Sunday, June 1, 2008

मेरे गीत कौन गायेगा ? -सतीश सक्सेना

देखें चमकीली दुनियां में  
रंगों की महफ़िल सजी हुई
सुंदर प्रतिमाएँ थिरक रहीं
दामिनि जैसा श्रंगार किए 
ऐसी रौनक,इस समाज में, 
कौन भला मातम गायेगा !
मेहँदी रचित हाथ लेकर, अब ऐसे गीत कौन गायेगा ?

सूरज के खिलने से पहले 
फागुन के रंग बरसते हैं !
संध्या होने से पहले ही ,
स्वागत होता दीवाली का
खूब हंसाते इस उत्सव में  
कौन यहाँ रोदन गायेगा 
श्रंगार रंग की मस्ती में , ये मेरे गीत कौन गायेगा ?


हर मन में चाहत रंगों की 
महसूस व्यथा को कौन करे
अपने ही रंग में रंगे हुए ,
अहसास पराया कौन करे
मंगल गानों के अवसर पर, 
वेदना कौन अब गायेगा,
उन्माद भरे इस मौसम में ये मेरे गीत कौन गायेगा ?

कोई गोता खाए बालों में 

कोई डूबा गहरे प्यालों में 
कोई मयखाने में जा बैठा 
कोई सोता गहरे ख्वाबों में 
जलते घर माँ को छोड़ चले ,
बापस क्या करने आएगा ?
 निर्मम लोगों की बस्ती में, ये मेरे गीत कौन जाएगा ?

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- सतीश सक्सेना

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