वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
फिर कैसे स्याही के बदले, खूनी थक्के लगते हैं !
काम कराके वारे न्यारे , अनपढ़ खद्दर वालों के
सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरो सिक्के लगते हैं !
पीज़ा बर्गर खाते खाते,देसी आदत बिगड़ गयी !
अब न उठेंगे यह बंजारे , खूंटे पक्के लगते हैं !
हमें कुछ लिखना है बहुत जरूरी है
ReplyDeleteआपके लिये भी यही मजबूरी है
सब कुछ ठीक सा अगर हो जायेगा
आपका और हमारा लिखना
बेरोजगार हो जायेगा
बताईयेगा जरूर कभी
अगर ऐसा हो गया तो
क्या फिर किया जायेगा :)
काश हमारा लिखना बेरोजगार हो जाए , प्रोफ़ेसर !!
Deleteआभार आपका !
सटीक पंक्तियाँ
ReplyDelete
ReplyDeleteवैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
फिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteSahiiiiiiiiiii...!!!!
ReplyDeleteAapne itni kari khinchaayi
ReplyDeletewe sare chupchap rahe.
Kya jawab de, soch rahe
sab, hakke bakke lagte hain!
:-)
हिंदी अनुवाद :
Deleteआपने इतनी करी खिंचाई
वे सारे चुपचाप रहे
क्या जवाब दें, सोच रहे सब
हक्के बक्के लगते हैं !
आभार आपका सलिल !!
हिंदी अनुवाद नहीं लिप्यातरण... :)
Deleteवैसे सतीश जी आपकी यह रचना पसंद आई मुझे....
वैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
ReplyDeleteफिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !
पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
राजनीति के धंधे बाज़ों को तालिबानों में भी वोट छिपे दीखते हैं।
तालिबान हो गई राजनीति ,स्विस में सिक्के ढलते हैं
बुध्दिमंद यहाँ पर देखो धन दौलत में तुलते हैं।
बहुत सुन्दर रचना । कितना अच्छा लिखते हैं आप । बधाई ।
ReplyDeleteआपसे अच्छा नहीं , आभार आपका !!
Deleteजबर्दस्त उद्गार ....!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आदरणीय-
ReplyDeleteसुन्दर चित्र के साथ साझा किया है -
विशेष आभार -
हौले हौले नजर मिलाई, प्रेम पाश ने जकड लिया,-
पर थाने जब करी शिकायत हक्के बक्के लगते हैं-
स्वागत है कविवर !!
Deleteउम्दा रचना और प्रभावी पंक्तिया ......!!!
ReplyDeleteबढ़िया ...
ReplyDeleteपैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
बहुत बढिया.....
खुद ही तुम अपने चेले को,थोडा और समझ लेना !
ReplyDeleteभाई जी बिल्कुल हम सारी सावधानी बरत रहे हैं :-)
बहुत ही सटीक और सधी हुई बात कही आपने, लाजवाब.
ReplyDeleteरामराम.
सार्थक सन्देश देती रचना...
ReplyDeleteक्या बात है बहुत खूब सर जी !!
ReplyDeleteपैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
bahut sahi aur sunder
आपकी यह रचना बिल्कुल अलग तरह की तीखी धार वाली है ।
ReplyDeleteपैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
PAINI DHAR PAR CHALATI SACHCHI KAHANI KO BAYAAN KARATI GITON KI MALA PRANAM BHAI SAHAB AAPAKE JIWANT GIT KO
सटीक कटाक्ष .......
ReplyDeleteवैसे तो पढ़ने वालों को,तालिबान का नाम दिया !
ReplyDeleteफिर कैसे स्याही के बदले,खून के थक्के दिखते हैं !
बहुत सुन्दर |
नई पोस्ट तुम
पैसा ,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं ! इन नेताओं की पिछले साठ साल की यही विरासत है जो उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रदान की है.हमें ही लूटा है हमारे नेताओं ने ,किस से करें गिला जब सब ही चोर बन गएँ हो.
पैसा ,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं ! इन नेताओं की पिछले साठ साल की यही विरासत है जो उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रदान की है.हमें ही लूटा है हमारे नेताओं ने ,किस से करें गिला जब सब ही चोर बन गएँ हो.
हालात तो अच्छे नहीं ही हैं
ReplyDeleteपैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
@@ वाह !
पैसा,इज्जत खूब कमाई, अनपढ़ खद्दर वालों ने !
ReplyDeleteसिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते हैं !
हकीकत तो यही है.
वाह, बहुत खूब। बड़ा ही सन्नाट।
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