हवा में उठती एक सुगंध,
कि मौसम दिल पर करता चोटहमारे दिल में उठे हिलोर,
किन्ही सुन्दर नैनों से घायल होने का दिल करता है !
किसी चितवन की मीठी धार
किसी के ओठों की मुस्कान
ह्रदय में उठते मीठे भाव
देख के बिखरे काले केश
किसी के दिल की गहरी थाह नापने का दिल करता है !
किसी के मुख से झरता गान
घोलता कानों में मधुपान,
ह्रदय की बेचैनी , बढ़ जाए
जान कर स्वीकृति का संकेत
कहीं से लेकर मीठा दर्द, तड़पने का दिल करता है !
कहीं नूपुर की वह झंकार ,
कहीं कंगन की मीठी मार
किन्ही नयनों से छूटा तीर
ह्रदय में चोट करे, गंभीर !
कसकते दिल के गहरे घाव दिखाने का दिल करता है !
झुकाकर नयन करें संकेत ,
किसी के मौन ह्रदय की थाह
किसी को दे डालो विश्वास
कहीं पूरे कर लो अरमान !
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
सतीश भाई, जिस उम्र में आप है वो देश में राजनीति में कदम रखने का पहला साल होता है...
ReplyDeleteमेरा फंडा अपनाइए, युवा वर्ग की सोहबत में रहेंगे तो खुद को भी अजय भैया जैसा छैल छबीला ही समझेंगे...
मल्लिका पुखराज का गाना गाइए और खुश हो जाइए...
अभी तो मैं जवान हूं...
जय हिंद...
हा हा :) मस्त एकदम...
ReplyDeleteऔर अजय भईया तो सलमान खान हैं जी...
पता नहीं इस गजनी वाले लुक पे कितनी इधर उधर गिर गयीं होंगी :)
हा हा हा थे से आपका मतलब ...हम तो पहले ही कह चुके हैं कि आप तो अनिल कपूर हैं ..खबरदार जो अनिल कपूर को आपने बूढा कहा तो
ReplyDeleteअजय भैया,
ReplyDeleteअनिल कपूर तो बाल-कलाकार है...क्योंकि उसके शरीर पर बाल ही बाल हैं...
जय हिंद...
मस्त
ReplyDeleteअभी तो मैं जवान हूं...
ारे भाई अभी तो मै अपने को बूढी नही समझती फिर आप तो मुझ से छोटे हो?मै तो अभी भी बचपन मे जीती हूँ। जवानी अभी आनी है।{ शायद अजय भाई ने भी यही गुर सीख रखा है} बच्चों से अधिक ऊर्जा से काम करती हूँ। मस्त गीत है ऐसे ही लिखते जाओगे तो जरूर जवान रहोगे। शुभकामनायें।
ReplyDeleteकिन्ही सुन्दर नैनों से घायल होने का मन करता है !
ReplyDeleteकिसी के दिल की गहरी थाह नापने का दिल करता है !
कहीं से लेकर मीठा दर्द, तड़पने का दिल करता है !
कसकते दिल के गहरे घाव दिखाने का दिल करता है !
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
मुझे तो आसार कुछ अच्छे नही दिखाई दे रहे हैं, बदले बदले से सरकार
नजर आते हैं आजकल.
लगता है आपके दिनमान कुछ उल्टे दिखाई दे रहे हैं.
जरा संगीता जी या पं. वत्स से अपनी कुंडली चेक करवाले.:)
रामराम.
उम्र पचपन की और चाह बचपन की?
ReplyDeleteसतीश जी अब यह कसक जाने भी दिजिए।:)
अब भी बिछाए बैठे है नैन,रक्त को कुछ तो आराम दिजिए।:)
(यह निर्मल हास्य है,भावनाएं सदैव युवा रहती है।)
सतीश भाई,
ReplyDeleteये क्या गजब कर रहे हैं। मानवीय भावनाओं के लिए कोई उम्र होती है। मौसम, सौन्दर्य, मधुर स्वर, हृदय की धड़कन, स्पर्श के असर 16,60 और 96 की उम्र में भी समान ही होते हैं। प्यार के गीत गाने वाला जीवन भर गाता है। आप तो सदैव प्यार के गीत गाते हैं। ब्लागीरी और कविता में ही नहीं निजि जीवन में भी। इस कविता को प्रस्तुत करते समय शर्माना क्यों?
और आप इस तरह शरमाने लगे तो हमारा क्या होगा।
आजकल आपको सुंदर नैनों से घायल होना, किसी के दिल की थाह लेना,
ReplyDeleteतडपना और वो भी किसी के मीठे दर्द से, दिल के घाव दिखाना, और किसी
की चौखट पर अरमान लुटाने का मन करता है. जाहिर है ये सब भाभी जी
के लिये तो आपने लिखा नही है.
हम आपको पहले भी समझा चुके हैं, सुधर जाईये इस उम्र में, भाभी जी ने कहीं ये
कविता पढ ली कि आजकल आपका क्या क्या करने को मन करता है ? तो इस साल
की सर्दी में आपकी हड्डियां कडकडाने वाली हैं क्योंकि ये सौ प्रतिशत पक्का है कि
भाटिया जी उनको अबकि बार मेड-इन-जर्मन अवश्य ही भेंट कर गये हैं.
बाकी आपकी मर्जी, मित्रता के नाते हमने आपको बिना मांगे सलाह दे दी है.
रामराम
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
ReplyDeleteकिसी चितवन की मीठी धार
ReplyDeleteकिसी के ओठों की मुस्कान
ह्रदय में उठते मीठे भाव
देख के बिखरे काले केश
किसी के दिल की गहरी थाह नापने का दिल करता है !
... बढ़िया पेम गीत ..
अपनी उछल कूद के लिये, तरूण अजय जी को बीच में खींचना जरूरी था?
ReplyDeleteसुज्ञ जी ,
ReplyDeleteआपके द्वारा कहे गए इन शब्दों को
तरूण अजय जी ....
इस वर्ष के लिटरेचर के सारे पुरस्कार दिए जाने की हम पेशकश कर रहे हैं ....
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !------ कौन कहता है कि आप जवान नहीं है, दिल तो आपका अब भी जवान है.
ReplyDeleteसतीश जी बहुत सुंदर गीत है। चूँकि हम सब कभी न कभी इस दौर से गुजर चुके हैं इसलिए ऐसा लगता है जैसे आप हमारी ही भावनाओं को शब्द दे रहे हैं।
ReplyDeleteभावनाओं को चित्र में तराशने का अनूठा उदाहरण।
ReplyDeleteतो ? :-):-):-)
ReplyDeleteबिजली गिराने वाली पोस्ट है जी....!
ReplyDeleteआये हाये मर जावां !!!!!!!!! मूसाण में लकडे जाने की तैयारी है , सौ पचास साल बाद .........और देखो लड़के बनने की हूक उठी है :)
ReplyDeleteयह झंकार वनकार धारी रह जायेगी अगर हमारी ताई ने पढली यह तो ...............सारे के सारे वाध्ययंत्र कानो में गूंजने लगेंगे .....................संभल जाइये नहीं तो !!!!!!!!!!!!! राम ही राखे :)
अभी तो आप जवान हैं, अभी तो आप जवान हैं.
ReplyDeleteयदि आप बूढ़े हैं तो मन्नू भैया...
ऐसे न कहें, उम्र का जवानी से क्या लेना देना..
ReplyDeleteअब सलमान की तो शादी ही पचास में होगी...
अजी साहब बस दिल से जवान बने रहिये ... बुढ़ापा पास न आयेगा... शुक्रिया
ReplyDeleteअजी साहब बस दिल से जवान बने रहिये ... बुढ़ापा पास न आयेगा... शुक्रिया
ReplyDeleteजब उम्र हो पचपन की
ReplyDeleteतो काम करो बचपन के
हा हा हा
आप पर तो बहुत ज़बरदस्त प्रभाव पड़ा है अजय जी का ...क्या बात है , क्या बात है , क्या बात है :):)
ReplyDelete@किसी चितवन की मीठी धार
ReplyDelete@किसी के ओठों की मुस्कान
आज तो छा गए सतीश जी, कविता बढिया लगी.
एगो काम कीजिए..... मूंछे कटवा कर चश्मा लगा कर.... बोलिए.... माए नेम इस सक्सेना.... सतीश सक्सेना.
सतीश जी...घबराईये नहीं खुद को हमारी विरादरी का ही समझें....
ReplyDeleteखुशदीप भाई ने सही कहा राजनेताओं को देखिये खुद ब खुद जवानी छा जाएगी... हा हा हा
मेरे ब्लॉग पर..
पहचान कौन चित्र पहेली :-६ .
@ यौवनोत्सुक कवि सतीश जी ! आदर्श युवा अमित जी से सहमत हो जाऊं या नहीं ?
ReplyDeleteकुछ तय नहीं कर पा रहा हूं ।
बस इतना कहूंगा कि आंवले मार्कीट में आ चुके हैं , एलोवेरा के जूस में मिलाकर हफ़्ता दस दिन पी लीजिए बदन के कोन कोने से पुरानापन दूर होकर यौवन की कौंपले फूट पड़ेंगी ।
अब आप जो गीत गाएंगे उसे सार्थक करने की क्षमता पर्याप्त से अधिक होगी आपमें। होड़ भी लग सकती है कि सतीश जी से गाना हम भी सुनेंगे क्योंकि सतीश जी जो गाते हैं ,वह करके भी दिखाते हैं ।
जब आप घर में गाएंगे तो अमित जी की ताई भी 'वाह वाह' ही करेंगी ।
सभी खाएं और सभी गाएं !
आनंद से यह सर्दी मनाएं !!
आपके विचार पढ़ तो लगता था कि सबसे अधिक युवा आप ही हैं। यदि नहीं तो जहाँ हैं वहीं रुक जाइये, औरों को आगे जाने दीजिये।
ReplyDeleteहमें भी मल्लिका पुखराज ही याद आई.
ReplyDeleteवाह सर जी वाह...
ReplyDeletewaah bahut khoob...
ReplyDeleteयौवनोत्सुक कवि सतीश जी
ReplyDeleteओह सुज्ञ भाई ये तो कंपीटीसन में एक और महान शब्द आ गया ..कडी टक्कर दी भाई
भईया जी नमस्कार
ReplyDeleteपढ़कर बहुत अच्छा लगा, मैं तो अभी बच्चा हूं । ब्लोगिंग में वापसी कर रहा हूँ आपके ब्लोग पर अपने इस कमेंट के साथ ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहां तरूण अजय जी,
ReplyDeleteलेकिन सतीश जी तो आनन्द लेने में मस्त है। हमारी दिलजली बातों पर प्रतिक्रिया ही नहिं कर रहे?
पता नहिं उनका दिल क्या क्या कर रहा होगा?
सब आपकी तरूणाई का असर है।:)
चले सावन की मस्त बहार
ReplyDeleteहवा में उठती एक सुगंध
कि मौसम दिल पर करता चोट
हमारे दिल में उठे हिलोर
किन्ही सुन्दर नैनों से घायल होने का मन करता है "
उफ़ ये पुरानी मीठी यादें
बहुत खूब सतीश ji ...
ReplyDeleteकिसी ने सही कहा है ... " everything is mental".. अगर जवान रहने की सोचेंगे तो जवान ही रहेंगे ... :)
सतीश जी, जब आपके ब्लाग पर आना शुरू किया था तब गीत पढने ही आती थी लेकिन बीच में आपने गीत एकदम से ही बन्द कर दिए। आज बहुत ही मनोहारी गीत आपने लिखा है, बधाई।
ReplyDeleteसतीश भाई,
ReplyDeleteसाधुवाद...कि आप छंद को सम्यक् रूप से निभा सके इस गीत में!
भावगर्भित गीत अपने सहज प्रवाह में बहता हुआ दिखायी दे रहा है...(आज जबकि ब्लॉग्ज़ की दुनिया में हर लूली-लँगड़ी/ अल्लम-गल्लम/ बेतुकी रचना का भी तमाम सुन्दर शब्दकोषीय ‘विशेषणों’ से अभिषेक किया जा रहा है...) ऐसे बेशर्म और अराजक माहोल में आपकी इस छांदस रचना से गुज़रना मेरे लिए सुखद अनुभव है।
श्रृंगारिकता से ओत-प्रोत इस रचना में आपने श्लीलता का भरपूर ध्यान रखा है...यह भी सुखद है!
आप जैसे उत्कृष्ट कवि को पत्रिकाओं में भी छपना चाहिए...हो सकता है कि आप छपते भी रहे हों...मगर मेरा दुर्भाग्य कि मैंने कभी-कहीं आपको पढ़ा नहीं...प्रथम बार इसी ब्लॉग पर पढ़ रहा हूँ!
लेकिन...एक जगह पर आपने भाई योगेन्द्र मौदगिल का उल्लेख किया है...उससे लगता है कि संभवतः छपते भी रहे होंगे!
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !............
ReplyDeleteऐसा क्या ???????:)
बहोत ही खूब ..........:)
अजय बाबू के लिए लगभग यही भाव मैने अपनी रिपोर्ट में भी लिखे थे...
ReplyDelete:)
मगर आप तो बेहतरीन मेन्टेन है,,आप काहे यह सब गाना गाये जा रहे हैं, इसे हमारे हवाले कर दिजिये. :)
सतीश जी मन जवान तो बूढ़ा भी पहलवान. मन को जवान रखें.
ReplyDeleteकहीं से लेकर मीठा दर्द, तड़पने का दिल करता है !
ReplyDeleteसतीश जी एक बात बता दूं ..दर्द कभी मीठा नहीं होता ....उसमें एक कसक होती है ..और वही कसक हमें किसी का बना देती है ..या किसी को हमारा ...सही होता हम किसी के दर्द को समझ पाते..और थोड़ी देर के लिए ही सही ..उसे अपनापन दे पाते...तो हम जवान ही नहीं ..बल्कि अमर हो जाते ..बहुत खूब ..शुक्रिया
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।
ReplyDeleteमैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।
मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।
आप सबका अपराधी
बंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।
ReplyDeleteमैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।
मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।
आप सबका अपराधी
बंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
मैं बंटी चोर जूठन चाटने वाला कुत्ता हूं। यह कुत्ता आप सबसे माफ़ी मंगता है कि मैने आप सबको परेशान किया। जाट पहेली बंद करवा के मुझे बहुत ग्लानि हुई है। मेरी योजना सब पहेलियों को बंद करवा कर अपनी पहेली चाल्लू करना था।
ReplyDeleteमैं कुछ घंटे में ही अपना अगला पोस्ट लिख रहा हू कि मेरे कितने ब्लाग हैं? और कौन कौन से हैं? मैं अपने सब ब्लागों का नाम यू.आर.एल. सहित आप लोगों के सामने बता दूंगा कि मैं किस किस नाम से टिप्पणी करता हूं।
मैं अपने किये के लिये शर्मिंदा हूं और आईंदा के लिये कसम खाता हूं कि चोरी नही करूंगा और इस ब्लाग पर अपनी सब करतूतों का सिलसिलेवार खुद ही पर्दाफ़ास करूंगा। मुझे जो भी सजा आप देंगे वो मंजूर है।
आप सबका अपराधी
बंटी चोर (जूठन चाटने वाला कुत्ता)
ये मौसम में अचानक इतना बदलाव ????? इतनी तल्खी के बाद ये प्यार .....ये किसकी है आहट(चौखट) ये किसका है साया...........नयी शब्दावली, मल्लिखा पुखराज की याद, , अच्छा है आपकी कविता के बहाने बाकी सबने भी प्यार भरी सिसकी ले ली. अभी कुछ दिन के लिए ये डोज़ काफी है. बढ़िया पेम गीत
ReplyDeleteसतीश भाई अब लगे हाथ ये भी बता दीजिए कि वो खुशनशीब चौखट किसकी है |
ReplyDeleteमैं तो पहले ही कह चुका हूँ, लगते तो ३५ के हैं. वैसे भाई जब से ब्लॉगर मीटिंग से लौटे हैं कुछ अधिक ही ....अरे बाप रे कहीं कोई इसे ग़लत ढंग से ना ले ले.
ReplyDeleteयह रचना प्रकाशित करने के बाद मैडम की सेवा में बाज़ार चला गया और अब लौटा हूँ ...
भाई लोगों की प्रतिक्रियाएं इस कदर भयंकर होंगी इसका अंदाजा नहीं था, लगभग यह रचना लगभग २५ वर्ष पुरानी है, शायद कुशमेश जी को छोड़ किसी को याद नहीं रही !
सबके जवाब देता हूँ ...
@ खुशदीप भाई, जवानों की सोहबत में शुरू से ही रहता हूँ ! हँसना पसंद करता हूँ और हंसाने की कोशिश करता हूँ !
@ निर्मला जी ,
आप वाकई जवान हैं और ईश्वर ने चाहा तो अभी अगले २० वर्ष ऐसे ही रहेंगी ! उस दिन आपके चेहरे पर मैंने थकान का नाम भी नहीं देखा ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें
@ ताऊ,
क्यों पिटवाने का काम कर रहे हो यार , यह जवानी और अरमान अब कहाँ ....??? अब तो सिर्फ ताऊ की दवाओं के सहारे ...:-(
@ सुज्ञ जी ,
आप गुरु लोग हर समय गंभीर ही रहते हो ?? और अगर यह सच है तो आने से पहले बताया करो हम अपना मॉल मत्ता छिपा लिया करेंगे !
अजय झा के बहाने , बहारों की वापसी की उम्मीद ? तो क्या हम ये समझें कि चरागों में रौशनी ना रही :)
ReplyDelete
ReplyDelete@ भाई दिनेश राय द्विवेदी,
मज़ा आया गया आपकी टिप्पणी पढ़कर, सहारा देते रहना !
ब्लाग जगत में न तो मस्ती दिखती है और न लोग साथ हँसते हैं !
उम्र बढ़ने के साथ साथ हम लोग अपने आपको नकाब लगा लेते हैं और अगर न लगायें तो अपने ही घर के अमित शर्मा और डॉ अनवर जमाल जैसे लोग जीने नहीं देते !
सीढी चढ़ने की कोशिश करते हम जैसों को जबरन , सर पर पगड़ी बाँध, कुर्सी पर बिठा देते हैं !
कल्लो क्या कर लोगे ??
......और अब तो ब्लॉग जगत को छोड़ जाने का मन कहता है ...
ReplyDeleteये कहाँ से आपने पुराने दर्द को उभार दिया सतीश भाई ....
भूली बिसरी चंद उम्मीदें चंद फ़साने याद आये
वे साथ आये और साथ उनके गुजरे जमाने याद आये .
लगता हैगे कुछ अतृप्त कामनाएं शेष रह गयी हैं ,निपटायिये ,खुद निपट जाने के पहले हा हा ..ईश्वर आपको कम स कम सौ साल की उम्र अता करें ...ताकि पोर पोर यादों की दुखती रग का अहसास होता रहे ..
हाय रे ये तो जैसे मैं खुद अपने लिए कह रहा हूँ ...
*वे याद आये
ReplyDelete@ सुज्ञ जी दुबारा आ गए, ( गुरुजनों से क्या कह सकते हैं .. स्वागत है )
ReplyDeleteअजय कुमार झा , मिथिलेश दुबे , शाहनवाज खान , दीपक बाबा , संजय, अमित शर्मा , गौरव अग्रवाल, केवल राम ,अंतर सोहिल ,संजय भास्कर , नीरज जाट आदि से तरुणों से दोस्ती इसीलिये कर रखी है....यार ! इनके बिना ऐसी पोस्टो का क्या मज़ा ...???
अजय को तरुण कहे जाने पर उन्होंने अपनी चेयरमैनी के सारे पुरस्कार आपको दे दिए !
शुभकामनायें आपको
@ सोमेश सक्सेना,
ReplyDeleteधन्यवाद सोमेश यह बहुत पुराना गीत है !
@ अविनाश वाचस्पति ,
धन्यवाद अविनाश जी , आज तो गंभीर मूड में हो, गोवा में सब ठीक ठाक है ??
@ गगन शर्मा
कुछ नहीं यार ..थोडा उछल कूद कर सो जायेंगे ! :-)
@अमित शर्मा ,
ReplyDeleteजल गए न ...
जब घर के जवान लड़के गंभीर बनेंगे तो हम बुद्धों को कुछ ऐसा करना पड़ेगा की तुम्हे हंसा सकें ....
सफल हो गया मेरा यह गीत अगर तुम हंस पड़े :-)))))
@ भारतीय नागरिक ,
ReplyDeleteयह हुई न बात ...धन्यवाद भैया !
@ महेंद्र मिश्र ,
शुक्रिया भाई जी !
@ संगीता स्वरुप जी ,
अजय में वाकई प्रभाव छोड़ने की क्षमता है ! सादर
@ दीपक बाबा ,
शुक्र है सस्ते में छोड़ दिया , जब चाय पिने आऊँगा तो तुम्हारे लिए रसगुल्ले लेकर आऊँगा !
@ शेखर सुमन ,
घबराता कभी नहीं ! अगर तुम लोग साथ न छोडो तो...
:-)
हाय हाय ये कौन दस्तक दे गया दिल में ...
ReplyDeleteखोलकर देखा दरवाज़ा तो मैंने देखा खुदको खड़ा बाहर ...
ReplyDelete@डॉ अनवर जमाल ,
उत्सुक नहीं हुजुर जवान हैं हम ...आपसे बड़ी उम्मीदें हैं यार ...यह अमित से मत मिल जाना ! वैसे भी वह अकेला ही भारी है हम जैसों के लिए !
यह जो दवाएं बता रहे हो यह सब मंगवा दो मैंने ताऊ रामपुरिया को पिलानी हैं ! अच्छी भली उम्र में सठिया गए हैं ..
मुझे आपका यह सरल रूप बहुत पसंद है , अगर तुम इसे रूप में रहो प्रभू तो इस देश का बड़ा भला होगा दूसरे रूप से बड़ा डरता हूँ !
आभार आपका !
@ क्षितिजा,
ReplyDeleteयही सन्देश देने की कोशिश है इस गीत में !
@ अजित गुप्ता ,
आपका आभार मगर संक्षिप्त सन्देश में आनंद नहीं आया आपसे कुछ और सुनना था
आप जैसे पुरने ब्लॉगर ऐसी भूल कर जाएँगे,ऐसा तो सोचा ही न था... आपकी पोस्ट का शीर्षक ही ग़लत है... इसलिए पहले उसमें सुधार कर लें...
ReplyDeleteआप तो अभी भी हैं,माशाअल्लाह!
ReplyDelete@ जितेन्द्र जौहर,
आज की बहतरीन प्रतिक्रिया दी है आपने ...निस्संदेह मुझे आपने प्रोत्साहित किया है ! आपका आभार !
मैं गीत शिल्प का ज्ञाता बिलकुल नहीं हूँ और न ही तकनीक की कोई समझ है, मगर गीत सिर्फ उन क्षणों में ही लिख पाया हूँ जब अपने आप कलम उठ गयी ! चाहते हुए शायद ही कभी गीत लिखा हो !
हिंदी ब्लॉग जगत में गीत के जानकार, कभी एक दूसरे को प्रोत्साहित नहीं करते ! अगर प्रोत्साहन देते हैं तो सिर्फ अपनी प्रशंसा के बदले में, वाह वाह करते हैं, वह भी चुनिन्दा ब्लाग्स पर जो, उनके अपने मित्रों के हैं !
प्रोत्साहन के अभाव में बेहद अच्छे कवि और नवोदित लेखक दम तोड़ते नज़र आते हैं !!
मैंने कभी अपनी रचना आज तक किसी पत्रिका में नहीं भेजी सो छपने का सवाल ही पैदा नहीं होता !
योगेन्द्र भाई मित्रों में से हैं बस इतना ही !
आपका दुबारा आभार !
@ उड़न तश्तरी ,
ReplyDeleteअजय झा की काफी मांग हो गयी है :-)
पूंछता हूँ आपके साथ जाने को तैयार हैं या नहीं ??
:-))
@ विचार शून्य ,
ReplyDeleteक्या यार ...ढंग की टिप्पणी भी देनी नहीं आती ..
कभी कभी दोस्तों के लिए दिल खोल दिया करो . बड़े कंजूस हो यार !
@ डॉ अरविन्द मिश्र,
ReplyDeleteन जाना की दुनिया से जाता है कोई
बड़ी देर की, मेहरबाँ आते आते !!
ReplyDelete@ डॉ अनवर जमाल ,
इस दोस्त के दो शब्द याद रखियेगा
क्या छबि बरनो आज की , भले बने हो नाथ !
तुलसी मस्तक तब नबे धनुष बाण लेओ हाथ !
बेहतरीन प्रस्तुति ... झा जी के बहाने पुराने दिन याद आये ...आपके बारे में भी कविता ने बहुत कुछ परिचय दे दिया.
ReplyDeleteतरूण अजय के बहाने कसकते दिल के गहरे घाव दिखाने का दिल करता है!
ReplyDeleteगज़ब!!
अरे नहिं सतीश जी, काहे के गुरू और काहे के गम्भीर!!:)
ReplyDeleteक्या मिल गया हमें मनतरंग मार के?
आप तो बीस साल के भूले बिसरे तराने आज भी बडे दिल से गा लेते है।
आपकी जिंदादिली से जलभुन बैठे है।:))
आपके समर्थन में दो ठो शेर:
ReplyDelete1. जवानी ढल चुकी खलिश-ए-मोहब्बत आज भी लेकिन/ वहीं महसूस होती है जहां महसूस होती थी।
2. कौन कहता है बुढ़ापे में इश्क का सिलसिला नहीं होता/ आम तब तक मजा नहीं देता जब तक पिलपिला नहीं होता।
वैसे जवानी का उम्र से कोई संबंध नहीं होता भी नहीं। जैसा कि परसाई जी ने लिखा है:
यौवन नवीन भाव, नवीन विचार ग्रहण करने की तत्परता का नाम है; यौवन साहस, उत्साह, निर्भयता और खतरे-भरी जिन्दगी का नाम हैं,; यौवन लीक से बच निकलने की इच्छा का नाम है। और सबसे ऊपर, बेहिचक बेवकूफ़ी करने का नाम यौवन है।
http://hindini.com/fursatiya/archives/235
इस लिहाज से आप चिरयुवा बने रह सकते हैं।
ReplyDelete@ पाबला जी,
स्वागत है आपका , आपके स्वास्थ्य के लिए चिंतित था ...आज आपको देख कर प्रसन्नता हुई ! हार्दिक शुभकामनायें !
@ अनूप शुक्ल जी,
तबियत प्रसन्न कर दी गुरुवर आपने दर्शन देकर ! आप तो गीत के कद्रदानों में से एक हैं सो आपको यहाँ पा यह कविता प्रसन्न हो गयी !
आभार
@ अली भाई ,
ReplyDeleteचिरागों में रौशनी है जवानों के सहारे जरा दिलजलों से बचे रहते हैं ..
:-)
अरे, क्या हुआ सतीश जी??
ReplyDeleteमैं तो सुज्ञ जी से पूरी तरह सहमत हू...सतीश जी एक बार गौर फरमाइयेगा.
ReplyDeleteआज की सबसे टिप्पणीदार पोस्ट। बालेन्दु जी कहां है, कृपया देखें कि हिन्दी ब्लॉगिंग में फिर से जवानी आ गई है, ब्लॉगरों के मन पर छा गई है।
ReplyDeleteइसी पोस्ट के बहाने छिपी हुई कलियां नीचे की पोस्ट के लिंक से निकल बाहर आ गई हैं, बहार बरसा गई हैं,
यह बारिश का पानी
यह जवानों की मस्ती
ब्लॉगिंग से अब भैया
उतरने लगी है सुस्ती
आज सतीश सक्सेना जी रात भर जागेंगे, जाग कर रात रात भर इसकी टिप्पणियां बांचेंगे।
और मैं बिल्कुल सीरीयस नहीं हूं, बल्कि यूं कहूं कि हो ही नहीं सकता। छिपी कलियां जवानों के लिए तलाश रहा हूं,
छिपकलियां छिनाल नहीं होतीं, छिपती नहीं हैं, छिड़ती नहीं हैं छिपकलियां
आप भी एक का चयन कर लें
चाहें तो अपनी आंखों में भर लें
जब नींद नहीं आंखों में आएगी
तो जवानी वापिस मन में समाएगी
ReplyDeleteबहार लूट लें, फूलों का कत्ले-आम करें
हम जैसे चाहें गुलिस्ताँ का इन्तेज़ाम करें
ख़िज़ा के दौर में कह के चल देगा वो माली
ग़ुल खुद अपनी हिफ़ाज़त का इन्तेज़ाम करें
भरा है मैकदा जब कमज़र्फ़ पीने वालों से
क्यों कोई रफ़ीक़ बनायें खु़द ही इमाम करें
हज़ार दर्द दफ़न कर ज़ुर्रते तबस्सुम देखूँ
ग़मों का जश्न मनाऊँ खुशी का नाम करूँ
अयहॅय भाई सतीश सेक्सीणा साहेब,
मारी कटारी मर जावाँ, किसकी नज़रों की धार पे स्यापा पढ़ रैये हो, मिय्याँ ?
आख़िर होती कहाँ है ज़वानी ? तो मियाँ ये चीज ज़िस्म में नहीं ज़ोश में बरामद हुआ करती है ।
अपने जुनून को ज़िन्दा रखो.. लॉटरी ज़रूर खुलेगी, तुम्हारा सेफ-पीरियड शुरू होता है, अब !
ऒऎ मॉडरेशन नहीं है ?
डर नहीं लगा कि कोई छेड़ देगा, याकि..
आज खुद को छिड़वाने का मूड भी बना लिया ?
क्या बात है बड़े भाईः
ReplyDeleteयूँ दिल के तड़पने का कुछ तो है सबब आख़िर
या दर्द ने करवट ली, या तुमने इधर देखा!!
.
ReplyDelete.
.
"यौवन नवीन भाव, नवीन विचार ग्रहण करने की तत्परता का नाम है; यौवन साहस, उत्साह, निर्भयता और खतरे-भरी जिन्दगी का नाम हैं,; यौवन लीक से बच निकलने की इच्छा का नाम है। और सबसे ऊपर, बेहिचक बेवकूफ़ी करने का नाम यौवन है। "
काहे को चिंतियाते हैं ?
हूक काहे उठती है आपके दिल में ?
आप युवा थे, हैं और चिरयुवा ही रहेंगे... और मैं भी आपका ही अनुसरण करूंगा इस मामले में ... :)
...
@ हे यौवनेच्छु ह्रदय सम्राट ! मैं गाने के नियमित रियाज़ के लिए बेदार हुआ था । फ़ारिग़ होकर Window से झाँका तो आपके शुभ वचनों पर नज़र पड़ी !
ReplyDeleteआपने बाजार जाने से पहले शीर्षक लिखा है कि 'आप जवान थे' और वापस आकर कह रहे हैं कि आप जवान हैं ।
क्या बाज़ार से एलोवेरा लेकर - पीकर लौटे हैं आप ? जो इतनी जल्दी जवानी लौट आई ?
रंग रूप माहौल के मुताबिक बदलता रहता है ।
एक लू का बगूला अभी अभी उठा है , माहौल में तपिश हो तो चेहरों का सुर्ख होना नेचुरल है ।
तुलसीदास जी की पंक्तियाँ आपने बराय नसीहत उद्धृत की हैं । आप जानते ही होंगे कि उन्होंने ये पंक्तियाँ किस देव प्रतिमा के सामने खड़े होकर कही थीं ?
श्री कृष्ण जी के मंदिर में श्री कृष्ण जी से कही थीं ।
उन्होंने कृष्ण जी के चक्रधारी रूप के सामने सिर झुकाने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि मैं अपना सिर आपको तब झुकाऊंगा जब आप धनुष बाण हाथ में लेकर रामरूप में जाहिर होंगे ।
लोग कहते हैं कि ऐसा ही हुआ । श्री कृष्ण जी को तुलसी जी की जिद के आगे झुकना पड़ा ।
बड़ा झुका छोटे की बालबुद्धि के आगे ।
तुलसीदास जी की इन्हीं पंक्तियों को अब मैं आपको विचारार्थ भेंट करता हूँ ।
@ well wisher ji ! आपको मेरी टिप्पणी अच्छी लगी और आपने उसे अपने ब्लाग पर save कर ली है , यह जानकर अच्छा लगा ।
आपका शुक्रिया !
गज़ब का गीत, थोडा खस्ता होता तो कैसा होता?
ReplyDeleteचौरासी कटने का ही इंतजार कर रहे थे जी हम।
ReplyDeleteआप जवान हैं तो हम तो खुद बखुद जवान रहेंगे। वैसे कहते हैं कि ’a woman is as old as she looks and a man is as old as he feels.
तो लुक्स के हिसाब से सर्टिफ़िकेट नहीं दे सकते, दिल के हिसाब से आप जवान हैं।
बधाई हो।
इस गीत को पहली बार पढ़ा तभी गाने का मन बना लिया था...फ़िर टिप्पणियों के साथ-साथ सबके भाव जुडते चले गए...अब रिकार्ड करना है...खुद सूनूंगी.....२५ साल पहले की तो बात ही कुछ और है ...अब भी ताजा ...हा हा हा
ReplyDeleteखुशदीप जी सही कह रहे हैं...युवाओं की सोहबत में रहिये...:-)
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ReplyDelete@ अविनाश वाचस्पति ,
आभार आपका ,बालेन्दु जी को धन्यवाद कहियेगा !
@ डॉ अमर कुमार ,
आधी टिप्पणी मस्ती भरी और आधी, गरीबों की बात बिना समझे..
"वही पुराना तेरा बहाना ..देर से आना और यह कहना वादा तो निभाया ..."
@ संवेदना के स्वर,
आनंद आ गया इस शेर से चैतन्य भाई ,
बात कुछ भी नहीं ! भाई लोगों की गंभीरता और कडवाहट कम करने की कोशिश है
@ प्रवीण शाह ,
मस्ती को फालो करने के लिए आभार आपका :-)
@ डॉ अनवर जमाल,
आपकी छवि को समझने की कोशिश फिर करूंगा प्रभू ...मगर आप जटिल हैं ...मुझ जैसे के लिए आसान नहीं :-))
@ मो सम कौन ..
धन्यवाद संजय , शर्त है अपनी मंडली में मानते रहोगे ! :-)
@ वंदना अवस्थी ,
ReplyDeleteकुछ नहीं ...आपको हंसाने का मन किया :-))
@ अर्चना जी ,
निस्संदेह आपकी आवाज मिलने से यह गीत जीवंत हो उठेगा ! कृपया मुझे बताएं कि आपके बनाये पोडकास्ट को अपलोड कैसे करना है? ताकि वह मेरे ब्लाग पर भी सुरक्षित रहे !
@ वेलविशर,
धन्यवाद आपका ...
झुकाकर नयन करें संकेत
ReplyDeleteकिसी के मौन ह्रदय की थाह
किसी को दे डालो विश्वास
कहीं पूरे कर लो अरमान
किसी की चौखट पर अरमान लुटाने का दिल करता है !
.....
umra ki kya baat , mann to is umra ko jeeta rahta hai
वाह सतीश जी, आज तो दिल पता नही क्या क्या कह रहा है और कैसे तो कर रहा है । बडा रोमान्टिक मूड है । सेहत के लिये बहुत अच्छा है ।
ReplyDeleteअच्छी रचना ....मेरे ब्लॉग तक आने व हौसला आफजाई के लिए धन्यवाद
ReplyDeletebahut sunder geet.prem ke liye koi umar nahi hoti.keval riste baasi hote hai par prem nirantar tarotaaja rahata hai.aur apne pria ke kadmome har pal samrpit hona chahata hai.........yehi to bhav hai aapke is geet me kya phark padta hai kab likha gaya hai........mere blog par ane ka bahut bahut aabhaar..........
ReplyDeleteगीत गंगा में नहाने
ReplyDeleteप्रीत के नगमे सुनाने
और उलझी लट बनाने
या किसी माथे पे उलझे प्रश्न तुझको ताकते हो
तो प्रिये तुम नाम मेरा फिर से लिखना फिर मिटाना
गुनगुनाना-मुस्कुराना, मुस्कुराना-गुनगुनाना..........
गुनगुनाना-मुस्कुराना, मुस्कुराना-गुनगुनाना..........
गुनगुनाना-मुस्कुराना, मुस्कुराना-गुनगुनाना..........
@ योगेन्द्र मौदगिल,
ReplyDeleteआनंद आ गया कविवर , आपकी इन पंक्तियों ने अनकही भी कह दी ! आभार!
गीत बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteअजय जी से अभी नावाकिफ हूँ लेकिन इस गीत को पढकर
उनसे मिलने को मन कर रहा है।
अभी जाता हूँ उनके ब्लाग पर भी
नमस्कार जी! बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeletebaron ki baate hain........balak ke
ReplyDeletesamajh me nahi aaya.........isiliye
loktantrik tarike se kahta hoon....
bhaijee aap jawan hain nahi aap hamesha jawan rahenge..........aisa
aapki uddgar aur oos par aye tippni
bata rahe hain.......
aapko chunti katne ko man karta hai...
pranammmmmmm
अजय भाई के बहाने आपकी अभिव्यक्ति मुखरित हुई, अच्छा लगा पढ़कर, धन्यवाद.
ReplyDeleteआप एक बार प्लेयर लगा चुके है शायद...."दर्द दिया है तुमने मुझको,दवा न तुमसे मांगूंगा" का ...फ़िर भी बता दूँगी....
ReplyDeleteसर,
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत अच्छी लगीं मैं आपके जज्बातों की कदर करती हूँ इन्सान को अपने विचारों को सकारात्मक बना कर रखना चाहिए |
सतीश जी, अभी परिचय हुआ नहीं आपसे, लेकिन बेतकल्लुफ़ हो ही जाता हूँ|
ReplyDeleteये विवादास्पद पोस्ट लिखी है आपने| :)