अगर किसी लेख़क के व्यवहार और व्यक्तित्व के बारे में जानना हो तो उसके कुछ लेख ध्यान पूर्वक पढ़ लें , उस व्यक्ति की मानसिकता और व्यवहार आपको उसके लेखन में से साफ़ साफ़ दिखाई देगा !
लोगों को प्रभावित करने के लिए लिखे लेखों पर चढ़ा कवर, थोडा ध्यान से पढने पर ही उतरने लग जाता है ! अपना चेहरा चमकाने की कोशिश में लगे लोग, खुशकिस्मत हैं कि ब्लाग जगत में ध्यान से पढने की लोगों को आदत ही नहीं है ! यहाँ तो यही होड़ है कि रोज एक लेख अवश्य लिखा जाये और हम शिखर के नज़दीक बने रहें और दूसरों पर मुस्कराते रहें !
इन महान लेखकों को शायद यह अंदाजा नहीं है कि जो कूड़ा वे यहाँ फैला रहे हैं यह अमर है ! लेखन और बोले शब्द अमर होते हैं और परिवार , समाज पर गहरा असर डालते हैं ! आप जो भी लिख रहे हैं, ऐसा नहीं हो सकता कि आपके बच्चे , और परिवार के अन्य सदस्य देर सवेर उसे नहीं पढेंगे , उस समय आपको पढ़कर और जानकर वही इज्ज़त और सम्मान आपको देंगे जिसको आपका लेखन इंगित करता है !
मेरा यह विश्वास है कि आने वाला समय बेहतर होगा , हमारी नयी पीढी यकीनन प्यार ,सद्भाव में हमसे अधिक अच्छी होगी अतः आज जो हम ब्लाग के जरिये दे रहे हैं, उसे एक बार दुबारा पढ़ के ही प्रकाशित करें ! कहीं ऐसा न हो कि आपको कुछ सालों के बाद पछताना पड़े कि यह कूड़ा मैंने क्यों लिखा था !
अच्छी विचारणीय प्रस्तुती / आज के माहौल को सुधारने की और सचेत करती इस रचना के लिए आपका बहुत-बहुत दन्यवाद / कास लोग आपकी बातों से कुछ सिख ले कर उस पर अमल करतें /
ReplyDeleteआशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
इश्वर हमें सद्बुद्धि दें
ReplyDeleteअपना चेहरा चमकाने की कोशिश में लगे लोग, खुशकिस्मत हैं कि ब्लाग जगत में ध्यान से पढने की लोगों को आदत ही नहीं है -- हलके व्यंग के साथ बहुत ही सटीक बात कही है... सच शब्द अमर हैं - एक बार मुह से या लेखनी के द्वारा निकलने पर वायुमंडल में घूमते हैं , एक उर्जा से ठोस बन जाते हैं... उन्हें सावधानी से सोच समझ कर निकालना चाहिए.
ReplyDeleteAccha sujhav.........
ReplyDeleteaap in dino the kanha...?
koi poochane wala bhee hai .
pahile profile ke sath Ph No tha ab nahee hai......
Mera blog to khas tor par hai hee mere apno ke liye.
sabhee chav se padte hai iseeliye buzurgiyat jhalak hee jatee hai.........
meree kai post chootee hai aapse.....
Europe trip kub hai....?
बिल्कुल सही कहा आपने , लेकिन क्या करें कुछ लोगों को इसी में मजा आ रहा है ।
ReplyDeleteबहुत सही बात कही है सतीश जी । आजकल कुछ ब्लोग्स को पढ़कर तो एक अजीब सी विरक्ति सी महसूस होने लगी है। लेखन में निरंतर गिरावट आ रही है। एक बात ख़त्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है। बेहद अफ़सोस।
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे सतीश भाई। सारगर्भित रचना ही सार्थकता प्रदान कर सकती है।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
क्या करें?
ReplyDeleteअगर किसी लेख़क के व्यवहार और व्यक्तित्व के बारे में जानना हो तो उसके कुछ लेख ध्यान पूर्वक पढ़ लें , उस व्यक्ति की मानसिकता और व्यवहार आपको उसके लेखन में से साफ़ साफ़ दिखाई देगा !
ReplyDeleteलोगों को प्रभावित करने के लिए लिखे लेखों पर चढ़ा कवर, थोडा ध्यान से पढने पर ही उतरने लग जाता है ! अपना चेहरा चमकाने की कोशिश में लगे लोग, खुशकिस्मत हैं कि ब्लाग जगत में ध्यान से पढने की लोगों को आदत ही नहीं है ! यहाँ तो यही होड़ है कि रोज एक लेख अवश्य लिखा जाये और हम शिखर के नज़दीक बने रहें और दूसरों पर मुस्कराते रहें !
इन महान लेखकों को शायद यह अंदाजा नहीं है कि जो कूड़ा वे यहाँ फैला रहे हैं यह अमर है ! लेखन और बोले शब्द अमर होते हैं और परिवार , समाज पर गहरा असर डालते हैं ! आप जो भी लिख रहे हैं, ऐसा नहीं हो सकता कि आपके बच्चे , और परिवार के अन्य सदस्य देर सवेर उसे नहीं पढेंगे , उस समय आपको पढ़कर और जानकर वही इज्ज़त और सम्मान आपको देंगे जिसको आपका लेखन इंगित करता है !
मेरा यह विश्वास है कि आने वाला समय बेहतर होगा , हमारी नयी पीढी यकीनन प्यार ,सद्भाव में हमसे अधिक अच्छी होगी अतः आज जो हम ब्लाग के जरिये दे रहे हैं, उसे एक बार दुबारा पढ़ के ही प्रकाशित करें ! कहीं ऐसा न हो कि आपको कुछ सालों के बाद पछताना पड़े कि यह कूड़ा मैंने क्यों लिखा था !
आपने बिलकुल मेरे मन की बात कही.... सम्पूर्ण पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
जी हां सतीश जी , बिल्कुल सही बात है ये । यहां हम सब किसी को वैयक्तिक रूप से नहीं जानते पहचानते हैं । यदि यहां पर हम एक दूसरे के लिए जोभी छवि बना रहे हैं वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी लेखनी और टिप्पणी पर ही आधारित होता है ।और हा समय ही तो है गवाह जो साबित करता आ रहा है सब कुछ । सामयिक विचार ।
ReplyDeleteविगत रात्रि हम दोनों मित्र अपने अपने शहरों में बैठे ,एक साथ दूरदर्शन का एक कार्यक्रम देख रहे थे जिसमें परिचर्चा का विषय कमोबेश यही था जो आपने कहा है... होड़, चूहा दौड़ और शीर्ष को छू लेने की गला काट इच्छा ने इस ब्लॉग जगत का अहित ही किया है, वर्ना जो माध्यम विचार मंथन, समस्या समाधान का प्लैट्फॉर्म बन सकता था मात्र बहस छींटाकशी का अड्डा बनकर रह गया.
ReplyDeleteएक और कटु सत्य है कि आलोचक यहाँ बड़ी ही तिरछी नज़र से देखा जाता है, क्योंकि कई बार उसका उद्देश्य मात्र क्षणिक प्रसिद्धि प्राप्त करना होता है..किंतु हर कही गई बात को बहुत अच्छा जैसी स्टीरिओटाईप प्रतिक्रिया से नवाज़ना भी उचित नहीं.
साहस करें और बताएँ कि आप जो लिख रहे हैं वह ग़लत या अनुचित है... और सतीश जी आपकी बात को ही साईबर क्राईम के विशेषज्ञ श्री पवन दुग्गल जी ने बताया कि क़ानूनन भी आपकी कही बात अगर अनुचित है तो वह आपके विरुद्ध एक सबूत के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है... आज नहीं तो कल... भला हो हमारे देश का कि हमारा क़ानून सो रहा है और कई लोग उसकी नींद का फ़ायदा उठा रहे हैं..
सही है..कुछ ऐसा नहीं कि जिसको बार-बार पढ़ने को जी चाहे
ReplyDeleteसार्थक चिंतनशील प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सही.
ReplyDeleteमन से लिखा मन से पढ़ा जायेगा और याद रखा जायेगा । कृत्रिमता तो टिक नहीं पाती है ।
ReplyDeletenoted for future, Sir.
ReplyDeletethanks
बुरा जो देखन मै चला बुरा न मिलयो कोयू,
ReplyDeleteजो मन देखया आपना, मुझसे बुरा न कोय...
हर कोई दूसरे की चिंता छो़ड़ बस अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करे...हालात खुद बदल जाएंगे...
जय हिंद...
गुरुदेव, आज मजाक में नहीं सीरियस्ली बोल रहे हैं कि आपका पहिला बात त हमरे उपर लागू होता है... आपको एक महीना पढने के बादे आपका बारे में जो राय बनाए हैं हम, ऊ हमरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है... तबे त आपको गुरुदेव कहते हैं...
ReplyDeleteअभी त हम लिखना सुरुए किए हैं, इसलिए आपका बात हमेसा याद रखेंगे... गुरुदेव! मन का बात बोलते हैं, जदि कोई गलती हो जाए तो चेता दीजिएगा बेहिचक हमको. आपका आसीस समझकर सुधार लेंगे अऊर माफी माँग लेंगे...हम एक्के बात जानते हैं कि सच बोलिए, अच्छा बोलिए, लेकिन हम त कड़ुआ सच बोलने से भी नहीं डराते हैं...प्रनाम!!!
सक्सेना जी,
ReplyDeleteआपके profile देखा.मैं आँचल ट्रस्ट के बारे में
जानना चाहता हूँ.आँचल के बारे में पहले सुना हुआ है.मैं इसमें कैसे कुछ योगदान कर सकता हूँ.कृपया मेरे ईमेल पर मेल कर दें.
mobile no.9910814815
दीपक भाई !
ReplyDeleteबहुत छोटा और सीमित संसाधनों से मुसीबतजदा लोगों के लिए, कुछ योगदान की कामना लेकर यह ट्रस्ट " आँचल" बनाया गया था ! इसमें कोई योगदान नहीं लिया जाता, जब किसी की मदद करनी होती है तो उसी समय व्यवस्था करते हैं ! फिलहाल ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है !
साभार !
chintansheel baat kahi hai jiska ham sab ko anusaran karna chaahiye.
ReplyDeleteshukriya...
बेहतर होगा की लेखन का वस्तुगत विश्लेषण करके ही संतोष धारण
ReplyDeleteकिया जाय ! कच्चापन नहीं रहेगा तो भविष्य में दुःख नहीं होगा ! आभार !
ईमानदार लेखन!
ReplyDeleteआज हो ये रहा है की लोग बिना पढ़े ही बहुत कुछ लिखना चाहते हैं....और हो जाता है सब गड़बड़ ...
ReplyDeleteलिखने के लिए पढना बहुत ही जरूरी है......
बहुत सुन्दर
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सार्थक।
ReplyDeleteसहमत।
अनवर भाई !
ReplyDeleteकृपया पोस्ट के विषय से हटकर टिप्पणी न करे तो आभारी रहूँगा !
आपने तो वह बात लिख दी जिस विषय पर मेरी बहसें हो जाया करती हैं और लोग नाराज हो जातेहैं ,सभी आज कल टी आर पी बढाने की होड़ में भागे जा रहे हैं ,ये भी नहीं देखते कि उनके पैरों के नीचे उनके ही बच्चे का सर कुचला जा रहा है
ReplyDeleteअगर आपकी नजर में कोई सोरायसिस का मरीज हो तो हमारे पास भेजिए ,हम उसका फ्री ईलाज करेंगे दो महीने हमारे पास रहना होगा
www.sahitya.merasamast.com
जब कहने के लिए कुछ न हो तो चुप रहना ही ठीक है, बशर्ते अपने ज़िंदा होने पर शक न हो.
ReplyDeleteलेख़क के व्यवहार और व्यक्तित्व के बारे में जानना हो तो उसके कुछ लेख ध्यान पूर्वक पढ़ लें
ReplyDeleteये काम तो सभी को करना चाहिए
खुद की पोस्ट भी देखनी चाहिए इस इसलिए हम तो तुरंत देख कर आते हैं :)
बिल्कुल सही चेताया सही वक्त पर आपने..फिर भी कोई न समझे तो क्या किया जाये.
ReplyDelete@- लिखने के लिए पढना बहुत ही जरूरी है......
ReplyDeleteso true !
bahut hi sahi baat likhi hai aapne. mai aapki baato se sahamat hun.
ReplyDeleteसहमत हूँ !
ReplyDeleteसतीश जी प्रणाम,
ReplyDeleteआप निरंतर ही ब्लॉगजगत से जुड़ी समस्याओं पर बड़े ही सरल और अच्छे शब्दों से पर्दे उठाते रहे फिर भी कुछ ऐसे शॅक्स है जिन्हे कुछ समझ में नही आ रही है हम यहाँ कुछ सीखने और कुछ देने के उद्देश्य से आते है ना किसी कोई मुद्दा बना कर आपस में लड़ने....सुधार ज़रूरी है देखिए कब तक हो पता है..बढ़िया प्रसंग..प्रणाम
बहूत खूब सतीश जी. एक-एक शब्द सही है, आपसे पूर्णत: सहमत हूँ.
ReplyDeletehttp://premras.blogspot.com
सक्सेना सहाब, बात वहीं आकर अटक जाती है , जहां आत्मचितन करना हो, अगर हमें वह गुण होता तो एक गुलामी के बाद दुसरे गुलामी और फिर तीसरी गुलामी और अब अप्रत्यक्ष गुलामी क्यों झेलते पहले के बाद ही आत्म चिंतन किया होता तो दूसरी गुलामी ही नहीं आती !
ReplyDeleteलेखन और बोले शब्द अमर होते हैं और परिवार , समाज पर गहरा असर डालते हैं ! बिलकुल सही कहा सर आपने
ReplyDeleteइसी कारन तो लोग कुछ भी लिख देतें हैं /बिना उसके प्रभाव को पहचाने