Sunday, June 1, 2008

पुत्र को -सतीश सक्सेना


पिता पुत्र का रिश्ता तुमको
कैसे शब्दों में समझाऊँ !
कुछ रिश्ते अहसासों के हैं
समझाने की बात नही !
जीवन और रक्त का नाता, 

नहीं बनाये से बनता है
यह तो विधि की देन पुत्र, समझाने की है बात नहीं

अगर तर्क की करें तो ,

सत्य हमेशा ध्यान रहे  
जन्मदायनी माता है ,
पिता कष्ट नाशक तेरा
पुत्र हेतु मानव रूपों में, 

माता पिता मिले ऐसे
शास्त्र और वेदों ने इनको, इष्ट सरीखा माना है

और पिता के लिए, पुत्र ! 
तुम आँखों के तारों जैसे

बिन जीवन संसार मध्य  
होता है, अंधकार जैसे !

इस कठोर संसार मध्य, 
कष्टों के झंझावातों में
वृद्ध पिता के लिए सहारा होता निज औलादों का !

अगर बात कर्मों की हो ,
तो पुत्र याद रखना इसको
छूटे कार्य पिता अपने के
पूर्ण करो संकल्प सदा ले
करो सार्थक नाम हमेशा, 

आशा और विश्वास लिए !
कुलगौरव कुलदीपक अपने कुल का रखना मान यही !

मेरे कुल के गौरव ,
तुमको देता आशीर्वाद यही
प्रखरबुद्धि और दृढनिश्चय से
पार करो , जीवन सागर !
आशीर्वाद पिता का,मां का 

प्यार , साथ में लेकर तुम
करो प्रकाशित सारा जग तो जीवन सफल हमारा हो !

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- सतीश सक्सेना

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