मेरा विचार है कि अगर आपके पास समय है, तो व्यस्त रहने के लिए, ब्लागिंग से बेहतरीन और कुछ नहीं ! एक से एक बेहतरीन लोग यहाँ उपस्थित हैं जिनसे आप बहुत कुछ सीख सकते हैं !टिप्पणियों लेते और देते , कब एक दूसरे के नज़दीक होते चले जाते हैं पता ही नहीं चलता !
इस ब्लॉग परिवार में आपस में बढ़ते स्नेह के कारण मित्रों की अपेक्षाएं बढ़ना स्वाभाविक हैं ! फलस्वरूप ई मेल में अधिकतर, उनके लिखे लेखों पर, टिप्पणी करने के अनुरोध रहते हैं जिन्हें समयाभाव के कारण ,पूरा करना लगभग असंभव हो जाता है !
एक लती ब्लागर अमूमन ४ -६ घंटे रोज कम्पयूटर पर देता है और रोज इतना समय, एक व्यक्ति के लिए देना, आँखों और स्पाइनल कार्ड को बीमार करने के लिए काफी होता है :-(
अतः नए साल से एक निश्चय किया है कि सप्ताह में एक लेख से अधिक लिखने से बचूंगा ! शायद अधूरे काम आसानी से निपटा पाऊंगा !
हालाँकि आदतें छोड़ना आसान नहीं होता..."कैफ" भोपाली का एक शेर है ..
आग का क्या है,पल दो पल में लगती है !
बुझते बुझते, एक ज़माना लगता है !
आप सबको शुभकामनायें !
इस ब्लॉग परिवार में आपस में बढ़ते स्नेह के कारण मित्रों की अपेक्षाएं बढ़ना स्वाभाविक हैं ! फलस्वरूप ई मेल में अधिकतर, उनके लिखे लेखों पर, टिप्पणी करने के अनुरोध रहते हैं जिन्हें समयाभाव के कारण ,पूरा करना लगभग असंभव हो जाता है !
एक लती ब्लागर अमूमन ४ -६ घंटे रोज कम्पयूटर पर देता है और रोज इतना समय, एक व्यक्ति के लिए देना, आँखों और स्पाइनल कार्ड को बीमार करने के लिए काफी होता है :-(
अतः नए साल से एक निश्चय किया है कि सप्ताह में एक लेख से अधिक लिखने से बचूंगा ! शायद अधूरे काम आसानी से निपटा पाऊंगा !
हालाँकि आदतें छोड़ना आसान नहीं होता..."कैफ" भोपाली का एक शेर है ..
आग का क्या है,पल दो पल में लगती है !
बुझते बुझते, एक ज़माना लगता है !
आप सबको शुभकामनायें !
इश्वर आपको इसके लिए शक्ति दे ।
ReplyDeleteहा हा हा ! बड़ा मुश्किल काम है बचे रहना ।
वैसे आपसे पूर्णतय: सहमत हूँ ।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें सतीश जी ।
अच्छा किया जी बधाई..
ReplyDeleteसतीश जी हमने तो इस पत्र अम्ल शुरू भी कर दिया हुया। । इससे लिखने के लिये समय भी मिल जाता है।
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
मुझे तो नहीं लगता कि किसी 'लती' ब्लौगर को चार-छः घंटे ब्लौगों पर रोज़ देने ज़रूरी हैं. यदि आप यह जानते हैं कि आपको क्या पढ़ना और क्या छोड़ना है तो दो-तीन घंटे ही पर्याप्त होंगे. हफ्ते में एक दिन का ब्रेक लेना ही/भी उचित होगा.
ReplyDeleteसप्ताह में एक. बिलकुल ठीक है. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteप्रेरक विचार और अनुकरणीय निर्णय.
ReplyDeleteआप हमेशा सार्थक ही लिखते हैं
ReplyDeleteहमें आपके लिखे गीत बहुत पसंद हैं
समय समय पर लिखते रहिये
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
जय हिंद
मै तो गाहे बगाहे दुर ही रह्ता हु....पर जब ब्लाग पर आता हु तो फिर मुश्किल होता है ....दुर जाना .....अब आप मुझे ही देखिये दिल्ली मे रहते हुए भी ब्लाग से दुर ....बस नेट नही चल रहा है .....आपको गणतंत्र दिवस की हर्दिक शुभकमनाये
ReplyDeleteदेखते हैं जी, इस नशे तक कहाँ तक बचते हो......
ReplyDeleteबिलकुल सही विचार हैं सर ... सहमत हूँ .... गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....
ReplyDeleteकोई ज़रूरी नहीं कि रोज़ खामखा पोस्ट लिखी जाय.
ReplyDeleteसार्थक और उपयोगी पोस्ट अगर सप्ताह में एक भी लिखी जाय तो पर्याप्त है. (यह बात हर किसी पर लागू होती है)
आपने हम लोगों का प्रतीक्षा समय बढ़ाने का निर्णय लिया है। अपनों पे सितम, चलिये सह लेंगे आपके खातिर।
ReplyDeleteवैसे एक सप्ताह में दो पोस्ट देने से व्यस्तता बनी रहती है।
सही मार्गदर्शन -
ReplyDeleteलत से बचना चाहिए -
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
गणतंत्र दिवस पर आपके द्वारा प्रेरक ब्लॉगतत्र का अनुशासन अनुकरणीय है।
ReplyDeleteकभी रम ब्लॉगिंग , तो कभी कम ब्लॉगिंग ,
ReplyDeleteहाय देख इस अदा को , हुई नम ब्लॉगिंग ।
अजी होती रहे बूंद बूंद कभी कभार , और हो,
फ़िर झूम के और टूट के , झमाझम ब्लॉगिंग
ReplyDeleteअभी काम अधूरे पड़े हैं, और आप यहाँ ब्लॉगिंग छाँट रहे हो ?
मुझे आपकी नीयत पर सँदेह हो चला है :)
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसतीश जी
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ।
सही कहा आपने. अमल भी करिए. अपनी सेहत का ख्याल तो कीजिये ही पढने और टिप्पणी देने वालों की सेहत का भी ख्याल कीजिये. शुभकामनायें गणतंत्र दिवस की.
ReplyDeleteविचारणीय ...सेहत पहले ब्लोगिंग बाद में ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..
हा हा हा ...हम तो कभी कभार ही दर्शन देते है तो हम तो बच गए है ..... आप की बात सच है ..
ReplyDeleteआप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं!
सतीश भाई,
ReplyDeleteप्रण तो अच्छा है, लेकिन मुंह से लगी छूटती नहीं काफ़िर...
जय हिंद...
hello dear satishji !
ReplyDeletekya baat hogayi iss decision ke peeche ? App ke blog padne ne mei alag hi mazaa hai... We young bloggers are your followers, you are an example for the younger generation,be it in any field (homeo,religion,geet,masti etc etc)
We will miss your blog daily in the morning,
Regards
a admirer,a follower
बहुत सही निर्णय..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई !
ReplyDeleteकम ब्लागिंग पर बड़ा बढ़िया सुझाव है आपका , आपसे प्रेरणा लेकर हम भी ऐसी कोशिश करेंगे :)
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं स्वीकारियेगा !
उचित निर्णय!!
ReplyDeleteअपने लिए तो ये सम्भव ही नही क्योकि मेरे तो 10 - 12 घण्टे ही कम्पयूटर के सामने गुजरते है
ReplyDeleteशुभकामनाये
शुभकामनाएँ... गणतंत्र दिवस के साथ ही ब्लागिंग के प्रति आपके नये निर्णय की भी.
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है .हम तो वैसे भी १ हफ्ते में एक ही पोस्ट लिख पाते हैं :)आपको शुभकामनाये.
ReplyDeleteबड़े शहर में रहने वाले मेरे जैसे व्यक्ति की दिनचर्या पर गौर करें जो दफ्तर/दूकान से/में ब्लौगिंग नहीं करता.
ReplyDeleteकुल जमा चौबीस घंटों में से
सात-आठ घंटे निकल गए सोने में. बचे सोलह-सत्रह घंटे.
इनमें से लगभग दस घंटे निकल गए दफ्तर जाने और काम करके वापस लौटने में. बचे छः-सात घंटे.
रोज़मर्रा के ज़रूरी काम (नहाना-धोना, खाना-पीना) में निकल गए दो-तीन घंटे. बचे चार पांच घंटे.
परिवार और बच्चों के साथ बैठकर समय बिताने, पढ़ाने, टीवी देखने आदि में लगे दो-तीन घंटे. बच गए दो-तीन घंटे.
बस यह दो-तीन घंटे ही पर्याप्त हैं. इससे ज्यादा समय न तो देना चाहिए न ही दिया जा सकता है.
जो महाशय फिर भी ब्लौगिंग को चार-छः घंटे दे रहे हों उनको मैं नमन करता हूँ.
बिलकुल ठीक है
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
अच्छा है. मेरे पास तो अब ही समयाभाव रहता है...आगे जाने और क्या होगा. ख़ैर मैं भी याद रखूंगा.
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग और दूसरे काम में सामंजस्य बहुत जरूरी है...और स्वास्थ्य का ख्याल तो सर्वोपरि
ReplyDeleteसही फैसला किया,आपने..शुभकामनाएं
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआपने सही सलाह दी है क्योंकि ये अभी कुछ दिन पहले ही मेडिकल रिपोर्ट में भी कहा गया था . इसके साथ ही इसमें मष्तिष्क और ह्रदय दोनों ही प्रभावित होते हैं. इसमें TV भी शामिल है. अगर आप ४-५ घंटे रोज टीवी देखते हैं तो सावधान हो जाइए. लेकिन समर्पित ब्लोगर के लिए ये मुश्किल होगा. उन्हें तो रोज ही लिखना नहीं पढ़ना है और टिप्पणी भी करनी है. तब सिर्फ हफ्ते में एक बार लिखिए और बाकी दिन पढ़िए और टिप्पणी कीजिये. जरूरी नहीं लगातार ही ये काम करें. जब समय हो तो आधा आधा घंटे के लिए ये काम किया जा सकता है.
ReplyDeleteमैं बहुत पहले से ये निश्चय कर चुकी हूँ. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ !
ReplyDelete"अगर आपके पास समय है, तो व्यस्त रहने के लिए,"
ReplyDeleteयह तो परस्पर विरोधी वक्तव्य हो गया !जिसके पास समय है वह व्यस्त क्योंकर हुआ और अगर व्यस्त है तो समय वाला कैसे हुआ --
थोडा तनाव शैथिल्य कर लीजिये ..मैं समझ सकता हूँ !
@मित्रों चर्चा के बीच अभी अभी यह खबर मिली है -
ReplyDeleteप्रवीण जी आप के लिए ख़ास तौर पर -
"अभी अभी हमारे केरेल और कर्नाटक के दो वीरों नें प्रयास किया है,, आह... ये भारत है,, मैनें अभी भारत के सैनिकों को भारत का झंडा, भारतियों से छीनते हुये देखा है... ये वही सैनिक हैं जो इसी झंडे के लिये अपनीं जान न्योछावर करते हैं.. "
आलोक पुराणिक का कहना है:
ReplyDeleteब्लागर,आशिक, सिपाही, स्मगलर-ये धंधे ऐसे हैं कि एक बार जो बन गया , सो बन गया, फिर पूरी जिंदगी नहीं छूटता
हमने कभी ब्लागिंग छोड़ने के चंद फ़ायदे बताये थे। ब्लॉगिंग कम करने पर भी ये लागू होने चाहिये।
तबियत चकाचक रखी जाये।
.
ReplyDelete.
.
"इस ब्लॉग परिवार में आपस में बढ़ते स्नेह के कारण मित्रों की अपेक्षाएं बढ़ना स्वाभाविक हैं ! फलस्वरूप ई मेल में अधिकतर, उनके लिखे लेखों पर, टिप्पणी करने के अनुरोध रहते हैं जिन्हें समयाभाव के कारण ,पूरा करना लगभग असंभव हो जाता है !"
समस्या यहीं है,
अपने रोजमर्रा के काम के लिये एक नया ईमेल खाता खोलें, उसे किसी ब्लॉगर को न बतायें व पुराने खाते की ओर झाँकें भी न... सुखी रहेंगे व समय भी कम लगेगा... पोस्ट अल्बत्ता जब दिमाग में आये तभी ठेल दें... ब्लॉगर तो आप अपनी पोस्टों के ही कारण हैं... :))
...
ऐकरे बदे त हम ब्लागिंग शुरु ही नाही किया जी। "लागी छूटे ना अब तो सनम" गाते रहिये ई नाही छूट सकत है।
ReplyDelete-राधे राधे सटक गईल बिहारी
सही निर्णय .... व्यस्तता तो रहती है.....गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं.....
ReplyDeleteआप लगभग हमारी राह पर आ रहे हैं, मैं अधिकतम दो लिखता हूँ. :)
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर आपको शुभकामना.
आपका निर्णय बिलकुल उचित है .... शुभकामनाएँ
ReplyDeleteकोई बात नही एक सप्ताह कर के देखे? क्योकि अब आप को यह टी वी भी अच्छा नही लगेगा, ओर यह खाली समय ओर क्या करेगे? सब काम तो जल्द ही निपट जायेगे, बाबा बहुत मुश्किल हे मै दो तीन घंटे से ज्यदा समय नही देता ओर ना ही इस का लती हुया हु अभी तक, लेकिन समय पास करने का इस से अच्छा ओर सस्ता तरीका ओर कोई नही
ReplyDeleteऔर जो समय बचे उसे टिप्पणी देने में अवश्य लगा देना। यहां का सब यहीं रहना चाहिए। टिप्पणी देना परमार्थ का कार्य है।
ReplyDeleteहमें तो झमाझम और घनघोर ब्लॉगिंग ही भाती है। चाहे माथा फूटे, चाहे कमर टूटे, पर ब्लॉगिंग को सांस की तरह अनिवार्य बना लेना चाहिए।
पर सतर्कता यही रहे कि मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
हमें इंतजार रहेगा,
आपके संकल्प पूर्ण होने का।
ब्लागवुड में सूरज कभी डूबता नहीं है।24 घंटे
ब्लागिंग होती है :)
आदरणीय सतीशजी भाईसाहब
ReplyDeleteप्रणाम !
आदरणीय दराल साहब और पद्मसिंह जी से सहमत हूं …,
इससे मुझ जैसों को आपकी पोस्ट पर टिपिया न पाने का मलाल भी नहीं रहेगा ।
वरना अभी तो हाल ये है कि आपके यहां चार बार दावत उड़ाता हूं , तो एक बार धन्यवाद दे पाता हूं … :)
हां, अवसर विशेष पर सप्ताह में एक से अधिक बार भी लिख सकते हैं … ब्लॉग आपका, पोस्ट आपकी , हम आपके !!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteवेसे हम भी आपकी बात से सहमत हैं पर न जाने शायद ये भी एक तरह का नशा सा ही लगता है कभी न लिखू तो लगता है शाद कोई काम छुट सा गया है !
ReplyDeleteवेसे निर्णय बुरा नहीं अगर निभा सको तो ?
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें देखते हम भी कि कितना है दम ।
ReplyDeletehum apke sadiksha ka samman karte hain.....
ReplyDeletepranam.
बहुत कठिन निश्चय किया है आपने सतीश जी...
ReplyDeleteहम तो पहले से ही मासिक पोस्ट का नियम बनाये
ReplyDeleteहुए हैं :) बढिया फ़ैसला. शुभकामनाएं.
ओह! तभी ब्लॉग धीमी गति से अपडेट हो रहा है।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
प्रवीण शाह से सहमत.
ReplyDeleteशुभकामनाएँ.
घुघूती बासूती
यह तो सिगरेट छोड़ने जैसी बात हुए. १५ दिन बाद फिर शुरू. कम लिखो, अच्छा लिखो , अधिक पढो और जो सही लगे उसे ही सराहो..यह उसूल.
ReplyDeleteगृहस्थ आश्रम से इतनी जल्दी भी क्या है वानप्रस्थ में जाने की ? फिर वहाँ भी मन नहीं लगेगा तो कहेंगे कि मन अब संन्यास आश्रम की ओर भाग रहा है ?क्या ब्लॉग -जगत आपको ऐसा करने देगा ?
ReplyDeleteजब तक 50 से ज्यादा टिप्पणियां आती रहेंगी, लत कम नहीं होगी।
ReplyDeleteसबसे बढिया तरीका यह है कि पोस्ट लिखकर पब्लिश करते समय टिप्पणियों का विकल्प बन्द कर दिया जाये।
ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी।
सही है। सप्ताह में एक सारगर्भित लेख रोज़ कचरा लिखने से अच्छा है। यह गैप बेहतर करने को प्रेरित करेगा क्योंकि पाठकों की अपेक्षाएं भी ऐसी होंगी जिन्हें पूरा करने के लिए आपके पास पर्याप्त समय भी होगा। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा सोचा है आपने, हमने तो पहले से ही इस पर अनुसरण करते हुए पोस्ट कम ही लिखते हैं
ReplyDeleteहम्म... गुड...
ReplyDeleteबात हेल्थ की है तो कोई बात नहीं... वर्ना यूँ जाना...???
स्पाइनल की बीमारी से तो ऊपरवाला दुश्मन को भी बचाए... बहुत ख़राब होती है... उस बीमारी से तो बच नहीं पाई, पर सोचती हूँ बस चश्मे से बची रहूँ... पर मेरा तो काम ही रहता है कम्पूटर पर... तो मैं क्या करू??? यही सवाल मैंने अपने डॉ. से भी किया था...
सर जी...आपको जैसे उचित लगे, वैसे लिखिए........
ReplyDeleteजब कभी भी आपको समय हो तो सप्ताह में ज्यादा भी लिख सकते हैं.
इसके लिए आपको ढेरों शुभकामनाएँ.....
सप्ताह में एक. बिलकुल ठीक है.
ReplyDeleteनमस्कार, मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ, कृपया मेरे ब्लॉग पर आ कर के मेरा मार्ग दर्शन करें........
ReplyDeletehttp://harish-joshi.blogspot.com/
आभार.
उंगलियों को बेवजह मुट्ठी नहीं करते
ReplyDeleteछुट्टी मिले तो यूँ कुट्टी नहीं करते।
...आज तो संडे है सर जी।
---हमें तो अजय झा जी की यह बात ही सबसे अच्छी लगी...
ReplyDeleteकभी रम ब्लॉगिंग , तो कभी कम ब्लॉगिंग ,
हाय देख इस अदा को , हुई नम ब्लॉगिंग ।
अजी होती रहे बूंद बूंद कभी कभार , और हो,
फ़िर झूम के और टूट के , झमाझम ब्लॉगिंग॥
---यह भी कविता की भांति मूड पर आधारित है जी.....
blogging ke side effects Deepak Baba Ji se puche--------------------------------------------------------------
ReplyDeletejai baba banaras
socha to theek....nibh jae to...baharhaal shubhkamnaen.....
ReplyDeleteआपकी बात से सहमत हूँ सतीश जी ।
ReplyDeletesatishji.... Namaskar !
ReplyDeleteEk hafta nikal gaya , post ka Intzaar hai.... Sanyaas ke din khatam ho gayi :-)
sahi kahate hai aap.......
ReplyDelete