खुशदीप सहगल के पापा दीवाली के दिन उनको छोड़ कर चले गए ! सरल ह्रदय खुशदीप के लिए यकीनन यह सबसे मनहूस दीवाली होगी जिस दिन उनके ऊपर से पापा का हाथ हट गया !
बड़ों को एक न एक दिन हमें अकेला छोड़ कर जाना ही होता है ! मगर आज की आपाधापी में हम, उनके वे बचे हुए दिन शायद सहेजने की कोशिश नहीं कर पाते !
और एक दिन चुपके से वह मनहूस घडी आ जाती है जिस दिन हमको तेज धूप से बचाता और खुद चुपचाप कष्ट सहता हुआ यह मजबूत वृक्ष अचानक गिर जाता है !
अक्सर बहुत देर हो जाती है समझने में ,कि यह वृक्ष हमारे कितने काम का था .......
बड़ों को एक न एक दिन हमें अकेला छोड़ कर जाना ही होता है ! मगर आज की आपाधापी में हम, उनके वे बचे हुए दिन शायद सहेजने की कोशिश नहीं कर पाते !
और एक दिन चुपके से वह मनहूस घडी आ जाती है जिस दिन हमको तेज धूप से बचाता और खुद चुपचाप कष्ट सहता हुआ यह मजबूत वृक्ष अचानक गिर जाता है !
अक्सर बहुत देर हो जाती है समझने में ,कि यह वृक्ष हमारे कितने काम का था .......
खुशदीप जी आपकी इस दुख की घडी मे हम सब आपके साथ हैं और भगवान आपके पिताजी की आत्मा को शांति दे…
ReplyDeleteइश्वर आपको और आपके परिवार को इस दुःख भरी घड़ी में संबल दे. पिताजी को शत्-शत् नमन.
ReplyDeleteपिता का साया सर से उठ जाना जैसे
ReplyDeleteचिलचिलाती धूप में सर से छत का उड़ जाना ...
विनम्र श्रद्धांजलि !
जुदाई दुख देती है ।
ReplyDeleteदुख का अहसास केवल दुखी ही कर सकता है ही फिर वह जो इस अहसास से गुजर चुका हो ।
जुदाई दुख देती है ।
ReplyDeleteदुख का अहसास केवल दुखी ही कर सकता है या फिर वह जो इस अहसास से गुजर चुका हो ।
मौन श्रद्धांजली
ReplyDeleteपरमात्मा पिताजी की आत्मा को मोक्ष और परिवार को संबल प्रदान करे, यही कामना है।
प्रणाम
चाहे हम उम्र में कितने भी बडे हो जायें और नाती-पोतों वाले हो जायें, फिर भी माता या पिता में से किसी के भी खोने पर एकबारगी अनाथ और असहाय बोध होता है। जिन्होंनें हमें जीना सिखाया, उनके बिना लगता है कि अब हम कैसे चल पायेंगें। जैसे हमारी सुरक्षा में खडा अडिग हिमालय एकाएक गायब हो गया।
ReplyDeleteप्रणाम
भगवान् अपने परिवार में सबको यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे ... दिवंगत बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि और शत शत नमन !
ReplyDeleteश्रद्धांजली ... इस दुख की घडी मे खुशदीप जी हम सब आपके साथ हैं ....
ReplyDeleteपापा के चले जाने का अर्थ है सिर से एक घनी छाया का हट जाना, जो हमें हर धूप और छाँव में बचने की सलाह दिया करती है और हम कठिन समय में उनसे हल भी पा लेते थे. चाहे जितने भी बड़े हो जाएँ. पिता के बिना अनाथ हो जाते हैं. एक दिन अनाथ सब को होना है, कोई आज हुआ कोई कल होचुका था और कोई कल.........
ReplyDeleteजब तक ये छाया रहे उसकी देखभाल और सेवा हमारा धर्म है.
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बेहद दुखद घटना.
ReplyDeleteखुशदीप जी, ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको इस दुःख को सहने का संबल दे।
खुशदीपजी को ईश्वर संबल दे। दिवंगत आत्मा को परम शान्ति प्राप्त हो।
ReplyDeleteअक्सर बहुत देर हो जाती है समझने में ,कि यह वृक्ष हमारे कितने काम का था ....... सच हैं श्रीमान समय रहते हम उस वृछ की कद्र नहीं कर पाते , और उस समय के बाद अपने आप को असहाय सा महसूस करते हैं
ReplyDeleteएक न एक दिन सब के साथ यह अवसर आना है ।
ReplyDeleteखुशदीप के पिताश्री को विनम्र श्रधांजलि ।
पिताजी ---सिर्फ़ एक एहसास है...
ReplyDeleteशब्दों मे नहीं व्यक्त किया जा सकता...फ़िर भी...एक संकलित रचना थी जिसे "यह वॄक्ष" वाली लिन्क पर टिप्पणी के रूप में पोस्ट किया मैने ...और एक गीत इस पोस्ट पर(गुजराती में)...
http://archanachaoji.blogspot.com/2010/07/blog-post_30.html
मौन श्रद्धांजली
ReplyDeleteसतीश जी यकीनन बाप का जाना इंसान को कहीं ना नहीं कमज़ोर बना देता है, और वक़्त से साथ अपनी ओलाद की हिफाज़त करते करते इंसान फिर से मज़बूत महसूस करने लगता है. सतीश साहब आप को हमेशा दूसरों के दुःख मैं शरीक पाया. मैं आप के इस जज्बे की कद्र करता हूँ.
ReplyDeleteबुजुर्ग तो अन्धेरे मकान में रौशनदान की तरह होते है ये पुराने दरख्त होते है मगर सही है जाने के बाद ही अहसास होता है
ReplyDeleteपिता का साया उठाना जीवन के सबसे त्रासद क्षणों में से एक है ...मगर यह हम सभी के साथ होने वाला एक अनिवार्य अनुभव है ...
ReplyDeleteहमें इसे दिल कड़ा करके स्वीकारना ही होता है -खुशदीप भाई अब पिता जी से जुड़े अंतिम संस्कारों को पूरा करें -हमारी संवेदना उनके साथ है !
सतीश जी, मृत्यु ही वह सत्य है जिसे कोई झुटला नहीं सकता, हर जीवित शय के इसका मज़ा चखना होता है. खुदा इस दुःख की घडी में उनको और परिवार को सहनशक्ति दे.
ReplyDeleteप्रेमरस.कॉम
मौन श्रद्धांजली
ReplyDeleteपरमात्मा पिताजी की आत्मा को मोक्ष और परिवार को संबल प्रदान करे, यही कामना है।
अक्सर बहुत देर हो जाती है समझने में ,कि यह वृक्ष हमारे कितने काम का था ...
ReplyDeleteapne pita kaa aise hee ek din chale jana yaad a raha hai
पिता की स्नेहिल छाया का सर से उठ जाना क्या होता है मैं समझ सकती हूँ .
ReplyDeleteइश्वर खुशदीप जी के परिवार को संबल दे और उनके पिताजी की आत्मा को शांति.
दिवंगत आत्मा शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.खुशदीप जी को इस दुःख से उबरने की शक्ति मिले.
ReplyDeleteसही कहा आपने। खुशदीप के पिताश्री को विनम्र श्रधांजलिऔर भगवान उन्हे इस गम से उबरने की शक्ति दे।
ReplyDeleteखुशदीप जी के पिताश्री को विनम्र श्रधांजलि और भगवान उन्हे इस गम से उबरने की शक्ति दे
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि.... ईश्वर परिवार को संबल प्रदान करे....
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि....ईश्वर, खुशदीप भाई को यह असह्य दुख सहने की क्षमता प्रदान करे
ReplyDeleteये एक कटु सत्य है जिसका एक न एक दिन सबको सामना करना पडता है , जिसने उंगली पकड़कर चलना सिखाया और जिसने बोलने से लेकर पारंगत होना सिखाया , अनुभव दिया, संस्कार दिए , छाया दी और प्रोत्साहन दिया, पिता तो जीवन का प्रारम्भ है और एक प्रिय मित्र भी ! शब्द भी कम पड़ जायेंगे पिता शब्द के लिए ! हम सब खुशदीप भाई के साथ हैं इस गमगीन और दुखद घडी में ! ईश्वर उनको शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करे और पिताजी की आत्मा को शांति !
ReplyDeleteऊं !!
सर आपको एक बार फिर तकलीफ दूंगा । कृपया मेरे लेख की अन्तिम लाइन पढने का कष्ट करें
ReplyDeleteदुखद घटना.विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteकोई कुछ नहीं कर सकता...ये दुख तो अकेले खुशदीप जी को ही झेलना होगा.... सांत्वना दुख को कम नहीं कर सकती.
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि!!
ReplyDeleteक्या कहा जाये!
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ReplyDeleteदुखद समाचार । पिताजी की दिवंगत आत्मा को शांति मिले। खुशदीप जी के दुःख में हम सभी उनके साथ हैं।
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अमावश में दीप बन जगमगाएंगे पिता
ReplyDeleteहैं नहीं पर रोशनी दिखाएंगे पिता।
..विनम्र श्रद्धांजली।
सतीश जी ये तो बड़े ही दुख का समाचार सुनाया आप ने
ReplyDeleteभगवान ख़ुशदीप जी के पिता की आत्मा को शांति दे और उन के घर वालों को इस दुख को सहने की शक्ति और हिम्मत
श्रद्धांजलि
Pita ka saya sar se uth jana kitna dukhad ho sakta hai yah main achchi tarah janti hoon. Mahaj 24 sal kee thee main jab mere pita theek Bhaee dooj wale din hee yah sansar chod kar chale gaye. Uske pehale 6 mahine unhone atyadhik kasht men bitaye. Khush deep jee ko Ishwar dhiry pradan kare aur is dukh ko zelane kee shakti de. Jeewan to chalta rehata hai aur chlna bhee chahiye.
ReplyDeleteईश्वर से प्रार्थना है कि उनके पिताजी की दिवंगत आत्मा को शान्ति और खुशदीपजी सहित पूरे परिवार को यह महा दुख सहने की शक्ति प्रदान करे !
ReplyDeleteउस डाल का सूख जाना जिसने खुशदीप जैसे फूल को जन्म दिया निश्चय हीं शोक का विषय है। पिता वो तवा होता है जो खुद जल कर परिवार को रोटि खिलाता है। मैं आपके इस दु:ख को कम तो नहीं कर सकता पर परमपिता ईश्वर से आपको सम्बल और आपके पिता जी की कमी ना महसूस होने देने की प्रार्थना ज़रूर करता हूँ
ReplyDelete।
आत्मा अमर है गति कर्मानुसार है .
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