लड़कियां घूरें आँखें फाड़ ,
उम्र में लगते बाप समान
न आता मर्यादा का ध्यान
हमारे मन में उठें सवाल ,
किसी के गंजे सर पर ,
हाथ फिराने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !
बने फिरते गाँधी के शिष्य
आचरण पर देते व्याख्यान
सुरा सुंदरियों में है मस्त,
देश के नेता बने महान
भरे चौराहे इनको जूत,
उम्र में लगते बाप समान
न आता मर्यादा का ध्यान
हमारे मन में उठें सवाल ,
किसी के गंजे सर पर ,
हाथ फिराने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !
बने फिरते गाँधी के शिष्य
आचरण पर देते व्याख्यान
सुरा सुंदरियों में है मस्त,
देश के नेता बने महान
भरे चौराहे इनको जूत,
लगाने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है!
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है!
पढाएँ कक्षा में मन मार
बेचते शिक्षा खुले बाज़ार
पुराने गुरुकुल के वे गुरु
और ये गुरु के नाम कलंक
हमारा अपने सिर के बाल
बेचते शिक्षा खुले बाज़ार
पुराने गुरुकुल के वे गुरु
और ये गुरु के नाम कलंक
हमारा अपने सिर के बाल
नोचने का दिल करता है !
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !!
किसी घटिया दिल का उपहास उड़ाने का दिल करता है !!
दिल मांगे मोर।
ReplyDeleteभरे चौराहे इनको जूत, लगाने का दिल करता है !
ReplyDeleteऐसी शख्सियत तो इसी काबिल है।
पढाएँ कक्षा में मन मार
ReplyDeleteबेचते शिक्षा खुले बाज़ार
पुराने गुरुकुल के वे गुरु
और ये गुरु के नाम कलंक,...
बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....
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हां सच्ची :(
ReplyDeleteजो दिल आये कीजिये.......................
ReplyDeleteभड़ास निकल जाने से जी हल्का हो जाता है.....
सादर.
बड़ा प्यारा कमेन्ट है....
Deleteइस कड़बी सच्चाई से मुंह मोडना मुश्किल है...
ReplyDeleteक्या कहें अब .......अपना भी हैं ये ही हाल कि
ReplyDeleteचीख चीख कर चिल्लाने का मन करता हैं ...
कुछ और कुलक्षणी बेनकाब किये जायें।
ReplyDeleteआभार महोदय
ReplyDeleteआज यह क्रान्ति कैसे?
ReplyDeleteसतीश जी ,बहुत सही चित्र खींचा है ,
ReplyDeleteऐसे लोगों के दस जूते मारे कर उसे एक गिनना चाहिये !
बहुत सही ..
ReplyDeleteबहुत खूब.....मेरी भी यही इच्छा होती है.
ReplyDeleteफिर यह सब सुधर जायेंगे शहजादी ...
Deleteकम रह गए...और बहुत हैं जिन्हें देख यही सब करने का दिल करता है :(
ReplyDeleteसच में, कभी-कभी मन ये सब देखकर गहरी निराशा से भर जाता है. लेकिन कुछ अच्छे लोगों को देखकर आशा नहीं मरती.
ReplyDeleteयही जीवन है ...
Deleteशुभकामनायें आपको !
किसी के गंजे सर पर , हाथ फिराने का दिल करता है !
ReplyDeleteइस पंक्ति पर आप की इस रचना पर
खिलखिलाकर हंसने का मन करता है !
क्या गंजे ही देखते आँख फाड?
ReplyDeleteजटा-जूट सब बनते है ताड़?
युवा को क्या सब अधिकार?
क्या बुड्ढे सब लग जाय पार?
इसी बात पर आपको गंजा विरोधी कहने का दिल करता है :)
और भड़ास पर आपकी कुछ पानी बहाने का दिल करता है॥
यह टिप्पणी, आपके हास्य बोध "किसी के गंजे सर पर, हाथ फिराने का दिल करता है !" की प्रतिक्रिया स्वरूप उपजा निर्मल हास्य मात्र है।
Deleteआप का स्वागत है भाई जी ....
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