राज भाई !
१५ -३० मई में एक मित्र के साथ विएंना में, उनके बेटे के घर रहूँगा ! इन १५ दिनों यूरोप घूमने का प्लान है , जिन जगह जाने का मन है वे प्राग , बुडापेस्ट , स्वित्ज़रलैंड , और इटली हैं यूरेल टिकेट लेने की सोच रहे हैं !
१५ -३० मई में एक मित्र के साथ विएंना में, उनके बेटे के घर रहूँगा ! इन १५ दिनों यूरोप घूमने का प्लान है , जिन जगह जाने का मन है वे प्राग , बुडापेस्ट , स्वित्ज़रलैंड , और इटली हैं यूरेल टिकेट लेने की सोच रहे हैं !
क्या यह कम समय में संभव और ठीक रहेगा ??
मार्गदर्शन चाहिए !
नमस्कार सतीश जी,
आप का स्वागत है युरोप मै, मै Wien से करीब ६०० कि मी दुर रहता हुं जर्मनी मै , मेरे नजदीक का शहर है Munchen (मुनिख), अगर समय हो तो मुझे भी दर्शन जरुरे देवे........
.............मेने आप के हिसाब से एक रुट बनाया है..... सब से पहले आप Wien मै उतरे दो दिन वहां घुमे, रात को घर पर आराम करे, तीसरे दिन सुबह सवेरे चार पांच बजे वहा से रेल पकडे पराग के लिये( वियाना से पराग की दुरी सडक दुवारा २५५ कि मी) करीब ३ घंटे मै आप पराग पहुच जायेगे दो दिन यहां घुमे, दुसरे दिन शाम को यहां से रेल पकडे जर्मनी के शहर मुनिख की, रात मेरे यहां ठहरे, दुसरे दिन मुनिख शहर की खास खास जगह मै आप को दिखा दुंगा,( पराग से मुनिख की दुरी सडक दुवारा करीब ३०० कि मी) फ़िर ५० कि मी मेरा घर))अगर आप चाहे तो कुछ दिन मेरे यहां भी रुक सकते है, इसी दिन रात को मै आप को स्विट्रजर लेंड की रेल मै बिठा दुंगा, ......... यहां रुकना चाहे तो ठीक नही तो यहा से आगे आप बुडापेस्ट जाये, यहां भी दो से तीन दिन, फ़िर वापिस आप वियाना आ जाये...... आगे आप लिखे कि.... ओर क्या इस टिकट मै इंटर सिटी भी शामिल है या नही....अगर कुछ ज्यादा जानना हो तो मुझे फ़ोन कर ले या फ़िर गुगल पर बात कर ले, मै कल शनि वार को भारतीया समय के अनुसार रात सात बजे के बाद गुगल पर मोजूद होऊगां या मुझे मेरे मोबईल पर आप काल कर ले--- 0049-१५२५******* या फ़िर मेल कर ले मै पुरी मदद करुंगा.
धन्यवाद सहित
राज भाटिया
उपरोक्त बड़े पत्र के कुछ अंश छापने का मकसद एक शानदार ,दिलदार, घर से बहुत दूर जर्मनी में बसे एक वास्तविक भारतीय का परिचय, हिन्दी ब्लाग जगत को करवाना है जिसको हम सिर्फ एक ब्लागर के रूप में पहचानते हैं ! मुझे नहीं पता कि मेरी यह " नीरस " पोस्ट कितने ब्लागर पसंद करेंगे , मैंने ब्लाग जगत पर बहुत कम लोग एक दूसरे का सम्मान करते देखे है और यह सम्मान भी बदले में दी गयी टिप्पणी के रूप में होता है ! आज " अतिथि कब जाओगे "" के समय में मुझे राज भाटिया भारतीय संस्कृति के सही प्रतिनिधि के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं !
मेरा राज भाटिया से सिर्फ एक बार की मुलाकात है जब अजय झा ने उनके स्वागत में ब्लागर सम्मलेन बुलाया था , और उस मीटिंग में हम दोनों ने शायद चंद शब्द प्रयोग किये होंगे आपस में ! मेरे यूरोप प्रवास में जर्मनी जाना शामिल ही नहीं है फिर भी जिस आत्मीयता का परिचय देते हुए उन्होंने अपनी मेजवानी पेश की है उससे उन्होंने वाकई मिसाल छोड़ी है हम भारतीयों के लिए !
ईश्वर राज भाटिया जैसे भारत पुत्रों को हर जगह सम्मान बख्शे !
धन्यवाद सहित
राज भाटिया
उपरोक्त बड़े पत्र के कुछ अंश छापने का मकसद एक शानदार ,दिलदार, घर से बहुत दूर जर्मनी में बसे एक वास्तविक भारतीय का परिचय, हिन्दी ब्लाग जगत को करवाना है जिसको हम सिर्फ एक ब्लागर के रूप में पहचानते हैं ! मुझे नहीं पता कि मेरी यह " नीरस " पोस्ट कितने ब्लागर पसंद करेंगे , मैंने ब्लाग जगत पर बहुत कम लोग एक दूसरे का सम्मान करते देखे है और यह सम्मान भी बदले में दी गयी टिप्पणी के रूप में होता है ! आज " अतिथि कब जाओगे "" के समय में मुझे राज भाटिया भारतीय संस्कृति के सही प्रतिनिधि के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं !
मेरा राज भाटिया से सिर्फ एक बार की मुलाकात है जब अजय झा ने उनके स्वागत में ब्लागर सम्मलेन बुलाया था , और उस मीटिंग में हम दोनों ने शायद चंद शब्द प्रयोग किये होंगे आपस में ! मेरे यूरोप प्रवास में जर्मनी जाना शामिल ही नहीं है फिर भी जिस आत्मीयता का परिचय देते हुए उन्होंने अपनी मेजवानी पेश की है उससे उन्होंने वाकई मिसाल छोड़ी है हम भारतीयों के लिए !
ईश्वर राज भाटिया जैसे भारत पुत्रों को हर जगह सम्मान बख्शे !
राज भाटिया एक हीरा/हीरो व्यक्तित्व
ReplyDeleteBharat se door base Bhartiy log aaj bhee
ReplyDelete" Atithi Devo Bhav " yehee yaad rakh ker
jee rahe hain .
Raj bhai ne aapko sahee marg darshan diya aur Swagat kiya -
Asha hai aap ki yatra yaadgaar aur shaandar rahegee.
सतीश भाई,
ReplyDeleteये बहुत ज़रूरी पोस्ट थी। नीरस वाली बात तो बेमानी है ही। रिश्ता ज़रूरी है। परदेश में तो भारतीयता ही रिश्ते का पर्याय है। राजजी ने खुलेदिल से अपने भारतीय होने का परिचय दिया है। उनका जज्बा जबर्दस्त है। ब्लागिंग का रिश्ता अब एक ऐसा नया आयाम है कि किसी शहर में वहां के ब्लागर से मुलाकात हो जाती है पर उसी शहर के वासी किसी परिजन से मिलना नहीं हो पाता।
अच्छी पोस्ट। आपको यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं।
nice..............................
ReplyDeleteजो भारत से बाहर विदेश में रहने लगे .. जिन्होने दूसरों की जीवनशैली को नजदीक से देखा .. वे भारतीय संस्कृति को महत्व देते हैं .. उसके विपरीत भारतवर्ष में रहनेवाले ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति में कमियां ढूंढते हुए .. हिंदी बोलने तक में शर्म .. और विदेशियों के अच्छे संस्कारों का नहीं .. बुरी आदतों का नकल करते हैं .. राज भाटिया जी का पत्र छापकर आपने बहुत अच्छा किया है .. सुखद यात्रा के लिए आपको शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteजब पहली बार उनसे मुलाकात हुई थी तो हमने भी उनमें यही आत्मीयतापन, स्नेही भाव पाया...भाटिया जी वाकई एक सच्चे भारतीय और शानदार व्यक्तित्व के इन्सान हैं...
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो! शुभकामनाऎँ!!!
भाटिया जी बहुत ही बढ़िया इंसान हैं....
ReplyDeleteब्लोगिंग ने समान रुचियों वाले लोगों को एक साथ जोड़ने का ऐसा काम किया है जिसके बारे में कुछ वर्ष पहले कभी सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था
राज जी के बारे में जो चित्र मन में बना था, उसे इस पत्र ने एकदम सही साबित कर दिया है।
ReplyDeleteप्रभु करे कि इस तरह के सहस्रों महामनस्क इस दुनियां में अवतरित हों!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??
http://www.Sarathi.info
राज भाटिया जी को प्रणाम!! उनका निमंत्रण हमारे पास भी था मगर पड़ोस से लौटना पड़ा..(यूके से):)
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो. किस्से सुनने का इन्तजार रहेगा यूरोप यात्रा के.
लो जी, कल्लो बात. भाटिया जी कब से विदेशी हो गये? हमसे तो ऐसे ही बाते करते हैं जैसे रोहतक में बैठे हों. कभी लगता ही नही कि वो बाहर हैं. एक दम देशी आदमी और देशी मिजाज.
ReplyDeleteआप तो उनसे जरूर मिलकर आना जी. और हमारी तरफ़ से भी गले मिल लेना.
रामराम.
राज भाटिया जी तो हैं ही धनी अपनेपन के
ReplyDeleteआप का व्यक्तित्व भी कम नहीं है
सिर्फ नाम में ही नहीं ईश है
होता तो सबके मन में ईश्वर है
वो किस किसके सामने आता है
हिन्दी ब्लॉगिंग में वो सबके पास है
यही राज बना खास है।
यहां तो हर टिप्पणीकार खास है
मेरा तो यही मानना है।
फिर किसी को तो लोहा होना ही होगा
अगर चाहते हैं कि चुंबक हमें खींचे अपनी ओर
चुंबक से चिपककर लोहा भी चुंबक कैसे न होगा
हिन्दी ब्लॉगिंग चुंबक और हम लोहे हैं
लोहे से चुंबकीयत्व की ओर सफर जारी है
हम तो आप सबके आभारी हैं।
सतीश जी आप ने तो खाम्खां मै मुझे मान दिया, अजी यह तो मेरा फ़र्ज बनता है कि अपने भारतिया भाई का स्वागत कर सकूं, बस ओर कुछ नही, वेसे जब कोई भारतिया हमे यहां मिलता है तो लगता है हमे भारत ही मिल गया हो
ReplyDeleteआप का धन्यवाद
राज भाटिया जी की जो छवि मेरे मन में थी, उसकी पुष्टि आपकी इस पोस्ट ने कर दी है
ReplyDeleteमुझे अफ़सोस है कि उनके हालिया भारत प्रवास के दौरान दिल्ली में उनसे मिलने का वादा करने के बावज़ूद नहीं पहुँच सका।
खैर, अगली बार दुगुने जोश से मिलेंगे
सतीश जी , राज भाई से जब भी मिलें तो एक जादू की झप्पी हमारी ओर से लें आप जब वापस आएंगे तो आपसे गले लग कर हम अपनी झप्पी आपसे ले लेंगे । राज भाई से वो मुलाकात तो उम्र भर की सुंदर यादों में संजो के रखी हैं हमने ..शुभकामनाएं जाईये और हां फ़ोटो शोटो खूब लाईयेगा ...अरे पोस्ट बनाने के लिए और क्या
ReplyDeleteअजय कुमार झा
@ राज भाटिया
ReplyDeleteयह भी खूब कही
आपको भारत मिलता है
और हम जर्मनी हो आते हैं
एक बार कनाडा भी गए थे
दुबई भी दो बार
जब मिले थे समीर लाल जी से
और मीनाक्षी धन्वंतरी जी से
देखी आप सबने मेरी विदेश यात्रा।
वैसे मीनाक्षी जी कहां हैं आजकल
काफी दिनों से दिखलाई नहीं दी हैं।
गया तो यू के भी हूं
ReplyDeleteजब तेजिन्द्र शर्मा जी से मिला हूं
कितनी याद दिलाऊं
जब और याद आएगी
तो फिर से टिप्पणी देने आऊंगा।
अच्छी पोस्ट। आपको यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं।
ReplyDeleteराज जी रहते परदेश में हैं
ReplyDeleteपर दिल बसता देश में है।
नेक दिल इंसान हैं जी।
उनका हमारा प्रणाम्।
भाटिया जी के साथ लगभग डेढ़ दिन रहा हूँ। उन्हें नजदीक से जाना है। बहुत कम लोग ऐसै हो सकते हैं।
ReplyDeleteराज दादा जी बिंदास हैं खरे सोने वाला व्यक्तित्व मुझे उनसे बात करने काअ अवसर मिला सच उनका स्नेह सभी पा सकते है
ReplyDeleteसतीष जी अहो भाग्य
खुदा मिलता है इंसां ही नहीं मिलता
ReplyDeleteये चीज़ है देखी कहीं कहीं मैंने
ब्लागिंग का रिश्ता अब एक ऐसा नया आयाम है कि किसी शहर में वहां के ब्लागर से मुलाकात हो जाती है पर उसी शहर के वासी किसी परिजन से मिलना नहीं हो पाता।
ReplyDeleteइस आयाम को क्या अपन विडंबना कह सकते हैं!
Sateesh ji isme koi shaq nahin ki Raj ji ek 'golden heart' rakhne wale vyaktitva hain.. aap to ek baar mile bhi hain lekin main sirf phone par baat kar pata hoon tab bhi unhone mujhe bhi aamantrit kiya hai sath hi Visa sambandhit samasyaon ka nirakaran bhi kiya..
ReplyDeleteIshwar sabko unke jaisa hi banaye.
इतने दिन देश से दूर रहने के बावजूद अपने देश से और देश वासियों से इतना प्रेम राज जी के विशाल हृदय और सुंदर भावनाओं का परिचय देता है..इसमें कोई दो राय नही कि राज जी एक महान शक्सियत नही है....हम सब बहुत भाग्यशाली है जो है लोग हमारे बीच है अन्यथा लोग तो विदेश की बात छोड़ दे पास पड़ोस के शहरों में भी मेजबानी करने से कतराते है चाहे वो जीतने भी करीब हो....और राज जी का यह प्रेम देश कर दिल विभोर हो जाता है.. सतीश जी बहुत ही बढ़िया विचार प्रकट करती है आपकी यह पोस्ट और कुछ सोच रखने वालों के लिए कम से कम राज जी से कुछ सीखे लोग जिन्हे मानव से कतराने की आदत है....धन्यवाद सतीश जी
ReplyDeleteराज जी से एक ही मुलाकात हुई है । लेकिन पहली बार में ही उन्होंने दिल जीत लिया। एक नेक , सच्चे और निश्छल इंसान नज़र आये , जो आज की दुनिया में बहुत कम मिलते हैं ।
ReplyDeleteनिश्चित ही विदेशों में रहने वाले भारतीय भारत में रहने वाले भारतियों से ज्यादा भारतीय हैं।
मैं इसका स्वाद ले चुका हूँ ।
आपकी यात्रा मंगलमय हो।
राज भाई से दो एक बार बातचीत हुई है, मुलाकात नहीं. ऐसे धनी व्यक्तित्व को नमन.
ReplyDeleteराज भाटिया जी से एक बार मुलाकात का अवसर मिला हैं
ReplyDeleteबहुत स्नेह से गले लगा लिया था, अभी भी वो स्पर्श नहीं भुला हूँ
सतीश जी अब तो चले ही जाईये, राज जी से मिल ही आइये
हमारा अनुरोध हैं, बहुत आनंद मिलेगा जब आप दोनों मिलेंगे
फिर पोस्ट्स आयेंगी पराया देश और मेरे गीत पर, हम पढ़ के आनंद लेंगे
सतीश जी, यह हमारे महान देश भारत और भारतीय संस्कृति की पहचान है. ऐसी जिंदादिली आपको और किसी देश के नागरिकों में विरले ही देखने को मिलेगी.
ReplyDeleteमैं स्वयं भी जब अपनी पत्नी एवं बेटी के साथ यूरोप घुमने के लिए गया तो राज भाटिया जैसे ही मेरे एक मित्र मोफिज़ अहमद ने भी हमें होटल में ठहरने नहीं दिया और पुरे 7-8 दिन तक अपने घर पर ही रखा. रोजाना वह मेरे साथ मिल कर घुमने के लिए मेरा सफरनामा तैयार करते थे. यहाँ तक की अपने परिवार को साथ लेकर वह 2 दिन के लिए हमारे साथ घुमने भी गए. यकीन मानिये मुझे घर से इतनी दूर लगा ही नहीं की मैं कहीं दूर हूँ.
सतीश जी ,आप की यात्रा मंगलमय हो हमारी शुभकामनाएं आप के साथ हैं और रहेंगी
ReplyDeleteराज भाटिया जी को उन के देशवासियों का प्रणाम पहुंचा दीजिये
सच है कि वो अपने देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व
कर रहे हैं
यही भारतीयता है। आधुनिकता और भारतीयता में यही बहुत बड़ा अन्तर है कि हम कहीं जाने पर परिवार ढूंढते हैं और आधुनिक लोग होटल। राज जी जैसी मानसिकता हम सब की बनी रहे बस यही कामना है।
ReplyDeleteराज भाटिया जी की जो छवि मेरे मन में थी, उसकी पुष्टि आपकी इस पोस्ट ने कर दी है...
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो...
आपको शुभकामनाएं आपकी यात्रा के लिए! राज जी से जरूर मिलिएगा और लौट कर लिखियेगा कैसा रहा सफ़र?
ReplyDeleteएकदम सत्य बात कही आपने , इंसान की पहचान उसकी बातों से ही हो जाती है ! भाटिया साहब वाकई एक सह्रदय इंसान है !
ReplyDeleteभाटिया को जितना भी ब्लॉग के ज़रिए जाना है ... उनकी बेबाकी, अपनापन खींचता है अपनी तरफ ... आपने बहुत अच्छा किया इस पोस्ट को लगा कर ...वैसे यूरॉप जाते आते अगर दुबई में रुकेंगे तो मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा .. आपका स्वागत है हमारे घर भी ...
ReplyDeleteआपको यात्रा की शुभकामनाएं ....
@दिगम्बर नासवा,
ReplyDeleteआभारी हैं आपके आमंत्रण के , इस पोस्ट को लिखने का मकसद पूरा हो गया ! अगर इससे कुछ लोगों के मान में भी सच्ची प्यार भावना जाग जाये तो क्या कहने !
सादर आपका
Raaj bhaatiya har Dil ajij hain aur mere Priy hain blogari ke shuruwaati dino se.
ReplyDeleteसक्सेना जी आप की यात्रा मंगलमय हो !!
ReplyDeleteराज जी से मेरी भी पहली बार बात हुई थी तो ऐसा लगा कि मैं अपने ही परिवार में ही बात कर रहा हूँ।
ReplyDeleteबधाई आपको राज जी से मिलने की।
राज जी दा जवाब नहीं...
ReplyDeleteब्लॉग परिवार के लिए मैं यूं ही नहीं कहता...
इक दूसरे से करते हैं प्यार हम,
इक दूसरे के लिए बेक़रार हम...
मुझे ताज्जुब तब होता है जब राज जी जैसे व्यक्ति के भरोसे को ही भारत में एक शख्स चंद नोटों की खा़तिर तोड़ सकता है...
जय हिंद...
ReplyDeleteभाटिया साहब वाकई एक सह्रदय इंसान है यह पहले झटके में ही महसूस हो जाता है । वह दिल का करार तो हैं ही, सतीश जी आप तो..
मेरा सलाम लेते जाना ओ उड़नखटोले वाले राही
राज भाटिया जी की जो छवि मेरे मन में थी, उसकी पुष्टि आपकी इस पोस्ट ने कर दी है
ReplyDeleteBahut khush qismat hain aap! Raj ji ko hamara naman! Aapki yatra zaroor sukh karak banegi!Inshallah!
ReplyDeleteआपकी यात्रा शुभ हो
ReplyDeletesateesh jee raj bhatiya jee se parichay karvane ke liye dhanyvaad......vaise unkee tippaniya doosaro ke blog par pad kar kuch had tak parichit hone ka dum hum bhar sakte hai na...? :)
ReplyDeleteYatra ke liye shubhkamnae........
राज भाटिया जी जैसे लोग वाकई बहुत कम हैं। उनकी इस खूबी से परिचित कराने का शुक्रिया।
ReplyDelete