पहली मुलाक़ात खुशदीप सहगल से अविनाश वाचस्पति के यहाँ हुई थी ! उनसे थोड़ी देर बात करके लगा कि जैसे यह एक मिनी ब्लागर मीट न होकर सत्संग हो गया हो ! मुहल्ले के वृद्धों के वारे में कुछ करने का सुझाव, खुशदीप सहगल से पाकर लगा कि संत नगर में आना सफल हो गया है , यह सुझाव मेरा एक बहुत पुराना सपना है जिसे खुशदीप सहगल भी देख रहे थे !
याद करिए अपने बचपन के दिनों को जब वे घर में आते थे तो हाथ में पकडे थैले में पड़े सामान को जानने की उत्कंठा हम सबमें रहती थी और सुबह ऑफिस जाते समय व्यस्त अम्मा की तेज झल्लाती आवाज , छुट्टी के दिन पापा का मनपसंद भोजन और शाम को अक्सर बाहर की पार्टी आदि ....
पूरे जीवन जिसने सारे घर का जिम्मा लेकर बड़ी शान से अपना समय व्यतीत किया , वही आज कार्य से रिटायर हो चुके हैं ! अब किसी को समय नहीं है उनसे बात करने के लिए ...पूरे दिन अखबार में मुंह छिपा कर व्यस्त दिखने का प्रयत्न करते यह अब घर के मुखिया पद से भी रिटायर कर दिए गए हैं ! ६० साल बाद सरकार से रिटायर और ६१ साल में धीरे धीरे घर से सारी शक्तियां छीन ली गयीं !
घर में पड़े पड़े बोर न हों अतः सुबह दूध सब्जी लाने और बच्चे को घुमाने का काम सौपा गया है ! किटी पार्टी के दिन बाहर रहने की हिदायत है ! मोहल्ले में अपने को व्यस्त रखने के लिए चौकीदारों की व्यवस्था , उनके लिए पैसे कलेक्शन करने हेतु, हर घर जाकर चंदा इकट्ठा करने के कारण "मम्मी चौकीदार अंकल आये हैं " जैसी पहचान बन गयी है !
याद करिए अपने बचपन के दिनों को जब वे घर में आते थे तो हाथ में पकडे थैले में पड़े सामान को जानने की उत्कंठा हम सबमें रहती थी और सुबह ऑफिस जाते समय व्यस्त अम्मा की तेज झल्लाती आवाज , छुट्टी के दिन पापा का मनपसंद भोजन और शाम को अक्सर बाहर की पार्टी आदि ....
पूरे जीवन जिसने सारे घर का जिम्मा लेकर बड़ी शान से अपना समय व्यतीत किया , वही आज कार्य से रिटायर हो चुके हैं ! अब किसी को समय नहीं है उनसे बात करने के लिए ...पूरे दिन अखबार में मुंह छिपा कर व्यस्त दिखने का प्रयत्न करते यह अब घर के मुखिया पद से भी रिटायर कर दिए गए हैं ! ६० साल बाद सरकार से रिटायर और ६१ साल में धीरे धीरे घर से सारी शक्तियां छीन ली गयीं !
घर में पड़े पड़े बोर न हों अतः सुबह दूध सब्जी लाने और बच्चे को घुमाने का काम सौपा गया है ! किटी पार्टी के दिन बाहर रहने की हिदायत है ! मोहल्ले में अपने को व्यस्त रखने के लिए चौकीदारों की व्यवस्था , उनके लिए पैसे कलेक्शन करने हेतु, हर घर जाकर चंदा इकट्ठा करने के कारण "मम्मी चौकीदार अंकल आये हैं " जैसी पहचान बन गयी है !
मम्मी चौकीदार अंकल आये हैं
ReplyDeletesachmuch aas pass ka mahaul kitna badal gaya hai.
किटी पार्टी के दिन बाहर रहने की हिदायत है !
ReplyDeletenot just kitty party they are kept out of all parties and they are treated as obselete items . when you say kitty party it sounds very baised
sateesh jee aapkee post padne ke baad aisa laga ki mai such hee badee kismat walee hoo.......yanha hamare milne julne walo me aisa mahol nahee hai.south me sanskruti se sabhee jude hue hai..........meree bhee umr ab 62 ho chukee hai .bado ke prati aadar bhav to theek hai par daya ka patr unhe please mat samjhiye.........bade jo karate hai ya unhone jo kiya vo uttardayitv tha.bachho ke liye karne me aanand hai.....jamana ab badal gaya hai .paristhitiya badal gayee hai.....bujurg bhee apane ko vyast rakh sakte hai isese unka samman bhee bana rahega.............
ReplyDeleteओह ! बेहद मर्मस्पर्शी विषय चुना है आपने ।
ReplyDeleteआज इसी की सख्त आवश्यकता है । अपने बुजुर्गों का सम्मान , उनकी देखभाल , और सुख सुविधाओं का ख्याल रखना हम सबका फ़र्ज़ ही नहीं उत्तरदायित्त्व भी है।
इसके लिए सहनशीलता की ज़रुरत है।
अभी हालात इतने बुरे नहीं हैं हमारे यहाँ। फिर किसी न किसी काम में तो जुटना पड़ेगा बुजुर्गों को। जो भी वे कर सकें। क्यों कि हमने तो यही देखा है कि आदमी चाहे तो चारपाई से उठने लायक न रह कर भी कुछ न कुछ कर ही सकता है।
ReplyDeleteब्लॉंगिंग के माध्यम से बहुत कुछ सकारात्मक द्वार खुल रहे हैं। अवश्य ही यह बेहतरी की ओर बढ़ते दमदार कदम हैं।
ReplyDeleteसतीश भाई,
ReplyDeleteकल अति व्यस्त होने की वजह से इस पोस्ट पर कमेंट नहीं कर सका था...इस काम के लिए दिन-रात जब भी मुझे याद करेंगे, मैं हाज़िर हो जाऊंगा...बस सबकी ये समझ आ जाए कि साठ साल की उम्र में रिटायर होने के बाद आदमी बेकार नहीं हो जाता...उसके पास अनुभव का वो खज़ाना होता है, ऊंच-नीच की वो समझ होती है..जिसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो देश की तस्वीर बदल सकती है...बुज़ुर्गों को बदले में कुछ नहीं चाहिए होता सिवाय आपके दो मिनट और दो मीठे बोल...
जय हिंद...
अच्छा सुझाव है ... ज़रूर आगे आना चाहिए ऐसे कामों के लिए ...
ReplyDeleteविषय संवेदनशील है । 60 एक संक्रमण-अंक बनकर उभरा है ।
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