सारा जीवन जिया दर्द में
पीड़ा बैठ गई तनमन में
जैसे प्यार दे रहीं मुझको
कैसे खुशियाँ सह पाऊँगा
अब तो जैसे वर्षों से ना , युग युग से नाता पीड़ा का
रिश्ता मधुर बन गया दुःख से इसके बिन अब जीना क्या
अटूट रिश्ता है चोटों से
जख्मों को सहलाना क्या
गहरे घाव ह्रदय में लेकर
खिल खिल कर हँस पाना क्या
मैं क्या जानू जख्मीं होकर घाव भरे भी जाते हैं
छेड़ छाड़ मीठी झिड़की , आलिंगन का सुख होता क्या
कैसे झेलूँ प्यार तुम्हारा
टूटा मन शीशे जैसा
हर मीठी नज़रों के पीछे
प्यार छिपा ! शंकित मन है
खंड - खंड विश्वास हुआ है मोहपाश मैं बंधना क्या !
मेरे एकाकी जीवन को मधुर हास से लेना क्या !
बहुत मनाऊँ अपने मन को
पर विश्वास कहाँ से लाऊं
तेरी बाँहों का सम्मोहन
क्यों बेमानी लगता है
लगता मेरा बिखरा मन अब कभी नहीं जुड़ पायेगा
कैसे समझाऊँ मैं तुमको पीड़ा का सुख होता क्या
पीड़ा बैठ गई तनमन में
जैसे प्यार दे रहीं मुझको
कैसे खुशियाँ सह पाऊँगा
अब तो जैसे वर्षों से ना , युग युग से नाता पीड़ा का
रिश्ता मधुर बन गया दुःख से इसके बिन अब जीना क्या
अटूट रिश्ता है चोटों से
जख्मों को सहलाना क्या
गहरे घाव ह्रदय में लेकर
खिल खिल कर हँस पाना क्या
मैं क्या जानू जख्मीं होकर घाव भरे भी जाते हैं
छेड़ छाड़ मीठी झिड़की , आलिंगन का सुख होता क्या
कैसे झेलूँ प्यार तुम्हारा
टूटा मन शीशे जैसा
हर मीठी नज़रों के पीछे
प्यार छिपा ! शंकित मन है
खंड - खंड विश्वास हुआ है मोहपाश मैं बंधना क्या !
मेरे एकाकी जीवन को मधुर हास से लेना क्या !
बहुत मनाऊँ अपने मन को
पर विश्वास कहाँ से लाऊं
तेरी बाँहों का सम्मोहन
क्यों बेमानी लगता है
लगता मेरा बिखरा मन अब कभी नहीं जुड़ पायेगा
कैसे समझाऊँ मैं तुमको पीड़ा का सुख होता क्या
वाह सतीश जी .......... कमाल की रचना है ये ......... दुख से, दर्द से, और चोट से इंसान का अट्टू रिश्ता बन जाता है ....... फिर वो दवा का काम करने लगते हैं ......... किसी का आलिंगन सर्प पाश जैसे लगता है .......... बहुत ही लाजवाब रचना है ....... शुक्रिया इस रचना को पढ़वाने के लिए और मेरे ब्लॉग पर आ कर मुझे अनुग्रहित करने के लिए ........
ReplyDeleteSundar Rachna..
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteहैं सबसे मधुर वे गीत जिन्हें हम ...
कैसे झेलूँ प्यार तुम्हारा
ReplyDeleteटूटा मन शीशे जैसा
हर मीठी नज़रों के पीछे
प्यार छिपा ! शंकित मन है
खंड - खंड विश्वास हुआ है मोहपाश मैं बंधना क्या !
मेरे एकाकी जीवन को मधुर हास से लेना क्या
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं सर!
सादर
कैसे समझाऊँ मैं तुमको पीड़ा का सुख होता क्या
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
पीड़ा का भी अपना सुख है...
bahut prabhaavotpadak bhaav abhivyakti hai tootTe dil ki, dard ki, gam ki, chubhan ki, vishwas ghat ki.
ReplyDeletesab kuchh samait diya thode se hi shabdo me.