Friday, May 11, 2012

कालिदास , रचते हैं गीत - सतीश सक्सेना

ब्लॉग जगत में, कई बार हम लोग, रचनाओं में निज दर्द उड़ेल देते हैं , जो बात अक्सर बोल नहीं पाते वह उनकी कलम , लिख देती है ! ऐसी रचनाओं पर टिप्पणी  देते समय समझ नहीं आता कि क्या सलाह दी जाए  , पति पत्नी के मध्य का दर्द पब्लिक में कहने का क्या फायदा ? बेहतर है कि दोनों बैठकर विचार करें और सोंचे कि कैसे इस बबूल वृक्ष को, घर से उखाड़ना है ! गृह युद्ध के असर से परिवार को  अवश्य बचाए रखें  !
इसी विषय पर यह रचना है .....

क्या खोया क्या पाया हमने ,
क्या छीना , इन  नन्हों   से !
क्यों न आज हम खुद से पूछें 
क्या पाया,  इन  राहों   से  ! 
बचपन की मुरझाई आँखें, 
खूब रुलाये , हमने मीत !
देख सको तो आँखें देखें ,  अपने शिशु की, मेरे गीत !

अहम् हमारे ने, हमको तो 
शक्ति दिलाई , जीने  में  !
मगर एक मासूम उम्र के,
छिने खिलौने, जीवन में ! 
इससे बड़ा पाप क्या होगा,
बच्चों से छीनी थी प्रीत !
असुरक्षा बच्चों को देकर , खूब झगड़ते, मेरे गीत !
  
हम तो कभी  नहीं हँस  पाए ,
विधि ने ही कुछ पाठ पढ़ाए  !
बच्चों का  न ,  साथ दे पाए ,   
इक  दूजे  को, सबक सिखाएं !
पाठ  पढ़ाया किसने, किसको ?
वाह वाह करते हैं गीत  !
अपने हाथों शाख काट के, कालिदास , रचते हैं गीत  !

अभी समय है, चलो खिलाएं ,
हम अपनी  मुस्कानों  को, 
तुम आँचल की छाया दे दो
मैं  कुछ  लाऊँ  भोजन को !
नित्य रोज घर उजड़े देखें ,
तड़प तड़प रह जाएँ गीत !
इतना दर्द सुनाऊं किसको , कौन समझता  मेरे गीत !

एक बार देखो शीशे में ,
खुद से ही कुछ बात करो
जीवन भर का लेखा जोखा
जोड़ के  , सारी  बात करो !
खाना पीना और सो जाना,
जीवन यही न  होता  मीत !
मरते दम तक साथ निभाएं ,कहाँ से लायें ऐसे  गीत  !

किसी कवि  की रचना देखूं !
दर्द उभरता , दिखता  है  !
प्यार, नेह  दुर्लभ से लगते ,
क्लेश हर जगह मिलता है !
क्या शिक्षा विद्वानों को दूं ,
टिप्पणियों  में, रोते गीत !
निज रचनाएँ ,दर्पण मन का, दर्द समझते मेरे गीत !

अपना दर्द किसे दिखलाते ?
सब हंसकर आनंद उठाते  !
दर्द, वहीं जाकर के बोलो ,
भूले जिनको, कसम उठाके !
स्वाभिमान का नाम न देना,
बस अभिमान सिखाती रीत ,
अपना  दर्द, उजागर करते ,  मूरख  बनते  मेरे   गीत  !

आत्ममुग्धता मानव   की  
कुछ काम न आये जीवन में !    
गर्वित मन को समझा पाना ,  
बड़ा कठिन,  इस  जीवन में !
जीवन को कड़वी बातों को,
कहाँ  भूल पाते हैं गीत  !
हार और अपमान याद कर, क्रोध  में आयें मेरे गीत !

सारे जीवन की यादें ही 
अक्सर साथ निभाती हैं  !
न जाने कब डोर कटे,
कमजोर सी पड़ती जाती है !
एक दिवस तो जाना ही है,
बहुत लिख लिए हमने गीत !
जिसको मधुर लगे वे गाएँ ,चहक चहक कर मेरे गीत

तेरी ऐसी याद कि  मेरी हर,
चिट्ठी बन गयी , कहानी  !
जिसे कलम ने, तुझे याद कर
लिखा ,वही बन गयी रुबाई !
लगता जैसे महा काव्य का,
रूप ले रहे मेरे गीत !
धीरे धीरे तेरे दिल में, जगह बनाएं मेरे गीत  !

कौन हवन को पूरा करने
कमल, अष्टदल लाएगा  ?
अक्षत पुष्प हाथ में लेकर
कौन साथ  में   गायेगा  ?
यज्ञ अग्नि में समिधा देने,
कहीं से आयें मेरे मीत !
पद्मनाभ  की स्तुति करते  , आहुति देते मेरे गीत  !

( अभी कुछ देर पहले अरुण चन्द्र राय ने सूचना दी कि  "मेरे गीत " का प्रकाशन हो गया है , पुस्तक छप  चुकी है ) निस्संदेह मेरे लिए यह एक अच्छी  खबर है ! आप सब पाठक और ब्लोगर साथियों ने जो हौसला दिया उसी कारण , मेरी रचनाएं छपने लायक बन पायीं है ! 
आप सभी का आभार !     

51 comments:

  1. समझ नहीं आता कि क्या सलाह (टिप्पणी) दी जाए :)

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  2. मेरे गीत के प्रकाशन पर आपको बहुत बहुत बधाई।

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  3. आपका हर गीत सार्थक संदेश देता है ...सुंदर ...

    पुस्तक प्रकाशन की बधाई ...

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  4. मानव मन गर्वित हो यदि
    तो इसे झुकाना मुश्किल है
    समय किया बर्वाद हमीं ने ...very nice ....badhai....

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  5. घर्षण है पर आग नहीं लगने देना है,
    मझधारों में जीवन की नैया खेना है।

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  6. शुभकामनाएँ

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  7. मानव मन गर्वित हो यदि
    तो इसे झुकाना मुश्किल है
    समय किया बर्वाद हमीं ने
    बापस आना मुश्किल है !
    मान और अपमान याद कर, क्रोध में आयें मेरे गीत !
    यह जीवन है,हम दोनों का,क्यों न बचाएं अपनी भीत !


    सुन्दर गीतों की माला और उसकी छपाई के लिए
    बहुत बहुत बधाई

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  8. बहुत बहुत बधाई पुस्तक प्रकाशन की,
    सहज सरल दिल से निकले आपके गीत निश्चित ही
    पुस्तक के रूप में अच्छा संकलन है ! हार्दिक शुभकामनायें !

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  9. पुस्तक प्रकाशन पर बहुत बधाई,कब है लोकार्पण ?

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  10. शुभकामनाएं सतीश जी ||

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  11. पुस्तक प्रकाशन पर शुभकामनाएं...

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  12. 'मेरे गीत' अब सबके गीत बन गए,प्रकाशन पर बधाई !

    कवर पर गज़ब का पोज़ दिए हैं !

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  13. 'मेरे गीत' प्रकाशन के लिए हार्दिक शुभकामनायें

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  14. बहुत बहुत बधाई 'मेरे गीत ' के प्रकाशन के लिये ....
    -------------------------------------
    मन के जीते जीत है मन के हारे हार ..

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  15. सतीश जी, आज के सुखद समाचार से मन प्रसन्न हो गया। आपके काव्य संकलन "मेरे गीत" के प्रकाशन पर आपको बहुत बहुत बधाई।
    (आपने मेरे गाँव को भी गौरवांवित किया है)

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  16. हम तो कभी हँस नहीं पाए ,
    विधि ने ही कुछ पाठ पढाये !
    मृदुल शिशु हंसी,हमने छीनी
    इक दूजे को,सबक सिखाएं !
    पाठ पढ़ाया किसको हमने , वाह वाह करते हैं गीत !
    अपने हाथों शाख काट के, कालिदास , रचते हैं गीत !

    वाह !!!!! बड़े ही सम्वेदनशील विषय पर बड़ी ही सार्थक रचना, बधाई.

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  17. hardik subh:kamnayen bhaijee........

    aur abhar raiji ka....


    pranam.

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  18. संग्रह के लिए बहुत बहुत बधाई ....

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  19. समर्पित भाव से लिखी पुस्तक मेरे गीत के प्रकाशन के लिए बहुत२ बधाई शुभकामनाए ,....

    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  20. भाई जी , "मेरे गीत" के प्रकाशन के मौके पर आप को बहुत-बहुत मुबारक हो !
    आप इस जगह के हकदार हैं .....
    शुभकामनाएँ!

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  21. बहुत बहुत बधाई सतीश जी .
    अब तो बेसब्री से इंतजार रहेगा पुस्तक का .

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  22. दादा बहुत बहुत बधाई,

    मेरे गीत
    बने
    सबका संगीत

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  23. आपकी पहचान, आपके गीत, आपके पाठक!
    शुभकामनाएँ!

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  24. पुस्तक प्रकाशन की बधाई ...

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  25. पुस्तक प्रकाशनके लिए बहुत बधाई,...सतीश जी..

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  26. सुन्दर सार्थक संदेश देता गीत ...
    पुस्तक प्रकाशन की बहुत-बहुत बधाई ...

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  27. पहला पैरा सोचने को मजबूर करता है, मैं तो कई जगह कमेंट्स में भी अपनी ये दुविधा बता चुका हूँ, लेखक या लेखिका की दर्द भरी रचना को सिर्फ पढ़कर वाह, बहुत सुन्दर कह बैठते हम कहीं भूलवश या असावधानीवश उसके दुःख को एंजाय तो नहीं करते दीखते? बहरहाल 'मेरे गीत' सबके गीत बनकर हर दिल को गुलज़ार करें, शुभकामनाएं स्वीकारें सतीश भाईजी|

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  28. jo pahle kaha vahi khna chahti hu.....badhai ke saath ...

    कितने सहज, कितने सरल, कितने मीठे तेरे गीत
    राह सुझाते, राह दिखाते, दिल बहलाते तेरे गीत....

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  29. सतीश जी बहुत बहुत बधाईयाँ मेरे गीत के प्रकाशन पर. कल अरुण जी की पोस्ट से पता चला था इस प्रकाशन के बारे में. सुनकर बहुत अच्छा लगा. प्रस्तुत गीत बहुत सुंदर सन्देश लिये हुए है. बधाई.

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  30. किताब के प्रकाशन पर लख लख बधाईयां...​
    ​​
    ​लेकिन सिर्फ सूचना देना ही काफ़ी नहीं है, महाजश्न की तैयारियां शुरू की जाएं...​
    ​​
    ​हमें भी गाने का मौका मिले...​

    ​आज भंगडा़ पौन दा जी करदा है...बकरे बणौन दा जी करदा...​​​
    ​​
    ​जय हिंद...

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  31. पुस्तक के प्रकाशन पर आपको बहुत बधाई.

    नित्य रोज घर उजड़े देखें , तड़प तड़प रह जाएँ गीत !
    इतना दर्द सुनाऊं किसको , कौन समझता मेरे गीत !

    अनुभव में डूबी और शिद्दत से कही गई निजी अनुभूतियाँ आपके गीतों को नयापन देती हैं.

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  32. पुस्तक छपने पर बधाई।

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  33. पुस्तक प्रकाशन पर बहुत-बहुत बधाई .....

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  34. सामाजिक सरोकारों से संवाद करतें हैं ये गीत ,मेरे गीत बधाई

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  35. सुंदर रचा सुंदर कहा
    सुंदर इक संदेश दिया
    हँसता गाता जीवन हो
    बहती कलकल नदियाँ हों
    काँटों पर चलकर फूल चुने,बनाएँ जीवन की यह रीत
    अपना मन भी शीतल होगा,थिरक उठेंगे गीत ही गीत|

    पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई!!!

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  36. अपना दर्द किसे दिखलाते ?
    सब हंसकर आनंद उठाते !
    दर्द, वहीँ जाकर के बोलो ,
    भूले जिनको,कसम उठाके !
    स्वाभिमान का नाम न देना,बस अभिमान सिखाती रीत ,
    अपना दर्द, उजागर करते , मूरख बनते मेरे गीत !

    प्रिय सतीश जी सुन्दर सन्देश देती रचना ..लेकिन कहते हैं की कभी कभी बोल देने से मन का बोझ हल्का हो जाता है ये चिट्ठे सारे गुबार निकाल डालते हैं -भ्रमर ५

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  37. सुन्दर गम्भीर रचना...बहुत बहुत बधाई...

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  38. पुस्कत प्रकाशन पर बहुत -बहुत बधाई !
    कल्याणकारी संदेश देती कविता .

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  39. दर्द या ख़ुशी जानबूझकर कविताओं में व्यक्त नहीं की जाती , स्वतः स्फूर्त ही होते हैं तभी कविता स्वाभाविक भी !
    संग्रह छपने की बहुत शुभकामनायें !

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  40. आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की गई है

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  41. प्रभावशाली सुन्दर रचना। आभार!

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  42. शिमला में पहली बार "मेरे गीत" जनता के सामने है. कल हिंदी समकालीन कविता के स्तम्भ "मंगलेश डबराल" मेरे स्टाल पर आये थे और उनको यह प्रति भेंट की. एक गीत उन्होंने मेरे सामने ही पढ़े और प्रभावित हुए. गीतों पर उनकी विस्तृत टिप्पणी की प्रतीक्षा में हूं... विमोचन जून के प्रथम सप्ताह में रखने की सम्भावना है. सतीश जी आपको ढेरो शुभकामनाएं.

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  43. आपके गीत सार्थक अभिव्यक्ती हैं, आपकी उज्जवल भावनाओं की ...!
    संग्रह छापने की बधाई एवं शुभकामनायें सतीश जी ...!!

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  44. पृथ्वी की गहराइयों से हैं हर रिश्ते ....इसका मान सम्मान बनाये रखना हैं सबको


    बहुत गहरी बाते लिखते हैं आप भाई जी ....आपके संग्रह के लिए दिल से मुबारकबाद और शुभकामनाएँ

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  45. gahari soch ke sath prabhavshali prastuti ....abhar ke sath hi badhai

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  46. किताब छपने की बधाई! लोकार्पण के लिये मंगलकामनायें।

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  47. Putak prakashit hone kee badhayi... Kavita ke maadhyam se ek prabhaavi baat kah di aapne... par mere khyaal se aise dard bhi likhe jane chahiye jisse dure kuchh sikh le sakein...

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  48. पुस्तक प्रकाशन की बधाई ...

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  49. सतीश जी मेरे गीत के प्रकाशन पर बहुत बहुत बधाईयाँ

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  50. मेरे गीत के छपने पर आपको बहुत बधाई । वाकई बहुत सुंदर और दिल को छू लेने वाले गीत लिखे हैं आपने ।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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