के लिये पहले एक सद्स्य लिस्ट बनाई जाये, ओर साल मे अलग अलग शहरो मे सब नही तो जितने भी मिल सके मिल जुल कर सभा करे, बाकी अजित जी की बात भी सही हे, फ़िर देखो इस पंचायत के सामने कोन टिकता हे, जब सुना हे एकता मे बल हे, तो हम क्यो अपने आप को निर्बल समझते हे, लेकिन इस पंचायत मे सब को अपने बारे सही जानकारी देनी होगी, अपना फ़ोन ना० ई मेल आई डी जो सभी सदस्य को मिलनी चाहिये,
ReplyDelete@ डॉ अमर कुमार ,
ReplyDeleteआपका आभार कि आप आये और टिप्पणी दी !
बड़ा कष्टदायक है जब निरपराधी होने पर भी यहाँ लोग एक दूसरे का अपमान सिर्फ इसलिए करने का प्रयत्न करते हैं कि लोग उनके ब्लॉग पर आकर्षित हों और अधिकतर ऐसा करके वे कामयाब भी रहते हैं ! ऐसी प्रवृत्ति को रोकने का और कोई तरीका हो तो बताएं ! आशा है आप सुझाव अवश्य देंगे ....
सादर
आदरणीय राज भाटिया जी,
ReplyDeleteअवांछित तत्व का हुक्का पानी बंद करेंगे?
कैसे?
उसके ब्लौग तक नहीं जायेंगे?
उसे टिप्पणियां नहीं देंगे?
उसे एग्रीगेटर पर नहीं शामिल होने देंगे?
बस यही न?
फिर भी आप किसी को अपना ब्लौग बनाने, पोस्ट लगाने, और पाठक खींचने से नहीं रोक सकते.
यह सब संभव नहीं है. आप इंटरनेट पर हैं, किसी गाँव की चौपाल पर नहीं हैं!
सतीश जी, आपके पड़ोस में (वसंत कुंज, दिल्ली) में रहता हूं, कभी इधर भी आइये.
ReplyDeleteसूरजकुंड मेला लगनेवाला है, किसी छुट्टी वाले दिन वहां जाना होगा, चलिए कुछ ब्लॉगर मिलने का प्रोग्राम बनाते हैं.
सतीश भाई,
ReplyDeleteआप के किसी भी प्रयास में मैं तन-मन (धन की किल्लत है) से आपके साथ हूं...
वैसे अब तो स्थिति में बहुत बदलाव आ चुका है...डेढ़ साल पहले जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी तो वैमनस्य फैलाने वाली पोस्ट और बेनामी टिप्पणियों की बीमारी इतनी बुरी तरह फैली हुई थी कि मुझे लगने लगा था कि कहीं गलत जगह तो नहीं आ गया मैं...लेकिन फिर यहां धीरे-धीरे इतने अच्छे लोगों से संवाद कायम करने का मौका मिला कि दुगने उत्साह के साथ लिखने लगा...अगर ये सिद्धांत बना लिया जाए कि जिस गली में तेरा घर न हो बालमा, उस गली से हमें तो गुज़रना नहीं...तो काफी अप्रिय स्थितियों से बचा जा सकता है...इस ब्लॉग जगत में सब लोग इतने समझदार हैं कि वो ये अच्छी तरह जानते हैं कि किसी पोस्ट पर आकर बेनामियों के उत्पात मचाने के पीछे असली मंशा क्या होती है...आसमान पर कोई थूकता है तो थूक उसी के चेहरे पर गिरती है, आसमान का कुछ नहीं बिगड़ता..
आपकी सोच सही है, एक दो को सज़ा मिलेगी तो नज़ीर की तरह काम करेगी...
वरना तो गेंद को जितनी ज़ोर से पटको, वो उतना ही आपके सिर पर चढ़ती है...
जय हिंद...
इस चिन्तन श्रंखला से मैं सहमत हूँ।
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास है!
ReplyDeleteएक काम की बात निशांत मिश्र जी आ रहा हूं वसंत कुंज में। कल सुबह 9 बजे लेकिन लीवर एंड वायलरी इंस्टीच्यूट में, क्या आप वहां पर भी मिल सकते हैं।
ReplyDeleteकोशिश करने से ही सफलता मिलती है
कदम उठाने से ही दम आता है
जब शुरूआत ही नहीं करेंगे
तो कैसे पहुंचेंगे अंजाम तक
सतीश जी की पीड़ा जायज है
पर यहां पर ऐसे लोग ही छुट्टे घूमते हैं
लोग करते हैं खुलेआम जनता के धन से बलात्कार
और राजा राडिया बन शान से रहते हैं
यह देश है घपले बाजों का
घोटालों के राजा का
बाजा बजता है यहां सिर्फ ईमानदार
और ईमानदारी का
सौदेबाज और दलालों का खूब जोर है यहां
आपका सुझाव बढ़िया है लेकिन फिर जो पकड़े जायेंगे तो वही आपके पास रोते हुए आयेंगे और आपको उन्हें बचाने के लिए भी अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ेंगे. डबल खर्चा हो जाएगा:-)
ReplyDeleteखैर, यह तो रही हँसी की बात लेकिन मुझे लगता है कि गाली-फक्कड़ वगैरह देना और बेनामी के नाम से देना एक ऐसी बात है जो चल रही है लेकिन अपने आप बंद हो जायेगी. कितना बड़ा गालीबाज हो एक दिन बोर हो ही जाएगा. लगातार तो सिर्फ प्यार बांटा जा सकता है जो आप कर रहे हैं. दावे के साथ कह सकता हूँ कि लगातार गाली नहीं बांटी जा सकती.
सराहनीय प्रयास!
ReplyDelete...............
ReplyDeleteहम सब यहाँ इस प्लेटफार्म पर लिख रहे हैं, इस मुफ्त की सुविधा का इस्तेमाल, किसी का अपमान करने में क्यों करते हैं ?
हम सब सभ्रांत लोग है और अपमान करने का हक़ एक अच्छे समाज में किसी को नहीं होना चाहिए !
हमें लिखते समय यह याद रखना चाहिए कि हमारे हाथ में कलम है इसे तलवार बनाने का प्रयत्न न करें तभी बेहतर होगा अन्यथा हम अपनी असलियत और औकात बता देते हैं !
धार्मिक विषयों पर दूसरे धर्म का अपमान बेहद निंदनीय है ऐसे लोग न केवल व्यक्तिगत तौर पर बदबू फैला रहे हैं बल्कि इस देश की जड़ों को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं ! दूसरों की श्रद्धा का मखौल उड़ाने वालों को केवल जेल होनी चाहिए चाहे वे किसी धर्म के क्यों न हों !
सक्सेना ji, main apke uprokt vicharon se purnth sahmat hun, yakinn yahi wo vichaar hai jo ek blogr ke liye samman evm garv ki baat hoti hai or yahi wo vichaar hain jinke chalte ek bloger ke liye aam aadmi ke dil main ek khash ijjat hoti hai , yahi wo vichaar hain jo Blogspot ko Orkut ya any soshal saiton se alag karte hain , ek aam admi ki hasiyat se apni pratikirya vyakt kr raha hun, व्यक्तिगत आक्षेपों ko lekr jo chinta aapko hai wh jayaj hai or sabhi blogrs ko issey bachnme hetu samuhik pryas krne chahiye .....
abhaar...........
@ किलर ....
ReplyDeleteभैया पहले अपने ब्लॉग पर ख़राब टिप्पणियां छापना बंद करो फिर भैया कहोगे तो नुझे गर्व महसूस होगा
सतीश भाई
ReplyDeleteपुरानी कहावत याद कीजिए।
किसी लकीर को छोटा करना हो तो उस के सामने बड़ी लकीर खींचिए।
इत्ती बड़ी कि छोटी दिखाई देना ही बंद हो जाए।
इतने उद्विग्न न हों !नियंत्रण ज़रूरी है लेकिन उसे लागू करने के प्रावधान भी हो तब न.हम सब पूरी कोशिश यही करें कि सभी पढ़े-लिखे लोग हैं -अतः समझदारी और पारस्परिक सद्भावना विकसित हो.
ReplyDelete
ReplyDeleteउपरोक्त कार्य के करने का कारण मैं लेख में स्पष्ट कर चूका हूँ ! मेरे पास बहुत से साथियों ने फोन पर भी अपनी राय दी है ! निष्कर्ष यह है कि जब तक हिंदी ब्लॉगजगत शैशव अवस्था में है यह कमियां रोकी नहीं जा सकती !
जहाँ तक कोर्ट केस का सवाल है माननीय अमर कुमार एवं अन्य विद्वजन लिख चुके हैं और मैं इस बात से सहमत हूँ कि इस घोषणा का फायदा सज्जन कम और दुर्जन अधिक उठाने का प्रयास करेंगे !
महत्वपूर्ण यह भी है कि इन्टरनेट को सुधरने का कार्य महज एक मूर्खता है और कुछ नहीं ! हाँ व्यक्तिगत तौर पर लोग अपनी तरह से अपनी रंजिशों को निकलते रहे हैं और शायद मानेंगे भी नहीं !
अतः फ़िलहाल मैं इस घोषणा को स्थगित कर रहा हूँ !
आदर सहित
हिंदी ब्लॉगजगत शैशव अवस्था में है
ReplyDeleteमज़ा आ गया। पिछले 6 वर्ष के ब्लॉग-सफ़र में यह वाक्य कहीं ना कहीं रोज़ाना पढ़ता-देखता-सुनता आया हूँ।
प्रशांत प्रियदर्शी के कॉमिक्स ब्लॉग की एक पंच लाईन याद आ रही -हम बड़े नहीं होंगे!! :-)
व्यंग्य को रण-मूलक लेखन कहा गया है। यह अन्याय के खिलाफ एक युद्ध है। पाठकों को जागरूक कर संघर्ष के लिए अभिप्रेरित करना इसका निहितार्थ है। व्यंग्य की कचोट और कुरेद का तीखा और मार्मिक होना स्वाभाविक है। व्यंग्य के औजारों को नुकीला और पैना बनाना व्यंग्य साधना का अंग है जिससे उनकी चोट बड़ी मारक बनती है। प्रगतिवादी रचनाकार श्रुति, कल्पना, स्मृति की अपेक्षा प्रत्यक्ष दिख रहे प्रमाणों की ओर अधिक आकृष्ट होता है। नागार्जुन में यह विशेषता विपुल मात्रा में विद्यमान है। यायावरी जीवन के माध्य्म से संसार के यथार्थ का उन्होंने निकट से साक्षात्कार किया। उनका चिंतन किताबी न था अपितु आँखों देखा था। वे साफगोई के कद्रदान थे। अत: मुंहफट बात कहना उनके स्वभाव में रहा। उनकी ‘मंत्र कविता’ देहातों में झाड़-फूँक करके उपचार करने वाले ओझा की शैली में है जिसमें सफेदपोश नटवरलालों की जमकर खबर ली है-
ReplyDelete”ओं भैरो, भैरो, भैरो, ओं बजरंगबली
ओं बंदूक का टोटा, पिस्तौल की नली
ओं डालर, ओं रूबल, ओं पाउंड
ओं साउंड, ओं साउंड, ओं साउंडओम् ओम् ओम्
ओम् धरती, धरती, धरती, व्योम् व्योम व्योम्
ओं अष्टधातुओं की ईंटों के भट्ठे
ओं महामहिम, महामहो, उल्लू के पट्ठे
ओं दुर्गा दुर्गा दुर्गा तारा तारा तारा
ओं इसी पेट के अंदर समा जाए सर्वहारा
हरि: ओं तत्सत् हरि: ओं तत्सत्”
सतीश जी! समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पर्दे के पीछे रह कर कानून को अपने पाँव तले रखते हैं। व्यंग्य ऐसे लोगों का मुखौटा नोचता है। हिंदी साहित्य के प्रारंभिक दौर में कबीर ने इस काम को बाखूबी से किया।
मैं निर्दोष व्यति के चरित्र-हनन के खिलाफ हूँ। उसका कानून के द्वारा इलाज हो सकता है। वह किया जाना चाहिए। इस मुहिम में आपके साथ हूँ। सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
blog se ashlilta ,charitra hanan jaisi amaryadit baaton ko hatana anivary sa lagta hai.
ReplyDeleteaapke sujhav aur prayas bahut achchhe hain.
U are right on dot.
ReplyDeleteमुझे लगता नहीं इससे कुछ फायदा होने वाला है. इग्नोर करें और अपनी समझ से काम लें मुझे तो वही एक निदान लगता है.
ReplyDeletesatish ji bahut se aaise logo ki roji roti chitthajagat ke band hote band ho gayee.
ReplyDeletesab kuch samay par theek ho jayega ---------
rahiman chup rah deekhaye,
dekh dinan ke pher ,,
phir neeke din aayange,
bahur n lagaye der-----
jai baba banaras-----
bouth he aacha blog hai aapka jii
ReplyDeleteLyrics Mantra
Music Bol
सिर्फ एक चर्चित केस की जरूरत है जिसमें कुछ कारवाई हुई हो.. बस उतना ही काफी होगा ब्लॉग दुनिया को सुधारने के लिए.. क्योंकि यहाँ लिखने वाले सिर्फ बड़े-बड़े जमींदार लोग नहीं हैं जिन्हें केस-मुक़दमे के बिना खाना हजम नहीं होता हो, यहाँ अधिकाँश लिखने(अच्छा या घटिया, दोनों) वाले वैसे आम आदमी हैं जो पुलिस और क़ानून से आधे किलोमीटर के फासले पर ही रहना पसंद करते हैं..
ReplyDeleteमेरे एक मित्र हैं केरल के.. मलयालम में ब्लॉग लिखते हैं.. वो अपना किस्सा बताये थे एक बार.. एक दफे उनके खिलाफ किसी ने ऐसा ही अनर्गल प्रलाप किया किसी मलयालम ब्लॉग में.. उन्होंने पुलिस के IT सेल में मामला दर्ज करा दिया.. पुलिस ने कारवाई करते हुए वहाँ छापा मारा, उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया.. केस कहीं और से शुरू हुआ था और कहीं और पहुँच गया.. वहाँ उसके कंप्यूटर में पायरेटेड साफ्टवेयर और पोर्न मैटेरियल पाया गया.. मतलब कुल मिलकर तीन मामले दर्ज हुए.. बाद में मेरे मित्र ने अपना केस वापस ले लिया, बावजूद उसके वह मामला उसके जी का जंजाल बना हुआ था कई दिनों तक.. इस घटना के बाद वो ब्लॉग में भी चैन की जिंदगी गुजार रहा है..
पाबला जी ने मेरे कामिक्स वाले ब्लॉग के पंचलाइन कि अच्छी याद दिलाई.. :)
वैसे मेरे मुताबिक़ हिंदी ब्लॉग संसार शैशव अवस्था में नहीं है, बल्कि सठिया चुका है.. ;)
क्या हो गया सर....मुझे तो पता नहीं... लेकिन झूठे को घर तक पहुंचाना ही चाहिये... एक ब्लाग किलर पर न जाने कितने नामों से कमेन्ट थे और जहां तक मुझे लगता है सब किसी एक ही व्यक्ति ने किये थे.
ReplyDeleteइसमें कोई शक़ नहीं कि यह एक ऐसी समस्या है जिसे बहुत समय तक नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता है। यह भी सच है कि सामान्य धारणा के विपरीत इंटरनैट पर किसी भी बेनामी/छद्मनामी को ढूंढना उतना ही बल्कि थोडा अधिक आसान है जितना किसी बेनामी को वास्तविक जीवन में। शुरूआत होनी चाहिये मगर यह शुरूआत यदि मौजूदा पीडितों की ओर से हो तो बेहतर उदाहरण प्रस्तुत होगा।
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