Monday, March 30, 2015
11 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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न पूछ हूँ, आज मैं उदास क्यों
ReplyDeleteकुछ दोस्त ,दिल भी तोड़ जाते हैं .....
शुभकामनाये ....
स्वप्न दुनियां से बचाये रहना
ReplyDeleteलोग चुपचाप तोड़ जाते हैं ..
बहुत ही नाजुक ख्याल और कितना सच ... लोग आज की दुनिया में ऐसे ही हैं ...
मरघट पै यूँ ही छोड़ जायें
ReplyDeleteअच्छा नहीं है क्या
मरने से पहले निचोड़ ना पायें
अच्छा नहीं है क्या ?
hriday vidarak rachna !!
ReplyDeleteये दुनिया है -और उसी के अनुभव है जिनसे किसी को छुटकारा नहीं .लेकिन यहीं कुछ ऐसा भी है जो इसे रहने और सहने योग्य बना देता है.
ReplyDeleteस्वप्न दुनियां से बचाये रहना
ReplyDeleteलोग चुपचाप तोड़ जाते हैं !
बिलकुल सही कहा, सभी सुन्दर सार्थक शेर !
कभी ऐसे भी मोड़ आते हैं !
ReplyDeleteलोग मरघट पे छोड़ जाते हैं !
वाह ! यही जीवन की सच्चाई है !
मरघट पर तो हर एक को जाना है...स्वप्न हैं तो टूटेंगे ही..इस सच को आखिर कब तक झुठलाना है..
ReplyDeleteकभी ऐसे भी मोड़ आते हैं !
ReplyDeleteलोग मरघट पे छोड़ जाते हैं ---गजब पर सत्य है। मरघट पे छोड़ जायें क्या फर्क पड़ता है ,यहाँ तो जिंदगी में लोग छोड़ जाते हैं। वो मरघट फिर डरावना हो जाता है।
This is the pain, we all have to bear. World is practical - busy in its own ways. Understanding life is very complex.
ReplyDeleteवाह...कितना सच!!
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर !