यवतमाळ में पैदल जाकर जानें दर्द किसानों का !
जुड़ा हमारा जीवन गहरा ,भोजन के रखवालों से !
किसी हाल में साथ न छोड़ें,देंगे साथ किसानों का
इन्द्र देव की पूजा करके, भूख मिटायें मानव की
राजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का !
यदि आभारी नहीं रहेंगे मेहनत और श्रमजीवी के
मूल्य समझ पाएंगे कैसे इन बिखरे अरमानों का !
चलो किसानों के संग बैठे, जग चेतना जगायेंगे
सारा देश समझना चाहे कष्ट कीमती जानों का !
(यवतमाळ पदयात्रा १५-१९ अप्रैल २०१५ के अवसर पर )
(यवतमाळ पदयात्रा १५-१९ अप्रैल २०१५ के अवसर पर )
वहाँ किसे कुछ दिखना है
ReplyDeleteजहाँ अंधेरा ही बिकना है :)
वाह, क्या बात है
ReplyDeleteकिसानों के लिए सोचने वालेा अब विरले ही बचे हैं। बतौर कवि आपका बेहतरीन प्रयास..... विवेक जी को नमन।
ReplyDeleteइन्द्र देव की पूजा करके, भूख मिटायें मानव की
ReplyDeleteराजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का ...
कठोर सत्य कहा है ... राजनीति की रोटियाँ सकने वाले इस दर्द को नहीं समझेंगे ... बस भुनाएंगे अपने फायदे के लिए ...
अपने कठोर परिश्रम से धरती पर भूख का काव्य लिखने वाले उन
ReplyDeleteकवियों (किसान) के दुःख दर्द को क्या हम शहरी लोग समझ पाएंगे संदेह है !
फिर भी एक बेहतरीन प्रयास के लिए आभार, आपका अभियान सफल हो :)
यही शुभकामनाएं !
इन्द्र देव की पूजा करके, भूख मिटायें मानव की
ReplyDeleteराजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का !
koi nahi jaan paata kisan ka dard....!
सटीक रचना
ReplyDeleteराजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का ...
ReplyDeleteकठोर सत्य कहा है सटीक रचना