जून १९८८ की रात , नॉएडा में पूरी रात बिजली नहीं थी ११-१२ बजे तक तो पसीने से भीगे हुए जागते रहे, दोनों बच्चों (गौरव ८ वर्षीय और गरिमा ३ वर्षीय )को बेहाल देख , मैंने केनोपी में खडी मारुति ८०० के एयर कंडिशनर का ध्यान आया और हम पति पत्नी, दोनों बच्चों को लेकर गाडी में बैठ गए ! खडी गाड़ी को स्टार्ट कर, ऐ सी चला दिया , पसीने में सराबोर हम सबको इस ठंडक को मिलते ही ऐसा लगा कि जैसे एक वरदान मिल गया हो ! देखते ही देखते नींद कब आ गयी पता ही न चला !
पता नहीं शायद अचानक गुडिया की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली , और मैंने अन्दर की लाइट जलाने के लिए हाथ उठाया तो लगा जैसे हाथों में दम नहीं रही , लाइट जलते ही मैंने अर्धबेहोशी की हालत में गौरव को सीट के नीचे बेहोश गिरा पाया और गुडिया पिछली सीट पर हाथ पैरों को, अजीब तरह से पटक रही थी ! खतरे का अहसास होते ही मैंने दरवाजा खोला ,गिरता पड़ता बाहर निकला उस समय खुले लान में चारो तरफ धुआं ही धुंआ था ! शरीर बिलकुल काबू में नहीं था , पत्नी को चीख कर कहा बच्चो को जल्दी बाहर निकालो मगर उनकी स्थिति भी काबू में नहीं थी ! पता नहीं कहाँ से ताकत आ गयी मुझमें ! गाड़ी को बाहर रोड पर लाकर खडी की , बापस घर में आकर बच्चों को गोद में लेकर, लगभग भागते हुए गाडी में डाला , और नॉएडा मेडिकेयर सेण्टर, कैसे पहुंचा हूँ, कुछ याद नहीं ! डॉ से जाते ही कहा तुरंत ओक्सिजन चाहिए ,गैस पोइजन के शिकार हैं हम लोग ! सबसे पहले बच्चों को ओक्सिजन दी गयी ! लगभग ३० मिनट में हम लोग व्यवस्थित हो पाए ! डॉ के हिसाब से अगर ५ मिनट हम और सोते रहते तो शायद कोई नहीं बचता !
कई साल बाद जब मैंने अखबार में, गराज के अन्दर खड़ी गाड़ी में, दो बच्चों की लाशें मिलने की खबर पड़ी तो मैंने एरिया डी सी पी को फ़ोन करके यह संभावित मौत कैसे हुई होगी ? को लेकर अपनी घटना बताई तो वे भी अचम्भे में रह गए थे !
उस रात बिलकुल हवा नहीं चल रही थी , एग्ज्हास्ट पाइप से निकला धुआं गाड़ी के चारो ओर जमा हुआ और चलते एयर कंडिशनर ने धुंए को फिल्टर करते हुए कार्बन मोनो आक्साइड को अन्दर खींच लिया ! अगर मेरी नींद न खुलती तो ......??
Bhagwan ka lakh lakh shukra hai ki apki need jaldi khul gai.
ReplyDeleteYe bhaut hi kam ki jankari di hai aapne. Logo ko is bat ka dyan rakhna chahiye.
बहुत ही दुखद किन्तु ज्ञानवर्धक संस्मरण...
ReplyDeleteईश्वर की असीम कृपा की आपलोग सभी ठीक हैं...
यहाँ कनाडा में भी किसी ने आत्महत्या की थी ऐसे ही..कार्बन मोनोक्साइड गैस बहुत ही खतरनाक है और सबसे बड़ी बात कि ऐसे जान लेती है कि पता ही नहीं चलता है...
कम से कम आपकी पोस्ट इसकी जानकारी दे रही है...इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को पढना चाहिए..गर्मी के दिन आ रहे हैं कहीं कोई और और भी ये गलती न कर बैठा...
आपका आभार हमारे साथ इसे शेयर करने के लिए...
धन्यवाद...
अनुभव से सीखना चाहिये .
ReplyDeletesupreme power ko koti koti pranam..............
ReplyDeleteबहुत ही काम की जानकारी। इतने प्यारे जन ऐसे कैसे दुर्घटना के शिकार होते ! प्रकृति में भी ममत्त्व का अंश है भैया !!
ReplyDeleteजब गाड़ी खड़ी हो तो एयरकंडीशनर का उपयोग करना हमेशा ही खतरनाक हो सकता है।
ReplyDeleteजाको राखे साइयाँ , मार सके ना कोय।
ReplyDeleteकभी कभी एक छोटी सी भूल बहुत भारी पड़ जाती है । शुक्र है की समय रहते आपकी आँख खुल गई ।
आपके किसी अच्छे कर्मों का ही फल रहा होगा। यह दुर्घटना दूसरों के लिए भी आँख खोलने वाली है।
बहुत धन्यवाद ईश्वर का आप पर सपरिवार कृपा करने के लिये ।
ReplyDeleteसच में , लोगो को इससे सबक लेना चाहिये , मैंने भी ऐसी नादानी एक दो बार की, मगर जब दो-एक साल पहले एक इसी तरह का हादसा फरीदाबाद में हुआ था, जिसमे सन्तरो कार में ही एक परिवार मौत के मुह में चला गया , सुनकर अक्ल आई !
ReplyDeleteजाको राखे साइयाँ , मार सके ना कोय।
ReplyDeleteregards
यह आप लोगों का दूसरा जीवन है ! कार्बन मोनो आक्साईड ने जान बक्श दी -यह मेरी जानकारी का पहला सुखद मामला है -जीवेम शरदः शतम
ReplyDeleteरोंगटे खड़े हो गए ,पढ़ कर , शुक्र है वक़्त रहते आपकी नींद खुली और आप सही निर्णय ले पाए |
ReplyDeleteकम्मेंट कॉलम के ऊपर लिखा आपका निवेदन भी पसन्द आया |
जाको राखे साईंयां मार सके ना कोई .. पांच मिनट पहले नींद का खुल जाना इस कहावत को प्रमाणित कर देता है !!
ReplyDeletevery informative post ! Thanks .
ReplyDelete"Jako raakhe saiyaan , maar sake na koi"
punya karmo ka phal !
May God bless you and your family.
Divya
भगवान का लाख लाख शुक्र है सतीश जी ...
ReplyDeleteअच्छा किया जो आपने इस अनुभव को बाँटा ... पढ़ने वाले इस बात का ध्यान रखेंगे ...
भगवान का शुक्र है...
ReplyDeleteओह, अजीब त्रासदी रही।
ReplyDeleteबड़ा भयावह था पढ़ना।
शुक्र है कि समय रहते चेत गए। ईश्वर की कृपा।
अंत भला तो सब भला. पर ज्यादा भला तब जब हम सीख लें आगे के लिये.
ReplyDeleteबस इन्हीं क्षणों में ईश्वर के होने का अहसास होता है. कितनी भयानक रही होगी वो घड़ी. हम सब के लिये सबक.
ReplyDeleteजीवन में कुछ वाकये ऐसे हो जाते हैं कि जब भी उनकी याद आती है रोंगटे खडे हो जाते हैं. ऐसी बेवकूफ़ियां हम भी कर चुके अहिं पर नौबत आपके स्तर तक नही पहुंची. हम तो अब याद करते हैं कि आपके जैसा हादसा हो गया होता तो क्या होता?
ReplyDeleteयह पोस्ट काफ़ी ज्ञानवर्धक और सीख देने वाली है. बहुत धन्यवाद आपको.
रामराम.
सतीश जी अभी हाल ही में मेरे एक कलीग की कार में मौत हो गई.. वो गाड़ी को अंदर से बंद कर उसमें सो गए थे.. हम लोग यही समझते रहे कि उन्हें शायद साइलेंट अटैक पड़ा है... लेकिन अब आपका किस्सा सुनकर लगता है, कि कहीं उनकी मौत की वजह भी तो यही नहीं थी.. वैसे ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है, कि आप सभी बिल्कुल ठीक हैं...
ReplyDeleteगाँवों में तो अक्सर लोग अपने कमरों को बन्द करके सर्दी में सिगड़ी जलाकर सो जाते हैं। वातायन अक्सर होता नहीं और कार्बन मोनोक्साइड के कारण सब सोते ही रह जाते हैं। यह गैस साइलेण्ट किलर है। एक बार तो यूरोप में किसी खराबी के कारण ट्रेन टनल में रूक गयी और पांच मिनट बाद जब वहाँ से निकली तो सारे लोग मर चुके थे। भगवान ने आपको बचाया, बस उसका ही शुक्रिया करिए।
ReplyDeleteभाई जी !
ReplyDeleteवैज्ञानिक उपकरण एक और उपहार हैं तो दूसरी ऒर खतरनाक भी हैं। इनके प्रयोग में सतर्कता बहुत जरूरी है। "सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।" एक बड़ा संकट टल गया। ईश्वर को लाख लाख शुक्र ....... आपके अनुभवों से दूसरॊं को सीख मिलेगी। सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
जाको राखे सांईया मार सके ना कोई,
ReplyDeleteएक बार हम लोग भी चार आदमी
कार बंद करके रात भर सोए रहे,
पता नही कैसे बच गए?
सोच कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
कभी कभी अनजाने में ही गलतियाँ हो जाती हैं।
सतीश जी ,
ReplyDeleteअल्लाह ,भगवान या जिस नाम से भी हम उसे पुकारें वो किसी अच्छे इंसान के साथ बुरा नहीं होने देता ,इस बात का सुबूत है कि आज हम सब आप के द्वारा ज्ञानार्जन कर रहे हैं ,
शुक्र अल्लाह
लोमहर्षक संस्मरण
ReplyDeleteसच है, छोटी सी भूल कभी कभी बहुत भारी पड़ जाती है।
कहा जाता है ना जाको राखे साइयाँ , मार सके ना कोय।
छठी इंद्रिय की प्रोग्रामिंग करने वाला परमात्मा ऐसे वक्त पर याद आ ही जाता है
उफ! यह क्या हो गया था. इतना खतरनाक होता है क्या? शुक्र है समय रहते भान हो गया.
ReplyDeleteAap har vishey par bahut hi unda likh teh hain.Par iss post ne tho hila kar rakh diya. Aap ke saat Ishwar aur aapki achhahiyan saat thae.
ReplyDeleteIshwar hamesha aapki saat rahe
Very Informative for present young generation who takes life easily
Dhanyvad Satishjee.
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