नमन करूं ,
गुरु घंटालों के !
पाँव छुऊँ ,
भूतनियों के !
राजनीति के '
मक्कारों ने,
डट कर खेली
होली है !
आओ छींटें मारे रंग के , बुरा न मानो होली है !
गुरु है, गुड से
चेला शक्कर
गुरु के गुरु
पटाये जाकर !
गुरुभाई से
राज पूंछकर ,
गुरु की गैया,
दुह ली है !
जहाँ मिला मौका देवर ने जम के खेली होली है !
घूंघट हटा के
पैग बनाती !
हिंदी खुश हो
नाम कमाती !
पंत मैथिली
सम्मुख इसके,
अक्सर भरते
पानी है !
व्हिस्की और कबाब ने कैसे,हंसके खेली होली है !
जितना चाहे
कूड़ा लिख दो !
कुछ ना आये ,
कविता लिख दो
एक पंक्ति में,
दो शब्दों की,
माला लगती
सोणी है !
कवि बैठे हैं माथा पकडे , कविता कैसी होली है !
कापी कर ले ,
जुगत भिडाले !
लेखक बनकर
नाम कमा ले !
हिंदी में
हाइकू
लिख मारा,
शिकी की
गागर फोड़ी है !
गीत छंद की बात भी अब तो,बड़ी पुरानी होली है !
अधर्म करके
धर्म सिखाते
धन पाने के
कर्म सिखाते
नज़र बचाके,
कैसे उसने,
दूध में गोली,
घोली है !
खद्दर पहन के नेताओं ने, देश में खेली होली है !
ब्लू लेवल,
की बोतल आयी !
नई कार ,
बीबी को भायी !
बाबू जी का
टूटा चश्मा,
माँ की चप्पल
आनी है !
समय ने, बूढ़े आंसू देखे , कैसी गीली होली है !
गुरु घंटालों के !
पाँव छुऊँ ,
भूतनियों के !
राजनीति के '
मक्कारों ने,
डट कर खेली
होली है !
आओ छींटें मारे रंग के , बुरा न मानो होली है !
गुरु है, गुड से
चेला शक्कर
गुरु के गुरु
पटाये जाकर !
गुरुभाई से
राज पूंछकर ,
गुरु की गैया,
दुह ली है !
जहाँ मिला मौका देवर ने जम के खेली होली है !
घूंघट हटा के
पैग बनाती !
हिंदी खुश हो
नाम कमाती !
पंत मैथिली
सम्मुख इसके,
अक्सर भरते
पानी है !
व्हिस्की और कबाब ने कैसे,हंसके खेली होली है !
जितना चाहे
कूड़ा लिख दो !
कुछ ना आये ,
कविता लिख दो
एक पंक्ति में,
दो शब्दों की,
माला लगती
सोणी है !
कवि बैठे हैं माथा पकडे , कविता कैसी होली है !
कापी कर ले ,
जुगत भिडाले !
लेखक बनकर
नाम कमा ले !
हिंदी में
हाइकू
लिख मारा,
शिकी की
गागर फोड़ी है !
गीत छंद की बात भी अब तो,बड़ी पुरानी होली है !
अधर्म करके
धर्म सिखाते
धन पाने के
कर्म सिखाते
नज़र बचाके,
कैसे उसने,
दूध में गोली,
घोली है !
खद्दर पहन के नेताओं ने, देश में खेली होली है !
ब्लू लेवल,
की बोतल आयी !
नई कार ,
बीबी को भायी !
बाबू जी का
टूटा चश्मा,
माँ की चप्पल
आनी है !
समय ने, बूढ़े आंसू देखे , कैसी गीली होली है !
बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह … बहुत उम्दा होली के रंग
ReplyDeleteब्लू लेबल की बोतल / नई कार/ बीबी / बाबू जी / टूटा चश्मा / माँ / चप्पल
ReplyDeleteक्या बात है
इसमें अपनी
छैल छबीली
ढूँढ ली मैने भी
अपनी होली :)
बहुत खूब ! होली के रंग अनेक.
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक सृजन
ReplyDeleteExcellent creation !!
ReplyDeleteexcellent
ReplyDeleteहा हा हा ! सही होली के रंग निखर कर आये हैं ! बढिया ...
ReplyDeleteजो कर जाओ कम है--होली की तरंग है--मस्ती की प्यारी रचना
ReplyDeleteहोली का रंग हास्य और व्यंग के संग... होली है... बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपने तो होली का अभी से मस्त माहोल जमा दिया है इस गीत में लेकिन, हमारे ब्लॉग जगत के
ReplyDeleteगुरु ( ताऊ जी ) की उपस्थिति के बिना होली का मजा कितना अधूरा है न, लेकिन वो आजकल
है कहाँ :) ??
ताऊ अर्थ पूजा में व्यस्त होंगे !! :)
Deleteअर्थ से ही आता है जीवन में अर्थ
Deleteअर्थपूजा के बिना प्रार्थनायें सब व्यर्थ
प्रार्थनायें सब व्यर्थ डालो दक्षिणा पेटी में
भोगेंगे स्वर्ग सुख ऊपर, पायेंगे मोक्ष ! :)
ReplyDeleteब्लू लेवल,
की बोतल आयी !
नई कार ,
बीबी को भायी !
बाबू जी का टूटा चश्मा,माँ की चप्पल आनी है !
समय ने, बूढ़े आंसू देखे , छैल छबीली होली है !
--वाह!
kamal ka hasy vyang ........... badhai
ReplyDeleteसटीक ... धार दार ... होली के हास्य में व्यंग की तेज़ धार को अगर वो देख सकें तो बात बन जाए ...
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें ...
बहुत खूब ! होली मुबारक !
ReplyDeleteहास्य और व्यंग का अद्भुत और सटीक संयोजन...लाज़वाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteहोली की तरंग में मस्ती का माहौल है। वैरी गुड।
ReplyDeleteभूतनियों के........... :) :( :/
ReplyDeleteपैनी धारदार … सुन्दर रचना … रंगोत्सव होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteThis is good satire and pain reflected. But this is world and lives with own values. Good composition. Regards.
ReplyDeleteकमाल की होली दर्शन ...............
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