देखें चमकीली दुनियां में
रंगों की महफ़िल सजी हुई
सुंदर प्रतिमाएँ थिरक रहीं
दामिनि जैसा श्रंगार किए
ऐसी रौनक,इस समाज में,
कौन भला मातम गायेगा !
फागुन के रंग बरसते हैं !
संध्या होने से पहले ही ,
स्वागत होता दीवाली का
खूब हंसाते इस उत्सव में
कौन यहाँ रोदन गायेगा
श्रंगार रंग की मस्ती में , ये मेरे गीत कौन गायेगा ?
हर मन में चाहत रंगों की
महसूस व्यथा को कौन करे
अपने ही रंग में रंगे हुए ,
अहसास पराया कौन करे
मंगल गानों के अवसर पर,
वेदना कौन अब गायेगा,
उन्माद भरे इस मौसम में ये मेरे गीत कौन गायेगा ?
कोई गोता खाए बालों में
कोई डूबा गहरे प्यालों में
कोई मयखाने में जा बैठा
कोई सोता गहरे ख्वाबों में
जलते घर माँ को छोड़ चले ,
बापस क्या करने आएगा ?
निर्मम लोगों की बस्ती में, ये मेरे गीत कौन जाएगा ?
रंगों की महफ़िल सजी हुई
सुंदर प्रतिमाएँ थिरक रहीं
दामिनि जैसा श्रंगार किए
ऐसी रौनक,इस समाज में,
कौन भला मातम गायेगा !
मेहँदी रचित हाथ लेकर, अब ऐसे गीत कौन गायेगा ?
सूरज के खिलने से पहले फागुन के रंग बरसते हैं !
संध्या होने से पहले ही ,
स्वागत होता दीवाली का
खूब हंसाते इस उत्सव में
कौन यहाँ रोदन गायेगा
श्रंगार रंग की मस्ती में , ये मेरे गीत कौन गायेगा ?
हर मन में चाहत रंगों की
महसूस व्यथा को कौन करे
अपने ही रंग में रंगे हुए ,
अहसास पराया कौन करे
मंगल गानों के अवसर पर,
वेदना कौन अब गायेगा,
उन्माद भरे इस मौसम में ये मेरे गीत कौन गायेगा ?
कोई गोता खाए बालों में
कोई डूबा गहरे प्यालों में
कोई मयखाने में जा बैठा
कोई सोता गहरे ख्वाबों में
जलते घर माँ को छोड़ चले ,
बापस क्या करने आएगा ?
निर्मम लोगों की बस्ती में, ये मेरे गीत कौन जाएगा ?
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- सतीश सक्सेना