Wednesday, November 27, 2013

अब न उठेंगे , यह बंजारे , खूंटे पक्के दिखते हैं - सतीश सक्सेना

चमचागीरी करते करते , कितने धक्के लगते हैं !
पूंछ हिलाते पीछे चलते , सीधे छक्के लगते हैं !

वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
फिर कैसे स्याही के बदले, खूनी थक्के लगते हैं !

काम कराके वारे न्यारे , अनपढ़ खद्दर वालों के 
सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरो सिक्के लगते हैं !

पीज़ा बर्गर खाते खाते,देसी आदत बिगड़ गयी !
अब न उठेंगे  यह बंजारे , खूंटे पक्के लगते हैं !

33 comments:

  1. हमें कुछ लिखना है बहुत जरूरी है
    आपके लिये भी यही मजबूरी है
    सब कुछ ठीक सा अगर हो जायेगा
    आपका और हमारा लिखना
    बेरोजगार हो जायेगा
    बताईयेगा जरूर कभी
    अगर ऐसा हो गया तो
    क्या फिर किया जायेगा :)

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    Replies
    1. काश हमारा लिखना बेरोजगार हो जाए , प्रोफ़ेसर !!
      आभार आपका !

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  2. वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
    फिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !

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  3. Aapne itni kari khinchaayi
    we sare chupchap rahe.
    Kya jawab de, soch rahe
    sab, hakke bakke lagte hain!
    :-)

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    Replies
    1. हिंदी अनुवाद :

      आपने इतनी करी खिंचाई
      वे सारे चुपचाप रहे
      क्या जवाब दें, सोच रहे सब
      हक्के बक्के लगते हैं !

      आभार आपका सलिल !!

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    2. हिंदी अनुवाद नहीं लिप्यातरण... :)
      वैसे सतीश जी आपकी यह रचना पसंद आई मुझे....

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  4. वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
    फिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !

    पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !

    राजनीति के धंधे बाज़ों को तालिबानों में भी वोट छिपे दीखते हैं।

    तालिबान हो गई राजनीति ,स्विस में सिक्के ढलते हैं

    बुध्दिमंद यहाँ पर देखो धन दौलत में तुलते हैं।

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  5. बहुत सुन्दर रचना । कितना अच्छा लिखते हैं आप । बधाई ।

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    1. आपसे अच्छा नहीं , आभार आपका !!

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  6. जबर्दस्त उद्गार ....!!

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  7. बहुत बढ़िया आदरणीय-
    सुन्दर चित्र के साथ साझा किया है -
    विशेष आभार -

    हौले हौले नजर मिलाई, प्रेम पाश ने जकड लिया,-
    पर थाने जब करी शिकायत हक्के बक्के लगते हैं-

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  8. उम्दा रचना और प्रभावी पंक्तिया ......!!!

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  9. पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
    बहुत बढिया.....

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  10. खुद ही तुम अपने चेले को,थोडा और समझ लेना !
    भाई जी बिल्कुल हम सारी सावधानी बरत रहे हैं :-)

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  11. बहुत ही सटीक और सधी हुई बात कही आपने, लाजवाब.

    रामराम.

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  12. सार्थक सन्देश देती रचना...

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  13. क्या बात है बहुत खूब सर जी !!

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  14. पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !

    bahut sahi aur sunder

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  15. आपकी यह रचना बिल्कुल अलग तरह की तीखी धार वाली है ।

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  16. पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
    PAINI DHAR PAR CHALATI SACHCHI KAHANI KO BAYAAN KARATI GITON KI MALA PRANAM BHAI SAHAB AAPAKE JIWANT GIT KO

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  17. सटीक कटाक्ष .......

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  18. वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
    फिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !
    बहुत सुन्दर |
    नई पोस्ट तुम

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  19. पैसा ,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं ! इन नेताओं की पिछले साठ साल की यही विरासत है जो उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रदान की है.हमें ही लूटा है हमारे नेताओं ने ,किस से करें गिला जब सब ही चोर बन गएँ हो.

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  20. पैसा ,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं ! इन नेताओं की पिछले साठ साल की यही विरासत है जो उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रदान की है.हमें ही लूटा है हमारे नेताओं ने ,किस से करें गिला जब सब ही चोर बन गएँ हो.

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  21. पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
    @@ वाह !

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  22. पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
    सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
    हकीकत तो यही है.

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  23. वाह, बहुत खूब। बड़ा ही सन्नाट।

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- सतीश सक्सेना

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