पिता पुत्र का रिश्ता तुमको
कैसे शब्दों में समझाऊँ !
कुछ रिश्ते अहसासों के हैं
समझाने की बात नही !
जीवन और रक्त का नाता,
नहीं बनाये से बनता है
यह तो विधि की देन पुत्र, समझाने की है बात नहीं
अगर तर्क की करें तो ,
सत्य हमेशा ध्यान रहे
जन्मदायनी माता है ,
पिता कष्ट नाशक तेरा
पुत्र हेतु मानव रूपों में,
माता पिता मिले ऐसे
शास्त्र और वेदों ने इनको, इष्ट सरीखा माना है
और पिता के लिए, पुत्र !
तुम आँखों के तारों जैसे
बिन जीवन संसार मध्य
होता है, अंधकार जैसे !
इस कठोर संसार मध्य,
कष्टों के झंझावातों में
वृद्ध पिता के लिए सहारा होता निज औलादों का !
अगर बात कर्मों की हो ,
तो पुत्र याद रखना इसको
छूटे कार्य पिता अपने के
पूर्ण करो संकल्प सदा ले
करो सार्थक नाम हमेशा,
आशा और विश्वास लिए !
कुलगौरव कुलदीपक अपने कुल का रखना मान यही !
मेरे कुल के गौरव ,
तुमको देता आशीर्वाद यही
प्रखरबुद्धि और दृढनिश्चय से
पार करो , जीवन सागर !
आशीर्वाद पिता का,मां का
प्यार , साथ में लेकर तुम
करो प्रकाशित सारा जग तो जीवन सफल हमारा हो !
कैसे शब्दों में समझाऊँ !
कुछ रिश्ते अहसासों के हैं
समझाने की बात नही !
जीवन और रक्त का नाता,
नहीं बनाये से बनता है
यह तो विधि की देन पुत्र, समझाने की है बात नहीं
अगर तर्क की करें तो ,
सत्य हमेशा ध्यान रहे
जन्मदायनी माता है ,
पिता कष्ट नाशक तेरा
पुत्र हेतु मानव रूपों में,
माता पिता मिले ऐसे
शास्त्र और वेदों ने इनको, इष्ट सरीखा माना है
और पिता के लिए, पुत्र !
तुम आँखों के तारों जैसे
बिन जीवन संसार मध्य
होता है, अंधकार जैसे !
इस कठोर संसार मध्य,
कष्टों के झंझावातों में
वृद्ध पिता के लिए सहारा होता निज औलादों का !
अगर बात कर्मों की हो ,
तो पुत्र याद रखना इसको
छूटे कार्य पिता अपने के
पूर्ण करो संकल्प सदा ले
करो सार्थक नाम हमेशा,
आशा और विश्वास लिए !
कुलगौरव कुलदीपक अपने कुल का रखना मान यही !
मेरे कुल के गौरव ,
तुमको देता आशीर्वाद यही
प्रखरबुद्धि और दृढनिश्चय से
पार करो , जीवन सागर !
आशीर्वाद पिता का,मां का
प्यार , साथ में लेकर तुम
करो प्रकाशित सारा जग तो जीवन सफल हमारा हो !
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आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना